Category: शिशु रोग

शिशु में Food Poisoning का इलाज - घरेलु नुस्खे

By: Research & Analysis Team | 13 min read

फूड पाइजनिंग (food poisining) के लक्षण, कारण, और घरेलू उपचार। बड़ों की तुलना में बच्चों का पाचन तंत्र कमज़ोर होता है। यही वजह है की बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं। बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning) एक आम बात है। इस लेख में हम आपको फूड पाइजनिंग यानि विषाक्त भोजन के लक्षण, कारण, उपचार इलाज के बारे में बताएंगे। बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning) का घरेलु इलाज पढ़ें इस लेख में:

शिशु में Food Poisoning का इलाज - घरेलु नुस्खे

इस लेख में: 

  1. बच्चों में फूड पाइजनिंग के लक्षण
  2. किस परिस्थिति में डॉक्टर से तुरंत मिले
  3. बच्चों में फूड पाइजनिंग का घरेलु इलाज
  4. शिशु में फूड पाइजनिंग
  5. क्यों होता है फूड पाइजनिंग
  6. फूड पाइजनिंग के लक्षण कितने समय में दीखते हैं
  7. कौन से जीवाणुओं से फूड पाइजनिंग होता है
  8. बच्चों को फूड पाइजनिंग से कैसे बचाएं
  9. फूड पाइजनिंग से संबंधित सावधानियां
  10. फूड पाइजनिंग का इलाज

बच्चों में फूड पाइजनिंग के लक्षण

बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning)  के लक्षण

  1. फूड पाइजनिंग (food poisoning)  का सबसे पहले लक्षण है कि आपके शिशु का पेट खराब हो जाएगा।  उसे दस्त होना प्रारंभ हो सकता है।
  2.  उसके पेट में दर्द होगा
  3.  हो सकता है उसके पेट में अत्यधिक मात्रा में गैस भी बनने लगे
  4.  ज्यादा गंभीर परिस्थिति में उसे दस्त के साथ साथ उसके मल से खून भी निकले
  5.  बच्चा बीमार पड़ जाए और उसके शरीर का तापमान बहुत बढ़ जाए
  6. सरदर्द
  7. बार बार उलटी होना, कुछ भी खाने पे उलटी होना 

किस परिस्थिति में डॉक्टर से तुरंत मिले

किस परिस्थिति में डॉक्टर से तुरंत मिले

इस लेख में हम आपको बताएंगे कि अगर आपके बच्चे को फूड पाइजनिंग (food poisoning)  हो गया है तो उसका आप किस तरह घरेलू इलाज कर सकती हैं। लेकिन फूड पाइजनिंग (food poisoning)  की कुछ परिस्थितियों में घरेलू इलाज करने की बजाये -  आपको अपने शिशु को तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए। 

छोटे बच्चे शारीरिक रूप से नाजुक होते हैं।  समय पर इलाज ना मिलने पर फूड पाइजनिंग (food poisoning)  उनके लिए जानलेवा भी हो सकता है।  

अगर आपका शिशु फूड पाइजनिंग (food poisoning)  की गंभीर परिस्थितियों से गुजर रहा है -  जैसे कि उसे खूब उल्टी हो रही है,  और लगातार दस्त के कारण उसके शरीर में पानी की कमी हो रही है -  तो फौरन अपने बच्चे को लेकर डॉक्टर से मिलें या अस्पताल जाएं।  

डिहाइड्रेशन  के कारण आपके शिशु की जान भी जा सकती है।  अगर आपका बच्चा उल्टी और दस्त की वजह से बहुत ज्यादा कमजोर दिखे,  रोने पर भी उसके आंखों से आंसू ना निकले, काफी देर से  उसने मूत्र त्याग ना किया हो,  तो यह चिंताजनक लक्षण है।  

बच्चे में ऐसे लक्षण दिखने से पहले ही आप उसे अस्पताल लेकर जाएं ताकि डॉक्टर उसे ग्लूकोस पानी चढ़ा कर उसके शरीर में पानी की मात्रा को बढ़ाएं। 

पढ़ें: शिशु में फ़ूड पोइजन (Food Poison) का घरेलु इलाज

बच्चों में फूड पाइजनिंग का घरेलु इलाज

बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning) का घरेलु इलाज

  • फूड पाइजनिंग (food poisoning) की परिस्थिति में आप को इस बात का ध्यान रखना है कि आपके शिशु  के शरीर में पानी की कमी ना हो।  इसके लिए आप उसे समय समय पर थोड़ा थोड़ा पानी पिलाते रहें।  उल्टी और दस्त की वजह से शिशु का शरीर बहुत तेजी से शरीर का पानी और नमक खोता है।  इसीलिए शिशु को  सूप,  नारियल का पानी, चावल का पानी, और इलेक्ट्रोलाइट पाउडर का घोल आदि देते रहे। किसी भी परिस्थिति में शिशु के शरीर में तरल की मात्रा कम ना होने दें क्योंकि यह जानलेवा हो सकता है। 
  • अदरक का इस्तेमाल प्रायः सभी घरों में आहार के जायके को बढ़ाने में इस्तेमाल किया जाता है।  लेकिन यह पाचन संबंधी समस्याओं के निवारण के लिए बहुत बेहतरीन घरेलू उपाय भी है।  अगर आपका शिशु 1 साल से बड़ा है तो आप उसे आधी चम्मच शहद में दो बूंद अदरक के रस को मिलाकर दें।  इससे उसे आराम मिलेगा। 
  • फूड पाइजनिंग (food poisoning) नीलगिरी का इस्तेमाल भी बहुत फायदेमंद होता है। यह पेट के सूजन को कम करता है,  पेट के दर्द और अकड़न को भी कम करता है।  जब आप अपने शिशु को सब्जियों का सूप दें तो ऊपर से थोड़ा सा भुना और पीता हुआ जीरे का पाउडर छिड़क दें। 
  • तुलसी तमाम तरह की बीमारियों में इलाज का काम करता है।  यह शरीर में संक्रमण को कम करने के लिए एक बेहतरीन घरेलू उपाय है।  अगर आपका शिशु 1 साल से बड़ा है तो आधी चम्मच शहद में  तुलसी के पत्ते के दो बूंद रस मिलाकर के अपने शिशु को दें।  इससे उसे आराम मिलेगा। 
  • उल्टी और दस्त में किला बहुत फायदेमंद होता है।  केले में प्राकृतिक रूप से पोटैशियम पाया जाता है।  पोटैशियम एक प्रकार का इलेक्ट्रोलाइट है जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।  लेकिन अत्यधिक मात्रा में उल्टी और दस्त होने की वजह से शरीर में मौजूद नमक यानी कि इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा में कमी आने लगती है जिस वजह से शिशु स्वस्थ दिखने लगता है और यह जानलेवा भी हो सकता है। फूड पाइजनिंग (food poisoning)  मैं केला देने से शिशु के शरीर में इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा बढ़ती है जो शिशु को स्वस्थ बनाता है।  यह शरीर में फूड पाइजनिंग (food poisoning)  के हानिकारक प्रभावों को भी कम करता है। केले को खाने से दस्त बहुत जल्दी नियंत्रण में आता है। 
  • कहते हैं कि हर दिन एक सेब खाने से शरीर इतना स्वस्थ रहता है कि आपको कभी डॉक्टर के पास जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती है। फूड पाइजनिंग (food poisoning)  की स्थिति में तो सेब दवा का काम करता है। फूड पाइजनिंग (food poisoning)  होने पर जब आप अपने शिशु को सेब देती हैं तो यह हार्ट्बर्न और एसिड रिफ्लक्‍स को कम करता है, शिशु के शरीर में जीवाणुओं के संक्रमण को कम करता है और पेट दर्द तथा दस्त को भी कम करता है। 
  • फूड पाइजनिंग (food poisoning) नींबू का रस भी बहुत फायदेमंद है।  शिशु को फूड पाइजनिंग (food poisoning) होने पर, आधा लीटर पानी में चार चम्मच चीनी और चुटकी भर नमक मिला दे।  इसे थोड़ी थोड़ी देर पर अपने शिशु को थोड़ा थोड़ा पीने को दें। 

शिशु में फूड पाइजनिंग (food poisoning) 

अगर आपके शिशु को कभी फूड पाइजनिंग (food poisoning)  हो जाए तो उसकी इलाज से पहले आपको यह समझना पड़ेगा कि आखिर फूड पाइजनिंग (food poisoning) किस वजह से होती है -  तभी आप इसका सही इलाज कर पाएंगे।  

शिशु में फूड पाइजनिंग

बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning)  तब होता है जब वह कोई ऐसा आहार ग्रहण करते हैं जिसमें पहले से हानिकारक जीवाणु,  विषाणु,  या विषैले पदार्थ मौजूद हो। 

हमारे चारों तरफ के वातावरण में  हर तरह के जीवाणु पाए जाते हैं -  इसीलिए हल्का फुल्का फूड पाइजनिंग (food poisoning)  का होना एक आम बात है।  

बड़ों के साथ इस प्रकार की घटनाएं कम होती है लेकिन बच्चों को ज्यादा तकलीफों का सामना करना पड़ता है क्योंकि बच्चों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों की तुलना में कम होता है।  

इस वजह से उनका शरीर इतना दक्ष नहीं होता है कि वह फूड पाइजनिंग (food poisoning)  के कारकों से लड़ सके। 

क्यों होता है फूड पाइजनिंग (food poisoning) 

 जैसा कि मैंने बताया कि हमारे चारों ओर हर प्रकार के जीवाणु हर समय मौजूद रहते हैं। इनमें से बहुत से जीवाणु ऐसे होते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है लेकिन कुछ ऐसे जीवाणु भी हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक होते हैं।  

क्यों होता है फूड पाइजनिंग

यह जीवाणु हमारे चारों ओर के वातावरण में तो मौजूद रहते ही हैं -  साथ ये हमारे आहार में भी मौजूद रहते हैं -  क्योंकि हमारा आहार निरंतर हमारे चारों ओर के वातावरण के संपर्क में बना रहता है।  

जब आहार बहुत लंबे समय तक कमरे के सामान्य तापमान में रखा रहता है तो उसमें मौजूद हानिकारक जीवाणु जो हमें भी मार कर सकते हैं,  उनकी संख्या  अगर बहुत बढ़ जाए -  तो यह हमें यह हमारे बच्चों को बीमार कर सकते हैं।  

यही वजह है कि जब हम वासी आहार ग्रहण करते हैं तो उन से फूड पाइजनिंग (food poisoning)  होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। 

फूड पाइजनिंग (food poisoning)  के लक्षण कितने समय में दीखते हैं

 बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning)  के लक्षण कई बार कुछ घंटों में ही उजागर हो जाते हैं,  वहीं कभी-कभी इन के लक्षण को दिखने में 1 दिन का भी समय लग सकता है या कई दिन भी लग सकते हैं।

फूड पाइजनिंग के लक्षण कितने समय में दीखते हैं

 फूड पाइजनिंग (food poisoning)  के लक्षणों से यह पता लगाना मुश्किल है कि आपके शिशु को फूड पाइजनिंग (food poisoning)  हुआ है या यह किसी और बीमारी के संकेत है।  

इसीलिए अगर आपको अपने शिशु में फूड पाइजनिंग (food poisoning)  के लक्षण दिखे तो तुरंत अपने बच्चे के डॉक्टर से मिले और राय लें।  

डॉक्टर अपनी जांच के द्वारा यह ठीक ठीक पता लगा पाएगा कि आपकी शिशु  मैं यह लक्षण फूड पाइजनिंग (food poisoning)  की वजह से है या किसी अन्य बीमारी की वजह से है। 

कौन से जीवाणुओं से फूड पाइजनिंग होता है

कौन से जीवाणुओं से फूड पाइजनिंग (food poisoning)  होता है

 हर प्रकार के आहार में किसी न किसी प्रकार के जीवाणु होते हैं।  लेकिन जिन आधारों से सबसे ज्यादा फूड पाइजनिंग (food poisoning)  हो संभावना वह आहार इस प्रकार से हैं -  मीट,  चिकन,  अंडा,  दूध,  और झींगा मछली।  जो जीवाणु बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning)  के अधिकांश मामलों में जिम्मेदार होते हैं वह इस प्रकार से हैं:

  1. Salmonella
  2. Listeria
  3. Campylobacter
  4. E. coli

बच्चों को फूड पाइजनिंग (food poisoning) से कैसे बचाएं

 अगर आप अपने बच्चे को फूड पाइजनिंग (food poisoning)  कि किसी भी संभावनाओं से बचाना चाहते हैं तो आप अपने शिशु के लिए अच्छी तरह पका कर आहार तैयार करें।  

बच्चों को फूड पाइजनिंग से कैसे बचाएं

अगर आप पकाए हुए आहार को अपने शिशु को थोड़ी देर के बाद खिलाएंगे तो उसे  इस तरह रखिए कि उसमें जीवाणु आसानी से पनप नहीं सके या उनकी संख्या बड़े नहीं।  उदाहरण के लिए आप अपने शिशु के आहार को फ्रिज में रख सकती हैं।  

आहार तैयार करने के बाद औसतन 6 घंटों तक ही छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित रहता है।  जैसे जैसे  समय बीतता है उसमें हानिकारक जीवाणुओं की संख्या बढ़ती जाती है और एक समय यह आता है कि उनकी तादाद इतनी ज्यादा हो जाती है  की जब कोई उस आहार को ग्रहण करें तो उसका बीमार पड़ना निश्चित हो जाता है। 

इसीलिए आप हर संभव प्रयास करें कि आपका शिशु ताजा व तुरंत का बना आहार ग्रहण करें और बासी खाने से दूर रहे।  बड़ों के शरीर पर बांसी आहार का प्रभाव इतना गंभीर नहीं होता है जितना कि छोटे बच्चों के शरीर पर क्योंकि छोटे बच्चों का पाचन तंत्र बहुत कमजोर होता है। 

फूड पाइजनिंग से संबंधित सावधानियां

फूड पाइजनिंग (food poisoning) से संबंधित सावधानियां

  1. आप अपने शिशु को फूड पाइजनिंग (food poisoning)  से  बचाने के लिए कई प्रकार की सावधानियां अपना सकती हैं। इन सावधानियों का पालन आपको आहार को तैयार करने के हर चरण में अपनाना पड़ेगा।  उदाहरण के लिए आहार को तैयार करने से लेकर  बचे हुए आहार को स्टोर करने तक। 
  2.  जब आपके बच्चे आहार ग्रहण करें तो इस बात का ध्यान रखें कि वे आहार ग्रहण करने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें।  आहार को अपने थाली में निकालने  के लिए सा चम्मच का इस्तेमाल करें।  अगर आप अपने शिशु को अपने हाथों से खाना खिलाती हैं तो आप अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना ना भूलें।  अपने बच्चे को अपने हाथों से खाना खिलाते समय उन हाथों से कुछ और ना पकडे।  ऐसा करने से आपके हाथों से हानिकारक जीवाणु आपके शिशु के खाने में नहीं जाएगा। 
  3. अगर आप अपने शिशु को कोई फल खाने को दें तो उसे अच्छी तरह से धो कर दें।
  4.  अपने शिशु को केवल वही आहार दें जो अच्छी तरह से पका हुआ हो। उदाहरण के लिए अगर आप अपने घर में चिकन पकाया है जो काटने पर अंदर से गुलाबी  या कच्चा दिखे  तो उसे अपने शिशु को खाने को ना दें। 
  5. अगर आहार ताजा नहीं है तो उसे सूंघ कर देखें।  अगर वह खाने पर यह सुनने पर ताजा लगे तभी अपने शिशु को खिलाएं।  खिलाने से पहले आहार को एक बार फिर से अच्छी तरह गर्म कर ले।
  6. अगर आप अपने शिशु को बाजार का बना आहार दे रही हैं तो उस आहार की एक्सपायरी डेट जरूर जाँच ले। 
  7.  अगर आपके घर पर कुछ आहार बच गया है जिसे आप बाद में अपने  परिवार को पहुंचना चाहती हैं तो उसे जल्द से जल्द फ्रिज में रख दें ताकि उनमें हानिकारक जीवाणुओं की संख्या बढ़ने ना पाए। 
  8. बच्चों को बसी खाना कभी ना खिलाएं
  9. खानों पर मक्खी और मच्छर को बैठने ना दें
  10. भोजन पकाने के लिए दूषित पानी का इस्तेमाल ना करें

फूड पाइजनिंग (food poisoning) का इलाज 

अगर सारी सावधानियों के बावजूद भी आपके शिशु को फूड पाइजनिंग (food poisoning) हो जाये  तो डॉक्टर इलाज शुरू करने से पहले यह सुनिश्चित करने का कोशिश करेगा कि आपके शिशु की तकलीफ फूड पाइजनिंग (food poisoning) की वजह से ही है या यह किसी अन्य बीमारी के संकेत है।  

फूड पाइजनिंग का इलाज

इसीलिए जब आप अपने शिशु के साथ उसके डॉक्टर से मिलेंगे तो डॉक्टर तमाम तरह के सवाल पूछेंगे -  जैसे कि आपके शिशु को कैसा लग रहा है,  उसकी तबीयत कैसी है,  क्या घर में कोई और व्यक्ति है जिसे यही तकलीफ है तथा डॉक्टर पिछले कुछ दिनों के आहार के बारे में भी पूछ सकते हैं। 

डॉक्टर आपके शिशु के मल और मूत्र के जाँच के बारे में भी निर्देश दे सकते हैं। इन जांच के द्वारा यह सटीक तरीके से निर्धारित किया जा सकता है कि आपके शिशु को फूड पाइजनिंग (food poisoning) हुआ है या नहीं। 

अगर आपके शिशु में यह लक्षण फूड पाइजनिंग (food poisoning) की वजह से है,  तो आमतौर पर किसी दवा की आवश्यकता नहीं पड़ती है,  लेकिन फिर भी आपके शिशु का डॉक्टर आवश्यकता अनुसार कुछ सहायक दवाई दे सकते हैं उदाहरण के तौर पर एंटीबायोटिक,  बुखार कम करने की दवा,  उल्टी रोकने की दवा,  इत्यादि। 

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baby-sleep बच्चे को सुलाने के नायब तरीके - अपने बच्चे को सुलाने के लिए आप ने तरत तरह की कोशिशें की होंगी। जैसे की बच्चे को सुलाने के लिए उसको कार में कई चक्कर घुमाया होगा, या फिर शुन्य चैनल पे टीवी को स्टार्ट कर दिया होगा ताकि उसकी आवाज से बच्चा सो जाये। बच्चे को सुलाने का हर तरीका सही है - बशर्ते की वो तरीका सुरक्षित हो।
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सूजी का उपमा 6 से 12 महीने के बच्चे के लिए
सूजी-का-उपमा-baby-food उपमा की इस recipe को 6 month से लेकर 12 month तक के baby को भी खिलाया जा सकता है। उपमा बनाने की सबसे अच्छी बात यह है की इसे काफी कम समय मे बनाया जा सकता है और इसको बनाने के लिए बहुत कम सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती है। इसे आप 10 से 15 मिनट मे ही बना लेंगे।
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6 महीने से पहले बच्चे को पानी पिलाना है खतरनाक
6-महीने-से-पहले-बच्चे-को-पानी-पिलाना-है-खतरनाक नवजात बच्चे से सम्बंधित बहुत सी जानकारी ऐसी है जो कुछ पेरेंट्स नहीं जानते। उन्ही जानकारियोँ में से एक है की बच्चों को 6 month से पहले पानी नहीं पिलाना चाहिए। इस लेख में आप पढेंगे की बच्चों को किस उम्र से पानी पिलाना तीख रहता है। क्या मैं अपनी ५ महीने की बच्ची को वाटर पानी दे सकती हु?
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शिशु में डायपर रैशेस से छुटकारा पाने का तुरंत उपाय
शिशु-में-डायपर-रैशेस बहुत लम्बे समय तक जब बच्चा गिला डायपर पहने रहता है तो डायपर वाली जगह पर रैशेस पैदा हो जाते हैं। डायपर रैशेस के लक्षण अगर दिखें तो डायपर रैशेस वाली जगह को तुरंत साफ कर मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम लगा दें। डायपर रैशेज होता है बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से और मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम में एंटी बैक्टीरियल तत्त्व होते हैं जो नैपी रैशिज को ठीक करते हैं।
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पत्तों द्वारा कलाकारी - Leaf Art
कागज-से-बनायें-पत्तों-का-collage अगर आप आपने कल्पनाओं के पंखों को थोड़ा उड़ने दें तो बहुत से रोचक कलाकारी पत्तों द्वारा की जा सकती है| शुरुआत के लिए यह रहे कुछ उदहारण, उम्मीद है इन से कुछ सहायता मिलेगी आपको|
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टीडी (टेटनस, डिप्थीरिया) वैक्सीन - Schedule और Side Effects
टी-डी-वैक्सीन टीडी (टेटनस, डिप्थीरिया) वैक्सीन vaccine - Td (tetanus, diphtheria) vaccine in hindi) का वैक्सीन मदद करता है आप के बच्चे को एक गंभीर बीमारी से बचने में जो टीडी (टेटनस, डिप्थीरिया) के वायरस द्वारा होता है। - टीडी (टेटनस, डिप्थीरिया) वैक्सीन का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
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रोटावायरस वैक्सीन (RV) - Schedule और Side Effects
रोटावायरस रोटावायरस वैक्सीन (RV) (Rotavirus Vaccine in Hindi) - हिंदी, - रोटावायरस वैक्सीन का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
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क्यों होते हैं बच्चें कुपोषण के शिकार?
बच्चो-में-कुपोषण बच्चो में कुपोषण का मतलब भूख से नहीं है। हालाँकि कई बार दोनों साथ साथ होता है। गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार बच्चों को उसकी बढ़ने के लिए जरुरी पोषक तत्त्व नहीं मिल पाते। बच्चों को कुपोषण से बचने के लिए हर संभव प्रयास जरुरी हैं क्योंकि एक बार अगर बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाये तो उसे दोबारा ठीक नहीं किया जा सकता।
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बच्चों में डेंगू के लक्षण और बचने के उपाय
डेंगू-के-लक्षण डेंगू महामारी एक ऐसी बीमारी है जो पहले तो सामान्य ज्वर की तरह ही लगता है अगर इसका इलाज सही तरह से नहीं किया गया तो इसका प्रभाव शरीर पर बहुत भयानक रूप से पड़ता है यहाँ तक की यह रोग जानलेवा भी हो सकता है। डेंगू का विषाणु मादा टाइगर मच्छर के काटने से फैलता है। जहां अधिकांश मच्छर रात के समय सक्रिय होते हैं, वहीं डेंगू के मच्छर दिन के समय काटते हैं।
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