Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺12 min read
हैरत में पड़ जायेंगे जब आप जानेंगे किवी फल के फायेदे बच्चों के लिए। यह शिशु के रोग प्रतिरोधक छमता को बढ़ता है, त्वचा को सुन्दर और लचीला बनता है, पेट से सम्बंधित तमाम तरह की समस्याओं को ख़तम करता है, अच्छी नींद सोने में मदद करता है, सर्दी और जुखाम से बचाता है, अस्थमा में लाभ पहुंचता है, आँखों की रौशनी बढ़ता है।

कीवी पक्षी के नाम पे आधारित, यह चीकू की तरह दिखने वाला भूरे रंग का फल, स्वस्थ के मामले में किसी जादू से कम नहीं है। यह फल दिखने में (काटने पे) बेहद खूबसूरत है, प्रायः हर मौसम में यह उपलब्ध रहता है, और परिवार में सभी के स्वस्थ के लिए फायेदेमंद है।
कीवी फल में विटामिन C और एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) बहर्पुर मात्र में होता है जो बच्चों के स्वस्थ की दृष्टि बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें फोलेट भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जो गर्भवती महिला और बच्चों दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
फोलेट गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क के विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान देता है। अगर आप अपने बच्चे को कीवी खिलाएँगी तो उसके मस्तिष्क का विकास अच्छा होगा और उसकी बुद्धि प्रखर बनिगी।
कीवी फल शारीर में खून की मात्र, विशेषकर ब्लड प्लेट्स काउंट को बढ़ाते है। कीवी फल बड़ों को भी बहुत लाभ पहुचता है। इसका नियमित सेवन अर्थराइटिस की शिकायत को दूर करता है।
यह शरीर के अंदरुनी घावों को भरने और सूजन को कम करने में भी कारगर है। आज कल के भाग दौड़ और तनाव भरी जिंदगी में अधिकांश व्यस्क डिप्रेशन में रहते हैं,
कीवी फल इतना स्वादिष्ट है की बच्चे इसे बहुत चाव से कहते हैं। आप चाहें तो कीवी फल को बच्चों के लंच बॉक्स में सलाद की तरह दे सकती हैं।
तो चलिए कीवी के सभी फाएदों के बारे में इस लेख में विस्तार से पढ़ते हैं।


यह तो आपको बखूबी पता है कि त्वचा के लिए विटामिन सी कितना फायदेमंद होता है। चेहरे और त्वचा को खूबसूरत रखने के लिए हम जितने महंगी क्रीम खरीदते हैं उन सभी का निर्माण विटामिन सी के मिश्रण से किया जाता है।
लेकिन अफसोस कि यह महंगी क्रीम और लोशन फायदा कम और नुकसान ज्यादा पहुंचाते हैं। क्या इससे बेहतर यह नहीं होगा कि हम खूबसूरत त्वचा के लिए विटामिन सी के प्राकृतिक सोत्रों पर ज्यादा निर्भर हों? कीवी फल विटामिन सी का एक बेहतरीन स्रोत है।
100 ग्राम कीवी फल में आपको 92.7 मिलीग्राम विटामिन सी मिलेगा। यानी यह ना केवल एक बेहद स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है बल्कि यह आपकीअच्छी त्वचा के लिए एक प्राकृतिक संघटक भी है।

छोटे बच्चों का पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होता है। यही वजह है कि उन्हें पेट से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे कि कब्ज, आपच, आहारों से होने वाली एलर्जी इत्यादि।
कीवी फल में प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है और ऐसे प्राकृतिक तत्व भी होते हैं जो पेट में मल को ढीला करते हैं जिससे पेट पर बिना किसी विशेष दबाव के बच्चे आसानी से मल त्याग कर पाते हैं।
कीवी फल केवल बच्चों के पेट संबंधित समस्याओं का निवारण ही नहीं करता है वरन यह बड़ों की भी पेट संबंधित समस्याओं का हल है।
कीवी फल पर हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर की शोध में यह पाया गया कि कीवी फल के रोजाना सेवन से पुरानी कब्ज से पीड़ित व्यक्तियों को बिना किसी तकलीफ के मल त्याग करने में आसानी होती है और उनके लिए रोजाना मल त्याग करना आसान हो जाता है।

बच्चे स्वभाव से बहुत चंचल होते हैं। कुछ बच्चे अत्यंत क्रियाशील होते हैं (hyper active)। ऐसे बच्चों को आसानी से रात में नींद नहीं आती है।
अगर आप अत्यंत क्रियाशील बच्चों के मां-बाप हैं तो आपने देखा होगा कि आपके बच्चे रात में 2:00am बजे तक जगे रहते हैं और उन्हें सोने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है - मसलन उन्हें आसानी से नींद नहीं आती है।
नींद से संबंधित कीवी फल पर हुए शोध में (और क्लीनिकल न्यूट्रिशन शोध पत्रिका में प्रकाशित) यह पाया गया है कि यह नींद विकार और तंत्रिका-मनोविकार को दूर करने में बहुत कारगर है।
अत्यधिक क्रियाशीलता की वजह से शरीर में सेरोटोनिन का स्तर बहुत घट जाता है। सेरोटोनिन के घटे स्तर की वजह से नींद आसानी से नहीं आता है। शरीर में इसकी की कमी की वजह से तंत्रिका-मनोविकार की समस्या भी पैदा होती है।
कीवी फल में विटामिन सी, विटामिन ई और सेरोटोनिन और फोलेट पाया जाता है जो शरीर में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाता है और इस तरह से बच्चों को गहरी नींद सोने में सहायता प्रदान करता है। इसमें मौजूद फोलेट तंत्रिका-मनोविकार को कम करता है।

बच्चों के शरीर में जन्म के समय रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत निचले स्तर पर होता है। उन्हें स्तनपान के जरिए अपनी मां से रोग प्रतिरोधक क्षमता मिलती है। फिर धीरे-धीरे जैसे-जैसे शिशु का शरीर रोगाणुओं का सामना करता है उसके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता और मजबूत होती जाती है।
निर्धारित समय समय पर जैसे-जैसे बच्चे का टीकाकरण किया जाता है उसके अंदर और भी अनेक प्रकार की जानलेवा बीमारियों के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता जाता है।
लेकिन यह संभव नहीं संसार में मौजूद सभी प्रकार के रोगाणुओं के प्रति शिशु को टीकाकरण किया जा सके। लेकिन इतना जरूर किया जा सकता है कि शिशु के शरीर को अंदर से इतना मजबूत कर दिया जाए कि अगर कभी उसके शरीर का सामना किसी नई किस्म के जीवाणुओं से हो तो वो उसका बखूबी मुकाबला कर सके। यही काम कीवी फल करता है।
कीवी फल में विटामिन सी, विटामिन ई और पॉलीफेनोल जैसे कैफीइक एसिड, क्वेरसेटिन, एपिकैटचिन और नारिनजेनिन पाए जाते हैं जो शिशु के शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं।

कीवी फल गर्भवती महिलाओं के लिए भी बहुत फायदेमंद है। यह गर्भवती महिलाओं को आवश्यक पोषण प्रदान करके उनमें कृपा की संभावनाओं को कम करता है और स्वस्थ शिशु के विकास में योगदान प्रदान करता है।
कीवी फल खाने से शिशु को गर्भवती महिला के द्वारा गर्भ में पल रहे शिशु को पोषण मिलता है। कीवी का फल स्पाइना बिफिडा जैसी जन्म दोषों को दूर करता है।
स्पाइना बिफिडा एक प्रकार का विकार है जिसमें गर्भ में पल रहे शिशु की रीढ़ की हड्डी पूरी तरह से विकसित नहीं और इस वजह से जन्म के बाद शिशु को जीवन भर इस जन्म दोष का सामना करना पड़ता है।
टीवी में मौजूद अतिरिक्त फॉलिक गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के लिए और उसके अच्छी विकास के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का वजन अनावश्यक रूप से बढ़ जाता है क्योंकि उनका शरीर पोषक तत्वों को संचित करता है ताकि जरूरत पर शिशु के अच्छी विकास के लिए उनका इस्तेमाल हो सके।
मां के शरीर में संचित पोषक तत्वों के रूप में बढ़ा हुआ वजन शिशु के जन्म के बाद किसी काम का नहीं रहता। लेकिन फिर भी शिशु के जन्म के तुरंत बाद मां की शारीरिक अवस्था ऐसी नहीं होती है कि वह जिम जाकर अपने वजन को कम कर सके या उपवास रखकर अपने शारीरिक वजन को कम करें।
क्यों जब तक शिशु 1 साल का नहीं हो जाता है तब तक वह पूर्ण रूप से स्तनपान पर निर्भर होता है। शिशु को आवश्यक मात्रा में दूध प्रदान करने के लिए यह जरूरी है कि मां समय पर हर दिन पौष्टिक आहार ग्रहण करती रहे और इस दौरान ना व्रत रखें और ना ही डाइटिंग करें।
क्योंकि ऐसा करना शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। तो अगर आप सोच रही हैं कि शिशु के जन्म के बाद मां अपने बढ़े हुए वजन को किस तरह कम करें तो कीवी का फल इसमें आपकी मदद कर सकता है।
कीवी का फल शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है, इस वसा की कोई मात्रा नहीं होती है, इसमें जितना भी कार्बोहाइड्रेट होता है वह अधिकतर फाइबर के रूप में मौजूद होता है जिसकी वजह से कीवी का फल खाने से भूख लगने की प्रक्रिया को धीमा होती है, थोड़ी सी आहार में ही पूर्णताप्राप्त होता है और इस तरह से कीवी का फल वजन कम करने में सहायता प्रदान करता है।
इस तरह से आहार की मात्रा भले ही कम होती है लेकिन पोषण की मात्रा कम नहीं होती है क्योंकि की भी जरूरत का सारा पोषण प्रदान कर देता है।

अगर आप पिछले दो दशकों पर ध्यान दें तो आप पाएंगे कि भारत में पिछले दो दशकों में टाइप टू डायबिटीज मिलिट्री की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है।
डायबिटीज को रोकने का सबसे बेहतरीन तरीका यह है कि प्लाजमा ग्लूकोस के स्तर को नियंत्रण में रखा जाए। जिन व्यक्तियों को डायबिटीज होता है उनकी घाव भरने में देरी होती है, तथा इस वजह से कई लोगों को पैर में अल्सर और संक्रमण का भी सामना करना पड़ता है।
विश्व स्तरीय शोध में यह बात सामने आया है कि कीवी फल पैर के अल्सर को ठीक करने में बहुत सहायक है। शोध में पाया गया कि कीवी फल में मौजूद प्राकृतिक रसायन पैर के घाव को भरने की प्रक्रिया को तेज करते हैं और संक्रमण बनने से रोकते हैं।
इसके साथ ही इसके सेवन से ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है - जो कि मधुमेह के रोगियों के लिए स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत फायदेमंद है। कीवी फल स्वाद में मीठा होता है लेकिन यह फिर भी मधुमेह के रोगियों के लिए बिल्कुल सुरक्षित है।

आज भागदौड़ की जिंदगी में हमारी दिनचर्या उतनी स्वास्थ नहीं है जितनी कि आज से कुछ दशक पहले थी। यही वजह है कि हमारा शरीर कई प्रकार की बीमारियों से हर समय घिरा रहता है। हाइपरलिपीडेमिया (उच्च कोलेस्ट्रॉल)पूरे विश्व में एक आम समस्या बन गई है।
उच्च कोलेस्ट्रॉल की वजह से बदला हुआ लिपिड प्रोफाइल हृदय संबंधी रोगों को बढ़ाता है। इसीलिए या बेहद जरूरी है कि हम अपने शरीर के एलडीएल और कुल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को हर समय नियंत्रण में रखें।
2009 में एक शोध पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक कीवी फल शरीर के लिपिड प्रोफाइल और लिपिड पेरोक्सीडेशन को सही दिशा में प्रभावित करता है।
अध्ययन में पाया गया कि कीवी फल के नियमित सेवन से एलडीएल (ख़राब) कोलेस्ट्रॉल के साथ कुल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को शरीर में कम करता है। साथ साथ ही यह श्री एचडीएल (अच्छा) कोलेस्ट्रॉल का स्तर को बढाता भी है।
इस शोध के मुताबिक जिन लोगों को बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल की समस्या है उन्हें नियमित रूप से कीवी फल का सेवन करना चाहिए। इससे उनकी शरीर में कोलेस्ट्रॉल के बड़े हुए स्तर को कम किया जा सकता है।
कीवी फल में एंटीऑक्सीडेंट के साथ साथ ऐसे अनेक प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं जो त्वचा को स्वस्थ बनाते हैं और उन्हें पुनरुत्थान (rejuvenate) करते हैं।
अगर आपको अपने कार्य की वजह से दिन भर धूप में सफर करना पड़ता है तब तो कीवी फल आपके लिए और भी ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि यह त्वचा को हानिकारक पराबैंगनी किरणों के प्रभावों से बचाता है। कीवी फल का नियमित सेवन शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को नष्ट करता है त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाता है।

कीवी फल शरीर में अनियंत्रित प्लाज्मा ग्लूकोज के स्तर को कम करता है, कुल कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर घटाता है, ट्रायग्लिसराइड्स के उच्च स्तर को नियंत्रित करता है।
मोटापा कम करने में सहायता करता है, हाई ब्लड प्रेशर, और प्लेटलेट एकत्रीकरण की समस्या कम करता है। इसमें मौजूद विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सीडेंट और पॉलीफेनॉल हृदय रोगों के खतरे को कम करते हैं।
2004 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार हृदय के रोगी अगर हर रोज 2 से 3 किवी फल खाएं तो प्लेटलेट एकत्रीकरण और ट्राइग्लिसराइड का स्तर कम होता है, तथा हृदय को सुरक्षित रखता है।
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सर्दी और जुकाम की वजह से अगर आप के शिशु को बुखार हो गया है तो थोड़ी सावधानी बारत कर आप अपने शिशु को स्वस्थ के बेहतर वातावरण तयार कर सकते हैं। शिशु को अगर बुखार है तो इसका मतलब शिशु को जीवाणुओं और विषाणुओं का संक्रमण लगा है।
इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं शिशु की खांसी, सर्दी, जुकाम और बंद नाक का इलाज किस तरह से आप घर के रसोई (kitchen) में आसानी से मिल जाने वाली सामग्रियों से कर सकती हैं - जैसे की अजवाइन, अदरक, शहद वगैरह।
सांस के जरिये भाप अंदर लेने से शिशु की बंद नाक खुलने में मदद मिलती है। गर्मा-गर्म भाप सांस के जरिये अंदर लेने से शिशु की नाक में जमा बलगम ढीला हो जाता है। इससे बलगम (कफ - mucus) के दुवारा अवरुद्ध वायुमार्ग खुल जाता है और शिशु बिना किसी तकलीफ के साँस ले पाता है।
मौसम तेज़ी से बदल रहा है। ऐसे में अगर आप का बच्चा बीमार पड़ जाये तो उसे जितना ज्यादा हो सके उसे आराम करने के लिए प्रोत्साहित करें। जब शरीर को पूरा आराम मिलता है तो वो संक्रमण से लड़ने में ना केवल बेहतर स्थिति में होता है बल्कि शरीर को संक्रमण लगने से भी बचाता भी है। इसका मतलब जब आप का शिशु बीमार है तो शरीर को आराम देना बहुत महत्वपूर्ण है, मगर जब शिशु स्वस्थ है तो भी उसके शरीर को पूरा आराम मिलना बहुत जरुरी है।
बच्चों को सर्दी जुकाम बुखार, और इसके चाहे जो भी लक्षण हो, जुकाम के घरेलू नुस्खे बच्चों को तुरंत राहत पहुंचाएंगे। सबसे अच्छी बात यह ही की सर्दी बुखार की दवा की तरह इनके कोई side effects नहीं हैं। क्योँकि जुकाम के ये घरेलू नुस्खे पूरी तरह से प्राकृतिक हैं।
शिशु को सर्दी और जुकाम (sardi jukam) दो कारणों से ही होती है। या तो ठण्ड लगने के कारण या फिर विषाणु (virus) के संक्रमण के कारण। अगर आप के शिशु का जुकाम कई दिनों से है तो आप को अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कुछ घरेलु उपचार (khasi ki dawa) की सहायता से आप अपने शिशु की सर्दी, खांसी और जुकाम को ठीक कर सकती हैं। अगर आप के शिशु को खांसी है तो भी घरेलु उपचार (खांसी की अचूक दवा) की सहायता से आप का शिशु पूरी रात आरामदायक नींद सो सकेगा और यह कफ निकालने के उपाय भी है - gharelu upchar in hindi
छोटे बच्चों को पेट दर्द कई कारणों से हो सकता है। शिशु के पेट दर्द का कारण मात्र कब्ज है नहीं है। बच्चे के पेट दर्द का सही कारण पता होने पे बच्चे का सही इलाज किया जा सकता है।
अगर आप का शिशु जब भी अंडा खाता है तो बीमार पड़ जाता है या उसके शारीर के लाल दाने निकल आते हैं तो इसका मतलब यह है की आप के शिशु को अंडे से एलर्जी है। अगर आप के शिशु को अंडे से एलर्जी की समस्या है तो आप किस तरह अपने शिशु को अंडे की एलर्जी से बचा सकती है और आप को किन बातों का ख्याल रखने की आवश्यकता है।
Ambroxol Hydrochloride - सर्दी में शिशु को दिया जाने वाला एक आम दावा है। मगर इस दावा के कुछ घम्भीर (side effects) भी हैं। जानिए की कब Ambroxol Hydrochloride को देना हो सकता है खतरनाक।
अगर जन्म के समय बच्चे का वजन 2.5 kg से कम वजन का होता है तो इसका मतलब शिशु कमजोर है और उसे देखभाल की आवश्यकता है। जानिए की नवजात शिशु का वजन बढ़ाने के लिए आप को क्या क्या करना पड़ेगा।
गाजर, मटर और आलू से बना यह एक सर्वोतम आहार है 9 महीने के बच्चे के लिए। क्यूंकि यह आलू के चोखे की तरह होता है, ये बच्चों को आहार चबाने के लिए प्ररित करता है। इससे पहले बच्चों को आहार प्यूरी के रूप में दिया जा रहा था। अगर आप अब तक बच्चे को प्यूरी दे रहें हैं तो अब वक्त आ गया है की आप बच्चे को पूरी तरह ठोस आहार देना शुरू कर दें।
प्राथमिक उपचार के द्वारा बहते रक्त को रोका जा सकता है| खून का तेज़ बहाव एक गंभीर समस्या है। अगर इसे समय पर नहीं रोका गया तो ये आप के बच्चे को जिंदगी भर के लिए नुकसान पहुंचा सकता है जिसे शौक (shock) कहा जाता है। अगर चोट बड़ा हो तो डॉक्टर स्टीच का भी सहारा ले सकता है खून के प्रवाह को रोकने के लिए।
बच्चों को गोरा करने के कुछ तरीके हैं (rang gora karne ka tarika) जिनके इस्तेमाल से आप अपने बच्चे को जीवन भर के लिए साफ और गोरी त्वचा दे सकतें हैं। हर माँ आपने बच्चों को लेके बहुत सी चीज़ों के लिए चिंतित रहती है। उनमें से एक है बच्चे की त्वचा। अक्सर मायें चाहती हैं की उनके बच्चे की त्वचा मे कोई दाग न हो।
आपके बच्चे के लिए किसी भी नए खाद्य पदार्थ को देने से पहले (before introducing new food) अपने बच्चे के भोजन योजना (diet plan) के बारे में चर्चा। भोजन अपने बच्चे को 5 से 6 महीने पूरा होने के बाद ही देना शुरू करें। इतने छोटे बच्चे का पाचन तंत्र (children's digestive system) पूरी तरह विकसित नहीं होता है
बच्चों के लिए आवश्यक विटामिन सी की मात्रा बड़ों जितनी नहीं होती है। दो और तीन साल की उम्र के बच्चों को एक दिन में 15 मिलीग्राम विटामिन सी की आवश्यकता होती है। चार से आठ साल के बच्चों को दिन में 25 मिलीग्राम की आवश्यकता होती है और 9 से 13 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रति दिन 45 मिलीग्राम की आवश्यकता होती है।
शोध (research studies) में यह पाया गया है की जेनेटिक्स सिर्फ एक करक, इसके आलावा और बहुत से करक हैं जो बढ़ते बच्चों के लम्बाई को प्रभावित करते हैं। जानिए 6 आसान तरीके जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को अच्छी लम्बी पाने में मदद कर सकते हैं।