Category: बच्चों की परवरिश
By: Vandana Srivastava | ☺9 min read
पोक्सो एक्ट बच्चों पे होने वाले यौन शोषण तथा लैंगिक अपराधों से उनको सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण अधिनियम है। 2012 में लागु हुआ यह संरक्षण अधिनियम एवं नियम, 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों पे हो रहे लैंगिक अपराधों पे अंकुश लगाने के लिए किया गया है। Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO) का उल्लेख सेक्शन 45 के सब- सेक्शन (2) के खंड “क” में मिलता है। इस अधिनियम के अंतर्गत 12 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ यौन उत्पीडन करने वाले दोषी को मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान निर्धारित किया गया है।
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पोक्सो एक्ट का पूरा नाम “The protection of children from sexual offences act” है।
लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम एवं नियम ,2012 द्वारा 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए यह नियम बनाया गया हैं , इसीको संक्षिप्त रूप से पोक्सो एक्ट कहा जाता हैं।इसका उल्लेख सेक्शन 45 के सब- सेक्शन (2) के खंड “क” में है।
लैंगिक हमला , लैंगिक उत्पीड़न और अश्लील साहित्य के अपराधों से बालकों का संरक्षण करने और ऐसे अपराधों का विचारण करने के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना तथा उनसे सम्बंधित विषयों के लिए उपबंध करने के लिए यह अधिनियम बनाया गया हैं।

संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा बालको के अधिकारों से सम्बंधित कांफ्रेंस में बालकों के सर्वोत्तम हित को सुरक्षित करने के लिए सभी राज्यों द्वारा यह प्रस्ताव रखा गया था ,जिसे भारत सरकार द्वारा दिनाक 11 दिसंबर 1992 को स्वीकार किया गया हैं।
बालक के उचित विकास के लिए यह आवश्यक हैं की प्रत्येक व्यक्ति द्वारा उसकी निजता (प्राइवेसी) और गोपनीयता के अधिकार का सभी प्रकार से सम्मान करते हुए तथा किसी न्यायिक प्रक्रिया के सभी उपायों के माध्यम से बालको को संरक्षण दिया जाए जिससे बालक के शारीरिक स्वास्थय ,भावात्मक ,बौद्धिक और सामाजिक विकास को सुनिश्चित किया जाए।
बालको के लैंगिक शोषण और लैंगिक दुरूपयोग जघन्य अपराध हैं। उनपर प्रभावीरूप से कारवाही होनी चाहिए।

इस अधिनियम के द्वारा 7 और 8 के तहत वे मामले रजिस्टर किये जाते हैं ,जिनमे बच्चो का यौन - शोषण किया जाता हैं।वे शोषण किस सीमा तक हैं उसपर अपराध सिद्ध किया जाता हैं।अपराध सिद्ध होने की दशा में 5 से 7 साल की सजा और जुर्माना हो सकता हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में 26 अप्रैल को ट्वीट कर कहा की सरकार हमेशा जेंडर न्यूटल कानून के विकास के लिए प्रयास-रत हैं। इस तरह यौन शोषण का शिकार हो रहे बच्चों को न्याय मिल सकेगा।

फिल्म मेकर दारीवाला ने एक याचिका में कहा की लड़को के यौन शोषण को नजरअंदाज किया जा रहा हैं। इसपर मेनका गाँधी ने जवाब दिया की इस मामले में स्टडी की जा रही हैं और इस सम्बन्ध में पाया गया की 53 .2 % से ज्यादा बच्चे यौन शोषण के शिकार हुए ,जिनमे से 52 .9 % लड़के थे।
बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन चाइल्ड राइट्स एंड यू के मुताबिक भारत में हर 15 मिनट में एक बच्चा यौन अपराध का शिकार बनता हैं और पिछले दस सालो में बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध में अत्यधिक वृद्धि हुई हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र ,पश्चिम बंगाल और दिल्ली में ये अपराध हैं।






कठुआ और उन्नाव केस से पूरा देश हिल गया तथा शर्मसार हुआ। पूरे देश वासियों के मन में आक्रोश हैं।ऐसी ही प्रति दिन अनगिनत घटनाए हो रही हैं ,जिससे हमारे बच्चे आहत हो रहे हैं और तो और उनका अस्तित्व ही समाप्त होता जा रहा हैं।
ऐसे मे आप सभी अभिभावकों और माता -पिता की जिम्मेदरी बनती हैं की आप अपने बच्चे का पूरा ध्यान दे। वो किसके साथ खेलता हैं ,किसके साथ अपना पूरा समय व्यतीत करता हैं और उसके मित्र कौन हैं क्योकि इसमें ज्यादातर घटनाए अपने परिचितों द्वारा ही अंजाम दी जाती हैं।
बच्चा अबोध होता और वह किसी की भी बातों और बहकावे में आ जाता है। वह संकोचवश अपने माता- पिता से सारी बाते कह भी नहीं पाता हैं। अतः अपने बच्चों से मित्रवत व्यवहार करे तथा उसे सुरक्षा प्रदान करे।पोक्सो एक्ट बालको के संरक्षण के लिए ही बनाया गया हैं।
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विटामिन शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह से मदद करते हैं। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, शरीर के जख्मों को ठीक करते हैं, आंखों की दृष्टि को मजबूत बनाते हैं और शरीर को भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करते हैं। लेकिन गर्भावस्था के द्वारा विटामिन आपके लिए और की आवश्यक हो जाता है। इस लेख में हम आपको 6 ऐसे महत्वपूर्ण विटामिन के बारे में बताएंगे जो अगर गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर को आहार के माध्यम से ना मिले तो यह आपके लिए तथा आपके गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
मुख्यता दस कारणों से मिसकैरेज (गर्भपात) होता है। अगर इनसे बच गए तो मिसकैरेज नहीं होगा। जाने की मिसकैरेज से बचाव के लिए आप को क्या करना और क्या खाना चाहिए। यह भी जाने की मिसकैरेज के बाद फिर से सुरक्षित गर्भधारण करने के लिए आप को क्या करना चाहिए और मिसकैरेज के बाद गर्भधारण कितना सुरक्षित है?
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएचएफएस) की रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में सिजेरियन डिलीवरी के माध्यम से शिशु के जन्म वृद्धि दर में दोगुने का इजाफा हुआ है। सिजेरियन डिलीवरी में इस प्रकार की दोगुनी वृद्धि काफी चौंका देने वाली है। विशेषज्ञों के अनुसार इसकी वजह सिजेरियन डिलीवरी के जरिए अस्पतालों की मोटी कमाई है।
शिशु का वजन जन्म के 48 घंटों के भीतर 8 से 10 प्रतिशत तक घटता है। यह एक नार्मल से बात है और सभी नवजात शिशु के साथ होता है। जन्म के समय शिशु के शरीर में अतिरिक्त द्रव (extra fluid) होता है - जो शिशु के जन्म के कुछ दिनों के अंदर तेज़ी से बहार आता है और शिशु का वजन कम हो जाता है। लेकिन कुछ ही दिनों के अंदर फिर से शिशु का वजन अपने जन्म के वजन के बराबर हो जायेगा और फिर बढ़ता ही जायेगा।
ठण्ड के दिनों में बच्चों को बहुत आसानी से जुकाम लग जाता है। जुकाम के घरेलू उपाय से आप अपने बच्चे के jukam ka ilaj आसानी से ठीक कर सकती हैं। इसके लिए jukam ki dawa की भी जरुरत नहीं है। बच्चों के शारीर में रोग प्रतिरोधक छमता इतनी मजबूत नहीं होती है की जुकाम के संक्रमण से अपना बचाव (khud zukam ka ilaj) कर सके - लेकिन इसके लिए डोक्टर के पास जाने की आवशकता नहीं है। (zukam in english, jukam in english)
डाक्टर बच्चों को नेबुलाइजर (Nebulizer) की सलाह देते हैं जब बच्चे को बहुत ज्यादा जुखाम हो जाता है जिस वजह से बच्चा रात को ठीक से सो भी नहीं पता है। नेब्युलाइज़र शिशु में जमे कफ (mucus) को कम करता है और शिशु के लिए साँस लेना आरामदायक बनता है। नेबुलाइजर (Nebulizer) के फायेदे, साइड इफेक्ट्स और इस्तेमाल का तरीका। इसका इस्तेमाल सिस्टिक फाइब्रोसिस, अस्थमा, सीओपीडी और अन्य सांस के रोगों के उपचार के लिए भी किया जाता है।
नवजात शिशु को डायपर के रैशेस से बचने का सरल और प्रभावी घरेलु तरीका। बच्चों में सर्दियौं में डायपर के रैशेस की समस्या बहुत ही आम है। डायपर रैशेस होने से शिशु बहुत रोता है और रात को ठीक से सो भी नहीं पता है। लेकिन इसका इलाज भी बहुत सरल है और शिशु तुरंत ठीक भी हो जाता है। - पढ़िए डायपर के रैशेस हटाने के घरेलू नुस्खे।
शिशु का टीकाकार शिशु को बीमारियोँ से बचाने के लिए बहुत जरुरी है। मगर टीकाकार से शिशु को बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ता है। जानिए की आप किस तरह अपने शिशु को टीकाकरण २०१८ से हुए दर्द से शिशु को कैसे राहत पहुंचा सकते हैं।
आप का बच्चा शायद दूध पिने के बाद या स्तनपान के बाद हिचकी लेता है या कभी कभार हिचकी से साथ थोड़ सा आहार भी बहार निकल देता है। यह एसिड रिफ्लक्स की वजह से होता है। और कोई विशेष चिंता की बात नहीं है। कुछ लोग कहते हैं की हिचकी तब आती है जब कोई बच्चे को याद कर रहा होता है। कुछ कहते हैं की इसका मतलब बच्चे को गैस या colic हो गया है। वहीँ कुछ लोग यह कहते है की बच्चे का आंत बढ़ रहा है। जितनी मुँह उतनी बात।
10वीं में या 12वीं की बोर्ड परीक्षा में ज्यादा अंक लाना उतना मुश्किल भी नहीं अगर बच्चा सही और नियमित ढंग से अपनी तयारी (पढ़ाई) करे। शुरू से ही अगर बच्चा अपनी तयारी प्रारम्भ कर दे तो बोर्ड एग्जाम को लेकर उतनी चिंता और तनाव का माहौल नहीं रहेगा।
घरेलु नुस्खे जिनकी सहायता से आप अपने बच्चे के पेट में पल रहे परजीवी (parasite) बिना किसी दवा के ही समाप्त कर सकेंगे। पेट के कीड़ों का इलाज का घरेलु उपाए (stomach worm home remedies in hindi). शिशु के पेट के कीड़े मारें प्राकृतिक तरीके से (घरेलु नुस्खे)
दही तो दूध से बना है, तो जाहिर है की इससे आप के शिशु को calcium भरपूर मिलेगा| दही चावल या curd rice, तुरंत बन जाने वाला बेहद आसान आहार है| इसे बनान आसान है इसका मतलब यह नहीं की यह पोशाक तत्वों के मामले में कम है| यह बहुत से पोषक तत्वों का भंडार है| baby food शिशु आहार 9 month to 12 month baby
चावल का खीर मुख्यता दूध में बनता है तो इसमें दूध के सारे पौष्टिक गुण होते हैं| खीर उन चुनिन्दा आहारों में से एक है जो बच्चे को वो सारे पोषक तत्त्व देता है जो उसके बढते शारीर के अच्छे विकास के लिए जरुरी है|
शिशु के कपडे को धोते वक्त कुछ बातों का ख्याल रखें ताकि कीटाणुओं और रोगाणुओं को बच्चों के कपडे से पूरी तरह ख़त्म किया जा सके और बच्चों के कपडे भी सुरक्षित रहें| शिशु के खिलौनों को भी समय-समय पे धोते रहें ताकि संक्रमण का खतरा ख़त्म हो सके|
दस साल के बच्चे के आहार सरणी मैं वो सभी आहार सम्मिलित किया जा सकते हैं जिन्हे आप घर पर सभी के लिए बनती हैं। लेकिन उन आहारों में बहुत ज्यादा नमक, मिर्चा और चीनी का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। आप जायके के लिए हलके मसलों का इस्तेमाल कर सकती हैं जैसे की धनिया पाउडर।
सामाजिक उत्थान के लिए नैतिकता की बुनियाद अत्यंत आवश्यक हैं। वैश्वीकरण से दुनिया करीब तो आ गई, बस अपनो से फासला बढ़ता गया। युवा पीढ़ी पर देश टिका हैं समय आ गया है की युवा पीढ़ी अपनी जिम्मेदारियों को समझे और संस्कृति व परंपराओं की श्रेष्ठता का वर्णन कर लोगोँ में उत्साह ओर आशा का संचार करें और भारत का नाम गौरव करें।
अगर आप यह चाहते है की आप का बच्चा भी बड़ा होकर एक आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी बने तो इसके लिए आपको अपने बच्चे के खान - पान और रहन - सहन का ध्यान रखना होगा।
कौन नहीं चाहता की उनका शिशु गोरा हो! अगर आप भी यही चाहते हैं तो कुछ घरेलु नुस्खे हैं जिनकी सहायता से आप के शिशु की त्वचा गोरी और निखरी बन सकती है। जानिए की आप सांवले बच्चे को कैसे बनाएं गोरा
आपके बच्चों में अच्छी आदतों का होना बहुत जरुरी है क्योँकि ये आप के बच्चे को न केवल एक बेहतर इंसान बनने में मदद करता है बल्कि एक अच्छी सेहत भरी जिंदगी जीने में भी मदद करता है।
बच्चो में कुपोषण का मतलब भूख से नहीं है। हालाँकि कई बार दोनों साथ साथ होता है। गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार बच्चों को उसकी बढ़ने के लिए जरुरी पोषक तत्त्व नहीं मिल पाते। बच्चों को कुपोषण से बचने के लिए हर संभव प्रयास जरुरी हैं क्योंकि एक बार अगर बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाये तो उसे दोबारा ठीक नहीं किया जा सकता।