Category: प्रेगनेंसी
By: Salan Khalkho | ☺16 min read
4 से 6 सप्ताह के अंदर अंदर आपके पीरियड फिर से शुरू हो सकते हैं अगर आप अपने शिशु को स्तनपान नहीं कराती हैं तो। लेकिन अगर आप अपने शिशु को ब्रेस्ट फीडिंग करवा रही हैं तो इस स्थिति में आप का महावारी चक्र फिर से शुरू होने में 6 महीने तक का समय लग सकता है। यह भी हो सकता है कि जब तक आप शिशु को स्तनपान कराना जारी रखें तब तक आप पर महावारी चक्र फिर से शुरू ना हो।

शिशु के जन्म की बात अक्सर माताओं के मन में यह सवाल आता है कि उनकी महावारी कब से शुरू होगा। महिलाओं में मासिक धर्म चक्र की वापसी कई कारणों से प्रभावित होती है - उदाहरण के लिए यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप अपने शिशु को स्तनपान करा रहे हैं या नहीं।
अगर स्तनपान कराती है तो कितनी मात्रा में। लेकिन अधिकांश मामलों में प्रसव के बाद चार सप्ताह से लेकर 6 महीने के बीच में कभी भी फिर से मानसिक धर्म चक्र शुरू हो सकता है।
इस लेख में हम आपको देंगे महावारी यानी पीरियड से संबंधित आपकी हर सवालों के जवाब।

डिलीवरी के बाद फिर से पीरियड शुरू होना इस बात पर निर्भर करता है कि क्या आप अपने शिशु को स्तनपान करा रही है या नहीं। अगर आप अपने शिशु को स्तनपान करा रही हैं तो प्रोलैक्टिन (Prolactin) हार्मोन जो आपके शरीर में दूध उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं यह आपके शरीर में ओव्यूलेशन (Ovulation) रुकता है जिससे फिर से मासिक धर्म शुरू होने में समय लगता है।
जो महिलाएं शिशु के जन्म के बाद स्तनपान नहीं कराती हैं उनमें फिर से महावारी धर्म चक्र शुरू होने में चार हफ्तों से लेकर 8 हफ्तों तक का समय लगता है। यानी जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं उनमें फिर से मानसिक धर्म शुरू होने में ज्यादा समय लगता है।

अगर आपकी शिशु की डिलीवरी के बाद 6 महीने से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन अभी भी मानसिक धर्म की शुरुआत नहीं हुई है तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए। ऐसा भी देखा गया है कि कई महिलाएं जब तक स्तनपान कराती रहती है तब तक उनकी पीरियड शुरू नहीं होते हैं।
कुछ महिलाओं के मन में यह सवाल आता है कि शिशु के जन्म के बाद फिर से दोबारा पीरियड शुरू होने से पहले क्या वे गर्भवती हो सकती है? शिशु के जन्म के बाद जब महिलाओं में लंबे समय तक मानसिक धर्म शुरू नहीं होता है तो वे इस दुविधा में पड़ जाती हैं कि कहीं भी फिर से गर्भवती तो नहीं हो गई है।

लेकिन हम आपको यह बताना चाहेंगे कि ऐसा होने की पूरी संभावना रहती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपका शरीर पहले ओव्यूलेट (Ovulate- अण्डोत्सर्ग) करता है और फिर उसके बाद मानसिक धर्म होता है।
लेकिन ऐसी परिस्थिति में जब आपका शरीर ओव्यूलेट (Ovulate- अण्डोत्सर्ग) किया है और आपने मानसिक धर्म से पहले ही संसर्ग करती है तो आपके द्वारा गर्भवती होने की पूरी संभावना है। यानी कि आप डिलीवरी के बाद फिर से पीरियड शुरू होने से पहले ही गर्भवती हो सकती है।
कई महिलाएं स्तनपान को गर्भ निरोधक की तरह मानती है। वे यह मानते हैं कि जब तक वे अपने बच्चों को स्तनपान करा रही हैं तब तक वो फिर से दोबारा गर्भवती नहीं होगी।

लेकिन यह मात्र एक मिथक धारणा है। अगर आप पहले शिशु के बाद तुरंत दूसरा शिशु नहीं चाहती है तो गर्भनिरोधक (जन्म नियंत्रण) के दूसरे तरीकों को अपनाएं जिनसे फिर से गर्भधारण को विश्वसनीय तरीके से नियंत्रित किया जा सके।
लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए गर्भनिरोधक गोलियां लेना उचित नहीं है। गर्भनिरोधक गोलियां दूध बनने की प्रक्रिया में रुकावट डाल सकती है और इसका शिशु के भी कुछ प्रभाव पड़ सकता है। इसीलिए गर्भ निरोधक से संबंधित उचित उपाय के लिए डॉक्टर की सलाह लें।
मानसिक धर्म या आपकी पीरियड में प्रसव के बाद कुछ परिवर्तन आ सकते हैं या यह भी हो सकता है कि पहले और बाद के मासिक चक्र में आपको कोई बदलाव देखने को ना मिले।

आपका मानसिक धर्म अधिक या कम हो सकता है यहां तक कि आपका मानसिक चक्र भी लंबा या छोटा हो सकता है। मानसिक धर्म के दौरान होने वाले तकलीफ और ऐठन का अनुभव भी ज्यादा और कम हो सकता है।
प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद के मानसिक धर्म में दर्द की भी मात्रा अधिक या कम हो सकती है। इसलिए होता है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान आपका गर्भाशय वह चुका होता है।
जब बच्चे की डिलीवरी हो जाती है तब गर्भाशय फिर से सिकुड़ता है लेकिन फिर भी यह पूरी तरह से अपनी पहली वाली स्थिति में नहीं पहुंचता है और आकार में थोड़ा बड़ा होता है।
साथ ही एक और गौर करने वाली बात है कि एंडोमेट्रियल अस्तर (Endometrial lining) जोकि पीरियड्स के दौरान खून के रूप में बाहर आता है उसे फिर से अपने आप को तैयार करने में समय लगता है।
ऐसा इसलिए क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान या कई प्रकार के परिवर्तनों से गुजरता है - और एक बार जब शिशु का जन्म हो जाता है तब यह फिर से कुछ बदलावों से गुजरता है ताकि थोड़ा बहुत पहले जैसी स्थिति में पहुंच सके।
इसीलिए यह संभव है कि हर स्त्री शिशु के प्रसव के बाद अपने मानसिक धर्म में कुछ परिवर्तन महसूस करें। इसके साथ ही अगर आप गर्भ धारण करने से पहले हार्मोनल गर्भ निरोधक (आईयूडी या गोलियों) का इस्तेमाल कर रही थी तो शिशु के जन्म के बाद आपकी मानसिक धर्म में रक्तस्राव की मात्रा अधिक हो सकती है।
यह इस वजह से होता है क्योंकि हार्मोन अल गर्भनिरोधक एंडोमेट्रियल अस्तर (Endometrial lining) कि स्तर को पतला कर देता है।
डिलीवरी के बाद यानी शिशु के जन्म के बाद आप अपने मानसिक धर्म में अनियमितताएं अनुभव कर सकती हैं। कई बार ऐसा होता है कि प्रसव के बाद अनियमित अवधि तक पीरियड नहीं आते हैं।

यह बिल्कुल भी सामान्य सी बात है और चिंता का विषय नहीं है क्योंकि डिलीवरी के बाद आपके शरीर में हार्मोन को फिर से सामान्य होने में थोड़ा समय लगता है, विशेषकर अगर आप अपने शिशु को स्तनपान कराती हैं।
उदाहरण के लिए हो सकता है गर्भावस्था के बाद आपका पहला महावारी चक्र 24 दिन का हो, इसके बाद अगला 28 दिन का हो और फिर उसके बाद 35 दिनों का हो।
एक बार जब आप अपनी शिशु को स्तनपान कराना बंद कर देती हैं तो कुछ महीनों में आप का महावारी चक्र फिर से स्थिर हो जाता है।
डिलीवरी के बाद मासिक धर्म में विलंब होना एक सामान्य बात है। लेकिन कई दुर्लभ घटनाओं में मानसिक धर्म का तरीका आप में किसी गंभीर परिस्थिति के लक्षण भी हो सकते हैं।

उदाहरण के लिए अगर आप में शुरुआती महावारी में सामान्य से कहीं अधिक और ज्यादा ऐठन हो रहा है तथा रक्तस्राव भी सामान्य से ज्यादा हो रहा है तो यह चिंता का विषय हो सकता है।
अगर आपको हर घंटे टैम्पोन या पैड बदलने की आवश्यकता पड़ रही है तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से इस विषय में परामर्श करना चाहिए।
यह किसी संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं या गर्भाशय फाइब्रॉएड की ओर भी इशारा करते हैं। ऐसी परिस्थिति में आप डॉक्टर से एनीमिया या थाइरोइडरूल के लिए परामर्श कर सकती हैं।

प्रसव के बाद केवल शिशु को ही देखभाल की आवश्यकता नहीं पड़ती है वरन शिशु की माता की भी बहुत देखभाल की आवश्यकता होती है। अगर शिशु के जन्म के बाद आपको मानसिक धर्म में निम्न लक्षण दिखाई दें तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए


जैसा कि मैंने आपको ऊपर बताया कि अगर आप में मानसिक धर्म अभी शुरू नहीं हुआ है तो इस भ्रम में मत रहिएगा कि आप गर्भवती नहीं हो सकती हैं।
इस बात का ध्यान रखिएगा कि आपका शरीर शिशु के जन्म के बाद अपना पहला डिम्ब महावारी से पहले ही जारी कर देता है। इसका पता तब चलता है जब महावारी शुरू होती है।
यानी कि आपके शरीर के डिम्ब जारी करने [ओव्यूलेट (Ovulate- अण्डोत्सर्ग)] के बाद और महावारी की शुरुआत से पहले आप संभोग करती हैं तो आपके दोबारा गर्भधारण की संभावना पूरी तरह तय हो जाती है।
इसीलिए अगर शिशु के जन्म के बाद आप संभोग करती हैं और फिर 6 महीने से पहले महावारी के शुरू होने से पहले गर्भ धारण कर लेती हैं तो आश्चर्यचकित होने की आवश्यकता नहीं है।
स्तनपान कराने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप की महावारी दोबारा देर से शुरू होगी। इस दौरान आपके शरीर को पूरी तरह स्वस्थ होने का भी मौका मिल जाता है। अगर आप अपने शिशु को दिन रात स्तनपान करा रही हैं, और आपका शिशु अपने आहार के लिए पूरी तरह स्तनपान पर निर्भर है तो पूरी संभावना है कि 1 साल तक आपको कोई महावारी दर्द महसूस ही ना हो।

लेकिन अगर आप का शिशु रात को 8 घंटे पूरा सोने लगे और आपको अपने शिशु को रात के दौरान उसे स्तनपान कराने की आवश्यकता नहीं पड़ती है तब इन परिस्थितियों में आपकी महावारी फिर से जल्द ही शुरू हो सकती है। इसमें आमतौर पर 3 से 8 महीने का समय लग सकता है।
इसके अलावा अगर आप अपने शिशु को स्तनपान के साथ साथ फॉर्मूला मिल्क (डिब्बाबंद दूध) भी दे रही हैं, तो इस परिस्थिति में भी आपका मासिक चक्र जल्दी शुरू हो सकता है।
यूं समझ लीजिए कि आप का शिशु जितना अधिक समय के लिए स्तनपान करेगा आपके लिए महावारी को दोबारा शुरू होने में उतना ही ज्यादा समय लगेगा।
Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। आपका चिकित्सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।
विज्ञान और तकनिकी विकास के साथ साथ बच्चों के थेड़े-मेढे दातों (crooked teeth) को ठीक करना अब बिना तार के संभव हो गया है। मुस्कुराहट चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाता है। लेकिन अगर दांत थेड़े-मेढे (crooked teeth) तो चेहरे की खूबसूरती को कम कर देते हैं। केवल इतना ही नहीं, थेड़े-मेढे दातों (crooked teeth) आपके बच्चे के आत्मविश्वास को भी कम करते हैं। इसीलिए यह जरूरी है कि अगर आपके बच्चे के दांत थेड़े-मेढे (crooked teeth) हो तो उनका समय पर उपचार किया जाए ताकि आपके शिशु में आत्मविश्वास की कमी ना हो। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह आप अपने बच्चे के थेड़े-मेढे दातों (crooked teeth) को बिना तार या ब्रेसेस के मदद के ठीक कर सकते हैं।
गर्भधारण के लिए हर दिन सामान्य नहीं होता है। कुछ विशेष दिन ऐसे होते हैं जब महिला के गर्भवती होने की सम्भावना सबसे ज्यादा रहती है। इस समय अंतराल को स्त्री का फर्टाइल स्टेज कहते हैं। इस समय यौन सम्बन्ध बनाने से स्त्री के गर्भधारण करने की सम्भावना बाढ़ जाती है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार चार से छह महीने पे शिशु शिशु का वजन दुगना हो जाना चाहिए। 4 महीने में आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए ये 4 बातों पे निर्भर करता है। शिशु के ग्रोथ चार्ट (Growth charts) की सहायता से आप आसानी से जान सकती हैं की आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए।
1 साल के शिशु (लड़के) का वजन 7.9 KG और उसकी लम्बाई 24 से 27.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। जबकि 1 साल की लड़की का वजन 7.3 KG और उसकी लम्बाई 24.8 और 28.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। शिशु के वजन और लम्बाई का अनुपात उसके माता पिता से मिले अनुवांशिकी और आहार से मिलने वाले पोषण पे निर्भर करता है।
बदलते मौसम में शिशु को जुकाम और बंद नाक की समस्या होना एक आम बात है। लेकिन अच्छी बात यह है की कुछ बहुत ही सरल तरीकों से आप अपने बच्चों की तकलीफों को कम कर सकती हैं और उन्हें आराम पहुंचा सकती हैं।
जानिए घर पे वेपर रब (Vapor rub) बनाने की विधि। जब बच्चे को बहुत बुरी खांसी हो तो भी Vapor rub (वेपर रब) तुरंत आराम पहुंचता है। बच्चों का शरीर मौसम की आवशकता के अनुसार अपना तापमान बढ़ने और घटने में सक्षम नहीं होता है। यही कारण है की कहे आप लाख जतन कर लें पर बच्चे सार्ड मौसम में बीमार पड़ ही जाते हैं।
बच्चों को सर्दी जुकाम बुखार, और इसके चाहे जो भी लक्षण हो, जुकाम के घरेलू नुस्खे बच्चों को तुरंत राहत पहुंचाएंगे। सबसे अच्छी बात यह ही की सर्दी बुखार की दवा की तरह इनके कोई side effects नहीं हैं। क्योँकि जुकाम के ये घरेलू नुस्खे पूरी तरह से प्राकृतिक हैं।
क्या आप के पड़ोस में कोई ऐसा बच्चा है जो कभी बीमार नहीं पड़ता है? आप शायद सोच रही होंगी की उसके माँ-बाप को कुछ पता है जो आप को नहीं पता है। सच बात तो ये है की अगर आप केवल सात बातों का ख्याल रखें तो आप के भी बच्चों के बीमार पड़ने की सम्भावना बहुत कम हो जाएगी।
पोलियो वैक्सीन OPV (Polio Vaccine in Hindi) - हिंदी, - पोलियो का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
अगर आप का बच्चा दूध पीते ही उलटी कर देता है तो उसे रोकने के कुछ आसन तरकीब हैं। बच्चे को पीट पे गोद लेकर उसके पीट पे थपकी देने से बच्चे के छोटे से पेट में फसा गैस बहार आ जाता है और फिर उलटी का डर नहीं रहता है।
पीट दर्द को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए| आज के दौर में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चों को भी पीठ दर्द का सामना करना पद रहा है| नाजुक सी नन्ही उम्र से ही बच्चों को अपने वजन से ज्यादा भारी बैग उठा के स्कूल जाना पड़ता है|
हमें आपने बच्चों को मातृभूमि से प्रेम करने की शिक्षा देनी चाहिए तथा उनके अंदर ये भावना पैदा करनी चाहिए की वे अपने देश के प्रति समर्पित रहें और ये सोचे की हमने अपने देश के लिए क्या किया है। वे यह न सोचे की देश ने उनके लिए क्या किया है। Independence Day Celebrations India गणतंत्र दिवस भारत नरेन्द्र मोदी 15 August 2017
फाइबर और पौष्टिक तत्वों से युक्त, मटर की प्यूरी एक बेहतरीन शिशु आहार है छोटे बच्चे को साजियां खिलने का| Step-by-step instructions की सहायता से जानिए की किस तरह आप ताज़े हरे मटर या frozen peas से अपने आँखों के तारे के लिए पौष्टिक मटर की प्यूरी कैसे त्यार कर सकते हैं|
मसूर दाल की खिचड़ी एक अच्छा शिशु आहार है (baby food)| बच्चे के अच्छे विकास के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरतों की पूर्ति होती है। मसूर दाल की खिचड़ी को बनाने के लिए पहले से कोई विशेष तयारी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। जब भी आप के बच्चे को भूख लगे आप झट से 10 मिनट में इसे त्यार कर सकते हैं।
आटे का हलुवा इतना पौष्टिक होता है की इसे गर्भवती महिलाओं को खिलाया जाता है| आटे का हलुआ शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सबसे बेहतरीन शिशु आहार है। आटे का हलुवा शिशु के लिए उचित और सन्तुलित आहार है|
समय से पहले बच्चों में ठोस आहार की शुरुआत करने के फायदे तो कुछ नहीं हैं मगर नुकसान बहुत हैं| बच्चों के एलर्जी सम्बन्धी अधिकांश समस्याओं के पीछे यही वजह हैं| 6 महीने से पहले बच्चे की पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होती है|
बच्चों में आहार शुरू करने की सबसे उपयुक्त उम्र होती है जब बच्चा 6 month का होता है। इस उम्र में बच्चे को दूध के साथ साथ पौष्टिक आहार की भी आवश्यकता पड़ती है। लेकिन पहली बार बच्चों के ठोस आहार शुरू करते वक्त (weaning) यह दुविधा होती है की क्या खिलाएं और क्या नहीं। इसीलिए पढ़िए baby food chart for 6 month baby.
हर बच्चे को कम से कम शुरू के 6 महीने तक माँ का दूध पिलाना चाहिए| इसके बाद अगर आप चाहें तो धीरे-धीरे कर के अपना दूध पिलाना बंद कर सकती हैं| एक बार जब बच्चा 6 महीने का हो जाता है तो उसे ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए| जब आप ऐसा करते हैं तो धीरे धीरे कर अपना दूध पिलाना बंद करें।
Benefits of Breastfeeding for the Mother - स्तनपान करने से सिर्फ बच्चे को ही नहीं वरन माँ को भी कई तरह की बीमारियोँ से लड़ने का ताकत मिलता है। जो महिलाएं अपने बच्चे को स्तनपान कराती हैं उनमें स्तन कैंसर और गर्भाशय का कैंसर होने की सम्भावना नहीं के बराबर होती है।
आपका बच्चा जितना तरल पदार्थ लेता हैं। उससे कही अधिक बच्चे के शरीर से पसीने, दस्त, उल्टी और मूत्र के जरिये पानी बाहर निकल जाता है। इसी स्तिथि को डिहाइड्रेशन कहते हैं। गर्मियों में बच्चे को डिहाइड्रेशन का शिकार होने से बचने के लिए, उसे थोड़े-थोड़े समय पर, पुरे दिन तरल पदार्थ या पानी देते रहना पड़ेगा।