Category: बच्चों का पोषण

6 माह के बच्चे का baby food chart और Recipe

By: Salan Khalkho | 28 min read

बच्चों में आहार शुरू करने की सबसे उपयुक्त उम्र होती है जब बच्चा 6 month का होता है। इस उम्र में बच्चे को दूध के साथ साथ पौष्टिक आहार की भी आवश्यकता पड़ती है। लेकिन पहली बार बच्चों के ठोस आहार शुरू करते वक्त (weaning) यह दुविधा होती है की क्या खिलाएं और क्या नहीं। इसीलिए पढ़िए baby food chart for 6 month baby.

अक्सर माता-पिता के लिए यह चिंता का विषय रहता है की 6 महीने के बच्चे को क्या खिलाएं। अब 6 months baby food chart for Indian की मदद से आप अपने 6 माह के बच्चे को पौष्टिक आहार दे सकेंगे।  6 month के बच्चे को ऐसा आहार देना चाहिए जिससे उसके शरीर को सभी प्रकार के पोषक तत्त्व मिल सके। सिर्फ बच्चे का पेट भरने से काम नहीं चलेगा। अगर बच्चे को उसके आहार से उसके शरीर की जरूरत के अनुसार पोषक तत्त्व नहीं मिलते तो बच्चा कुपोषण का शिकार तक हो सकता है। 

Weekly sample food chart - 6 महीने के बच्चे के लिए

बच्चों में आहार शुरू करने की सबसे उपयुक्त उम्र होती है जब वो 6 month का होता हैं। हो सकता है की कुछ लोग आपको 3-से-4 महीने मैं ही ठोस आहार की शुरुआत करने की सलाह दें। मगर आप ऐसा न करें। 6 माह से पहले ठोस आहार शुरू करने से बच्चे में पाचन तथा food allergy से सम्बंधित समस्या हो सकती है। 6 month से पहले बच्चे को पानी तक नहीं देना चाहिए। बाल रोग विशेषज्ञों की राय माने तो 6 महीने से पहले बच्चे को पानी पिलाना खतरनाक (जानलेवा) तक हो सकता है। बच्चों में भोजन पचाने वाले enzyme का बनना 4-से-6 महीने के बाद ही शुरू होता है जो की पाचन के लिए आवश्यक है। ठोस आहार की शुरुआत करने से पहले 6 माह तक इंतज़ार करें जब तक की बच्चे का पाचन तंत्र भोजन पचाने वाले enzyme को बनाना शुरू न कर दे। इसके आधार पे आप खुद का '6 month baby food chart in hindi' बना सकेंगी - संतुलित आहार चार्ट। 

 

अगर आप का बच्चा 6 माह से ज्यादा मगर 3 साल से कम उम्र का है तो आप इस लेख को जरूर पढ़ें - 3 years baby food chart in हिंदी

पहला सप्ताह - [Week 1] Sample Baby Food Chart

week-1-six महीने के बच्चे का आहार - 6 month baby Food Chart - Meal Plan

Download Week 1 - Baby Food Chart in Hindi [PDF]

दूध छुड़ाने के तीन दिवसीय नियम का जिक्र हम ने इसी अध्याय (लेख) में आगे किये है। उसे पढ़ें और उसका पालन पहली सप्ताह में जरूर करें।  चूँकि यह पहला सप्ताह है, बच्चे को बहुत थोड़ा सा ही खाने को दें। बच्चा मुख्या तौर पे आप के दूध पे या फिर formula milk पे निर्भर रहेगा। बस यूं समझ लीजिये की आप का बच्चा सिर्फ नाम के लिए ठोस आहार ले रहा है।  ऊपर चार्ट में जो baby food recipes in hindi दिया गया है उसे बनाने की विधि आपको इस लेख के अंत में मिलेगी।   

विदेशी अंग्रेज़ी वेब-साइट पे आपको बच्चों को खिलने के लिए भारतिया आहारों का जिक्र नहीं मिलेगा। इसीलिए इस विशेष लेख में 6 month baby food chart Indian का जिक्र हम ने किया है ताकि baby food Chart में दी गई सारी सामग्री आपको आसानी से मिल जाये और recipes भी ऐसे हों जो हम भारतीयोँ के लिए आम हों।

यह भी पढ़ें - 7 month baby food recipes Indian और 8 month baby food recipes Indian

आज के दौर की तेज़ भाग दौड़ वाली जिंदगी मैं हर माँ के लिए यह संभव नहीं की अपने शिशु के लिए घर पे खाना त्यार कर सके। ऐसे में अगर आप बाजार का ब्रांडेड बेबी फ़ूड अपने 6 month baby के लिए खरीदतीं हैं तो आप को कुछ महत्वपूर्ण बात्तों का ध्यान रखना पड़ेगा। 6 माह के बच्चे के लिए उपलब्ध ready made baby food ने कई माताओं का जीवन सरल कर दिया है। लेकिन फिर भी घर पे त्यार बच्चों के आहार (संतुलित आहार चार्ट) का कोई मुकाबला नहीं है। 

दूसरा सप्ताह - [Week 2] Sample Baby Food Chart

week-2-six महीने के बच्चे का आहार - 6 month baby Food Chart - Meal Plan

Download Week 2 - Baby Food Chart in Hindi [PDF]

पहले सप्ताह में बच्चे को सिर्फ दो ही प्रकार के ठोस/तरल आहार दिया गया है। दूसरे सप्ताह में आप का बच्चा दो और नए आहार को चखेगा। दूसरे सप्ताह के अंत तक आपका बच्चा कुल मिलके चार नए आहार का स्वाद चख चूका होगा। दूसरे सप्ताह से आप को अपने बच्चे की दिनचर्या को निर्धारित करना शुरू कर देना चाहिए। उद्धरण के तौर पे बच्चे के सोने का समय, उठने का समय, खेलने का समय और खाने का समय। ऐसा करने पे आप बच्चे से सम्बंधित बहुत सी चीज़ों को व्यस्थित कर सकेंगी और आपका काफी काम भी आसान हो जायेगा। 

अगर आप का बच्चा दूसरे बच्चों से शारीरिक तौर पे कमजोर है तो उसका वजन बढ़ाने के लिए आप को उसे विशेष आहार देने पड़ेंगे जो उसका वजन बढ़ाने में उसकी मदद करेगा। बच्चों की अच्छी सेहत के लिए आप उनके आहार में ड्राई-फ्रूट्स मिला कर भी उन्हें दे सकते है। अगर आप अपने बच्चे को semi-solid food दे रहे हैं तो आप बच्चे के भोजन में dry-fruits को पीस कर भी मिला के दे सकते हैं।       

यह भी पढ़ें - 3 month baby care tips in Hindi  और 5 month baby care tips in Hindi

तीसरा सप्ताह - [Week 3] Sample Baby Food Chart

week-3-six महीने के बच्चे का आहार - 6 month baby Food Chart - Meal Plan

Download Week 3 - Baby Food Chart in Hindi [PDF]

तीसरा सप्ताह का अंत होते-होते आपका बच्चा 6 नए आहार का स्वाद चख चूका होगा। इस दौरान आप को भी यह पता लग चूका होगा की आपके बच्चे को कौन सा आहार (सब्जियों का puree, मुंग की दाल की खिचड़ी, सब्जी वाली खिचड़ी, पांच दालों वाली खिचड़ी इतियादी) पसंद आया। अपने बच्चे को जबरदस्ती कुछ भी खिलने का कोशिश न करें। धैर्य रखें, कुछ समय पश्च्यात आप को अनेक ऐसे आहार के बारे में पता लग चूका होगा जो आपका बच्चा बड़े चाव से खाता है। जो आहार आपके बच्चे को पसंद है वही उसे दें खाने को। 

चौथे सप्ताह - Week 4 Sample Baby Food Chart

week-4-six महीने के बच्चे का आहार - 6 month baby Food Chart - Meal Plan

Download Week 4 - Baby Food Chart in Hindi [PDF]

बच्चे को mashed/pureed आहार देना जारी रखें। इस सप्ताह के अंत तक आप का बच्चा आठ नए आहार के बारे में जान चूका होगा। आपके बच्चे के दिनचर्या के आधार पे आप उसे दिन के किसी भी समय ठोस आहार दे सकते हैं। 

बच्चे में ठोस आहार की शुरुआत करते वक्त आपको कुछ चीज़ों की आवशकता पड़ेगी। इन चीज़ों की मैंने एक लिस्ट बनायीं है। ये ऐसी चीज़ें हैं जिनकी आवश्यकता आप को आहार बनाते वक्त पड़ेगा या फिर बच्चे को आहार खिलाते वक्त। 

ऊपर दिए गए baby food chart को सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए निचे दिए गए दिशा निर्देश ध्यान से पढ़ें।     

दूध छुड़ाने के तीन दिवसीय नियम 6 माह के बच्चे में

दिन                 मात्रा                       समय
पहला दिन       1 बड़ा चम्मच          दोपहर का भोजन  
दूसरा दिन       2 बड़ा चम्मच           दोपहर + नाश्ता 
तीसरा दिन      3 बड़ा चम्मच          दोपहर + नाश्ता   

6 माह के बच्चे में जब आप पहली बार ठोस आहार की शुरुआत कर रहें हैं तो इसकी शुरुआत या तो सुबह के नाश्ते से करीये या फिर दोपहर के भोजन से। रात्रि भोजन में या सोने से पहले शरुआती दिनों में ठोस आहार न दें। इसी नियम का पालन उस वक्त भी करें जब आप कोई नई भोजन भी बच्चे को पहली बार दे रहीं हों तो। 

यह भी पढ़ें:

6 महीने के बच्चे का आहार - 6 month baby Food Chart/ Meal Plan  

आहार जो आप अपने 6 माह के बच्चे को दे सकते हैं। 

सुबह उठने के बाद - Wake up     

जितने बजे भी सुबह आपका बच्चा उठे, सबसे पहले आप उसे या तो अपना दूध पिलायें या formula milk पीने को दें।

सुबह का नाश्ता 6 माह के बच्चे के लिए - Breakfast for 6 month baby   

सुबह उठते ही दूध पिलाने के बाद डेढ़ से दो घंटे के बाद आप अपने बच्चे को नाश्ते (breakfast) मैं ठोस आहार दे सकते हैं। यहां निचे दिए 6 recipes में से आप अपने बच्चे को हर दिन एक नया रेसिपी दे सकते हैं। पहले एक सप्ताह बच्चे को नाश्ते में सिर्फ फल खाने को दें।  

  1. केला - सप्ताह में तीन से चार बार दें 
  2. सेब - इसे हर दिन दिया जा सकता है
  3. चीकू - इसे भी हर दिन दिया जा सकता है
  4. नाशपाती - सप्ताह में तीन से चार बार दें 
  5. पपीता - सप्ताह में चार से पांच बार दें
  6. अवोकाडो (avocado) - इसे चाहें तो हर दिन दे सकते हैं

दोपहर का खाना - Lunch

  • पहला सप्ताह - गिला चावल या खिचड़ी 
  • दूसरा सप्ताह - गाजर के साथ खिचड़ी को पका के दें 
  • तीसरा सप्ताह - रागी का खिचड़ी ये गेहूं/ओट्स का दलीय 
  • चौथा सप्ताह - मूंग दाल या मुंग दाल की खिचड़ी 

बाकी का दिन - Rest of the day   

बाकी का आधा दिन आप अपने बच्चे को अपना दूध पिलायें या formula milk पीने को दें। दोपहर का खाना खिलने के दो घंटे के बाद ही बच्चे को दूध पिलायें।   

6 महीने के बच्चे का baby food recipe - ठोस आहार की शुरुआत करने के लिए recipe

6 months baby food chart along with baby food recipes in hindi

Ingredients - सामग्री 

  • १/२ छोटा सेब
  • १/२ छोटा नाशपाती
  • १/२ cup चीकू (सपोटा)
  • १/२ cup पपीता 
  • १/२ केला 

विधि: 6 महीने के बच्चे के बच्चे के लिए नाश्ता बनाने की विधि

हर दिन अलग-अलग फल देने से बच्चे में अनेक प्रकार के nutrients की कमी को पूरा किया जा सकता है। बच्चों को आप सप्ताह में इस तरह से फल दे सकतें हैं।    

  1. केला - कांटा चमच से mash कर लीजिये या फिर blender में blend कर लीजिये      
  2. सेब - सेब को दो टुकड़े में काट लीजिये। उसके बीच का बीज निकल लीजिये। सेब को हल्का सा उबाल कर blender में blend कर लीजिये।
  3. चीकू (sapota) -  कांटा चमच या साधारण चमच से mash कर के बच्चे को खाने को दें।
  4. नाशपाती - सेब को दो टुकड़े में काट लीजिये। उसके बीच का बीज निकल लीजिये। नाशपाती को ५ से ६ मिनट तक उबाल कर blender में blend कर लीजिये। फिर बच्चे को खाने को दें।
  5. पपीता - कांटा चमच या साधारण चमच से mash कर लीजिये या फिर blender में blend कर लीजिये।
  6. पका अवोकेडो (ripe avocado) - blender में इसे puree कर बच्चे को खिलाएं। 
  7. सब्जियों को उबाल कर उनका puree बच्चों को दे सकते हैं। गाजर, कदु, लौकी, और french beans कुछ चुनिंदा सब्जियों में से हैं जिन्हे आप अपने बच्चों को दे सकते हैं। 

कितनी मात्रा आहार की उचित है 6 माह के बच्चे के लिए

6 माह के बच्चे से ये उम्मीद न करें की वो बहुत भोजन कर लेगा। इतने छोटे बच्चे का पेट भी बहुत छोटा होता है। बच्चे को अधिकांश (nutrition) पोषण दूध से ही मिल जायेगा। इस उम्र में बच्चे को उतना दूध पिलाते रहें जितना की उसे जरुरत है। जितनी बार आवश्यकता पड़े उतनी बार बच्चे को दूध पिलायें। पहले कुछ सप्ताह बहुत थोड़ा खाना ही बच्चे को खिलाएं। इस दौरान बच्चा मुख्यता स्तनपान और formula milk पे ही निर्भर रहेगा। 6 माह के बच्चे  को कम से कम हर दिन 500ml - से - 600ml के बीच दूध पीना चाहिए। 

6 month बच्चे को भोजन कराते वक्त निम्न बातों का ध्यान रखें

  • हर 6 माह के बच्चे को जरुरी नहीं की वो दो वक्त ठोस आहार ग्रहण करें। अगर बच्चा सिर्फ एक वक्त ही ठोस आहार ग्रहण कर रहा है और बाकि वक्त दूध पे निर्भर है तो भी कोई चिंता का विषय नहीं। 
  • शुरुआती दौर मैं बच्चे को दिन में सिर्फ एक बार आहार दें और वो भी बहुत थोड़ा सा। आहार की मात्रा धीरे-धीरे कर के आप बढ़ा सकते हैं। 
  • बच्चे को ठोस आहार शुरू करने के बाद भी उसके प्रथम वर्ष मैं दूध ही उसका मुख्या पोषक आहार होगा।
  • बच्चे के प्रथम साल में उसे दूध पिलाना ना बंद करें। 

लक्षण: कैसे जाने की आप का बच्चा ठोस आहार के लिए तैयार है?  

तीन से चार महीना का होते-होते आप का बच्चा अपने सर को स्थिर रखना सीख लेगा। जब तक वो 6 महीना का होगा, तब तक उसके सर और गर्दन की मासपेशियां मजबूत हो चुकी होंगी। ठोस आहार ग्रहण करते वक्त आप के बच्चे को मजबूत  सर और गर्दन की आवश्यकता पड़ेगी ताकि वो आसानी से आहार को घोंट सके। जब तक आपका बच्चा 6 माह का होगा तब तक उसका पाचन तंत्र भी पूरी तरह विकसित हो चूका होगा। 

6 महीने के बच्चे का ठोस आहार शुरू करने सम्बन्धी सवाल 

जब आपका बच्चा 6 महीने का होगा तो वो अलग अलग आहार की तरफ आकर्षित होने लगेगा। वो अपने सर को भी खुद ही स्थिर रखना सीख लेगा। ये कुछ निशानियां हैं की आपका बच्चा अब त्यार है ठोस आहार ग्रहण करने के लिए। क्या आप का बच्चा निचे दी गयीं चीज़ीं कर पता है।

  • क्या आप का बच्च कुर्सी पे बिना किसी सहारे के बैठ पाता है?
  • क्या उसका सर और गर्दन स्थिर हो गया है? 
  • जब आप अपने बच्चे के मुँह में चमच डालते हैं तो क्या वो मुँह बंद कर लेता है?
  • क्या स्तनपान करने या दूध पिलाने के बाद भी आप के बच्चे को भूख लगती है?

ऊपर दिए गए सवालों के लिए अगर आप के जवाब हाँ में है तो समझिये की आप का बच्चा त्यार है ठोस आहार के लिए। 

जब तक आप का बच्चा एक साल का नहीं हो जाता, ठोस आहार शुरू करने के बाद भी उसे दूध पिलाना जारी रखें। कम से कम 6 महीने की आयु तक अपने बच्चे को अपना ही दूध पिलायें। बच्चे के लिए माँ का दूध सबसे महत्वपूर्ण है। अगर आप व्यावसायिक, निजी या चिकित्सीय कारणों से अपने बच्चे को अपना दूध नहीं पीला सकती तो कम-से-कम उसे एक साल तक formula milk तो पिलाइये ही। माँ का दूध सिर्फ बच्चे के लिए फायदेमंद ही नहीं है वरन शिशु को दूध पिलाने पर माँ को भी होते हैं अनेक फायदे। 

क्या है 6 माह के बच्चों को ठोस आहार

आप के बच्चे ने गर्दन को स्थिर रखना सीख लिए है और तरह-तरह के भोजन की तरफ भी आकर्षित होता है इसका मतलब यह नहीं की वो table पे बैठ के आपके साथ भोजन करने के लिए शारीरिक तौर पे तैयार हो गया है। 6 माह के बच्चे का ठोस आहार किसी भी तरह से ठोस नहीं होता। इस दौरान बच्चे को भोजन पीस के दिया जाता है। भोजन ग्रहण करना एक कौशल है और आप के बच्चे को अभी थोड़ा समय लगेगा इस कौशल को सिखने में। 

सावधानियां: बच्चों में ठोस आहार शुरू करने सम्बन्धी 

  1. 6 महीने के बच्चे में ठोस आहार शुरू करते वक्त हमेशा एक भोजन से शुरू करें। या तो किसी एक फल से शुरू करें या फिर किसी एक सब्जी या आनाज से शुरू करें। दो तीन प्रकार के भोजन को मिला कर आहार तैयार ना करें। अगर किसी भोजन से बच्चे को food allergy होता है तो mixed आहार में पाता नहीं चलेगा। 
  2. बच्चे में ठोस आहार की शुरुआत आप चाहें तो फल से कर सकते हैं। फलों में digestive enzymes होता है जो आहार को पचाने में बच्चे के पाचन तंत्र मदद करेगा। 
  3. फल देने के एक सप्ताह बाद आप बच्चे को अगले सप्ताह से चावल का पानी (चावल का माड़) दे सकते हैं। उसके बाद वाले सप्ताह से आप बच्चे को दाल का पानी या सब्जयोँ का soup (boiled vegetable water) दे सकते हैं। 
  4. शुरुआती दिनों में फलों को पीस कर बच्चे को खिलाये। पीसा हुआ फल आसानी से पच जायेगा। 
  5. एक 6 महीने का बच्चा केवल एक चम्मच ही पीसा हुआ भोजन ग्रहण कर सकता है। जैसे-जैसे समय बीतेगा, आप आहार की मात्रा को भी बढ़ा सकते हैं।  
  6. ठोस आहार की शुरुआत ऐसे भोजन से करें जो आसानी से पच जाये। 
  7. आहार मैं कैलोरी की मात्रा बढ़ाने के लिए आप उसमे शुद्ध देशी घी या butter मिला सकते हैं। 
  8. बच्चों का आहार त्यार करने और उन्हें परोसने के लिए Stainless steel या शीशे के बर्तनों का इस्तिमाल ज्यादा उपयुक्त रहेगा।
  9. बच्चों का भोजन त्यार करने या उन्हें परोसने के लिए प्लास्टिक के सामानो का इस्तिमाल ना करें। अच्छे गुडवत्ता (quality) के प्लास्टिक के बर्तन जैसा की BPA free grade के products का भी इस्तेमाल ना करें। 
  10. बच्चे को हमेशा शांत वातावरण में खिलाएं। भोजन कराते वक्त बच्चे से भोजन के रंग और उसके आकर के बारे मैं बात करें। भोजन कराते वक्त बच्चे को आप कोई अच्छी सी कहानी भी सुना सकते हैं। 
  11. बच्चे को भोजन कराते वक्त हमेशा तीन दिवसीय नियम का पालन करें। इस नियम के अनुसार जब भी आप कोई नया भोजन बच्चे को पहली बार दें तो दूसरा भोजन देने से पहले तीन दिन का अंतराल रखें और चौथे दिन ही नया भोजन दें। 
  12. अगर किसी नए भोजन से बच्चे में कोई allergy के लक्षण दिखे तो तुरंत उस भोजन को देना बंद कर दें। 
  13. बच्चे को भोजन कराते वक्त हमेशा ध्यान रखें की आप का बच्चा या तो कुर्सी पे बैठा हो या फिर आप की गोद में। अगर बच्चा पीठ के बल लेटा हो तो उसे भोजन ना कराएं। 
  14. बच्चे का भोजन नरम और मुलायम होना चाहिए। जरुरत पड़े तो भोजन को पतला करने के लिए उसमे आप दूध मिला सकते हैं। भोजन पकाते वक्त कभी भी breastmilk या formula milk ना मिलाएं। बल्कि भोजन जब तैयार हो जाये तब आप उसमें दूध मिलाएं। फल के puree को पतला करने के लिए पानी का इस्तेमाल करें, इसे पतला करने के लिए दूध ना मिलाएं। 
  15. बच्चे को हमेशा ताज़ा बना भोजन कराएं। 
  16. बच्चे को जबरदस्ती ना खिलाएं। समय के साथ धीरे-धीरे उसके आहार की मात्रा बढ़ जाएगी। 
  17. बच्चे को पानी स्टील के कप से या शीशे के गिलास से पिलायें। जहाँ तक हो सके feeding bottle या sipper का इस्तेमाल ना करें। 

एलेर्जी वाले भोजन से बच्चों का बचाव

अगर आप भोजन से सम्बंधित तीन दिवसीय नियमो का पालन कर रहे हैं तो आप बहुत हद तक अपने बच्चों को भोजन से होने वाले एलेर्जी से बचा सकते हैं। 

छोटे बच्चों को आहार शुरू करते वक्त सिर्फ एक से दो बडा चम्मच भोजन देने की आवश्यकता पड़ती है इसी लिए भोजन की मात्रा कम रखें। 

कोई भोजन जब पहली बार करा रहें हों तो सतर्कता बरतें की कहीं नए भोजन से बच्चे को कोई एलेर्जी तो नहीं हो रही है। कुछ भोजन ऐसे हैं जिनसे एलेर्जी होने की सम्भावना रहती है। इस प्रकार के भोजन कराते वक्त विशेष सतर्कता की जरुरत रहती है। 

भोजन जिन से एलेर्जी होने की संभावना रहती है

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अगर एलेर्जी है आपके बच्चे को किसी विशेष आहार से तो क्या करें

अगर आपके बच्चे को किसी विशेष आहार से एलेर्जी है तो आप अपने बच्चे में निम्न प्रकार के लक्षण देखेंगे:

  • किसी विशेष भोजन को खाने से अगर आपके बच्चे को दस्त होता है
  • उसे कब्ज होता है
  • भोजन करने के कुछ समय बाद आप का बच्चा भोजन को उलटी कर देता है
  • किसी विशेष भोजन को  ग्रहण करने से आप के बच्चे के शरीर पे चकते (rashes) पड़ जाते हैं
  • भोजन के बाद आप का बच्चा अगर खूब रो रहा है (शायद पेट दर्द की वजह से) तो समझ लें की उसे आहार suit नहीं कर रहा है।

यह करें अगर आप के बच्चे को एलेर्जी है किसी विशेष आहार से तो

  • अगर किसी विशेष भोजन को ग्रहण करने के बाद उसमे एलेर्जी के लक्षण दिखे तो उस भोजन को तुरंत बंद कर दें और दुबारा उस आहार को ना दें। 
  • दो महीने के बाद फिर से सावधानीपूर्वक उस भोजन को देने की कोशिश। नया भोजन शुरू करते वक्त तीन दिवसीय नियम का पालन करें।
  • अपने बच्चे के लिए एक diary लिखना शुरू करें। उस डायरी में वो सब कुछ लिखें जो आप का बच्चा खाता है। यह भी लिखें की उस भोजन को खाने के बाद आप के बच्चे की क्या प्रतिक्रिया रही। कहीं उस भोजन को खाने से उसे कोई तकलीफ तो नहीं हुई। 
  • इस डायरी में आप अपने बच्चे से सम्बंधित उन सभी recipes का भी उल्लेख कर सकते हैं जिसे आप का बच्चा बहुत चाव से खाता है। 
  • डायरी में आप उन सभी भोजन का भी जिक्र करें जिसे खाने से आप के बच्चे में एलेर्जी के लक्षण दीखते हैं। 

गैस - आहार जिनसे आपके बच्चे को गैस हो सकता है

उन आहार के प्रति सावधान रहें जिन से आपके बच्चे को गैस हो सकता है। हम यहां कुछ गिने चुने आहार के नाम बता रहें हैं जिन्हे खाने से आप के बच्चे को थोड़ी तकलीफ हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो इंतज़ार करे की जब तक की आप का बच्चा 8 से 10 महीने का ना हो जाये। 

  1. प्याज़
  2. बोड़ा, राज़मा, beans 
  3. गेहूं (रोटी, पाव-रोटी, डबल-रोटी, बिस्कुट, दलीय इत्यादि) 
  4. दूध और उससे बानी वस्तुएं (पनीर, खोआ, लस्सी, दही, पेड़ा)       
  5. गोभी, पत्ता गोभी, (cruciferous vegetables) 
  6. अंडा

इस लेख में मैंने कोशिश की है की आप को 6 महीने के बच्चे को क्या खिलाना है उससे सम्बंधित जानकारी दे सकूँ। इन जानकारियोँ के साथ-साथ मैंने आहारों से सम्बंधित कुछ उदहारण भी दिए हैं। इन सबका इस्तिमाल कर के आप अपने 6 माह के बच्चे का diet plan तैयार कर सकते हैं। हमने उदहारण सिर्फ इस लिए दिए हैं ताकि आप को एक अंदाजा मिल सके। इस जानकारी के आधार पे आप खुद ही अपने बच्चे का Indian diet plan तैयार कर सकती हैं उन आहारों के द्वारा जिसे आप आम तौर पे अपने परिवार के लिए बनती हैं। इस लेख का उद्देश्य यही है की आप भोजन के समय सारणी और उस की मात्रा को समझ सकें। 

Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्‍तविकता सुनिश्‍चित करने का हर सम्‍भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्‍सक से अवश्‍य संपर्क करें। आपका चिकित्‍सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्‍प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।

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बलगम वाली खांसी का देसी इलाज - Balgam Wali Khansi Ka Desi ilaj
balgam-wali-khansi-ka-desi-ilaj अगर आप का शिशु सर्दी और जुकाम से परेशान है तो कुछ घरेलु उपाय आप के शिशु को आराम पहुंचा सकते हैं। सर्दी और जेड के मौसम में बच्चों का बीमार पड़ना आम बात है। इसके कई वजह हैं। जैसे की ठण्ड के दिनों में संक्रमण को फैलने के लिए एकदम उपयुक्त माहौल मिल जाता है। कुछ बच्चों को ठण्ड से एलेर्जी होती है और इस वजह से भी उनमे सर्दी और जुकाम के लक्षण दीखते हैं।
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7 Tips - शिशु के बंद नाक का आसन घरेलु उपाय (How to Relieve Nasal Congestion in Kids)
बंद-नाक बदलते मौसम में शिशु को सबसे ज्यादा परेशानी बंद नाक की वजह से होता है। शिशु के बंद नाक को आसानी से घरेलु उपायों के जरिये ठीक किया जा सकता है। इन लेख में आप पढेंगे - How to Relieve Nasal Congestion in Kids?
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शिशु को 9 महीने की उम्र में लगाये जाने वाले टीके
-9-महीने-पे-टीका शिशु के नौ महीने पुरे होने पे केवल दो ही टीके लगाने की आवश्यकता है - खसरे का टीका और पोलियो का टिका। हर साल भारत में 27 लाख बच्चे खसरे के संक्रमण के शिकार होते है। भारत में शिशु मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण खसरा है।
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क्या शिशु में एलर्जी के कारण अस्थमा हो सकता है?
-शिशु-में-एलर्जी-अस्थमा एलर्जी से कई बार शिशु में अस्थमा का कारण भी बनती है। क्या आप के शिशु को हर २० से २५ दिनों पे सर्दी जुखाम हो जाता है? हो सकता है की यह एलर्जी की वजह से हो। जानिए की किस तरह से आप अपने शिशु को अस्थमा और एलर्जी से बचा सकते हैं।
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Indian Baby Sleep Chart
Indian-Baby-Sleep-Chart Indian baby sleep chart से इस बात का पता लगाया जा सकता है की भारतीय बच्चे को कितना सोने की आवश्यकता है।। बच्चों का sleeping pattern, बहुत ही अलग होता है बड़ों के sleeping pattern की तुलना मैं। सोते समय नींद की एक अवस्था होती है जिसे rapid-eye-movement (REM) sleep कहा जाता है। यह अवस्था बच्चे के शारीरिक और दिमागी विकास के लहजे से बहुत महत्वपूर्ण है।
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माँ के गर्भ में ही सीखने लगते हैं बच्चे
गर्भ-में-सीखना गर्भवती महिलाएं जो भी प्रेगनेंसी के दौरान खाती है, उसकी आदत बच्चों को भी पड़ जाती है| भारत में तो सदियोँ से ही गर्भवती महिलायों को यह नसीहत दी जाती है की वे चिंता मुक्त रहें, धार्मिक पुस्तकें पढ़ें क्योँकि इसका असर बच्चे पे पड़ता है| ऐसा नहीं करने पे बच्चे पे बुरा असर पड़ता है|
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किस उम्र में दे बच्चों को स्मार्ट फ़ोन
स्मार्ट-फ़ोन स्मार्ट फ़ोन के जरिये माँ-बाप अपने बच्चे के संपर्क में २४ घंटे रह सकते हैं| बच्चे अगर स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से करे तो वो इसका इस्तेमाल अपने पढ़ाई में भी कर सकते हैं| मगर अधिकांश घटनाओं में बच्चे स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से नहीं करते हैं और तमाम समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ता है|
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10 माह के बच्चे का baby food chart (Indian Baby Food Recipe)
10-month-baby-food-chart दस साल के बच्चे के आहार सरणी मैं वो सभी आहार सम्मिलित किया जा सकते हैं जिन्हे आप घर पर सभी के लिए बनती हैं। लेकिन उन आहारों में बहुत ज्यादा नमक, मिर्चा और चीनी का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। आप जायके के लिए हलके मसलों का इस्तेमाल कर सकती हैं जैसे की धनिया पाउडर।
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5 महीने का बच्चे की देख भाल कैसे करें
5-महीने-का-बच्चे-की-देख-भाल-कैसे-करें बच्चे के पांच महीने पुरे करने पर उसकी शारीरिक जरूरतें भी बढ़ जाती हैं। ऐसे में जानकारी जरुरी है की बच्चे के अच्छी देख-रेख की कैसे जाये। पांचवे महीने में शिशु की देखभाल में होने वाले बदलाव के बारे में पढ़िए इस लेख में।
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कागज का हवाई मेढक कैसे बनायें
कागज-का-हवाई-मेढक-कैसे-बनायें हैंडी क्राफ्ट एक्टिविटीज बच्चों में सकारात्मक और रचनातमक सोच विकसित करता है। हम आप को बताएंगे की आप सरलता से कागज का हवाई मेढक कैसे बनायें।
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पत्तों द्वारा कलाकारी - Leaf Art
कागज-से-बनायें-पत्तों-का-collage अगर आप आपने कल्पनाओं के पंखों को थोड़ा उड़ने दें तो बहुत से रोचक कलाकारी पत्तों द्वारा की जा सकती है| शुरुआत के लिए यह रहे कुछ उदहारण, उम्मीद है इन से कुछ सहायता मिलेगी आपको|
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स्मार्ट एक्टिविटीज वाली वेब-साइट्स जो रखें बच्चों को गर्मियों में व्यस्त
स्मार्ट-एक्टिविटीज-J-M-Group-India- गर्मी की छुट्टियों में बच्चे घर पर रहकर बहूत शैतानी करते है ऐसे में बच्चो को व्यस्त रखने के लिए फन ऐक्टिविटीज (summer fun activities for kids) का होना बहूत जरूरी है! इसके लिए कुछ ऐसी वेबसाइट मोजूद है जो आपकी मदद कर सकती है! आइये जानते है कुछ ऐसी ही ख़ास फन ऐक्टिविटी वाली वेबसाइट्स (websites for children summer activities) के बारे में जो फ्री होने के साथ बहूत लाभकारी भी है! J M Group India के संस्थापक बालाजी के अनुसार कुछ ज्ञान वर्धक बातें।
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मेनिंगोकोकल वैक्सीन - Schedule और Side Effects
मेनिंगोकोकल-वैक्सीन मेनिंगोकोकल वैक्सीन (Meningococcal Vaccination in Hindi) - हिंदी, - मेनिंगोकोकल का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
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एम एम आर (मम्प्स, खसरा, रूबेला) वैक्सीन - Schedule और Side Effects
एम-एम-आर एम एम आर (मम्प्स, खसरा, रूबेला) वैक्सीन (MM R (mumps, measles, rubella vaccine) Vaccination in Hindi) - हिंदी, - मम्प्स, खसरा, रूबेला का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
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घर का बना सेरेलक बच्चों के लिए - Home Made Cerelac
सेरेलक कैसे बनाये अपने नन्हे शिशु के लिए घर में ही rice cerelac (Homemade cerelac)। घर का बना सेरेलेक (Home Made Cerelac for Babies) के हैं ढेरों फायेदे। बाजार निर्मित सेरेलक के साइड इफेक्ट हैं बहुत जिनके बारे में आप पढेंगे इस लेख मैं।
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बच्चों के नाक से खून बहने का घरेलु इलाज (नकसीर)
नकसीर-फूटना नाक से खून बहने (nose bleeding in children) जिसे नकसीर फूटना भी कहते हैं, का मुख्या कारण है सुखी हवा (dry air)। चाहे वो गरम सूखे मौसम के कारण हो या फिर कमरे में ठण्ड के दिनों में गरम ब्लोअर के इस्तेमाल से। ये नाक में इरिटेशन (nose irritation) पैदा करता है, नाक के अंदुरुनी त्वचा (nasal membrane) में पपड़ी बनता है, खुजली पैदा करता है और फिर नकसीर फुट निकलता है।
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