Category: शिशु रोग
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अस्थमा होने की स्थिति में शिशु को तुरंत आराम पहुचने के घरेलु उपाय। अपने बच्चे को अस्थमा के तकलीफ से गुजरते देखना किस माँ-बाप के लिए आसान होता है? सही जानकारी के आभाव में शिशु का जान तक जा सकता है। घर पे प्रतियेक व्यक्ति को अस्थमा के प्राथमिक उपचार के बारे में पता होना चाहिए ताकि आपातकालीन स्थिति में शिशु को जीवन रक्षक दवाइयां प्रदान की जा सकें।

छोटे बच्चों में अस्थमा का इलाज - दवाइयां और उपचार
बच्चों को अस्थमा होना मां बाप के लिए बहुत ही दुख का विषय है। अगर आपके शिशु को अस्थमा है तो इसके बारे में आप अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करें। सही
जानकारी होने पर आप अपने शिशु को अस्थमा के दौरे से बचा सकते हैं और अस्थमा के बाद आप अपने शिशु को उपचार प्रदान कर सकते हैं जिससे उसे तुरंत रहत मिले।
अस्थमा में शिशु को सांस लेने में बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में अपने शिशु को देखना बहुत ही पीड़ादायक है।
जिस शिशु को अस्थमा होता है उसके लिए जीवन उतना आसान नहीं होता है। लेकिन अगर कुछ बातों का ख्याल रखा जाए और कुछ सावधानियों को बढ़ता जाए तो बहुत हद तक अस्थमा के दौरे को टाला जा सकता है।
शिशु को अस्थमा होने की स्थिति में मां-बाप को हमेशा आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। जब भी आप घर से बाहर अपने शिष्य को लेकर की जाए तो उसकी सभी जरूरी दवाइयां साथ में लेकर के जाएं।
सफर के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि आपका शिशु हर उस चीज से बचा रहे जो उसके अस्थमा को उभार सकते हैं जैसे की धुआं, धूल, फूल के परागकण इत्यादि। ये सभी अस्थमा का कारण बनता है।
आपके शिशु का अस्थमा समय के साथ ठीक होगा। जैसे जैसे आपका शिशु बड़ा होगा वैसे वैसे उसका शरीर अस्थमा उभारने वाले तत्वों से अभ्यस्त हो जाएगा और उसे अस्थमा के इतने दौरे नहीं आएंगे जितना कि वह अपने बचपन में झेलेगा।

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कई बार ऐसा होता है कि चाह कर के भी आप अपने शिशु को ऐसे तत्वों से दूर नहीं रख पाते हैं जो उसके अंदर अस्थमा के दौरे को उभारे।

यह कई पर तमाम कोशिशों के बाद भी शिशु को अस्थमा के दौरे पड़ जाते हैं। ऐसी स्थिति में आपको अपने शिशु को तुरंत आराम पहुंचाने वाले उपचारों के बारे जानकारी होना आवश्यक है।
हर चीजों में इस्तेमाल एक समान नहीं होता है। यही वजह है कि अस्थमा के उपचार के लिए कई प्रकार की दवाइयां और उपचार उपलब्ध हैं।
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इस श्रेणी की दवाइयां अस्थमा में शिशु को तुरंत आराम पहुंचाते हैं। यह दवाइयां शिशु के वायु मार्ग को खोल देती है जिससे शिशु आसानी से सांस लेने में सक्षम हो जाता है।

अगर आपकी शिशु को अस्थमा है तो इस प्रकार की दवाइयों को सदा अपने पास रखिए या अगर आपका शिशु बढ़ा है तो उसे इसे इस्तेमाल करना बताएं और उसे इन दवाइयों को सदा अपने पास रखने को कहें।
वक्त पर इनका इस्तेमाल आपके शिशु के लिए जीवन रक्षक हो सकता है। यह दवाइयां अस्थमा की स्थिति में बच्चों को तुरंत आराम तो पहुंचाता है लेकिन अस्थमा का उपचार नहीं करता है।
यह केवल अस्थमा के लक्षणों को कम करता है या उन्हें तुरंत खत्म कर शिशु को राहत पहुंचाता है।
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जिन बच्चों को अस्थमा है उन बच्चों को अस्थमा से संबंधित कुछ दवाइयां हर दिन लेने की आवश्यकता पड़ती है। यह दवाइयां दीर्घावधि उपचार विधि का हिस्सा है।

इन दवाइयों को हर दिन देने से बच्चों को अस्थमा के दौरे कम पड़ते हैं या फिर उन्हें पूरी तरह से रोका भी जा सकता है।
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इन दवाइयों को हमेशा डॉक्टर के द्वारा बताए गए विधि के अनुसार ही लेना चाहिए। बिना डॉक्टर के परामर्श के इन दवाइयों को लेने से स्थिति और भी गंभीर हो सकती है यहां तक कि बच्चे को अस्पताल में भर्ती भी कराना पड़ सकता है।
आपके शिशु में अस्थमा के लक्षणों की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर आपके बच्चे के लिए दवाइयों से संबंधित कुछ नियमों को निर्धारित करेगा।
डॉक्टर इसके साथ यह भी बताएगा कि किस तरह की सावधानियां बरत कर आप अपने बच्चे को अस्थमा के दौरे से बचा सकते हैं।
डॉक्टर द्वारा बताया गया यह दिशानिर्देश हर उस व्यक्ति की जानकारी में होना चाहिए जिसके साथ आप का शिशु समय बिताता हो ताकि आपातकालीन परिस्थिति में आपके शिशु को तुरंत सही देखभाल मिल सके।
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एक बार आप को यह पता चल जाए कि वह कौन-कौन से तत्व है जिनकी वजह से आपके बच्चे को अस्थमा के दौरे आते हैं तो आप हर वह सावधानियां बरत सकती हैं ताकि आपका बच्चा उन सब चीजों से दूर रहे।

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अपने बच्चे को अस्थमा के दौरे से बचाने के लिए आप निम्न प्रकार की सावधानियां बरत सकती हैं।

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कुछ विशेष परिस्थितियों में आपकी शिशु में अस्थमा के दौरे बढ़ सकते हैं यह ज्यादा गंभीर हो सकते हैं। कुछ मुख्य कारक इस तरह है:
कई प्रकार के अस्थमा के दौरे जानलेवा भी हो सकते हैं। यह ऐसी परिस्थितियां हैं जब आपकी शिशु को तुरंत आपातकालीन उपचार की आवश्यकता पड़ सकती है।
आप के लिए यह जरूरी है कि जब आप के शिशु को अस्थमा के दौरे पड़े तो उस के दौरे को देखकर आप पहचान सके कि आपके शिशु को चिकित्सीय आपातकालीन उपचार की आवश्यकता है या नहीं। अस्थमा की कुछ गंभीर लक्षण इस प्रकार से हैं

अगर शिशु इतनी जोर से सांस लेता हुआ दिखे कि उसके छाती की हड्डियां दिखाई दे, तो इसका मतलब आप के शिशु को सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही है।
वह सांस नहीं ले पा रहा है। ऐसी स्थिति में आपके शिशु को तुरंत चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता है।

वायुमार्ग फेफड़ों में जाकर पेड़ों की तरह की संरचना बनाते हैं। यानी शिशु की नाक से लेकर नाक तक एक नली होती है। लेकिन फेफड़ों में पहुंचकर यह अनगिनत बारीक़ नालियौं में फट जाती है।
इन नलियौं का आखरी सिरा बहुत ही बारीक़ होता है और रक्त के संपर्क में होता है। सांस लेते वक्त वायु इन बारीक नलियों के आखिरी छोर में पहुंचता है तब वायु में मौजूद ऑक्सीजन खून में प्रवेश कर जाता है।
इस तरह से हमारे शरीर में मौजूद रक्त को ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है। लेकिन यह बारीक नलियों अस्थमा के दौरान सूज जाती हैं जिस वजह से इनमें मौजूद छिद्र बहुत बारीक़ हो जाते हैं यह बंद हो जाते हैं, इस वजह से खून तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है।
ऐसी परिस्थिति में शिशु चाहे जितना भी जोर लगा ले, उसके शरीर को ऑक्सीजन नहीं मिलता है। यह स्थिति बहुत ही भयानक है।
इसकी तुलना आप दम घुटने जैसी परिस्थिति से कर सकते हैं। कुछ विशेष प्रकार की दवाइयां इस प्रकार की आपातकालीन परिस्थिति के लिए बनाई गई है।
इन दवाइयों को fast-acting या "rescue" दवाइयां कहा जाता है। इन्हें लेने पर वायु मार्ग कि नलिकाओं का सूजन तुरंत कम होता है और स्थिति नियंत्रण में आती है।
कई बार इन दवाइयों के इस्तेमाल से अस्थमा पर तुरंत नियंत्रण मिलता है, लेकिन कई बार अस्थमा नियंत्रण में तो आता है लेकिन फिर भी बच्चे को उपचार की आवश्यकता बनी रहती है, और इस परिस्थिति में उसे अस्पताल ले जाने की आवश्यकता रहती है।
हमने ऊपर कुछ दवाइयों के बारे में जाना जिन्हें इस्तेमाल कर आप अपने शिशु को अस्थमा में तुरंत आराम पहुंचा सकते हैं।
लेकिन अस्थमा को रोकने का सबसे बेहतरीन तरीका यह है कि आप अपने शिशु को अस्थमा के दौरे पड़ने ही ना दें।

अगर आपको यह पता लग जाए कि आपके शिशु मैं वह कौन से तत्व है जो अस्थमा के दौरे को उभरते हैं, तो आप बहुत ही प्रभावी तरीके से अपने शिशु में अस्थमा के दौरे को पड़ने से रोक सकते हैं।
कुछ बच्चों को सर्दी की वजह से अस्थमा के द्वारे पड़ते हैं, तो कुछ बच्चों को सिगरेट के धुएं से या फिर व्यायाम करने से।
वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी हो सकते हैं जिन्हें अस्थमा के दौरे घर के पालतू जानवरों के संपर्क में आने से पड़ते हो। चाहे कारण कोई भी हो, एक बात सही कारण के पता लग जाने पर, अस्थमा के द्वारे को बहुत हद तक रोका जा सकता है।
लेकिन हमेशा याद जाना आसान नहीं होता है कि शिशु को किस चीज से एलर्जी है जिसकी वजह से उसे अस्थमा के दौरे पड़ते हैं।
अस्थमा की वजह से जब लोग अपने शिशु को लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर बहुत बार शिशु को परीक्षण के लिए एलर्जी विशेषज्ञ के पास भेजते हैं।
एलर्जी विशेषज्ञ कुछ विशेष प्रकार की जांच करते हैं उदाहरण के लिए रक्त परीक्षण या त्वचा के प्रिक परीक्षण।
इन परीक्षणों से प्राप्त जानकारियां बहुत ही अनमोल होती है क्योंकि यह बहुत ही सटीक तौर पर इस बात को उजागर करती हैं कि किस वजह से शिशु को अस्थमा के दौरे पड़ते हैं।
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आप पाएंगे कि अधिकांश बच्चों के दांत ठेडे मेढे होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चे अपने दांतो का ख्याल बड़ों की तरह नहीं रखते हैं। दिनभर कुछ ना कुछ खाते रहते हैं जिससे उनके दांत कभी साफ नहीं रहते हैं। लेकिन अगर आप अपने बच्चों यह दातों का थोड़ा ख्याल रखें तो आप उनके दातों को टेढ़े (crooked teeth) होने से बचा सकते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आपको अपने बच्चों के दातों से संबंधित कौन-कौन सी बातों का ख्याल रखना है, और अपने बच्चों को किन बातों की शिक्षा देनी है जिससे वे खुद भी अपने दांतो का ख्याल रख सके।
बच्चे या तो रो कर या गुस्से के रूप में अपनी भावनाओं का प्रदर्शन करते हैं। लेकिन बच्चे अगर हर छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगे तो आगे चलकर यह बड़ों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। मां बाप के लिए आवश्यक है कि वह समय रहते बच्चे के गुस्से को पहचाने और उसका उपाय करें।
गर्भावस्था के दौरान बालों पे हेयर डाई लगाने का आप के गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पे बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही इसका बुरा प्रभाव आप के शारीर पे भी पड़ता है जिसे आप एलर्जी के रूप में देख सकती हैं। लेकिन आप कुछ सावधानियां बरत के इन दुष्प्रभावों से बच सकती हैं।
डिलीवरी के बाद लटके हुए पेट को कम करने का सही तरीका जानिए। क्यूंकि आप को बच्चे को स्तनपान करना है, इसीलिए ना तो आप अपने आहार में कटौती कर सकती हैं और ना ही उपवास रख सकती हैं। आप exercise भी नहीं कर सकती हैं क्यूंकि इससे आप के ऑपरेशन के टांकों के खुलने का डर है। तो फिर किस तरह से आप अपने बढे हुए पेट को प्रेगनेंसी के बाद कम कर सकती हैं? यही हम आप को बताएँगे इस लेख मैं।
बहुत आसन घरेलु तरीकों से आप अपने शिशु का वजन बढ़ा सकती हैं। शिशु के पहले पांच साल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ये ऐसा समय है जब शिशु का शारीरिक और बौद्धिक विकास अपने चरम पे होता है। इस समय शिशु के विकास के रफ़्तार को ब्रेक लग जाये तो यह क्षति फिर जीवन मैं कभी पूरी नहीं हो पायेगी।
शिशु का वजन जन्म के 48 घंटों के भीतर 8 से 10 प्रतिशत तक घटता है। यह एक नार्मल से बात है और सभी नवजात शिशु के साथ होता है। जन्म के समय शिशु के शरीर में अतिरिक्त द्रव (extra fluid) होता है - जो शिशु के जन्म के कुछ दिनों के अंदर तेज़ी से बहार आता है और शिशु का वजन कम हो जाता है। लेकिन कुछ ही दिनों के अंदर फिर से शिशु का वजन अपने जन्म के वजन के बराबर हो जायेगा और फिर बढ़ता ही जायेगा।
नौ महीने पुरे कर समय पे जन्म लेने वाले नवजात शिशु का आदर्श वजन 2.7 kg - से लेकर - 4.1 kg तक होना चाहिए। तथा शिशु का औसतन शिशु का वजन 3.5 kg होता है। यह इस बात पे निर्भर करता है की शिशु के माँ-बाप की लम्बाई और कद-काठी क्या है।
ठण्ड के दिनों में बच्चों को बहुत आसानी से जुकाम लग जाता है। जुकाम के घरेलू उपाय से आप अपने बच्चे के jukam ka ilaj आसानी से ठीक कर सकती हैं। इसके लिए jukam ki dawa की भी जरुरत नहीं है। बच्चों के शारीर में रोग प्रतिरोधक छमता इतनी मजबूत नहीं होती है की जुकाम के संक्रमण से अपना बचाव (khud zukam ka ilaj) कर सके - लेकिन इसके लिए डोक्टर के पास जाने की आवशकता नहीं है। (zukam in english, jukam in english)
बाजार में उपलब्ध अधिकांश बेबी प्रोडक्ट्स जैसे की बेबी क्रीम, बेबी लोशन, बेबी आयल में आप ने पराबेन (paraben) के इस्तेमाल को देखा होगा। पराबेन (paraben) एक xenoestrogens है। यानी की यह हमारे शारीर के हॉर्मोन production के साथ सीधा-सीधा छेड़-छाड़ करता है। क्या कभी आप ने सोचा की यह आप के शिशु शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सुरक्षित है भी या नहीं?
शिशु को सर्दी और जुकाम (sardi jukam) दो कारणों से ही होती है। या तो ठण्ड लगने के कारण या फिर विषाणु (virus) के संक्रमण के कारण। अगर आप के शिशु का जुकाम कई दिनों से है तो आप को अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कुछ घरेलु उपचार (khasi ki dawa) की सहायता से आप अपने शिशु की सर्दी, खांसी और जुकाम को ठीक कर सकती हैं। अगर आप के शिशु को खांसी है तो भी घरेलु उपचार (खांसी की अचूक दवा) की सहायता से आप का शिशु पूरी रात आरामदायक नींद सो सकेगा और यह कफ निकालने के उपाय भी है - gharelu upchar in hindi
अगर जन्म के समय बच्चे का वजन 2.5 kg से कम वजन का होता है तो इसका मतलब शिशु कमजोर है और उसे देखभाल की आवश्यकता है। जानिए की नवजात शिशु का वजन बढ़ाने के लिए आप को क्या क्या करना पड़ेगा।
जब बच्चे इस तरह के खेल खेलते हैं तो उनके हड्डीयौं पे दबाव पड़ता है - जिसकी वजह से चौड़ी और घनिष्ट हो जाती हैं। इसका नतीजा यह होता है की इन बच्चों की हड्डियाँ दुसरे बच्चों के मुकाबले ज्यादा मजूब हो जाती है।
इडली बच्चों के स्वस्थ के लिए बहुत गुण कारी है| इससे शिशु को प्रचुर मात्रा में कार्बोहायड्रेट और प्रोटीन मिलता है| कार्बोहायड्रेट बच्चे को दिन भर के लिए ताकत देता है और प्रोटीन बच्चे के मांसपेशियोँ के विकास में सहयोग देता है| शिशु आहार baby food
युवा वर्ग की असीमित बिखरी शक्ति को संगठित कर उसे उचित मार्गदर्शन की जितनी आवश्यकता आज हैं , उतनी कभी नहीं थी। आज युवा वर्ग समाज की महत्वकांशा के तले इतना दब गया हैं , की दिग - भ्रमित हो गया हैं।
आज के दौर की तेज़ भाग दौड़ वाली जिंदगी मैं हर माँ के लिए यह संभव नहीं की अपने शिशु के लिए घर पे खाना त्यार कर सके| ऐसे मैं बेबी फ़ूड खरीदते वक्त बरतें यह सावधानियां|
गर्मी की छुट्टियों में बच्चे घर पर रहकर बहूत शैतानी करते है ऐसे में बच्चो को व्यस्त रखने के लिए फन ऐक्टिविटीज (summer fun activities for kids) का होना बहूत जरूरी है! इसके लिए कुछ ऐसी वेबसाइट मोजूद है जो आपकी मदद कर सकती है! आइये जानते है कुछ ऐसी ही ख़ास फन ऐक्टिविटी वाली वेबसाइट्स (websites for children summer activities) के बारे में जो फ्री होने के साथ बहूत लाभकारी भी है! J M Group India के संस्थापक बालाजी के अनुसार कुछ ज्ञान वर्धक बातें।
हर प्रकार के आहार शिशु के स्वस्थ और उनके विकास के लिए ठीक नहीं होता हैं। जिस तरह कुछ आहार शिशु के स्वस्थ के लिए सही तो उसी तरह कुछ आहार शिशु के स्वस्थ के लिए बुरे भी होते हैं। बच्चों के आहार को ले कर हर माँ-बाप परेशान रहते हैं।क्योंकि बच्चे खाना खाने में बहुत नखड़ा करते हैं। ऐसे मैं अगर बच्चे किसी आहार में विशेष रुचि लेते हैं तो माँ-बाप अपने बच्चे को उसे खाने देते हैं, फिर चाहे वो आहार शिशु के स्वस्थ के लिए भले ही अच्छा ना हो। उनका तर्क ये रहता है की कम से कम बच्चा कुछ तो खा रहा है। लेकिन सावधान, इस लेख को पढने के बाद आप अपने शिशु को कुछ भी खिलने से पहले दो बार जरूर सोचेंगी। और यही इस लेख का उद्देश्य है।
छोटे बच्चे खाना खाने में बहुत नखरा करते हैं। माँ-बाप की सबसे बड़ी चिंता इस बात की रहती है की बच्चों का भूख कैसे बढाया जाये। इस लेख में आप जानेगी हर उस पहलु के बारे मैं जिसकी वजह से बच्चों को भूख कम लगती है। साथ ही हम उन तमाम घरेलु तरीकों के बारे में चर्चा करेंगे जिसकी मदद से आप अपने बच्चों के भूख को प्राकृतिक तरीके से बढ़ा सकेंगी।
सेब में मौजूद पोषक तत्त्व आप के शिशु के बेहतर स्वस्थ, उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ताज़े सेबों से बना शिशु आहार आप के शिशु को बहुत पसंद आएगा।
मसाज तथा मसाज में इस्तेमाल तेल के कई फायदे हैं बच्चों को। मालिश शिशु को आरामदायक नींद देता है। इसके साथ मसाज के और भी कई गुण हैं जैसे की मसाज बच्चे के वजन बढ़ने में मदद करा है, हड़ियों को मजबूत करता है, भोजन को पचने में मदद करता है और रक्त के प्रवाह में सुधार लता है।