Category: शिशु रोग

कहीं आपका शिशु भी बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित तो नहीं

By: Admin | 12 min read

हर 100 में से एक शिशु बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) विकार से प्रभावित होता है। बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) से पीड़ित शिशु में आप दो प्रकार का व्यवहार पाएंगे एक अत्यधिक आत्मविश्वासी वाला और दूसरा अत्यधिक हताश की स्थिति वाला।

कहीं आपका शिशु भी बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित तो नहीं

कहीं आपका शिशु भी बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित तो नहीं

बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) एक प्रकार का मानसिक विकार है जिससे प्रभावित शिशु गंभीर मिजाज का होता है।  इस प्रकार के शिशु के व्यवहार में पल पल में बदलाव आता है।  तथा इन पर बाइपोलर डिसऑर्डर का प्रभाव कई दिनों से लेकर कई महीनों तक बना रह सकता है।

यह भी पढ़ें: 8 चिन्ह - शिशु में बाइपोलर डिसऑर्डर के ८ चिन्ह

इस लेख में:

  1. बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) क्या है?
  2. अत्यधिक आत्मविश्वासी वाला व्यवहार
  3. बाइपोलर मैनिक डिप्रेशन
  4. किस उम्र में बाइपोलर डिसऑर्डर प्रभावित करता है
  5. बाइपोलर डिसऑर्डर की पहचान ( लक्षण)
  6. व्यवहार में पल पल में बदलाव
  7. किसी कार्य को  पूरा करने में कठिनाई
  8. असामान्य स्तर का डिप्रेशन
  9. व्यवहार में चिड़चिड़ापन
  10. जल्दी जल्दी बोलना और हाजिर जवाब
  11. कार्य को ठीक तरह से नहीं कर पाना
  12. शराब और नशीली दवाओं की तरफ झुकाव
  13. अनियमित व्यवहार
  14. नींद की समस्या
  15. अत्यधिक कल्पनाशील

बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) क्या है

बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) क्या है?

अगर आकड़ों की माने तो हर 100 में से एक शिशु इस विकार से प्रभावित  होता है। बाइपोलर का मतलब होता है दो तरह का व्यवहार।  

इस मानसिक विकार को इसलिए बाइपोलर कहते हैं क्योंकि  इसमें शिशु के  व्यक्तित्व में दो प्रकार का व्यवहार  देखने को मिलता।  

पहले व्यवहार में आप शिशु को अत्यधिक ऊर्जा से भरा हुआ और बहुत ही कॉन्फिडेंट पाएंगे और दूसरे  व्यहार में आप उसे बहुत ही हताश उदास और उलझा हुआ पाएंगे।

बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) से पीड़ित शिशु में आप दो प्रकार का व्यवहार पाएंगे एक अत्यधिक आत्मविश्वासी वाला और दूसरा अत्यधिक हताश की स्थिति वाला।

अत्यधिक आत्मविश्वासी वाला व्यवहार

  1. इसमें आप शिशु में निम्न गुण देखने को मिल सकते हैं
  2.  अत्यधिक आत्मविश्वासी
  3.  जरूरत से ज्यादा जोखिम उठाने का साहस
  4.  खतरों भरे खेलों की तरफ आकर्षित होना
  5.  अत्यधिक खुश रहना
  6.  उत्साह की वजह से नींद ना आना
  7.  कई दिनों तक  नहीं सोने की वजह से भी थकान के लक्षणों का ना दिखना
  8. जल्दी बोलना, हाजिर जवाब

इसे भी पढ़ें: बच्चों में बाइपोलर डिसऑर्डर क्या हैं - लक्षण और बचाव

अत्यधिक आत्मविश्वासी वाला व्यवहार

बाइपोलर मैनिक डिप्रेशन

इसके प्रभाव में शिशु में निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं

  1.  अत्यंत दुखी और उदास
  2.  मानसिक तनाव
  3.  आत्मविश्वास में कमी
  4.  किसी भी कार्य को ना करने की इच्छा
  5.  ऊर्जा की कमी
  6.  खुद से नाउम्मीद हो जाना
  7.  खुदकुशी की इच्छा

इसे भी पढ़ें: बच्चे में अच्छा व्यहार (Good Behavior) विकसित करने का तरीका

बाइपोलर मैनिक डिप्रेशन

किस उम्र में बाइपोलर डिसऑर्डर प्रभावित करता है

बाइपोलर डिसऑर्डर से मिलते-जुलते गुण आप लगभग सभी बच्चों में देख सकते हैं।  इसका मतलब यह नहीं है कि सभी बच्चे बाइपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित है।  

आप बच्चों को एक पल में अत्यंत उत्साहित पाएंगे और दूसरे ही पल उन्हें उदास और रोता हुआ पाएंगे।  यह बच्चों का सामान्य व्यक्तित्व है जोकि बाइपोलर डिसऑर्डर से बहुत मिलता-जुलता है लकिन है नहीं।

यह भी पढ़ें: ADHD शिशु के व्यहार को नियंत्रित किस तरह करें

किस उम्र में बाइपोलर डिसऑर्डर प्रभावित करता है

छोटे बच्चों में बाइपोलर डिसऑर्डर का होना बहुत ही दुर्लभ घटना माना जाता है।  इसकी एक वजह यह है कि बच्चों में इसके लक्षणों का पता आसानी से नहीं चल सकता है।  

लेकिन बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं और समझदार होते हैं,  उनमें बाइपोलर डिसऑर्डर से मिलते-जुलते  स्वभाव कम होने लगते हैं।  और यह बच्चे ज्यादा सहज रूप से बर्ताव करना शुरू करते हैं।  

बड़े बच्चों में बाइपोलर डिसऑर्डर को आसानी से पहचाना जा सकता है क्योंकि उनसे बच्चों जैसे बर्ताव की उपेक्षा नहीं की जाती है। 

विशेषज्ञों के अनुसार बाइपोलर डिसऑर्डर आमतौर पर किशोरावस्था के दौरान शुरू होता है यह उसके बाद के वर्षों में शुरू होता है।  चाहे पुरुष हो या महिला,  बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्या दोनों को समान रूप से प्रभावित करती है।

यह भी पढ़ें: 10 TIPS - ADHD में शिशु को इस तरह संभालें 

बाइपोलर डिसऑर्डर की पहचान (लक्षण)

बाइपोलर डिसऑर्डर की पहचान ( लक्षण)

  1. व्यवहार में पल पल में बदलाव
  2. किसी कार्य को  पूरा करने में कठिनाई 
  3. असामान्य स्तर का डिप्रेशन
  4. व्यवहार में चिड़चिड़ापन
  5. जल्दी जल्दी बोलना और हाजिर जवाब
  6. कार्य को ठीक तरह से नहीं कर पाना
  7. शराब और नशीली दवाओं की तरफ झुकाव
  8. अनियमित व्यवहार
  9. नींद की समस्या
  10. अत्यधिक कल्पनाशील

यह भी पढ़ें: 3 TIPS बच्चों को जिद्दी बन्ने से रोकने के लिए 

व्यवहार में पल पल में बदलाव

व्यवहार में पल पल में बदलाव

बाइपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित बच्चों का  मूड पल पल बदलता है। आप इनमे ऐसे स्वभाव देख सकते हैं जिसमें यह बहुत ज्यादा डिप्रेशन के अधीन होंगे तो कुछ समय बाद आप इनमे ऐसे स्वभाव पाएंगे जिसमें यह व्यक्ति बहुत ज्यादा ऊर्जावान होते हैं और किसी भी कार्य को पूरा  करने की क्षमता रखते हैं।

यह भी पढ़ें: बच्चों पे चिल्लाना उनके बौधिक विकास को बाधित करता है

किसी कार्य को  पूरा करने में कठिनाई 

हलाकि ऐसे बच्चे ऊर्जा के भंडार होते हैं लेकिन इनमें अत्यधिक कल्पनाशीलता भी होती है। जिस वजह से कार्य के पूरा होने से पहले ही उनका मन भर जाता है। और फिर उस कार्य में उनका मन नहीं लगता है। जिस वजह से वह कार्य को बीच में ही अधूरा छोड़ देते हैं। 

किसी कार्य को पूरा करने में कठिनाई

इसीलिए अधिकांश मामलों में यह बच्चे किसी कार्य को पूरा करने में काफी कठिनाई का सामना करते हैं। यह बच्चे बहुत देर तक एक ही जगह बैठकर पढ़ाई करने में असमर्थ होते हैं या किसी कार्य को करने में असमर्थ होते हैं।  

एक ही प्रकार के खेल में भी इनकी रूचि बहुत देर तक बनी हुई नहीं रहती है।  इनका ध्यान आसानी से भटक जाता है। 

यह भी पढ़ें: शिशु बहुत गुस्सा करता है - करें शांत इस तरह

असामान्य स्तर का डिप्रेशन

बाइपोलर डिसऑर्डर का एक रूप ऐसा होता है जिसमें व्यक्ति बहुत उदास और हताश होता है।  ऐसी स्थिति में बाइपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित शिशु डिप्रेशन में भी जा सकता है।  

बाइपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित शिशु में डिप्रेशन के लक्षण आम डिप्रेशन की तरह ही होते हैं लेकिन इनमें एक मूलभूत अंतर होता है।  

यह भी पढ़ें: शिशु के लिए हानिकारक आहार

असामान्य स्तर का डिप्रेशन

बाइपोलर डिसऑर्डर की वजह से डिप्रेशन को दवाइयों के द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है।  इस प्रकार के डिप्रेशन बहुत दिनों तक बने रहते हैं और आसानी से ठीक नहीं होते हैं।  

जो दवाइयां आमतौर पर डिप्रेशन को ठीक कर देती है,  वह दवाइयां बाइपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित बच्चे की स्थिति को और गंभीर कर सकती है। 

यह भी पढ़ें: बेबी फ़ूड खरीदते वक्त बरतें यह सावधानियां

ऐसी स्थिति में बाइपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित बच्चा मनिअक में भी जा सकता है। इसीलिए अगर आप अपने  शिशु में बाइपोलर डिसऑर्डर की वजह से डिप्रेशन से प्रभावित देखें तो उसे आम एंटीडिप्रेसेंट की दवा देने की बजाये किसी विशेषज्ञ की राय। 

यह भी पढ़ें: बड़े होते बच्चों को सिखाएं ये जरुरी बातें - Sex Education

व्यवहार में चिड़चिड़ापन

व्यवहार में चिड़चिड़ापन

बाइपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित बच्चा डिप्रेशन की स्थिति में काफी  चिड़चिड़े स्वभाव का हो जाता है। उचित समय पर अगर इनका इलाज नहीं किया गया तो ये बच्चे पागलपन के भी शिकार हो सकते हैं।  

इस अवस्था में बच्चे पागलपन और डिप्रेशन दोनों की शिकार एक साथ हो जाते हैं। यह स्थिति  की वजह से इनका व्यवहार उनके करीबी लोगों से बिगड़ जाता है। 

जल्दी जल्दी बोलना और हाजिर जवाब

जल्दी जल्दी बोलना और हाजिर जवाब

जल्दी-जल्दी बातें करना,  जब दूसरे बोल रहे हो तो बीच में ही उनकी बातों को काटना काफी हाजिरजवाब होना - बाइपोलर डिसऑर्डर का लक्षण है।  

डिसऑर्डर से प्रभावित बच्चों से बातें करते वक्त ऐसा लगता है जैसे बातचीत एक तरफा ही है।  यह बच्चे बहुत जल्दी-जल्दी बोलते हैं और सामने वाले की बात पूरी करने नहीं देते हैं। यह बच्चे स्वभाव से बहुत बातूनी भी होते हैं। 

यह भी पढ़ें: बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना कैसे रोकें (bed wetting)

कार्य को ठीक तरह से नहीं कर पाना

कार्य को ठीक तरह से नहीं कर पाना

यह बच्चे किसी भी कार्य को  ठीक तरह से पूरा कर पाने में अपने आप को असमर्थ पाते हैं।  जल्दी-जल्दी काम को करने के चक्कर में आपको इनके काम में कई प्रकार की गड़बड़ी भी मिलेगी।  

उदाहरण के लिए अगर यह बच्चे कोई लेख लिख रहे हैं तो आपको इनके लेख में अनगिनत स्पेलिंग मिस्टेक मिलेगी।  साथ ही आप यह भी पाएंगे की यह अचानक से किसी बात को बीच में छोड़कर दूसरे टॉपिक पर बात करना शुरू कर देते हैं। 

इस प्रकार का स्वभाव इनके काम पर बहुत बुरा असर डालता है।  इन्हें दूसरों से बात करने में भी काफी परेशानी होती है जिसकी वजह से अंदर से यह बहुत चिड़चिड़ा पन महसूस करते हैं। 

शराब और नशीली दवाओं की तरफ झुकाव

शराब और नशीली दवाओं की तरफ झुकाव

आगे चलकर व्यस्क होने पर बाइपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित बच्चे शराब या दूसरी नशीली दवाओं की शिकार भी आसानी से हो जाते हैं।  

विश्वव्यापी स्तर पर हुए शोध में यह पता लगा कि बाइपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित  50% से अधिक व्यक्तियों में शराब या अन्य नशीली दवाओं  का लत रहता है। 

आमतौर पर ऐसे व्यस्क शराब और नशीली दवाओं का सहारा इसलिए लेते हैं ताकि वो अपने आपको डिप्रेशन से बाहर रख सके तथा कुछ लोग इनका सेवन इसलिए करते हैं ताकि वह अपने दिमाग को शांत रख सके। 

अनियमित व्यवहार

अनियमित व्यवहार

बाइपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित व्यक्तियों के लिए उनका आत्म सम्मान उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसी वजह से अपने आत्म सम्मान के लिए वह कुछ भी करने से पहले एक बार भी नहीं सोचते हैं।

नींद की समस्या

नींद की समस्या

अत्यधिक ऊर्जा से भरे होने की वजह से या अत्यधिक डिप्रेशन की स्थिति  होने पर -  दोनों ही स्थिति ऐसी है जिसमें नींद आसानी से नहीं आती है। 

इसी वजह से बाइपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित बच्चों को आप डिप्रेशन की स्थिति में बहुत ही ज्यादा थका हुआ और घंटो-घंटो सोते हुए पाएंगे।  

लेकिन बाइपोलर डिसऑर्डर की दूसरी अवस्था में जिसमें यह बहुत ही ज्यादा आत्मविश्वास और ऊर्जा से भरे होते हैं,  कई कई दिनों तक बहुत कम सोने के बावजूद भी आप इन्हें थका हुआ नहीं पाएंगे। 

सच बात तो यह है कि कुछ घंटों के सोने के बाद ही यह अपने आप को पूरी तरह तरोताजा महसूस  करते हैं। 

अत्यधिक कल्पनाशील

अत्यधिक कल्पनाशील

अत्यधिक कल्पनाशील होने के कारण ये हकीकत और कल्पना में पहचान  नहीं कर पाते हैं। ऐसे बच्चों को आप अधिकांश समय अपने ही ख्यालों में खोया हुआ पाएंगे।  ऐसे बच्चों के दिमाग में एक ही वक्त में हजारों बातें दौड़ रही होती है जिस वजह से इन पर अपना काबू नहीं रहता।

Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्‍तविकता सुनिश्‍चित करने का हर सम्‍भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्‍सक से अवश्‍य संपर्क करें। आपका चिकित्‍सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्‍प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।

कपडे-जो-गर्मियौं-में-बच्चों-को-ठंडा-व-आरामदायक-रखें-
शिशु-में-फ़ूड-पोइजन-(Food-Poison)-का-घरेलु-इलाज
बच्चों-को-कुपोषण-से-कैसे-बचाएं
बच्चों-में-विटामिन-और-मिनिरल-की-कमी
विटामिन-डी-remedy
शिशु-में-चीनी-का-प्रभाव
विटामिन-बच्चों-की-लम्बाई-के-लिए
बढ़ते-बच्चों-के-लिए-पोष्टिक-आहार
विटामिन-डी-की-कमी
विटामिन-ई-बनाये-बच्चों-को-पढाई-में-तेज़
कीवी-के-फायदे
बढ़ते-बच्चों-के-लिए-शीर्ष-10-Superfoods
शिशु-के-लिए-विटामिन-डी-से-भरपूर-आहार
प्रेगनेंसी-में-वरदान-है-नारियल-पानी
किवी-फल-के-फायदे-और-गुण-बच्चों-के-लिए
शिशु-में-वायरल-फीवर
बच्चों-में-पोषक-तत्वों-की-कमी-के-10-लक्षण
चेचक-का-दाग
शिशु-में-Food-Poisoning-का-इलाज---घरेलु-नुस्खे
बच्चों-के-मसूड़ों-के-दर्द-को-ठीक-करने-का-तरीका
टेढ़े-मेढ़े-दांत-बिना-तार-के-सीधा
बच्चों-की-त्वचा-पे-एक्जीमा-का-घरेलु-इलाज
शिशु-के-पुरे-शारीर-पे-एक्जीमा
छोटे-बच्चों-में-अस्थमा-का-इलाज
जलशीर्ष-Hydrocephalus
बच्चे-के-दाँत-निकलते
शिशु-के-दांतों-में-संक्रमण-के-7-लक्षण
बच्चों-में-दमा-का-घरेलु-उपाय,-बचाव,-इलाज-और-लक्षण
बच्चों-में-माईग्रेन-के-लक्षण-और-घरेलु-उपचार
बच्चों-में-बाइपोलर-डिसऑर्डर-

Most Read

गर्भ-में-लड़का-होने-के-लक्षण-इन-हिंदी
बच्चे-का-वजन
टीकाकरण-चार्ट-2018
शिशु-का-वजन-बढ़ाएं
बच्चों-में-यूरिन
बच्चों-को-गोरा-करने-का-तरीका-
कई-दिनों-से-जुकाम
खांसी-की-अचूक-दवा
बंद-नाक
balgam-wali-khansi-ka-desi-ilaj
sardi-jukam
सर्दी-जुकाम-की-दवा
बच्चे-की-भूख-बढ़ाने-के-घरेलू-नुस्खे

Other Articles

कैल्शियम से भरपूर आहार जो बनायें बच्चों को मजबूत और स्मार्ट
कैल्शियम-से-भरपूर-आहार-जो-बनायें-बच्चों-को-मजबूत बच्चों को उनके उम्र और वजन के अनुसार हर दिन 700-1000 मिग्रा कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है जिसे संतुलित आहार के माध्यम से आसानी से पूरा किया जा सकता है। एक साल से कम उम्र के बच्चों को 250-300 मिग्रा कैल्शियम की जरुरत पड़ती है। किशोर अवस्था के बच्चों को हर दिन 1300 मिग्रा, तथा व्यस्क और बुजुर्गों को 1000-1300 मिग्रा कैल्शियम आहारों के माध्यम से लेने की आवश्यकता पड़ती है।
Read More...

8 चिन्ह - शिशु में बाइपोलर डिसऑर्डर के ८ चिन्ह
बाइपोलर-डिसऑर्डर-(bipolar-disorder) 8 लक्षण जो बताएं की बच्चे में बाइपोलर डिसऑर्डर है। किसी बच्चे के व्यवहार को देखकर इस निष्कर्ष पर पहुंचना कि उस शिशु को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder), गलत होगा। चिकित्सीय जांच के द्वारा ही एक विशेषज्ञ (psychiatrist) इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता है कि बच्चे को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) है या नहीं।
Read More...

बच्चों में माईग्रेन के लक्षण और घरेलु उपचार
बच्चों-में-माईग्रेन-के-लक्षण-और-घरेलु-उपचार बदलते परिवेश में जिस प्रकार से छोटे बच्चे भी माइग्रेन की चपेट में आ रहे हैं, यह जरूरी है कि आप भी इसके लक्षणों को जाने ताकि आप अपने बच्चों में माइग्रेन के लक्षणों को आसानी से पहचान सके और समय पर उनका इलाज हो सके।
Read More...

बढ़ते बच्चों के लिए शीर्ष 10 Superfoods
बढ़ते-बच्चों-के-लिए-शीर्ष-10-Superfoods सुपरफूड हम उन आहारों को बोलते हैं जिनके अंदर प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। सुपर फ़ूड शिशु के अच्छी शारीरिक और मानसिक विकास में बहुत पूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये बच्चों को वो सभी पोषक तत्व प्रदान करते हैं जो शिशु के शारीर को अच्छी विकास के लिए जरुरी होता है।
Read More...

3 TIPS बच्चों को जिद्दी बन्ने से रोकने के लिए
जिद्दी-बच्चे हर माँ-बाप को कभी-ना-कभी अपने बच्चों के जिद्दी स्वाभाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अधिकांश माँ-बाप जुन्झुला जाते है और गुस्से में आकर अपने बच्चों को डांटे देते हैं या फिर मार भी देते हैं। लेकिन इससे स्थितियां केवल बिगडती ही हैं। तीन आसान टिप्स का अगर आप पालन करें तो आप अपने बच्चे को जिद्दी स्वाभाव का बन्ने से रोक सकती हैं।
Read More...

12 Tips शिशु की खांसी का घरेलु उपचार - khansi ka gharelu upchar
khansi-ka-gharelu-upchar बच्चों को ठण्ड के दिनों में सर्दी और जुकाम लगना आम बात है। लेकिन बच्चों में 12 तरीके से आप खांसी का घरेलु उपचार कर सकती है (khansi ka gharelu upchar)। सर्दी और जुकाम में अक्सर शिशु के शरीर का तापमान बढ़ जाता है। यह एक अच्छा संकेत हैं क्योँकि इसका मतलब यह है की बच्चे का शरीर सर्दी और जुखाम के संक्रमण से लड़ रहा है। कुछ घरेलु तरीकों से आप शिशु के शारीर की सहायता कर सकती हैं ताकि वो संक्रमण से लड़ सके।
Read More...

बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा - कारण और उपचार
बच्चे-का-वजन अगर किसी भी कारणवश बच्चे के वजन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है तो यह एक गंभीर मसला है। वजन न बढने के बहुत से कारण हो सकते हैं। सही कारण का पता चल चलने पे सही दिशा में कदम उठाया जा सकता है।
Read More...

शिशु के लिए नींद एक टॉनिक
शिशु-के-लिए-नींद सोते समय शरीर अपनी मरमत (repair) करता है, नई उत्तकों और कोशिकाओं का निर्माण करता है, दिमाग में नई brain synapses का निर्माण करता है - जिससे बच्चे का दिमाग प्रखर बनता है।
Read More...

5 नुस्खे नवजात बच्चे के दिमागी विकास के लिए
नवजात-बच्चे-का-दिमागी-विकास बच्चे को छूने और उसे निहारने से उसके दिमाग के विकास को गति मिलती है। आप पाएंगे की आप का बच्चा प्रतिक्रिया करता है जिसे Babinski reflex कहते हैं। नवजात बच्चे के विकास में रंगों का महत्व, बच्चे से बातें करना उसे छाती से लगाना (cuddle) से बच्चे के brain development मैं सहायता मिलती है।
Read More...

शकरकंद की प्यूरी - शिशु आहार - बनाने की विधि
शकरकंद-की-प्यूरी Beta carotene भरपूर, शकरकंद शिशु की सेहत और अच्छी विकास के लिए बहुत अच्छा है| जानिए इस step-by-step instructions के जरिये की आप घर पे अपने शिशु के लिए कैसे शकरकंद की प्यूरी बना सकते हैं| शिशु आहार - baby food
Read More...

जुडवा बच्चों का गावं - हैरत में डाल दे
जुडवा-बच्चों-का-गावं जुड़वाँ बच्चे पैदा होना इस गावं में आम बात है और इस गावं की खासियत भी| इसी कारण इस गावं में जुड़वाँ बच्चों की संख्या हर साल बढ़ रही है|
Read More...

2 साल के बच्चे का मांसाहारी food chart और Recipe
मांसाहारी-baby-food-chart दो साल के बच्चे के लिए मांसाहारी आहार सारणी (non-vegetarian Indian food chart) जिसे आप आसानी से घर पर बना सकती हैं। अगर आप सोच रहे हैं की दो साल के बच्चे को baby food में क्या non-vegetarian Indian food, तो समझिये की यह लेख आप के लिए ही है।
Read More...

Sex Education - बच्चों को किस उम्र में क्या पता होना चाहिए!
Sex-Education सेक्स से सम्बंधित बातें आप को अपने बच्चों की उम्र का ध्यान रख कर करना पड़ेगा। इस तरह समझएं की आप का बच्चा अपने उम्र के हिसाब से समझ जाये। आप को सब कुछ समझने की जरुरत नहीं है। सिर्फ उतना बताएं जितना की उसकी उम्र में उसे जानना जरुरी है।
Read More...

बच्चे का दांत निकलते समय उलटी और दस्त कैसे रोकें
उलटी-और-दस्त दांत का निकलना एक बच्चे के जिंदगी का एहम पड़ाव है जो बेहद मुश्किलों भरा होता है। इस दौरान तकलीफ की वजह से बच्चे काफी परेशान करते हैं, रोते हैं, दूध नहीं पीते। कुछ बच्चों को तो उलटी, दस्त और बुखार जैसे गंभीर लक्षण भी देखने पड़ते हैं। आइये जाने कैसे करें इस मुश्किल दौर का सामना।
Read More...

सेब और चावल से बना बेबी फ़ूड
बेबी-फ़ूड सेब और चावल के पौष्टिक गुणों से भर पूर यह शिशु आहार बच्चों को बहुत पसंद आता है। सेब में वो अधिकांश पोषक तत्त्व पाए जाते हैं जो आप के शिशु के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उसे स्वस्थ रहने में सहायक हैं।
Read More...

बच्चों को अच्छी आदतें सिखाने के आसान तरीके
बच्चों-में-अच्छी-आदतें आपके बच्चों में अच्छी आदतों का होना बहुत जरुरी है क्योँकि ये आप के बच्चे को न केवल एक बेहतर इंसान बनने में मदद करता है बल्कि एक अच्छी सेहत भरी जिंदगी जीने में भी मदद करता है।
Read More...

6 आसान तरीके बच्चों की लम्बाई बढ़ाने के
बच्चों-की-लम्बाई शोध (research studies) में यह पाया गया है की जेनेटिक्स सिर्फ एक करक, इसके आलावा और बहुत से करक हैं जो बढ़ते बच्चों के लम्बाई को प्रभावित करते हैं। जानिए 6 आसान तरीके जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को अच्छी लम्बी पाने में मदद कर सकते हैं।
Read More...

बच्चों में यूरिन कम या बार-बार होना
बच्चों-में-यूरिन मूत्राशय के संक्रमण के कारण बच्चों में यूरिन कम या बार-बार होना होने लगता है जो की एक गंभीर समस्या है। मगर सही समय पर सजग हो जाने से आप अपने बच्चे को इस बीमारी से और इस की समस्या को बढ़ने से रोक सकती हैं।
Read More...

बच्चों में डेंगू के लक्षण और बचने के उपाय
डेंगू-के-लक्षण डेंगू महामारी एक ऐसी बीमारी है जो पहले तो सामान्य ज्वर की तरह ही लगता है अगर इसका इलाज सही तरह से नहीं किया गया तो इसका प्रभाव शरीर पर बहुत भयानक रूप से पड़ता है यहाँ तक की यह रोग जानलेवा भी हो सकता है। डेंगू का विषाणु मादा टाइगर मच्छर के काटने से फैलता है। जहां अधिकांश मच्छर रात के समय सक्रिय होते हैं, वहीं डेंगू के मच्छर दिन के समय काटते हैं।
Read More...

मेरे बच्चे को दूध से एलर्जी है - मुझे क्या करना चाहिए
बच्चे-को-दूध-से-एलर्जी दूध से होने वाली एलर्जी को ग्लाक्टोसेमिया या अतिदुग्धशर्करा कहा जाता है। कभी-कभी आप का बच्चा उस दूध में मौजूद लैक्टोज़ शुगर को पचा नहीं पाता है और लैक्टोज़ इंटॉलेन्स का शिकार हो जाता है जिसकी वजह से उसे उलटी , दस्त व गैस जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ बच्चों में दूध में मौजूद दूध से एलर्जी होती है जिसे हम और आप पहचान नहीं पाते हैं और त्वचा में इसके रिएक्शन होने लगता है।
Read More...

Copyright: Kidhealthcenter.com