Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺14 min read
बच्चों में भूख की कमी एक बढती हुई समस्या है। यह कई कारणों से होती है जैसे की शारीर में विटामिन्स की कमी, तापमान का गरम रहना, बच्चे का सवभाव इतियादी। लेकिन कुछ घरेलु तरीके और कुछ सूझ-बूझ से आप अपने बच्चे की भूख को बढ़ा सकती हैं ताकि उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उसके शारीर को सभी महत्वपूर्ण पोषक तत्त्व मिल सके।

बच्चों में भूख की कमी होने पे उन्हें कुछ भी खाने की इक्षा नहीं होता ही। ऐसे में माँ-बाप की सबसे बड़ी चिंता यह रहती है की बच्चे को क्या खिलाया जाये की उसके शारीर के पोषक तत्वों की आवश्यकता को आहारों के माध्यम से पूरा किया जा सके।
क्योंकि बच्चों के भोजन को पर्याप्त रूप से ना खाने से उनके शारीरिक विकास के साथ-साथ उनके मस्तिष्क विकास पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। जिससे आपका बच्चा आने वाले समय में पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद आदि जैसी क्रियाओं में उसके पीछे रहने की सम्भावना बन जाती है।
बच्चों में भूख की कमी कई कारणों से होता है और ऐसा होना एक आम बात भी है जिसके लिए आप को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। बच्चों को खाने के लिए प्रेरित करना, उनके आहार को बढ़ाना एक चुनौती भरा कार्य है जिसे आप थोड़ी समझ से पूरा कर सकती हैं। अगर शिशु को उसके आहार से पूरा पोषण नहीं मिल पा रहा है तो आप:
ध्यान दें: अगर बच्चे का लगातार वजन घट रहा है, या फिर उसका वजन बढ़ना रूक गया है, तो यह किसी बीमारी का संकेत भी हो सकता हैं और यह घम्भीर चिंता का विषय है। इस स्थिति में आप को अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाना चाहिए ताकि बच्चे का समय पे सही इलाज किया जा सके। समय पे इलाज ना मिलने की स्थिति में बच्चे को कुपोषण भी हो सकता है। जो बच्चे बार बार बीमार पड़ते हैं उनके शारीर में भी पोषक तत्वों की कमी पाई गयी है। इस समस्या से निपटने के लिए डोक्टर की राय आवश्यक है। आप बच्चे को उसके बीमारी के अनुसार भी आहार दे सकती हैं। उदहारण के लिए दस्त के दौरान शिशु को आहार उसके इस अवस्था के अनुसार दें। कई बार बच्चे कब्ज की वजह से भी खाना खाना बंद कर देते हैं। ऐसे में कब्ज की समस्या का निवारण होते ही फिर से आहार ग्रहण करना प्रारंभ कर देते हैं।
बच्चों को तरह तरह के स्वाद वाले भोजन पसंद आते हैं। कुछ ऐसे विशेष भोजन होते हैं जो उन्हें नहीं पसंद आते हैं और वहीँ कुछ ऐसे भोजन होते हैं जो उन्हें बहुत पसंद आते हैं।

बच्चे चटक स्वाद वाली भोजन को ही ज्यादा पसंद करते हैं जिसकी वजह से उन्हें सब्जियों व संतुलित आहार से मिलने वाले पोषण विटामिंस आदि प्रयाप्त रुप से नहीं मिल पाती है।
अगर बच्चे केवल अपनी इक्षा से ही भोजन करें तो कई महत्वपूर्ण आहारों से वंचित रह जायेंगे जो उनके विकास के लिए बहुत आवश्यक है। उदहारण के लिए बच्चों को चॉकलेट बहुत पसंद आती है लेकिन उनमें ना तो विटामिन होता है और ना ही कोई अन्य पोषक तत्व। दूसरी तरफ बच्चों को सब्जियां बिलकुल पसदं नहीं आती हैं। लेकिन सब्जियौं में भरपूर मात्र में पोषकतत्व पाए जाते हैं जो उसके विकास के लिए अच्छे हैं।
इन बातों का विशेष रुप से ध्यान रखें-
आप अपने बच्चे के साथ बैठकर खाना खाएं और उसे छोटे-छोटे बाइट बनाकर दें। खाने को रोचक तरीके से खिलाएं। अपने बच्चे के साथ खाते समय उसके साथ प्रतियोगिता करें कि कौन पहले खाना खाता है।

ऐसे में आप का बच्चा खाने को जल्द से जल्द खत्म करना चाहेगा और पूरे खाने को खाने की कोशिश करेगा। ऐसा करने से बच्चे के पूरा खाना ना खाने की समस्या काफी हद तक दूर हो जाती है।
बच्चों के मनपसंद के कार्टून वाले बर्तनों का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें। ऐसा करने से बच्चे अपने पसंद के कार्टून वाले बर्तन में खेल-खेल में खाने को पूरा खा लेते हैं तथा खाने को खाते समय उनका मन भी लगा रहता है।

कार्टून वाले बर्तन बच्चों को बहुत ही आकर्षित करते हैं। यह बच्चों को पूरा भोजन खिलाने का एक सबसे सरल तरीका है। इससे बच्चे पूरे खाने को खाने की आदत सीख लेते हैं।
इस प्रकार के बर्तन में आप बच्चे को तरह तरह से आहारों को परोस सकते हैं। इससे आप के बच्चे की खाने में रुचि बढ़ेगी और खाना खाना उसके लिए एक खेल के जैसे हो जाएगी।
बच्चे को कभी भी अकेले खाना ना खिलाए। या तो आप खुद बच्चे के साथ बैठकर खाना खाएं या घर के किसी अन्य बच्चे के साथ खाना खिलाए। दुसरे बच्चों के साथ बैठकर खाना खाने से उनमें आहार के प्रति रूचि बढती है तथा उन पर आप नजर भी रख सकती हैं कि बच्चा अपने खाने को पूर्ण रूप से खा रहा है या नहीं।

बच्चों में एक विशेषता होती है कि जब वे किसी अन्य बच्चे के साथ बैठकर खाना खाते हैं तो वे उस खाने को खेल-खेल में ही कब पूरा खा जाते हैं उन्हें पता भी नहीं चलता है। इससे बच्चे के पूरा खाना ना खाने की समस्या दूर की जा सकती है।
यदि आपके बच्चे को आवश्यकता से कम भूख लगती है तो आप डॉक्टर की सलाह लें तथा उन से परामर्श ले कर उन्हें कुछ विटामिंस की खुराक देने का प्रयास करें।

विटामिन बच्चे की भूख बढ़ाने में आपकी मदद करेगी। कुछ विशेष प्रकार के विटामिन जैसे विटामिन बी बच्चे की शरीर के विकास में मदद करती है।
इसमें बी-12 और फोलिक एसिड होते हैं। जो बच्चे की भूख को बहुत ही अधिक मात्रा में बढ़ाने में सहायक होते हैं साथ ही बच्चे के बौधिक विकास के लिए फोलिक एसिड एहम भूमिका निभाता है।
बच्चे के पसंदीदा खाने को पौष्टिक व संतुलित बनाने की कोशिश करें। इसके लिए उसके पसंदीदा खाने में ऐसे आहारों को सम्मलित करें जिसमें भरपूर मात्र में पोषक तत्त्व हों। इस तरह खेल खेल में उनमें पौष्टिक आहारों के प्रति रुचि बढ़ेगी।

यदि किसी भोजन को बच्चा खाने से मना करता है तो उस भोजन को आप स्वयं खुद खा कर उसे दिखाएं और उसे ऐसा व्यक्त करें कि वह भोजन स्वाद में बहुत ही अच्छा है।
ऐसा करने से बच्चे को ऐसा प्रतीत होगा कि भोजन स्वादिष्ट है और उस भोजन को वह खाने के लिए रुचि दिखाएगा। एक बार बच्चे की दोस्ती भोजन से हो जाने पर। इसलिए जितना संभव हो सके अभिभावकों को अपने बच्चों को नए-नए भोजन से दोस्ती कराते रहना चाहिए।
यह अवश्य ध्यान दें कि बच्चों को संतुलित आहार के साथ-साथ मौसम में आने वाले फलों का भी निरंतर रूप से सेवन कराते रहें। ऐसी स्थिति में बच्चे की पाचन शक्ति बढ़ती है तथा बच्चे को भूख भी लगती है।

बच्चे को फलों से मिलने वाले विभिन्न प्रकार के विटामिन उसके स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक हैं। फलों का बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
जिन फलों को बच्चे खाने में रुचि लेते हैं उन फलों को उन्हें निरंतर खिलाते रहे। क्योंकि फलों का सेवन किसी भी रुप से शरीर के लिए नुकसानदेह नहीं होता है।
बच्चे को हर थोड़े थोड़े समय के अंतराल पर खिलाते रहने से यदि वह किसी समय अपने भोजन को पूर्ण रुप से नहीं खाया होता है तो उस अधूरे पोषण की पूर्ति हो जाती है।

समय-समय पर बच्चे को खिलाते रहने से उसके भूख लगने की क्रिया काफी बढ़ जाती है भोजन के ना मिलने पर बच्चे खुद ब खुद कुछ ऐसी हरकतों को करके जैसे रोके चिल्ला के आदि।
संकेतों से यह आपको बताते हैं कि उनको भोजन की आवश्यकता है।
बच्चे की भूख ना लगने की बढ़ती समस्या को देखते हुए आप किसी अच्छे डॉक्टर से इस बारे में आवश्यक परामर्श ले सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर कुछ दवाओं का भी उपयोग किया जा सकता है।

किसी भी दवा का प्रयोग बिना डॉक्टर के परामर्श के बच्चों को नहीं देना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से बच्चों के शरीर में बहुत ही बुरा असर पड़ता है।
इसलिए जब भी आप ऐसी कुछ स्थिति में पढ़ें तो आप एक बार डॉक्टर की सलाह लेकर ही दवाओं का प्रयोग करें सही दवा के प्रयोग करने से बच्चे की भूख लगने की क्षमता बढ़ जाएगी तथा वह भोजन को पूर्ण रुप से खाना प्रारंभ कर देगा।
ऐसी स्थिति में बच्चे का खाने से रूसी हट जाता है तथा वह अपने खाने को पूरी तरह से नहीं खाता है ऐसे में यह ध्यान दें कि बच्चा जब अपने खाने को खाता है। तो उसका सारा ध्यान उसके प्लेट पर हो कितनी ज्यादा हो सके आप बच्चे के पास बैठकर उन्हें पूरे खाने को खत्म करने के लिए कहते रहना चाहिए।
बिस्किट चॉकलेट नमकीन टॉफी आदि ऐसी चीजों से बच्चों को तू रखना चाहिए इनमें स्वाद होने की वजह से बच्चे पौष्टिक आहार ओ को ना खाना पसंद करते हैंडाइटीशियन डॉक्टर राशि घर का मानना है। बच्चों को मैं खाने के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए उन्हें कहानियां कविताएं जैसी चीजों से हल्दी खाने के महत्व के बारे में बताना चाहिए। उसे एक बार में सब कुछ खिलाना बहुत ही मुश्किल होगा ऐसी स्थिति में उन्हें कुछ समय अंतराल पर वह थोड़ी थोड़ी मात्रा में लेकिन निरंतर क्रम में ऐसे पौष्टिक भोजन को देते रहना चाहिए दिन में कम से कम तीन बार ऐसे भजनों का सेवन कराते रहना चाहिए। जैसे स्नैक्स फल दूध आदि ऐसा करने से बच्चे में खाने के प्रति अनुशासन भी बना रहेगा और उसे खाने से संपूर्ण पोषण भी प्राप्त होता रहेगा जैसा कि पहले भी बताया गया है। कि कि माता-पिता अपने साथी बच्चे को खाना खिलाएं रोटी से ज्यादा बच्चों में सब्जी के प्रति रुचि बनाना आवश्यक है इसके लिए आप चुकंदर पालक गोभी जैसे सब्जियों का प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि बच्चे को खाना खिलाने का उद्देश्य उनके शरीर का पूर्ण रूप से विकास से ही होता है। अभिभावकों को यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात का ध्यान देना चाहिए कि बच्चे को जब खाना खिलाते हैं तो खाने के साथ-साथ उसे पानी पीते रहने की आदत बिल्कुल ना पड़े यह आगे चलकर एक बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती है। जिससे बच्चे को भूख लगना कम होने लगता है।
ऐसे ही कुछ विशेष तरीकों के साथ आप अपने बच्चों के भूख की समस्या को दूर कर सकते हैं तथा धीरे-धीरे उनमें संतुलित आहार के भोजन के प्रति रुचि डालने से उनको आसानी से खाना शुरू कर देंगे यह आदत बच्चों में 1 दिन में तो नहीं संभव है।
लेकिन एक निश्चित समय के साथ साथ उनको निरंतर ऐसे पौष्टिक आहार देते रहने से उनको ऐसे बोलने की आदत पड़ जाए शुरुआती दौर में बच्चे ऐसे भोजन को खाना नहीं पसंद करते हैं।

लेकिन एक नियमित आदत से यह चीज संभव है।आपका बच्चा जितना अधिक पौष्टिक भोजन को करेगा उतना ही वह स्वस्थ रहेगा वह उनके शरीर का विकास भी पूर्ण रुप से होता रहेगा।
बच्चों के साथ कभी भी जबरदस्ती करके फिर से वह उन पर दबाव डालकर ऐसी चीजों की आदत नहीं डलवाई जा सकती है।
इसीलिए जितना संभव हो अब अपने बच्चे से प्यार से पेश आएं विजिट करने से बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं।
वह खाने को जानबूझकर नहीं खाते हैं और अगर वह ऐसा करते हैं तो उनके शरीर पर इसका बहुत ही ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ने लगता है।
Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। आपका चिकित्सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।
Vitamin E शरीर में कोशिकाओं को सुरक्षित रखने का काम करता है यही वजह है कि अगर आप गर्भवती हैं तो आपको अपने भोजन में ऐसे आहार को सम्मिलित करने पड़ेंगे जिनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन इ (Vitamin E ) होता है। इस तरह से आपको गर्भावस्था के दौरान अलग से विटामिन ई की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
UHT milk को अगर ना खोला कए तो यह साधारण कमरे के तापमान पे छेह महीनो तक सुरक्षित रहता है। यह इतने दिनों तक इस लिए सुरक्षित रह पता है क्योंकि इसे 135ºC (275°F) तापमान पे 2 से 4 सेकंड तक रखा जाता है जिससे की इसमें मौजूद सभी प्रकार के हानिकारक जीवाणु पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। फिर इन्हें इस तरह से एक विशेष प्रकार पे पैकिंग में पैक किया जाता है जिससे की दुबारा किसी भी तरह से कोई जीवाणु अंदर प्रवेश नहीं कर पाए। इसी वजह से अगर आप इसे ना खोले तो यह छेह महीनो तक भी सुरक्षित रहता है।
मुख्यता दस कारणों से मिसकैरेज (गर्भपात) होता है। अगर इनसे बच गए तो मिसकैरेज नहीं होगा। जाने की मिसकैरेज से बचाव के लिए आप को क्या करना और क्या खाना चाहिए। यह भी जाने की मिसकैरेज के बाद फिर से सुरक्षित गर्भधारण करने के लिए आप को क्या करना चाहिए और मिसकैरेज के बाद गर्भधारण कितना सुरक्षित है?
महिलाओं में गर्भधारण न कर पाने की समस्या बहुत से कारणों से हो सकती है। अगर आप आने वाले दिनों में प्रेगनेंसी प्लान कर रहे हैं तो हम आपको बताएंगे कुछ बातें जिनका आपको खास ध्यान रखने की जरूरत है। लाइफस्टाइल के अलावा और भी कुछ कारण है जिनकी वजह से बहुत सारी महिलाएं कंसीव नहीं कर पाती हैं।
हैरत में पड़ जायेंगे जब आप जानेंगे किवी फल के फायेदे बच्चों के लिए। यह शिशु के रोग प्रतिरोधक छमता को बढ़ता है, त्वचा को सुन्दर और लचीला बनता है, पेट से सम्बंधित तमाम तरह की समस्याओं को ख़तम करता है, अच्छी नींद सोने में मदद करता है, सर्दी और जुखाम से बचाता है, अस्थमा में लाभ पहुंचता है, आँखों की रौशनी बढ़ता है।
दांतों का दर्द बच्चों को बहुत परेशान कर देने वाला होता है। इसमें ना तो बच्चे ठीक से कुछ खा पाते हैं और ना ही किसी अन्य शारीरिक क्रिया में उनका मन लगता है। दांतों में दर्द की वजह से कभी कभी उनके चेहरे भी सूख जाते हैं। अगर शिशु के शरीर किसी अन्य हिस्से पर कोई चोट लगे तो आप उस पर मरहम लगा सकती हैं लेकिन दातों का दर्द ऐसा है कि जिसके लिए आप शिशु को न तो कोई दवाई दे सकती हैं और ना ही किसी स्प्रे का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसी वजह से बच्चों के दातों का इलाज करना बहुत ही चुनौती भरा काम है।
बच्चे के जन्म के बाद माँ को ऐसे आहार खाने चाहिए जो माँ को शारीरिक शक्ति प्रदान करे, स्तनपान के लिए आवश्यक मात्र में दूध का उत्पादन में सहायता। लेकिन आहार ऐसे भी ना हो जो माँ के वजन को बढ़ाये बल्कि गर्भावस्था के कारण बढे हुए वजन को कम करे और सिजेरियन ऑपरेशन की वजह से लटके हुए पेट को घटाए। तो क्या होना चाहिए आप के Diet After Pregnancy!
शिशु की खांसी एक आम समस्या है। ठंडी और सर्दी के मौसम में हर शिशु कम से कम एक बार तो बीमार पड़ता है। इसके लिए डोक्टर के पास जाने की अव्शाकता नहीं है। शिशु खांसी के लिए घर उपचार सबसे बेहतरीन है। इसका कोई side effects नहीं है और शिशु को खांसी, सर्दी और जुकाम से रहत भी मिल जाता है।
जाने की किस तरह से ह्यूमिडिफायर (Humidifier) बंद नाक और जुकाम से रहत पहुंचता है। साथ ही ह्यूमिडिफायर (Humidifier) को सही तरीके से इस्तेमाल करने के बारे में भी सीखें। छोटे बच्चों को सर्दी, जुकाम और बंद नाक से रहत पहुँचाने के लिए बाल रोग विशेषज्ञ बच्चों के कमरे में ह्यूमिडिफायर (Humidifier) के इस्तेमाल की राय देते हैं। ठण्ड के दिनों में कमरे में कई कारण से नमी का स्तर बहुत गिर जाता है। इससे शिशु को बहुत तकलीफ का सामना करना पड़ता है।
आज के भाग दौड़ वाली जिंदगी में जहाँ पति और पत्नी दोनों काम करते हैं, अगर बच्चे का ध्यान रखने के लिए दाई (babysitter) मिल जाये तो बहुत सहूलियत हो जाती है। मगर सही दाई का मिल पाना जो आप के गैर मौजूदगी में आप के बच्चे का ख्याल रख सके - एक आवश्यकता बन गयी है।
सुबह उठकर भीगे बादाम खाने के फायेदे तो सबको पता हैं - लेकिन क्या आप को पता है की भीगे चने खाने के फायेदे बादाम से भी ज्यादा है। अगर आप को यकीन नहीं हो रहा है तो इस लेख को जरूर पढिये - आप का भ्रम टूटेगा।
विटामिन सी, या एस्कॉर्बिक एसिड, सबसे प्रभावी और सबसे सुरक्षित पोषक तत्वों में से एक है यह पानी में घुलनशील विटामिन है यह कोलेजन के संश्लेषण के लिए एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जिससे रक्त वाहिकाओं और शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। मानव शरीर में विटामिन सी पैदा करने की क्षमता नहीं है। इसलिए, इसे भोजन और अन्य पूरक आहार के माध्यम से प्राप्त करने की आवश्यकता है।
मसूर दाल की खिचड़ी एक अच्छा शिशु आहार है (baby food)| बच्चे के अच्छे विकास के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरतों की पूर्ति होती है। मसूर दाल की खिचड़ी को बनाने के लिए पहले से कोई विशेष तयारी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। जब भी आप के बच्चे को भूख लगे आप झट से 10 मिनट में इसे त्यार कर सकते हैं।
मुंग के दाल में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। शिशु में ठोस आहार की शुरुआत करते वक्त उन्हें आप मुंग दाल का पानी दे सकते हैं। चूँकि मुंग का दाल हल्का होता है - ये 6 माह के बच्चे के लिए perfect आहार है।
समय से पहले बच्चों में ठोस आहार की शुरुआत करने के फायदे तो कुछ नहीं हैं मगर नुकसान बहुत हैं| बच्चों के एलर्जी सम्बन्धी अधिकांश समस्याओं के पीछे यही वजह हैं| 6 महीने से पहले बच्चे की पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होती है|
नवजात बच्चे से सम्बंधित बहुत सी जानकारी ऐसी है जो कुछ पेरेंट्स नहीं जानते। उन्ही जानकारियोँ में से एक है की बच्चों को 6 month से पहले पानी नहीं पिलाना चाहिए। इस लेख में आप पढेंगे की बच्चों को किस उम्र से पानी पिलाना तीख रहता है। क्या मैं अपनी ५ महीने की बच्ची को वाटर पानी दे सकती हु?
खसरे का टीका (वैक्सीन) (measles Vaccine in Hindi) - हिंदी, - खसरे का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
न्यूमोकोकल कन्जुगेटेड वैक्सीन (Knjugeted pneumococcal vaccine in Hindi) - हिंदी, - न्यूमोकोकल कन्जुगेटेड का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
सेब और चावल के पौष्टिक गुणों से भर पूर यह शिशु आहार बच्चों को बहुत पसंद आता है। सेब में वो अधिकांश पोषक तत्त्व पाए जाते हैं जो आप के शिशु के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उसे स्वस्थ रहने में सहायक हैं।
बच्चों का मालिश बहुत महत्वपूर्ण है। आप के बच्चे का स्पर्श आप के प्यार और दुलार का एक माध्यम है। मालिश इसी का एक रूप है। जिस प्रकार से आप के बच्चे को पौष्टिक भोजन की आवशकता अच्छे growth और development के लिए जरुरी है, उसी तरह मालिश भी जरुरी है।