Category: शिशु रोग

10 टिप्स - नवजात शिशुओं में कब्ज की समस्या का तुरंत समाधान

By: Salan Khalkho | 13 min read

10 ऐसे आसान तरीके जिनकी सहायता से आप अपने नवजात शिशु में कब्ज की समस्या का तुरंत समाधान कर पाएंगी। शिशु के जन्म के शुरुआती दिनों में कब्ज की समस्या का होना बहुत ही आम बात है। अपने बच्चे को कब्ज की समस्या से होने वाले तकलीफ से गुजरते हुए देखना किसी भी मां-बाप के लिए आसान नहीं होता है। जो बच्चे सिर्फ स्तनपान पर निर्भर रहते हैं उन्हें हर दिन मल त्याग करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मां के दूध में उपलब्ध सभी पोषक तत्व शिशु का शरीर ग्रहण कर लेता है। यह बहुत ही आम बात है। प्रायर यह भी देखा गया है कि जो बच्चे पूरी तरह से स्तनपान पर निर्भर रहते हैं उनमें कब्ज की समस्या भी बहुत कम होती है या नहीं के बराबर होती है। जो बच्चे फार्मूला दूध पर निर्भर रहते हैं उन्हें प्रायः देखा गया है कि वे दिन में तीन से चार बार मल त्याग करते हैं - या फिर कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जिन्हें अगर फार्मूला दूध दिया जाए तो वह हर कुछ कुछ दिन रुक कर मल त्याग करते हैं।

नवजात शिशुओं में कब्ज की समस्या का तुरंत समाधान

इस लेख को पढ़ने से पहले मैं चाहूंगा कि आप इस बात का ध्यान रखें कि हर शिशु का तंत्र भिन्न भिन्न होता है जिस तरह से हर शिशु की कद काठी अलग अलग होती है। इसीलिए जरूरी नहीं कि आपके शिशु के मल त्याग करने का तरीका दूसरे अन्य शिशुओं की तरह ही हो।  

आपको अपने शिशु के लक्षणों को पहचान कर इस बात का अंदाजा लगाना पड़ेगा कि आप की शिशु को कब्ज है या नहीं है।  चलिए जानते हैं की आप के शिशु को ठीक से पॉटी नहीं हो रही है और आप क्या करें?

शिशु के मल त्याग करने का तरीका (bowel movement patterns) कई बातों पर निर्भर करता है -  मसलन -  शिशु को कौन सा दूध दिया गया,  इस ठोस आहार की शुरुआत की गई है या नहीं -  तथा -   कौन कौन से आहार शिशु खा रहा है जिनसे कब्ज की समस्या हो सकती है।  

अगर शिशु  स्तनपान पर आधारित है तो शिशु के कब्ज की समस्या मां की खानपान पर भी निर्भर करता है। 

मां होने के नाते यह आवश्यक है आपके लिए कि आप अपने बच्चे के कफ के लक्षणों को पहचान सके।  अगर आप अपने बच्चे की कब्ज के लक्षणों को पहचान सकेंगे तो समय रहते शिशु  के कब्ज की समस्या का निदान कर पाएंगी। 

इस लेख में:

  1. शिशु में कब्ज के लक्षण के प्रकार
  2. मल त्याग करते वक्त ताकत या जोर लगाना
  3. पेट का फूलना यह सख्त रहना
  4. शिशु द्वारा आहार ग्रहण करने से इनकार करना
  5. 10 टिप्स - शिशु में कब्ज की समस्या का उपाय
  6. दूध को बदल कर देखिए
  7. फार्मूला दूध बनाने में सावधानी
  8. शिशु में ठोस आहार
  9. पिसा हुआ आहार (Pureed foods)
  10. तरल आहार की मात्रा को बढ़ाएं
  11. अपने शिशु को थोड़ी थोड़ी कसरत कराएं
  12. अपने शिशु का हल्के हाथों से मसाज करें
  13. ग्लिसरीन suppository
  14. जुलाब - laxatives
  15. डॉक्टर की राय लें

शिशु में कब्ज के लक्षण के प्रकार

शिशु में कब्ज के लक्षण के प्रकार

  1. अनियमित मल त्याग (Infrequent bowl movement) 
  2.  मल त्याग करते वक्त ताकत या जोर लगाना
  3.  पेट का फूलना यह सख्त रहना
  4.  शिशु द्वारा आहार ग्रहण करने से इनकार करना 

अनियमित मल त्याग (Infrequent bowl movement) 

आपका शिशु दिन में कितनी बार मल त्याग करता है और किस किस समय पर मल त्याग करता है इसमें हर दिन आप कुछ परिवर्तन देख सकती हैं।  

यह बिल्कुल सहज बात है और चिंता करने का  विषय नहीं है।  अगर आप अपने शिशु को किसी नए प्रकार का आहार भी हैं तो इस वजह से भी उसके मल त्याग करने के तरीके में यह समय में परिवर्तन हो सकता है।  

लेकिन अगर कुछ दिन तक मल त्याग ना करें तो इसका मतलब साफ है कि उसे  कब्ज की समस्या  हो रही है। कब्ज की समस्या केवल इस बात पर निर्भर नहीं करती है कि शिशु कितनी बार मल त्याग करता है और कब कब मल त्याग करता है।  

बल्कि शिशु के कब्ज की समस्या इस बात पर भी निर्भर करती है कि शिशु का मल कितना ठोस है।  अगर यह बहुत  ठोस है तो उसे कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

मल त्याग करते वक्त ताकत या जोर लगाना

मल त्याग करते वक्त ताकत या जोर लगाना

अगर मल त्याग करते वक्त आप पाए कि  आपके शिशु को बहुत ज्यादा जोर लगाना पड़ता है तो यह भी कब्ज की समस्या का एक लक्षण है।  

जब बच्चे छोटे होते हैं तो कब्ज की समस्या  की वजह से मल त्याग करते वक्त बहुत जोर लगाने से उनके चेहरे लाल पड़ जाते हैं और कई बार वे रोने भी लगते हैं। 

कई बार तो मल त्याग करते वक्त मल के साथ साथ थोड़ी मात्रा में खून भी निकल आता है।  हालांकि यह चिंता का विषय नहीं है क्योंकि ठोस मल की वजह से मल त्याग की जगह पर सूरज जाने की वजह से खून निकलता है -  लेकिन फिर भी इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि बच्चे को कब्ज की समस्या का सामना ना करना पड़े। 

कब्ज के दौरान शिशु को मल त्याग करते वक्त बहुत तकलीफ होती है यही वजह है कि कई बार बच्चे मल त्याग करने से ही इनकार कर देते हैं। 

पेट का फूलना यह सख्त रहना

पेट का फूलना यह सख्त रहना

अगर अपनी शिशु के पेट को छूने पर आप पाए कि आपके शिशु का पेट कुछ ज्यादा खुला हुआ है या सामान्य से ज्यादा टाइट है तो इसका मतलब है कि आपका शिशु  कब्ज की समस्या का सामना कर रहा है। 

शिशु द्वारा आहार ग्रहण करने से इनकार करना

शिशु द्वारा आहार ग्रहण करने से इनकार करना 

 कई बार कब्ज की समस्या के कारण ही शिशु आहार ग्रहण करने से भी इनकार कर देते हैं।  तो अगर आप का शिशु अचानक से स्तनपान करने से या फार्मूला दूध पीने से या ठोस आहार ग्रहण करने से इनकार करने लगे तो उसके पेट को टटोल कर के देखिए या दूसरे लक्षणों के द्वारा यह पता लगाने की कोशिश करें कि कहीं उसे कब्ज की समस्या तो नहीं हो रही है। 

शिशु में कब्ज की समस्या का उपाय

10 टिप्स - शिशु में कब्ज की समस्या का उपाय

 अगर आप अपने शिशु में कब्ज की समस्या के कोई भी लक्षण पाए तो आपको उपाय करने चाहिए ताकि उसकी कब की समस्या दूर हो सके।  हम यहां पर आपको 10 आसान तरीके बता रहे हैं जिनकी  सहायता से आप अपने शिशु के कब्ज की समस्या को दूर कर सकेंगी।

  1. दूध को बदल कर देखिए
  2. फार्मूला दूध बनाने में सावधानी
  3. शिशु में ठोस आहार
  4. पिसा हुआ आहार (Pureed foods)
  5. तरल आहार की मात्रा को बढ़ाएं
  6. अपने शिशु को थोड़ी थोड़ी कसरत कराएं
  7. अपने शिशु का हल्के हाथों से मसाज करें
  8. ग्लिसरीन suppository 
  9. जुलाब - laxatives
  10. डॉक्टर की राय लें

दूध को बदल कर देखिए

१. दूध को बदल कर देखिए

 अगर आपने अनुभव किया है कि फार्मूला दूध की वजह से आपके शिशु को कब्ज की समस्या हो रही है तो आप अपने शिशु को दूसरे ब्रांड की फार्मूला दूध देखकर देखिए। 

अगर आपका शिशु स्तनपान पर आधारित है तो अपने आहार के ध्यान दीजिए।  कहीं ऐसा तो नहीं कि आप कोई ऐसा आहार खा रहे हैं जिससे आपके शिशु को कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। 

फार्मूला दूध बनाने में सावधानी

२. फार्मूला दूध बनाने में सावधानी

 कहीं पर बच्चों को फार्मूला दूध पीने से इसलिए भी कब्ज की  समस्या होती है क्योंकि उन्हें सही तरीके से तैयार नहीं किया गया है।  अगर आप अपने शिशु को फार्मूला दूध दे रही हैं तो फार्मूला दूध के डब्बे पर  जो instruction  लिखा है उसे सावधानीपूर्वक अवश्य पढ़ने।  

जितना बताया गया है उतना ही  फार्मूला दूध चम्मच से नाप कर उचित मात्रा में पानी में मिलाएं।  फार्मूला दूध को एक निश्चित औसत में पानी में मिलाना चाहिए।  

इसके औसत में बदलाव आने पर मल बहुत खुश हो जाता है और शिशु को मल त्याग करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। 

शिशु में ठोस आहार

3. शिशु में ठोस आहार

 जब आप शिशु में ठोस आहार की शुरुआत करती हैं तो सभी प्रकार के आहार एक साथ देना प्रारंभ ना करें।  अपने शिशु को एक बार में एक ही आहार की शुरुआत करें।  

कुछ आहार ऐसे होते हैं जिनकी वजह से शिशु को कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।  इसीलिए जब आप अपने शिशु को एक बार में एक ही आहार देती हैं तो इससे आसानी से पता चल जाता है कि कौन से आहार आपके शिशु में कब्ज की समस्या को पैदा कर सकते हैं।  

आज आ कुछ महीनों के लिए अपने शिशु को वह आज ना दें जिन से उसे कब्ज हो सकता है।  अपने शिशु में ठोस आहार की शुरुआत करते वक्त तीन दिवसीय नियम का पालन अवश्य करें।  यहां हम कुछ ऐसे आहार आपको बताने जा रहे हैं जिनसे आपके शिशु को कब्ज की समस्या हो सकती है - 

  • गोभी
  • नाशपाती 
  • छला  हुआ सेब (skinless apples) 
  • भुजा (puffed rice) 
  • मैदे की रोटी और आनाज (refined cereal) 

पिसा हुआ आहार (Pureed foods)

4. पिसा हुआ आहार (Pureed foods)

अगर आपका शिशु 6 महीने से ऊपर हो गया है और आपने उसे ठोस आहार देना प्रारंभ नहीं किया है तो अब शुरू कीजिए।  खुश  आहार शुरू करने के लिए आप अपने शिशु को पीसा हुआ आहार (Pureed fooods) दे सकती है। 

फल और आहार फाइबर की मात्रा बहुत होती है जो उसके मल के आकार को बढ़ाता है (add bulk to your child’s stool) और मल त्याग  करना आसान बनाता है। ठोस आहार का सेवन शिशु को मल त्याग करने के लिए भी प्रेरित करता है।

तरल आहार की मात्रा को बढ़ाएं

5. तरल आहार की मात्रा को बढ़ाएं

अगर आपके शिशु के शरीर में तरल की मात्रा सही है तो उसे मल त्याग करने (regular bowel movements) में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।  

आप अपने शिशु को दूध और पानी के द्वारा उसके शरीर में तल की मात्रा (Proper hydration) को बनाए रखें।  अगर आपका शिशु 6 महीने से छोटा है तो उसे दूध के अलावा कुछ भी ना दें -  पानी भी नहीं।  6 महीने से छोटे बच्चों के शरीर में पानी की सभी आवश्यकता उनके दूध से पूरी हो जाती है।  

किसी विशेष कारणों से आपके शिशु का डॉक्टर आपके शिशु को पानी देने की सलाह दे सकता है -  केवल तभी अपने शिशु को पानी दे और केवल उतनी ही मात्रा में दे जितना कि आपके शिशु का डॉक्टर कहे।  इसके अलावा कभी भी अपने शिशु को पानी नहीं दें जब तक कि आपका शिशु 6 महीने से बड़ा नहीं हो जाता है। 

अपने शिशु को थोड़ी थोड़ी कसरत कराएं

६. अपने शिशु को थोड़ी थोड़ी कसरत कराएं

 जो बच्चे बहुत क्रियाशील होते हैं उनमें कब्ज की समस्या भी कम पाई गई है।  ऐसा इसलिए क्योंकि जब शरीर क्रियाशील होता है तो यह मल त्याग को सरल बनाता है।  

लेकिन जब शरीर बहुत ज्यादा क्रियाशील नहीं होता है तो मल त्याग करने में भी दिक्कत आता है।  अगर आपके शिशु को कब्ज की समस्या है तो आप अपने शिशु को चलाने की कोशिश करें या उसे लेटाकर उसके पैरों को साइकिल की तरह घूमआए। 

अपने शिशु का हल्के हाथों से मसाज करें

7. अपने शिशु का हल्के हाथों से मसाज करें

 कब्ज की समस्या में हल्की हाथों से मालिश करने में शिशु को आराम मिलता है और शिशु के पेट की मांसपेशियां मल त्याग करने के लिए प्रेरित होती है।  

अगर आपका शिशु कब की समस्या से जूझ रहा है तो आप अपने शिशु को दिन में कई बार मसाज करें जब तक कि आपके शिशु  मल त्याग ना कर दे।  शिशु के पेट पर  निचले हिस्से में और पेट के चारों तरफ हल्के हाथों से मसाज करें। 

ग्लिसरीन suppository

८. ग्लिसरीन suppository 

अगर आपके शिशु को पहले ही मल त्याग करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ चुका है जहां मल त्याग करते वक्त उसके मन में आपको खून दिखा हो या मल त्याग करने के लिए आपके शिशु को बहुत ज्यादा जोर लगाना पड़ा हो -  तब -  ऐसी स्थिति में -  आप ग्लिसरीन suppository का इस्तेमाल कर सकती है।  

इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर की राय अवश्य ले ले।  साथ ही इसे प्रयोग करते वक्त इसके ऊपर लिखे निरीक्षण को सावधानीपूर्वक  पढ़ ले। 

जुलाब - laxatives

9. जुलाब - laxatives

अगर आपका शिशु 6 महीने से पड़ा है तो आप अपने शिशु को दवा की दुकान से जुलाब - laxatives

खरीद कर दे सकती है।  लेकिन इसके इस्तेमाल से पहले अपने शिशु के डॉक्टर से अवश्य राय लेने। जुलाब - laxatives  शिशु के मल को पेट में ढीला बनाता है ताकि यह आसानी से मलद्वार से बाहर आ सके।  इसे 6 महीने से छोटे बच्चों को नहीं देना चाहिए। 

डॉक्टर की राय लें

10. डॉक्टर की राय लें

 अगर आपका शिशु कब की समस्या का सामना कर रहा है  तो आप ऊपर दिए गए उपाय अपना सकती है।  लेकिन छोटे बच्चे अपनी समस्याओं को बोल कर बता नहीं सकते हैं।  

इसी वजह से उनकी कब्ज की समस्या कई कारणों से भी हो सकती है और वह किसी दूसरी समस्या की ओर भी इशारा कर सकती है।  इसीलिए हम हमेशा इस बात की सुझाव देते हैं कि अपने शिशु पर कोई भी उपाय अपनाने से पहले अपने शिशु के डॉक्टर से अवश्य पूछ ले। 

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5 घरेलु उपाय शिशु को जुकाम से राहत दिलाने के लिए (khasi ki dawa)
khasi-ki-dawa ठण्ड के दिनों में बच्चों को बहुत आसानी से जुकाम लग जाता है। जुकाम के घरेलू उपाय से आप अपने बच्चे के jukam ka ilaj आसानी से ठीक कर सकती हैं। इसके लिए jukam ki dawa की भी जरुरत नहीं है। बच्चों के शारीर में रोग प्रतिरोधक छमता इतनी मजबूत नहीं होती है की जुकाम के संक्रमण से अपना बचाव (khud zukam ka ilaj) कर सके - लेकिन इसके लिए डोक्टर के पास जाने की आवशकता नहीं है। (zukam in english, jukam in english)
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भाप है जुकाम की दवा और झट से खोले बंद नाक - jukam ki dawa
jukam-ki-dawa सांस के जरिये भाप अंदर लेने से शिशु की बंद नाक खुलने में मदद मिलती है। गर्मा-गर्म भाप सांस के जरिये अंदर लेने से शिशु की नाक में जमा बलगम ढीला हो जाता है। इससे बलगम (कफ - mucus) के दुवारा अवरुद्ध वायुमार्ग खुल जाता है और शिशु बिना किसी तकलीफ के साँस ले पाता है।
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शिशु को 10-12 महीने की उम्र में लगाये जाने वाले टीके
10-12-महीने-पे-टीका शिशु को 10-12 महीने की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को टाइफाइड, हेपेटाइटिस A से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
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कद्दू की प्यूरी - शिशु आहार - बनाने की विधि
कद्दू-की-प्यूरी कद्दू (pumpkin) में प्रचुर मात्रा मैं विटामिन C, आयरन और बहुत से दूसरे पौष्टिक तत्त्व होता हैं| कद्दू शिशु आहार के लिए एकदम उपयुक्त सब्जी है| बहुत ही आसान step-by-step निर्देश का पालन कर घर पे बनाइये कद्दू की प्यूरी - शिशु आहार| घर का बना कद्दू (Pumpkin) का पुरी - शिशु आहार (baby food) 6-9 months old Babies
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केले का प्यूरी बनाने की विधि - शिशु आहार
केले-का-प्यूरी केला पौष्टिक तत्वों का बेहतरीन स्रोत है। ये उन फलों में से एक हैं जिन्हे आप अपने बच्चे को पहले आहार के रूप में भी दे सकती हैं। इसमें लग-भग वो सारे पौष्टिक तत्त्व मौजूद हैं जो एक व्यक्ति के survival के लिए जरुरी है। केले का प्यूरी बनाने की विधि - शिशु आहार (Indian baby food)
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बच्चे को डकार (Burp) दिलाना है जरुरी!
बच्चे-को-डकार दूध पिने के बाद बच्चा उलटी कर देता है| बच्चे को दूध पिलाने के बाद डकार अवश्य दिलाना चाहिए| दूध पीते वक्त बच्चे के पेट में हवा चली जाती है| इस कारण बच्चे को गैस की समस्या का सामना करना पड़ता है| बच्चे को डकार दिलाने से उलटी (vomit) और हिचकी (बेबी hiccups) की समस्या से बचा जा सकता है|
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शिशु में डायपर रैशेस से छुटकारा पाने का तुरंत उपाय
शिशु-में-डायपर-रैशेस बहुत लम्बे समय तक जब बच्चा गिला डायपर पहने रहता है तो डायपर वाली जगह पर रैशेस पैदा हो जाते हैं। डायपर रैशेस के लक्षण अगर दिखें तो डायपर रैशेस वाली जगह को तुरंत साफ कर मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम लगा दें। डायपर रैशेज होता है बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से और मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम में एंटी बैक्टीरियल तत्त्व होते हैं जो नैपी रैशिज को ठीक करते हैं।
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बच्चे की भूख बढ़ाने के घरेलू नुस्खे
बच्चे-की-भूख-बढ़ाने-के-घरेलू-नुस्खे बच्चों में भूख की कमी एक बढती हुई समस्या है। यह कई कारणों से होती है जैसे की शारीर में विटामिन्स की कमी, तापमान का गरम रहना, बच्चे का सवभाव इतियादी। लेकिन कुछ घरेलु तरीके और कुछ सूझ-बूझ से आप अपने बच्चे की भूख को बढ़ा सकती हैं ताकि उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उसके शारीर को सभी महत्वपूर्ण पोषक तत्त्व मिल सके।
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बच्चों के लिए खिचड़ी तैयार करें पल में
खिचड़ी-की-recipe खिचड़ी बनाने की recipe आसान है और छोटे बच्चों को भी खूब पसंद आता है। टेस्टी के साथ साथ इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्त्व भी होते हैं जो बढ़ते बच्चों के लिए फायदेमंद हैं। खिचड़ी में आप को प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, फाइबर, विटामिन C कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और पोटैशियम मिलेंगे। समझ लीजिये की खिचड़ी well-balanced food का complete पैकेज है।
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बच्चों को अच्छी आदतें सिखाने के आसान तरीके
बच्चों-में-अच्छी-आदतें आपके बच्चों में अच्छी आदतों का होना बहुत जरुरी है क्योँकि ये आप के बच्चे को न केवल एक बेहतर इंसान बनने में मदद करता है बल्कि एक अच्छी सेहत भरी जिंदगी जीने में भी मदद करता है।
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ठंड में बढ़ जाता है हाइपोथर्मिया का खतरा
हाइपोथर्मिया-hypothermia हाइपोथर्मिया होने पर बच्चे के शरीर का तापमान, अत्यधिक कम हो जाता है। हाईपोथर्मिया से पीड़ित वे बच्चे होते हैं, जो अत्यधिक कमज़ोर होते हैं। बच्चा यदि छोटा हैं तो उससे अपने गोद में लेकर ,कम्बल आदि में लपेटकर उससे गर्मी देने की कोशिश करें।
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