Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺11 min read
दो साल के बच्चे के लिए मांसाहारी आहार सारणी (non-vegetarian Indian food chart) जिसे आप आसानी से घर पर बना सकती हैं। अगर आप सोच रहे हैं की दो साल के बच्चे को baby food में क्या non-vegetarian Indian food, तो समझिये की यह लेख आप के लिए ही है।
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दो साल तक की उम्र तक बच्चे लग-भग सभी प्रकार के मांसाहारी आहारों को चख चुके होते हैं जिन्हे आप अपने परिवार में बनाते और खाते हैं।
जिन घरों में मांसाहारी भोजन बनता है उन घरों के बच्चों के लिए हम यहां toddler food charts as veg and non-veg options दें रहें हैं।

Download - Non-vegetarian food chart/ meal for 2 years old in Hindi [PDF] - संतुलित आहार चार्ट
तरह तरह के फल और सब्जियों को बच्चों के आहार के रूप में त्यार कर उन्हें बड़े ही आसानी से दिया जा सकता है। इसी लिए अधिकांश baby food recipes vegetation होते हैं।
हालाँकि इस वजह से,
जिन घरों में मांसाहारी भोजन बनता है उन घरों की माताओं को यह चिंता बनी रहती है की vegetarian baby food से उनके शिशु को सम्पूर्ण vitamins और minerals मिल भी पा रहा है या नहीं।
तो चलिए,
आप की सुविधा के लिए हम आप को बताते हैं non-vegetarian Indian food chart जिसे आप आसानी से घर पर बना सकती हैं अपनी दो साल के बच्चे के लिए।
मगर पहले एक जरुरी बात,
दो साल का बच्चा बहुत छोटा होता है। यह उम्र होती है बच्चों में अच्छी आदतें विकसित करने की।
इसीलिए उसे जरुरत से ज्यादा मास-मछली खाने को न दें। अगर आप के बच्चे की आदत बिगड़ गयी तो फिर वो हर आहार में मास-मछली की मांग करेगा और मास-मछली छोड़ बाकि का आहार नहीं खायेगा।

इससे आपके बच्चे को कुपोषण होने का खतरा रहेगा। उदहारण के तौर पे अगर आपने अपने बच्चे को दो रोटी और एक अंडा दिए है खाने को तो सम्भवता हो सकता है की वो अंडा तो बड़े चाव से खा ले मगर रोटी पूरी तरह छोड़ दे।
सिर्फ एक अंडे से आपके बेटे का पेट नहीं भरेगा।
जाहिर है, आदत एक बार बिगड़ गयी तो बच्चा अंडा, मास, मछली को छोड़ बाकि कुछ भी नहीं खायेगा। ऐसे में तो वो दुबला-पतला हो जायेगा। और हो सकता है की कुपोषण का शिकार भी हो जाये।
दूसरी बात,
अंडा में protein तो प्रचुर मात्रा मैं होता है लेकिन carbohydrate तो बच्चे को रोटी से ही मिलेगा।
चलिए, यह तो हो गयी बात की किन-किन बातों का ख्याल रखना है बच्चों को non-vegetarian baby food देते वक्त। अब बात करते हैं Non-Vegetarian Food Chart/ Meal Plan for 2 years old के फायदे की।
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बच्चों को मटन (red meat) कम दें मगर मछली और chicken भरपूरी से दे सकती हैं। ये आप के बच्चे की सेहत के लिए अच्छा है।
अंडे में पोषक तत्त्व भरपूर होते हैं। अंडा आप अपने बच्चे को हर दिन दे सकती हैं। अंडे में जो पिली जर्दी होती है उसमे cholesterol बहुत होता है। मगर जब आप अंडा बच्चों को दे रही हैं तो आपको उसमे मौजूद cholesterol की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं। अंडे में मौजूद cholesterol बच्चों के मस्तिष्क के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण योगदान देता है।

बच्चों को मांसाहारी आहार से कई बार constipation भी होता है। अगर बच्चों को कब्ज हो तो आप निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैं।
मुझे उम्मीद है की आपको अपने बच्चे के लिए आहार plan करने में यह "दो साल के बच्चों का नॉन-veg food chart" काम आएगा। अगर यह food chart आपको पसंद आया तो अपने दोस्तों के साथ इसे Facebook पर जरूर शेयर करें।
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कोरोना महामारी के इस दौर से गुजरने के बाद अब तक करीब दर्जन भर मास्क आपके कमरे के दरवाजे पर टांगने होंगे। कह दीजिए कि यह बात सही नहीं है। और एक बात तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि कम से कम एक बार आपके मन में यह सवाल तो जरूर आया होगा कि क्या कपड़े के बने यह मास्क आपको कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमनी क्रोम से बचा सकता है?
प्रेगनेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर (बीपी) ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए आप नमक का कम से कम सेवन करें। इसके साथ आप लैटरल पोजीशन (lateral position) मैं आराम करने की कोशिश करें। नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर (बीपी) चेक करवाते रहें और ब्लड प्रेशर (बीपी) से संबंधित सभी दवाइयां ( बिना भूले) सही समय पर ले।
विटामिन ई - बच्चों में सीखने की क्षमता को बढ़ता है। उनके अंदर एनालिटिकल (analytical) दृष्टिकोण पैदा करता है, जानने की उक्सुकता पैदा करता है और मानसिक कौशल संबंधी छमता को बढ़ता है। डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को ऐसे आहार लेने की सलाह देते हैं जिसमें विटामिन इ (vitamin E) प्रचुर मात्रा में होता है। कई बार अगर गर्भवती महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई नहीं मिल रहा है तो विटामिन ई का सप्लीमेंट भी लेने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि विटामिन ई की कमी से बच्चों में मानसिक कौशल संबंधी विकार पैदा होने की संभावनाएं पड़ती हैं। प्रेग्नेंट महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई अगर मिले तो उसकी गर्भ में पल रहे शिशु का तांत्रिका तंत्र संबंधी विकार बेहतर तरीके से होता है।
ये पांच विटामिन आप के बच्चे की लंबाई को बढ़ने में मदद करेगी। बच्चों की लंबाई को लेकर बहुत से मां-बाप परेशान रहते हैं। हर कोई यही चाहता है कि उसके बच्चे की लंबाई अन्य बच्चों के बराबर हो या थोड़ा ज्यादा हो। अगर शिशु को सही आहार प्राप्त हो जिससे उसे सभी प्रकार के पोषक तत्व मिल सके जो उसके शारीरिक विकास में सहायक हों तो उसकी लंबाई सही तरह से बढ़ेगी।
गर्भावस्था के दौरान बालों का झड़ना एक बेहद आम समस्या है। प्रेगनेंसी में स्त्री के शरीर में अनेक तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जिनकी वजह से बालों की जड़ कमजोर हो जाते हैं। इस परिस्थिति में नहाते वक्त और बालों में कंघी करते समय ढेरों बाल टूट कर गिर जाते हैं। सर से बालों का टूटना थोड़ी सी सावधानी बरतकर रोकी जा सकती है। कुछ घरेलू औषधियां भी हैं जिनके माध्यम से बाल की जड़ों को फिर से मजबूत किया जा सकता है ताकि बालों का टूटना रुक सके।
गर्भावस्था के दौरान बालों पे हेयर डाई लगाने का आप के गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पे बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही इसका बुरा प्रभाव आप के शारीर पे भी पड़ता है जिसे आप एलर्जी के रूप में देख सकती हैं। लेकिन आप कुछ सावधानियां बरत के इन दुष्प्रभावों से बच सकती हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार चार से छह महीने पे शिशु शिशु का वजन दुगना हो जाना चाहिए। 4 महीने में आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए ये 4 बातों पे निर्भर करता है। शिशु के ग्रोथ चार्ट (Growth charts) की सहायता से आप आसानी से जान सकती हैं की आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए।
6 महीने की लड़की का वजन 7.3 KG और उसकी लम्बाई 24.8 और 28.25 इंच होनी चाहिए। जबकि 6 महीने के शिशु (लड़के) का वजन 7.9 KG और उसकी लम्बाई 24 से 27.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। शिशु के वजन और लम्बाई का अनुपात उसके माता पिता से मिले अनुवांशिकी और आहार से मिलने वाले पोषण पे निर्भर करता है।
शुद्ध देशी घी शिशु को दैनिक आवश्यकता के लिए कैलोरी प्रदान करने का सुरक्षित और स्वस्थ तरीका है। शिशु को औसतन 1000 से 1200 कैलोरी की जरुरत होती है जिसमे 30 से 35 प्रतिशत कैलोरी उसे वासा से प्राप्त होनी चाहिए। सही मात्रा में शुद्ध देशी घी शिशु के शारीरिक और बौद्धिक विकास को बढ़ावा देता है और शिशु के स्वस्थ वजन को बढ़ता है।
दैनिक जीवन में बच्चे की देखभाल करते वक्त बहुत से सवाल होंगे जो आप के मन में आएंगे - और आप उनका सही समाधान जाना चाहेंगी। अगर आप डॉक्टर से मिलने से पहले उन सवालों की सूचि त्यार कर लें जिन्हे आप पूछना चाहती हैं तो आप डॉक्टर से अपनी मुलाकात का पूरा फायदा उठा सकती हैं।
शिशु को 15-18 महीने की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मम्प्स, खसरा, रूबेला से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
नवजात बच्चे के खोपड़ी की हड्डियां नरम और लचीली होती हैं ताकि जन्म के समय वे संकरे जनन मार्ग से सिकुड़ कर आसानी से बहार आ सके। अंग्रेज़ी में इसी प्रक्रिया को मोल्डिंग (moulding) कहते हैं और नवजात बच्चे के अजीब से आकार के सर को newborn head molding कहते हैं।
नवजात शिशु दो महीने की उम्र से सही बोलने की छमता का विकास करने लगता है। लेकिन बच्चों में भाषा का और बोलने की कला का विकास - दो साल से पांच साल की उम्र के बीच होता है। - बच्चे के बोलने में आप किस तरह मदद कर सकते हैं?
बच्चे बरसात के मौसम का आनंद खूब उठाते हैं। वे जानबूझकर पानी में खेलना और कूदना चाहते हैं। Barsat के ऐसे मौसम में आप की जिम्मेदारी अपने बच्चों के प्रति काफी बढ़ जाती हैं क्योकि बच्चा इस barish में भीगने का परिणाम नहीं जानता। इस स्थिति में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
आज के दौर की तेज़ भाग दौड़ वाली जिंदगी मैं हर माँ के लिए यह संभव नहीं की अपने शिशु के लिए घर पे खाना त्यार कर सके| ऐसे मैं बेबी फ़ूड खरीदते वक्त बरतें यह सावधानियां|
न्यूमोकोकल कन्जुगेटेड वैक्सीन (Knjugeted pneumococcal vaccine in Hindi) - हिंदी, - न्यूमोकोकल कन्जुगेटेड का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
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गर्मियों में नाजुक सी जान का ख्याल रखना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। मगर थोड़ी से समझ बुझ से काम लें तो आप अपने नवजात शिशु को गर्मियों के मौसम में स्वस्थ और खुशमिजाज रख पाएंगी।
मस्तिष्क ज्वर/दिमागी बुखार (Japanese encephalitis - JE) का वैक्सीन मदद करता है आप के बच्चे को एक गंभीर बीमारी से बचने में जो जापानीज इन्सेफेलाइटिस के वायरस द्वारा होता है। मस्तिष्क ज्वर मछरों द्वारा काटे जाने से फैलता है। मगर अच्छी बात यह है की इससे वैक्सीन के द्वारा पूरी तरह बचा जा सकता है।
हाइपोथर्मिया होने पर बच्चे के शरीर का तापमान, अत्यधिक कम हो जाता है। हाईपोथर्मिया से पीड़ित वे बच्चे होते हैं, जो अत्यधिक कमज़ोर होते हैं। बच्चा यदि छोटा हैं तो उससे अपने गोद में लेकर ,कम्बल आदि में लपेटकर उससे गर्मी देने की कोशिश करें।