Category: Baby food Recipes
By: Salan Khalkho | ☺9 min read
कद्दू (pumpkin) में प्रचुर मात्रा मैं विटामिन C, आयरन और बहुत से दूसरे पौष्टिक तत्त्व होता हैं| कद्दू शिशु आहार के लिए एकदम उपयुक्त सब्जी है| बहुत ही आसान step-by-step निर्देश का पालन कर घर पे बनाइये कद्दू की प्यूरी - शिशु आहार| घर का बना कद्दू (Pumpkin) का पुरी - शिशु आहार (baby food) 6-9 months old Babies
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यह एक मौसमी रेसिपी है। कद्दू आप को साल भर नहीं मिलता इसीलिए कद्दू के मौसम में इसे अपने बच्चे को जरूर खिलाएं। कद्दू में अच्छी मात्रा में beta कैरोटीन, पोटैशियम, and आयरन होता है। इसे आप ज्यादा बनाकर फ्रिज में बाद के इस्तेमाल के लिए रख सकते हैं। कद्दू की प्यूरी को आप बर्फ ज़माने वाली ट्रे में रख कर फ्रिज में store कर सकते हैं।
शिशु में आहार शुरू करने के लिए कद्दू उपयुक्त आहार है क्योँकि पौष्टिक तत्वों से लैस, कद्दू से बच्चों की किसी तरह का कोई भी एलेर्जी की सम्भावना नहीं रहती है। कद्दू उन फल और सब्जियों में से एक है जो छोटे बच्चों के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं। मगर फिर भी शिशु में नया आहार शुरू करते वक्त आप को तीन दिवसीय नियमों का पालन करना चाहिए।
पहला चरण - कद्दू को खरीदते वक्त बरतें यह सावधानी
ठीक गाजर की तरह कद्दू में भी प्रचुर मात्रा में beta carotene पाया जाता है जो शरीर में जाकर विटामिन A में बदल जाता है। दूसरे सब्जियों की तुलना में कद्दू उतना मीठा नहीं होता है। कद्दू (Pumpkin) खरीदते वक्त भाई भांति देख लें की कहीं कोई दाग तो नहीं है। औसत आकर का कद्दू खर्दें। अगर बाजार से कटा हुआ कद्दू खरीद रहें हैं तो ऐसा कद्दू खरीदें जो उजले नारंगी रंग का हो।
दूसरा चरण - कद्दू को धोना और प्यूरी के लिए त्यार करना
कद्दू को नल के बहते पानी में धो लें। उसके छिलके को छिल दें। छिलने के बाद फिर से धो दें। अगर आप ने बाजार से पहले से कटा हुआ कद्दू (pumpkin) ख़रीदा है तो आप को उसे बस धोना भर है।
तीसरा चरण - कद्दू को पकाना
धुले और कटे हुए कद्दू को उबाल लें। कद्दू को उबलने में करीब 15 मिनट तक का समय लगेगा। एक बार जब कद्दू उबाल जाये तो पानी को फेंक दें। उबले हुए कद्दू को ठन्डे बहते पानी में तीन मिनट तक रखें। इससे कद्दू का उबालना बंद हो जायेगा।
चौथा चरण - कद्दू की प्यूरी
चौथा चरण - कटे और उबले हुए कद्दू को मिक्सी में डाल कर पीस लें। तब तक पीसें जब तक की कद्दू एक दम मुलायम ना हो जाये। अगर कद्दू का प्यूरी बहुत गाहड़ा बना है तो आप उसमे आवश्यकता के अनुसार पानी या दूध डाल कर पतला कर सकते हैं। कद्दू का flavor बहुत हल्का होता है। इसीलिए आप इसे दूसरे फलों के साथ मिला के भी बना सकते हैं।
जब बच्चों के दाँत नहीं होते हैं, तब भी बच्चों के मसूड़े इतने सक्षम होते हैं की वे आहार को चबा के खा सकें। मेरे बेटे का दाँत तब निकला जब वो 11 महीना का हो गया था। मगर तब तक वो सभी आहार बीने पीसे ही खाने लगा था। हाँ, मैंने इस बात का ख्याल रखा की मैं अपने बच्चे को जो भी आहार दूँ वो अच्छी तरह पका हुआ हो। इससे मेरे बच्चे को दिया जाने वाला आहार बहुत मुलायम और थोड़ा ज्यादा पका हुआ होता था।
बच्चे के आहार में अलग से नमक और चीनी का इस्तेमाल ना करें। उनके शरीर को इस वक्त इसकी जरुरत नहीं है। बच्चों को इनका स्वाद भी नहीं पता है तो वो इसे miss भी नहीं करेंगे। बच्चों को फल और सब्जियों के प्राकृतिक स्वाद का आनंद उठाने दीजिये।
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नवजात शिशु का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता है इस वजह से उन्हें कई बार कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है। एक चम्मच में थोड़े से हिंग को चार-पांच बूंद पानी के साथ मिलाएं। इस लेप को बच्चे के नाभि पे लगाने से उसे थोडा आराम मिलेगा। बच्चे को स्तनपान करना जरी रखें और हर थोड़ी-थोड़ी देर पे स्तनपान करते रहें। नवजात शिशु को पानी ना पिलायें।
बदलते परिवेश में जिस प्रकार से छोटे बच्चे भी माइग्रेन की चपेट में आ रहे हैं, यह जरूरी है कि आप भी इसके लक्षणों को जाने ताकि आप अपने बच्चों में माइग्रेन के लक्षणों को आसानी से पहचान सके और समय पर उनका इलाज हो सके।
होली मात्र एक त्यौहार नहीं है, बल्कि ये एक मौका है जब हम अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति के बारे में जागरूक कर सकते हैं। साथ ही यह त्यौहार भाईचारा और सौहाद्रपूर्ण जैसे मानवीय मूल्यों का महत्व समझने का मौका देता है।
सर्दी के मौसम में बच्चों का बीमार होना स्वाभाविक है। सर्दी और जुकाम के घरेलु उपचार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहाँ प्राप्त करें ताकि अगर आप का शिशु बीमार पड़ जाये तो आप तुरंत घर पे आसानी से उपलब्ध सामग्री से अपने बच्चे को सर्दी, जुकाम और बंद नाक की समस्या से छुटकारा दिला सकें। आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे शिशु की खांसी की अचूक दवा है।
जानिए घर पे वेपर रब (Vapor rub) बनाने की विधि। जब बच्चे को बहुत बुरी खांसी हो तो भी Vapor rub (वेपर रब) तुरंत आराम पहुंचता है। बच्चों का शरीर मौसम की आवशकता के अनुसार अपना तापमान बढ़ने और घटने में सक्षम नहीं होता है। यही कारण है की कहे आप लाख जतन कर लें पर बच्चे सार्ड मौसम में बीमार पड़ ही जाते हैं।
कुछ साधारण से उपाय जो दूर करें आप के बच्चे की खांसी और जुकाम को पल में - सर्दी जुकाम की दवा - तुरंत राहत के लिए उपचार। बच्चों की तकलीफ को दूर करने के लिए बहुत से आयुर्वेदिक घरेलु उपाय ऐसे हैं जो आप के किचिन (रसोई) में पहले से मौजूद है। बस आप को ये जानना है की आप उनका इस्तेमाल किस तरह कर सकती हैं अपने शिशु के खांसी को दूर करने के लिए।
आप के शिशु को अगर किसी विशेष आहार से एलर्जी है तो आप को कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ेगा ताकि आप का शिशु स्वस्थ रहे और सुरक्षित रहे। मगर कभी medical इमरजेंसी हो जाये तो आप को क्या करना चाहिए?
एक नवजात बच्चे को जब हिचकी आता है तो माँ-बाप का परेशान होना स्वाभाविक है। हालाँकि बच्चों में हिचकी कोई गंभीर समस्या नहीं है। छोटे बच्चों का हिचकियाँ लेने इतना स्वाभाविक है की आप का बच्चा तब से हिचकियाँ ले रहा है जब वो आप के गर्भ में ही था। चलिए देखते हैं की आप किस तरह आपने बच्चे की हिचकियोँ को दूर कर सकती हैं।
बच्चे को हिचकी उसके डायफ्राम के संकुचन के कारण आती है। नवजात बच्चे में हिचकी की मुख्या वजह बच्चे का ज्यादा आहार ग्रहण कर लेना है। जो बच्चे बोतल से दूध पीते हैं वे दूध पीते वक्त दूध के साथ ढेर सारा वायु भी घोट लेते हैं। इसके कारण बच्चे का पेट फ़ैल जाता है बच्चे के डायफ्राम पे दबाव पड़ता है और डायाफ्राम में ऐंठन के कारण हिचकी शुरू हो जाती है।
अगर जन्म के समय बच्चे का वजन 2.5 kg से कम वजन का होता है तो इसका मतलब शिशु कमजोर है और उसे देखभाल की आवश्यकता है। जानिए की नवजात शिशु का वजन बढ़ाने के लिए आप को क्या क्या करना पड़ेगा।
दही तो दूध से बना है, तो जाहिर है की इससे आप के शिशु को calcium भरपूर मिलेगा| दही चावल या curd rice, तुरंत बन जाने वाला बेहद आसान आहार है| इसे बनान आसान है इसका मतलब यह नहीं की यह पोशाक तत्वों के मामले में कम है| यह बहुत से पोषक तत्वों का भंडार है| baby food शिशु आहार 9 month to 12 month baby
जुड़वाँ बच्चे पैदा होना इस गावं में आम बात है और इस गावं की खासियत भी| इसी कारण इस गावं में जुड़वाँ बच्चों की संख्या हर साल बढ़ रही है|
माँ-बाप सजग हों जाएँ तो बहुत हद तक वे आपने बच्चों को यौन शोषण का शिकार होने से बचा सकते हैं। भारत में बाल यौन शोषण से सम्बंधित बहुत कम घटनाएं ही दर्ज किये जाते हैं क्योँकि इससे परिवार की बदनामी होने का डर रहता है। हमारे भारत में एक आम कहावत है - 'ऐसी बातें घर की चार-दिवारी के अन्दर ही रहनी चाहिये।'
अगर आप यह चाहते है की आप का बच्चा भी बड़ा होकर एक आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी बने तो इसके लिए आपको अपने बच्चे के खान - पान और रहन - सहन का ध्यान रखना होगा।
हर प्रकार के आहार शिशु के स्वस्थ और उनके विकास के लिए ठीक नहीं होता हैं। जिस तरह कुछ आहार शिशु के स्वस्थ के लिए सही तो उसी तरह कुछ आहार शिशु के स्वस्थ के लिए बुरे भी होते हैं। बच्चों के आहार को ले कर हर माँ-बाप परेशान रहते हैं।क्योंकि बच्चे खाना खाने में बहुत नखड़ा करते हैं। ऐसे मैं अगर बच्चे किसी आहार में विशेष रुचि लेते हैं तो माँ-बाप अपने बच्चे को उसे खाने देते हैं, फिर चाहे वो आहार शिशु के स्वस्थ के लिए भले ही अच्छा ना हो। उनका तर्क ये रहता है की कम से कम बच्चा कुछ तो खा रहा है। लेकिन सावधान, इस लेख को पढने के बाद आप अपने शिशु को कुछ भी खिलने से पहले दो बार जरूर सोचेंगी। और यही इस लेख का उद्देश्य है।
जब बच्चा आहार ग्रहण करने यौग्य हो जाता है तो अकसर माताओं की यह चिंता होती है की अपने शिशु को खाने के लिए क्या आहर दें। शिशु का पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होता है और इसीलिए उसे ऐसे आहारे देने की आवश्यकता है जिसे उनका पाचन तंत्र आसानी से पचा सके।
Porridge made of pulses and vegetables for children is deliciously tasty which children will love eating and is also nutritionally rich for their developing body. पौष्टिक दाल और सब्जी वाली बच्चों की खिचड़ी बच्चों को बहुत पसंद आएगी और उनके बढ़ते शरीर के लिए भी अच्छी है
बच्चों में पेट दर्द का होना एक आम बात है। और बहुत समय यह कोई चिंता का कारण नहीं होती। परन्तु कभी कभार यह गंभीर बीमारियोँ की और भी इशारा करती। पेट का दर्द एक से दो दिनों के अंदर स्वतः ख़तम हो जाना चाहिए, नहीं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
बच्चा रो कर ही अपनी बात माँ के सामने रखता हैं। आपका छोटा सा बच्चा खुद अपने आप कुछ नहीं कर सकता हैं। बच्चा अपने हर छोटी-बढ़ी जरूरत के लिए माँ पर आश्रित रहता हैं और रो कर ही अपनी जरूरतों को बताता है।
मसाज तथा मसाज में इस्तेमाल तेल के कई फायदे हैं बच्चों को। मालिश शिशु को आरामदायक नींद देता है। इसके साथ मसाज के और भी कई गुण हैं जैसे की मसाज बच्चे के वजन बढ़ने में मदद करा है, हड़ियों को मजबूत करता है, भोजन को पचने में मदद करता है और रक्त के प्रवाह में सुधार लता है।