Category: स्वस्थ शरीर

कपडे जो गर्मियौं में बच्चों को ठंडा व आरामदायक रखें

By: Editorial Team | 6 min read

गर्मियों में बच्चों के लिए कपड़े खरीदते वक्त रखें इन बातों का विशेष ध्यान। बच्चों का शरीर बड़ों (व्यस्क) की तरह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होता है। यही वजह है कि बच्चों को ठंड के मौसम में ज्यादा ठंड और गर्मियों के मौसम में ज्यादा गर्म लगता है। इसीलिए गर्मियों के मौसम में आपको बच्चों के कपड़ों से संबंधित बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।

कपडे जो गर्मियौं में बच्चों को ठंडा व आरामदायक रखें

भारत के अधिकांश राज्यों में गर्मी के दिनों में पारा 40 डिग्री के पार चला जाता है। अत्यधिक गर्मी की वजह से छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और उनके बीमार पड़ने का खतरा भी बढ़ जाता है। 

लेकिन अगर आप गर्मी के दिनों के लिए बच्चों के कपड़ों को चुनते वक्त कुछ बातों का विशेष ख्याल रखें तो आप बच्चों को  गर्मियों की वजह से होने वाले कई प्रकार की समस्याओं से बचा सकती हैं।  

इसलिए गर्मियों में हमें चुभने वाली हीट, घमौरियां, रैशेज और कई अन्य प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।  लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी छोटे बच्चों को होता है।

 अक्सर माताएं गर्मियों के दिनों में इस बात को लेकर चिंतित रहती है कि अपने बच्चों की देखभाल किस तरह करें। विशेषकर चिंता इस बात की होती है कि किस तरह के कपड़े बच्चों को पहनाएं ताकि बच्चे आराम महसूस करें। कपड़े ऐसे होने चाहिए जो शिशु के शरीर के तापमान को कम करें ना कि बढ़ाएं। 

इस लेख मे:

  1. गर्मियों में बच्चों को इस तरह ठंडा रखें
  2. गर्मियों में बच्चों के कपड़े खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान
  3. कपड़े जो शिशु के शरीर को आराम पहुंचाए
  4. शिशु के डायपर को नियमित अंतराल पर बदलते रहे
  5. बच्चे को अच्छी तरह हाइड्रेटेड रखें
  6. गर्मी में शिशु की मालिश तेल से ना करें

 गर्मियों में बच्चों को इस तरह ठंडा रखें

गर्मियों में बच्चों को इस तरह ठंडा रखें

हम आपको शिशु के कपड़ों के संबंधित पांच बातें बताएंगे जो आपके शिशु को  स्वस्थ और त्वचा को आरामदायक तो रखेगा साथ ही ऐसे कपड़े जो गर्मियों द्वारा होने वाले कई आम समस्याओं से भी आपके शिशु को बचाएगा।

 गर्मी के दिनों में बच्चों में जो सबसे आम समस्या देखने को मिलती है वह स्किन पर रैशेज व फोड़ों का होता है। चलिए देखते हैं इन पांच बातों को:

  1. बच्चों के लिए कॉटन के कपड़े कर दे -  गर्मी के दिनों में पसीने की वजह से बच्चों की त्वचा काफी लंबे समय तक गीली पूरा है रहने की वजह से उनमें घमौरियों तथा स्किन रैशेज की  समस्या का सामना करना पड़ता है।  कॉटन सूट के कपड़े नमी को आसानी से सोख लेते हैं।  इसीलिए पसीने की वजह से पैदा होने वाले स्किन रैशेज और घमौरियों से शिशु को बचाने के लिए उन्हें कॉटन के कपड़े पहनाएं। कॉटन के कपड़े अन्य की फैब्रिक की तुलना में ज्यादा  पसीना सोखते हैं। सिंथेटिक के कपड़े शरीर से आसानी से पसीना नहीं सकते हैं साथ ही इन्हें पहनने पर शरीर का तापमान भी बहुत बढ़ जाता है जिस वजह से शिशु के लिए तकलीफ और ज्यादा हो जाता है। 
  2.  कपड़ों के रंग का ध्यान रखें -  गर्मी के दिनों में आपको अपने शिशु के कपड़ों के रंगों का भी खास ध्यान रखना पड़ेगा।  हल्के रंग के कपड़े शिशु के शरीर को ठंडा रखते हैं वहीं गहरे रंग के कपड़े आसपास के वातावरण का गर्मी सोख कर शिशु के शरीर को गर्म कर देते हैं।  काले रंग की कपड़े को बिल्कुल भी ना पहना है।  काले रंग की कपड़े आसपास के  वातावरण से सबसे ज्यादा गर्मी सकते हैं।  इससे शिशु की त्वचा बहुत जल्दी गर्म हो जाती है और उसी पसीना आने लगता है।  हल्के रंग के कपड़े रोशनी को नहीं सकते हैं इस वजह से शिशु की त्वचा ठंडी बनी रहती है।  हल्के रंग के कपड़े पहनने पर को पसीना कम आएगा और उसे त्वचा संबंधी समस्या भी कम होगी। 
  3.  शरीर को पूरा ढक कर रखें - गर्मियों के दिनों में जब आप शिशु को घर के बाहर लेकर जाए तो उसे ऐसा कपड़ा पहनाएं जिससे उसका पूरा शरीर ढाका रहे। शिशु के सिर को और उसकी त्वचा को तेज धूप से बचाने के लिए  चौड़े रिंग वाली हैट का इस्तेमाल करें। शिशु को हैक पहनाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि हैट में लगी इलास्टिक की पट्टी गर्दन पर बहुत ज्यादा टाइट ना हो।  बहुत ज्यादा टाइट होने की वजह से शिशु का ब्लड सरकुलेशन प्रभावित हो सकता है। 
  4. शिशु को बिना वजह डायपर ना पहनाएं - गर्मी के दिनों में जब आवश्यकता ना हो तो शिशु को डायपर ना पहना है।  दिन में अगर आप कहीं बाहर जा रही हूं तो शिशु को डायपर पहनना है लेकिन जब आप घर पर है तो उसे डायपर पहनाने की आवश्यकता नहीं है।  हर थोड़े-थोड़े समय पर जांचते रहे कि उसका पेंट सुखा हो। 
  5.  ज्यादा कसे कपड़े ना पहनाएं - गर्मी के मौसम में जब आप अपने बच्चे को कपड़े पहनाएं  तो इस बात का ध्यान रखें की उसके कपड़े बहुत ज्यादा कसे हुए ना हों। कपड़े जितने ज्यादा ढीले ढाले होंगे आप किसी को गर्मी के दिनों में उतना आराम मिलेगा।  कसे हुए कपड़े शिशु की त्वचा को चिपका के रखेंगे और उन्हें गिला रखेंगे। 

गर्मियों में बच्चों के कपड़े खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान

 बच्चों का अच्छी तरह से देखभाल करना एक बहुत ही कठिन काम है और उनमें से सबसे ज्यादा मुश्किल काम है कि बच्चों के लिए मौसम के अनुसार सही कपड़ों का चुनाव करना। 

गर्मियों में बच्चों के कपड़े खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान 

अगर कपड़ों का चुनाव ठीक तरह से ना किया जाए तो इससे ना केवल बच्चों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है बल्कि वह बीमार भी पड़ सकते हैं।  हम आपको यहां कुछ टिप्स बता रहे हैं,

  जब भी आप अपने शिशु के लिए कुछ कपड़े खरीदने जाएं तो इन टिप्स का सदैव ध्यान रखिएगा। ये टिप्स ना केवल आपको  समझदारी पूर्वक कपड़ा खरीदने में मदद करेंगे बल्कि यह आपके पैसों की बचत  भी करेंगे। 

  • 11 साल तक की उम्र तक बच्चे बहुत तेजी से   शारीरिक तौर पर विकसित करते हैं।  इस दौरान उनकी शारीरिक लंबाई बहुत तेजी से बढ़ती है।  इसीलिए जब भी आप अपने बच्चे के लिए कपड़ा खरीदने जाएं तो 1 साइज बड़ा करने ताकि कम से कम आने वाले 6 महीने तक आपका बच्चा उस कपड़े को पहन सके। 
  •  अपने बच्चे को कपड़ा हमेशा मौसम को ध्यान में रखकर पहनाए।  उदाहरण के लिए गर्मियों में अपने शिशु को सूती कपड़े पहनाए और सर्दियों में गर्म कपड़े जो नरम हो और आरामदायक हो।  इस तरह से हमेशा आपके शिशु के कपड़े मौसम के अनुकूल होने चाहिए। 
  • अगर घर में भाई बहन दो बच्चे हैं तो कई बार मां बाप  एक ही डिजाइन या एक ही कलर के कपड़े दोनों बच्चों के लिए ले आते हैं।  लेकिन यह जरूरी नहीं कि दोनों बच्चों पर एक ही डिजाइन अच्छी लगे।  इसीलिए कपड़े खरीदते वक्त ऐसे कपड़ों को चुने जो शिशु पर अच्छा लगे ना कि इस आधार पर कि उसके दूसरे भाई बहन क्या पहन रहे हैं। 
  • दैनिक रूप से पहने जाने वाले कपड़े ऐसे हैं जिनके फैब्रिक बहुत ही मुलायम हो और जो शिशु को आरामदायक लगे।  लेकिन जब आप पार्टी य समारोह के लिए अपने शिशु के लिए कपड़ा खरीदते हैं तो यह कपड़े उचित अवसर के अनुसार होने चाहिए क्योंकि इन्हें कुछ ही घंटों के लिए पहनाया जाएगा। पार्टीय समारोह में जाते वक्त अपने शिशु के लिए अलग से एक जोड़ी और कपड़े रख ले।  ताकि अगर खेलते समय,  या खाना खाते समय बच्चे अपने ऊपर पानी या खाना गिरा ले या खेलते हुए कपड़े गंदे कर ले तो उन्हें बदला जा सके। 
  •  बच्चों के लिए कभी भी टाइट फिटिंग के कपड़े नहीं  खरीदें।  हो सकता है आपके बच्चे इन कपड़ों में अच्छी दिखे।  लेकिन जरूरी नहीं कि आपके बच्चे बहुत देर तक अपने आप को इन कपड़ो में आरामदायक महसूस करें।  अगर कभी उनके चेहरे से आपको यह लगे कि वह असहज महसूस कर रहे हैं तो उनसे बात करें और अगर आवश्यकता पड़े तो उनके कपड़ों को बदल दे। 

इसके अलावा गर्मी के दिनों में आपको शिशु को स्वस्थ और आरामदायक रखने के लिए निम्न बातों का भी ध्यान रखना पड़ेगा। 

 

कपड़े जो शिशु के शरीर को आराम पहुंचाए कपड़े जो शिशु के शरीर को आराम पहुंचाए

 गर्मियों में बच्चों के लिए सूती कपड़े सबसे बेहतर होते हैं।  अन्य फैब्रिक से बने कपड़े शिशु के शरीर में घमौरियों और हीट रैशेज पैदा कर सकते हैं।  जबकि सूती कपड़े शिशु के शरीर से आसानी से पसीने को सोख लेते हैं और शिशु के शरीर पर घमौरियों को बनने से रोकते हैं।  

गर्मी के दिनों में जब दिन के वक्त आप अपने शिशु को घर से बाहर ले करके जाएं तो पूरी वह वाले कपड़े पहनाए।  शिशु के सिर पर जोड़ी रिम वाली टोपी भी पहन आएं ताकि शिशु के शरीर को सूरज के अल्ट्रावॉयलेट (UV) किरणों से बचाया जा सके। 


शिशु के डायपर को नियमित अंतराल पर बदलते रहे शिशु के डायपर को नियमित अंतराल पर बदलते रहे

डायपर से मां-बाप को काफी सुविधा मिलती है लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि शिशु को डायपर को हर 3 घंटे पर बदलते रहे।  अगर आप शॉपिंग के लिए बाहर गए हैं तो हर थोड़े-थोड़े समय अंतराल पर शिशु के डायपर को टटोल कर देखते रहे कि कहीं वह अत्यधिक मिला तो नहीं हो गया है।

 गर्मी के दिनों में नमी और पसीने की वजह से बैक्टीरिया आसानी से पनपने लगते हैं जिस वजह से शिशु के त्वचा पर डायपर रैशेज पड़ जाते हैं।  शिशु का  डायपर बदलते समय या शिशु का मल साफ करते समय डायपर वाली जगह को धोए और सुखाकर ही  डायपर बदले। 


बच्चे को अच्छी तरह हाइड्रेटेड रखें  बच्चे को अच्छी तरह हाइड्रेटेड रखें

 शिशु का शरीर छोटा होता है और गर्मियों के दिनों में थोड़े ही समय में पसीने के रूप में शरीर का काफी पानी खो देता है।  इसीलिए शिशु को हर थोड़ी थोड़ी देर पर पानी या दूध पिलाते रहें जिससे शिशु के शरीर में पानी का स्तर बना रहे।

 गर्मियों के दिनों में बच्चों को भूख कम और प्यास ज्यादा लगता है इसीलिए उन्हें अब अन्य तरल पदार्थ भी दे सकती हैं जैसे फलों का रस, मिल्क शेक छाछ इत्यादि। 

गर्मी में शिशु की मालिश तेल से ना करें गर्मी में शिशु की मालिश तेल से ना करें

 गर्मियों के दिनों में शिशु की त्वचा पर तेल लगने से नुकसान ज्यादा और फायदा कम होता है।  या प्रत्यक्ष धोया तो जो जिस इस में खुजली, हीट रैशेज, तथा फोड़े होने की संभावना बढ़ जाती है।  

शिशु के नैपी वाले स्थान को,  गर्दन के पीछे,  कंधे तथा पीठ  को अच्छी तरह से धोकर साफ करें।  शिशु के पूरे शरीर पर पाउडर ना लगाएं क्योंकि पसीने  की वजह से पाउडर शरीर के उस स्थान पर जम जाता है जिसकी वजह से शिशु के शरीर में खुजली होता है तथा बैक्टीरिया आ को पनपने का मौका मिलता है। 

Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्‍तविकता सुनिश्‍चित करने का हर सम्‍भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्‍सक से अवश्‍य संपर्क करें। आपका चिकित्‍सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्‍प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।

-देर-से-बोलते-हैं-कुछ-बच्चे
गर्भावस्था-में-उलटी
बच्चों-में-तुतलाने
प्रेग्नेंसी-में-उल्टी-और-मतली
यूटीआई-UTI-Infection
सिजेरियन-या-नार्मल-डिलीवरी
गर्भपात
डिलीवरी-के-बाद-पेट-कम
डिलीवरी-के-बाद-आहार
होली-सिखाये-बच्चों
स्तनपान-आहार
स्तनपान-में-आहार
प्रेगनेंसी-के-दौरान-गैस
बालों-का-झाड़ना
प्रेगनेंसी-में-हेयर-डाई
अपच-Indigestion-or-dyspepsia
गर्भावस्था-(प्रेगनेंसी)-में-ब्लड-प्रेशर-का-घरेलु-उपचार
गर्भधारण-का-उपयुक्त-समय-
बच्चे-में-अच्छा-व्यहार-(Good-Behavior)
शिशु-के-गले-के-टॉन्सिल-इन्फेक्शन
बच्चों-का-गुस्सा
गर्भावस्था-में-बालों-का-झड़ना
क्या-गर्भावस्था-के-दौरान-Vitamins-लेना-सुरक्षित-है
बालों-का-झाड़ना
बालों-का-झाड़ना
बालों-का-झाड़ना
सिजेरियन-डिलीवरी-के-बाद-देखभाल-के-10-तरीके
सिजेरियन-डिलीवरी-के-बाद-खान-पान-(Diet-Chart)
सिजेरियन-डिलीवरी-के-बाद-मालिश
बच्चे-के-दातों-के-दर्द

Most Read

गर्भ-में-लड़का-होने-के-लक्षण-इन-हिंदी
बच्चे-का-वजन
टीकाकरण-चार्ट-2018
शिशु-का-वजन-बढ़ाएं
बच्चों-में-यूरिन
बच्चों-को-गोरा-करने-का-तरीका-
कई-दिनों-से-जुकाम
खांसी-की-अचूक-दवा
बंद-नाक
balgam-wali-khansi-ka-desi-ilaj
sardi-jukam
सर्दी-जुकाम-की-दवा
बच्चे-की-भूख-बढ़ाने-के-घरेलू-नुस्खे

Other Articles

प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के आसन तरीके
हाई-ब्लड-प्रेशर-इन-प्रेगनेंसी प्रेगनेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर (बीपी) ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए आप नमक का कम से कम सेवन करें। इसके साथ आप लैटरल पोजीशन (lateral position) मैं आराम करने की कोशिश करें। नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर (बीपी) चेक करवाते रहें और ब्लड प्रेशर (बीपी) से संबंधित सभी दवाइयां ( बिना भूले) सही समय पर ले।
Read More...

शिशु का घुटनों के बल चलने के फायेदे
शिशु-का-घुटनों-के-बल-चलने-के-फायेदे आपके मन में यह सवाल आया होगा कि क्या शिशु का घुटने के बल चलने का कोई फायदा है? पैरों पर चलने से पहले बच्चों का घुटनों के बल चलना, प्राकृतिक का एक नियम है क्योंकि इससे शिशु के शारीर को अनेक प्रकार के स्वस्थ लाभ मिलते हैं जो उसके शारीरिक, मानसिक और संवेगात्मक विकास के लिए बहुत जरूरी है।
Read More...

बच्चा बिस्तर से गिर पड़े तो क्या करें - संकेत और लक्षण
बच्चा-बिस्तर-से-गिर अगर बच्चा बिस्तर से गिर पड़े तो आप को कौन से बातों का ख्याल रखना चाहिए? कौन से लक्षण और संकेत ऐसे हैं जो शिशु के अंदरूनी चोट के बारे में बताते हैं। शिशु को चोट से तुरंत रहत पहुँचाने के लिए आप को क्या करना चाहिए? इन सभी सवालों के जवाब आप इस लेख में पढ़ेंगी।
Read More...

बढ़ते बच्चों में विटामिन और मिनिरल की कमी को दूर करे ये आहार
बच्चों-में-विटामिन-और-मिनिरल-की-कमी बढ़ते बच्चों के लिए विटामिन और मिनिरल आवश्यक तत्त्व है। इसके आभाव में शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास बाधित होता है। अगर आप अपने बच्चों के खान-पान में कुछ आहारों का ध्यान रखें तो आप अपने बच्चों के शारीर में विटामिन और मिनिरल की कमी होने से बचा सकती हैं।
Read More...

शिशु को सर्दी जुकाम से कैसे बचाएं
शिशु-सर्दी ठण्ड के मौसम में माँ - बाप की सबसे बड़ी चिंता इस बात की रहती है की शिशु को सर्दी जुकाम से कैसे बचाएं। अगर आप केवल कुछ बातों का ख्याल रखें तो आप के बच्चे ठण्ड के मौसम न केवल स्वस्थ रहेंगे बल्कि हर प्रकार के संक्रमण से बचे भी रहेंगे।
Read More...

शिशु को सर्दी जुकाम के घरेलू उपाय
कई-दिनों-से-जुकाम इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं शिशु की खांसी, सर्दी, जुकाम और बंद नाक का इलाज किस तरह से आप घर के रसोई (kitchen) में आसानी से मिल जाने वाली सामग्रियों से कर सकती हैं - जैसे की अजवाइन, अदरक, शहद वगैरह।
Read More...

गर्भावस्था के बाद ऐसे रहें फिट और तंदुरुस्त
गर्भावस्था गर्भावस्था के बाद तंदरुस्ती बनाये रखना बहुत ही चुनौती पूर्ण होता है। लेकिन कुछ छोटी-मोती बातों का अगर ख्याल रखा जाये तो आप अपनी पहली जैसी शारीरिक रौनक बार्कर रख पाएंगी। उदहारण के तौर पे हर-बार स्तनपान कराने से करीब 500 600 कैलोरी का क्षय होता है। इतनी कैलोरी का क्षय करने के लिए आपको GYM मैं बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।
Read More...

अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) - कारण और बचाव
SIDS कुछ बातों का ख्याल अगर रखा जाये तो शिशु को SIDS की वजह से होने वाली मौत से बचाया जा सकता है। अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) की वजह शिशु के दिमाग के उस हिस्से के कारण हो सकता है जो बच्चे के श्वसन तंत्र (साँस), दिल की धड़कन और उनके चलने-फिरने को नियंत्रित करता है।
Read More...

बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा - कारण और उपचार
बच्चे-का-वजन अगर किसी भी कारणवश बच्चे के वजन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है तो यह एक गंभीर मसला है। वजन न बढने के बहुत से कारण हो सकते हैं। सही कारण का पता चल चलने पे सही दिशा में कदम उठाया जा सकता है।
Read More...

माँ के गर्भ में ही सीखने लगते हैं बच्चे
गर्भ-में-सीखना गर्भवती महिलाएं जो भी प्रेगनेंसी के दौरान खाती है, उसकी आदत बच्चों को भी पड़ जाती है| भारत में तो सदियोँ से ही गर्भवती महिलायों को यह नसीहत दी जाती है की वे चिंता मुक्त रहें, धार्मिक पुस्तकें पढ़ें क्योँकि इसका असर बच्चे पे पड़ता है| ऐसा नहीं करने पे बच्चे पे बुरा असर पड़ता है|
Read More...

बच्चों के उग्र स्वाभाव पे सांस्कृतिक समूहों का प्रभाव
बच्चों-के-उग्र-स्वाभाव अलग-अलग सांस्कृतिक समूहों के बच्चे में व्यवहारिक होने की छमता भिन भिन होती है| जिन सांस्कृतिक समूहों में बड़े ज्यादा सतर्क होते हैं उन समूहों के बच्चे भी व्याहारिक होने में सतर्कता बरतते हैं और यह व्यहार उनमे आक्रामक व्यवहार पैदा करती है।
Read More...

बच्चे बुद्धिमान बनते हैं जब आप हर दिन उनसे बात करते हैं|
बच्चे-बुद्धिमान आज के बदलते परिवेश में जो माँ-बाप समय निकल कर अपने बच्चों के साथ बातचीत करते हैं, उसका बेहद अच्छा और सकारात्मक प्रभाव उनके बच्चों पे पड़ रहा है। बच्चों की अच्छी परवरिश करने के लिए सिर्फ पैसों की ही नहीं वरन समय की भी जरुरत पड़ती है। बच्चे माँ-बाप के साथ जो क्वालिटी समय बिताते हैं, वो आप खरीद नहीं सकते हैं। बच्चों को जितनी अच्छे से उनके माँ-बाप समझ सकते हैं, कोई और नहीं।
Read More...

मुंग का दाल बनाने की विधि - शिशु आहार
मुंग-का-दाल मुंग के दाल में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। शिशु में ठोस आहार की शुरुआत करते वक्त उन्हें आप मुंग दाल का पानी दे सकते हैं। चूँकि मुंग का दाल हल्का होता है - ये 6 माह के बच्चे के लिए perfect आहार है।
Read More...

दूध वाली सेवई 6 से 12 महीने के बच्चे के लिए
सेवई-baby-food दूध वाली सेवई की इस recipe को 6 से 12 महीने के बच्चों को ध्यान मे रख कर बनाया गया है| सेवई की यह recipe है छोटे बच्चों के लिए सेहत से भरपूर| अब नहीं सोचना की 6 से 12 महीने के बच्चों को खाने मे क्या दें|
Read More...

बच्चों को दूध पीने के फायदे
दूध-के-फायदे माँ के दूध से मिलने वाले होर्मोनेस और एंटीबाडीज बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी है| ये बच्चे के शरीर को viruses और bacteria से मुकाबला करने में सक्षम बनता है| स्तनपान वाले बच्चों में कान का infection, साँस की बीमारी और diarrhea कम होता है| उन बच्चों को डॉक्टर को भी कम दिखाना पड़ता है|
Read More...

6 से 12 माह के बच्चे को क्या खिलाएं
baby-food शिशु जब 6 month का होता है तो उसके जीवन में ठोस आहार की शुरुआत होती है। ऐसे में इस बात की चिंता होती है की अपने बच्चे को ठोस आहार में क्या खाने को दें। जानिए 6 से 12 माह के बच्चे को क्या खिलाएं
Read More...

बच्चों को ड्राइफ्रूट्स खिलाने के फायदे
बच्चों-के-ड्राई-फ्रूट्स क्या आप चाहते हैं की आप का बच्चा शारारिक रूप से स्वस्थ (physically healthy) और मानसिक रूप से तेज़ (mentally smart) हो? तो आपको अपने बच्चे को ड्राई फ्रूट्स (dry fruits) देना चाहिए। ड्राई फ्रूट्स घनिस्ट मात्रा (extremely rich source) में मिनरल्स और प्रोटीन्स प्रदान करता है। यह आप के बच्चे के सम्पूर्ण ग्रोथ (complete growth and development) के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
Read More...

शिशु को टीके की बूस्टर खुराक दिलवाना क्यों जरुरी है?
टीके-की-बूस्टर-खुराक बच्चे के जन्म के समय लगने वाले टीके के प्रभाव को बढ़ाने के लिए बूस्टर खुराकें दी जाती हैं। समय बीतने के पश्चात, एंटीबॉडीज का असर भी कम होने लगता है। फल स्वरूप बच्चे के शरीर में बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। बूस्टर खुराक बच्चे के शरीर में एंटीबॉडीज का जरुरी लेवल बनाए रखती है।बूस्टर खुराकें आपके बच्चे को रोगों से सुरक्षित व संरक्षित रखती हैं।
Read More...

चिकन पाक्स - छोटी माता या वेरिसेला का टिका और इसका उपचार
चिकन-पाक्स-का-टिका ज़्यादातर 1 से 10 साल की उम्र के बीच के बच्चे चिकन पॉक्स से ग्रसित होते है| चिकन पॉक्स से संक्रमित बच्चे के पूरे शरीर में फुंसियों जैसी चक्तियाँ विकसित होती हैं। यह दिखने में खसरे की बीमारी की तरह लगती है। बच्चे को इस बीमारी में खुजली करने का बहुत मन करता है, चिकन पॉक्स में खांसी और बहती नाक के लक्षण भी दिखाई देते हैं। यह एक छूत की बीमारी होती है इसीलिए संक्रमित बच्चों को घर में ही रखना चाहिए जबतक की पूरी तरह ठीक न हो जाये|
Read More...

बच्चों में यूरिन कम या बार-बार होना
बच्चों-में-यूरिन मूत्राशय के संक्रमण के कारण बच्चों में यूरिन कम या बार-बार होना होने लगता है जो की एक गंभीर समस्या है। मगर सही समय पर सजग हो जाने से आप अपने बच्चे को इस बीमारी से और इस की समस्या को बढ़ने से रोक सकती हैं।
Read More...

Copyright: Kidhealthcenter.com