Category: बच्चों का पोषण

कुपोषण का खतरा आप के भी बच्चे को हो सकता है

By: Salan Khalkho | 7 min read

हर मां बाप अपने बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान करना चाहते हैं जिससे उनके शिशु को कभी भी कुपोषण जैसी गंभीर समस्या का सामना ना करना पड़े और उनके बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास बेहतरीन तरीके से हो सके। अगर आप भी अपने शिशु के पोषण की सभी आवश्यकताओं को पूरा करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले यह समझना पड़ेगा किस शिशु को कुपोषण किस वजह से होती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कुपोषण क्या है और यह किस तरह से बच्चों को प्रभावित करता है (What is Malnutrition & How Does it Affect children?)।

भारत में कुपोषण का प्रकोप और इससे बचाव के रास्ते

इस लेख मे :

  1. भारत में  बच्चों के कुपोषण के शिकार होने के मुख्य वजह
  2. कम पौष्टिक गुणवत्ता वाले आहार
  3. शिशु के मां की सेहत का प्रभाव
  4. परिवार की आर्थिक परिस्थिति
  5. भारत में कुपोषण कम करने का तरीका
  6. भारत में कुपोषण को इन 4 तरीकों से कम किया जा सकता है

भारत में  बच्चों के कुपोषण के शिकार होने के मुख्य वजह

भारत में बच्चों के कुपोषण के शिकार होने के मुख्य वजह

भारत में बच्चे मुख्य तीन कारणों से कुपोषण के शिकार होते हैं जो कि इस प्रकार से हैं:

  • कम पौष्टिक गुणवत्ता वाले आहार
  • शिशु के मां की सेहत का प्रभाव
  • घर परिवार की आर्थिक स्थिति

कम पौष्टिक गुणवत्ता वाले आहार

कुपोषण का मतलब यह नहीं होता है कि शिशु को पर्याप्त मात्रा में आहार नहीं मिल रहा है।  कुपोषण का मतलब यह है कि बच्चे को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में वह सारे  पौष्टिक तत्व नहीं मिल रहे हैं जो शिशु को स्वस्थ रखने के लिए  जरूरी हैं  और उसकी शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक है। 

कम पौष्टिक गुणवत्ता वाले आहार

अगर आपके शिशु को पर्याप्त मात्रा में सही आहार (right food in enough quantity) नहीं मिल रहा है तो आप का शिशु कुपोषण का शिकार  हो सकता है।  कई बार जब शिशु को लंबे समय तक गलत आहार (wrong food) दिया जाता है तो भी वह कुपोषण की शिकार हो जाते हैं।  

उदाहरण के लिए अगर आप अपने शिशु को अधिकांश समय बर्गर,  फ्रेंच फ्राइज,  फास्ट फूड,  चॉकलेट,  और अत्यधिक तेल युक्त आहार देते हैं तो  आपके शिशु के कुपोषण से प्रभावित होने की पूरी संभावना है। भारत में हर साल लाखों बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं -  इसकी मुख्य वजह यह है कि इन बच्चों को पर्याप्त मात्रा में सही आहार नहीं मिलता है जिसमें वह सारे पोषक तत्व है जो उसे स्वस्थ रखने के लिए और उसके विकास के लिए सहायक है। 

शिशु के मां की सेहत का प्रभाव

शिशु के जन्म के 1 साल तक नवजात मां के दूध  पे निर्भर रहता है। हालांकि बच्चे में 6 महीने के बाद से ठोस आहार की शुरुआत कर दी जाती है,  लेकिन फिर भी जब तक शिशु 1 साल का ना हो जाए दूध उसका मुख्य आहार बना रहेगा।  1 साल के बाद ही शिशु का ठोस आहार उसका मुख्य आहार बन जाता है और दूध सहायक आहार। 

शिशु के मां की सेहत का प्रभाव

 इस दौरान अगर मां पौष्टिक आहार ग्रहण नहीं कर रही है तो जाहिर है कि शिशु को भी अच्छी तरह पोषण नहीं मिल पाएगा।  इसीलिए शिशु को पोषण प्रदान करने के लिए मां को  पौष्टिक आहार ग्रहण करने की बहुत आवश्यकता है और अपने आपको शारीरिक तौर पर स्वस्थ रखने की भी बहुत ज्यादा जरूरत है। 

जो बच्चे जन्म के समय स्वस्थ पैदा होते हैं आगे चलकर उनका स्वास्थ्य भी बहुत बेहतर होता है।  लेकिन  जो बच्चे जन्म के वक्त  कमजोर होते हैं आगे की जिंदगी में भी वे शारीरिक रूप से कमजोर पाए गए हैं।  इसीलिए जब  एक स्त्री गर्भवती होती है यह जरूरी है कि वह अपने पोषण पर बहुत ज्यादा ध्यान दें।  हर प्रकार के पौष्टिक आहार को ग्रहण करें ताकि गर्भ में पलने वाला शिशु शारीरिक और मानसिक रूप से तंदुरुस्त रहे। 

जिन गर्भवती महिलाओं को गर्भ काल के दौरान उचित पोषण नहीं मिलता है (malnourished during their pregnancy) उन्हें शिशु के जन्म के दौरान  प्रसव से संबंधित कई प्रकार की जटिलताओं का सामना करना पड़ता (experience complications giving birth)। 

अत्यधिक कुपोषण से प्रभावित माताएं अपने नवजात शिशु को ठीक तरह से स्तनपान कराने में भी असमर्थ रहती हैं। यह तो आप जानते ही हैं कि शिशु के प्रथम 6 महीने उसके स्वास्थ्य के लिए कितने आवश्यक है। प्रथम छेह महीने में अगर शिशु को  उचित पोषण नहीं मिला तो उसके आगे की जिंदगी भी प्रभावित होगी। 

परिवार की आर्थिक परिस्थिति

परिवार की आर्थिक परिस्थिति

अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा हुए शोध से यह पता चला है गरीबी भी बच्चों में कुपोषण की एक मुख्य वजह है।  जो परिवार गरीबी में होते हैं वह अपने बच्चों के लिए ताजे फल और सब्जियां नहीं खरीद पाते हैं।  भारत में ऐसे बहुत सारे झुग्गी झोपड़ी और बस्तियां हैं जहां पर लोगों को ताजे फल सब्जियां और पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है।  

जाहिर है कि यहां  पलने वाले बच्चों मैं  कुपोषण की संभावना सबसे ज्यादा रहेगी। जब मां-बाप के आहार खरीदने की क्षमता कम होगी तो वे अपने घर परिवार के लिए सस्ते आहार खरीदेंगे जो पोषण की गुणवत्ता में भी कम होंगे। इसीलिए  अगर स्वस्थ भारत का निर्माण करना है तो सबसे पहले लोगों के आर्थिक उत्थान पर ध्यान देना पड़ेगा। 

भारत में कुपोषण कम करने का तरीका

आपको सुनकर शायद अफसोस लगेगा कि भारत की गिनती अफ्रीकी देश जैसे कि  सूडान, सोमालिया और इथोपिया के साथ की जाती है।

भारत में कुपोषण कम करने का तरीका

 ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट (global nutrition reports) के अनुसार भारत अत्यधिक संख्या में कुपोषण से प्रभावित बच्चों का गढ़ है।  इसके अनुसार 5 साल से कम उम्र के 44% बच्चे अपनी औसत वजन से कम हैं  और करीब 72 प्रतिशत  बच्चों में एनीमिया यानी खून की कमी है।  रिपोर्ट के अनुसार शिशु की वह उम्र जिसमें उसके शरीर का और मस्तिष्क का विकास बहुत तेजी से होता है (critical periods of childhood),  उस दौरान शिशु सबसे ज्यादा कुपोषण का शिकार होता है। 

कुपोषण शिशु की मानसिक क्षमता को कम करता है,  उनके अंदर सीखने से संबंधित योग्यता को प्रभावित करता है और साथ ही उनमें दूसरी बीमारियों को भी जन्म देता है जैसे कि हाइपरटेंशन और डायबिटीज (hypertension and diabetes)। कुपोषण शिशु की लंबाई को भी कम करता है -  यानी कुपोषण से प्रभावित बच्चे अपनी पूरी लंबाई प्राप्त नहीं कर पाते हैं। 

भारत में कुपोषण को इन 4 तरीकों से कम किया जा सकता है

भारत में कुपोषण को इन 4 तरीकों से कम किया जा सकता है

  • कुपोषण से संबंधित जानकारी प्रदान करके: भारत में कुपोषण को रोकने का सबसे बेहतरीन तरीका यह है कि मां बाप को कुपोषण से संबंधित सभी जानकारी प्रदान की जाए।  इससे वह अपने शिशु को वह आहार दे जो उसकी शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जीवन के प्रारंभिक दौर में बहुत आवश्यक है।  जिन घरों की आर्थिक स्थिति बहुत सुदृढ़ नहीं है वहां पर मां बाप को इस बात की शिक्षा दी जाए की  वे अपने थोड़ी से बजट (limited resource) को सोच समझ के किस तरह से सही  आहार पर खर्च करें।  उन्हें कई प्रकार के आहार को खाने के महत्व को समझाना पड़ेगा।
  • बच्चों के मिड डे मील (mid-day meals) को बेहतर बना कर के - भारत में Rs 13,000  करोड़ों रुपए Mid-Day Meal Scheme पर खर्च होते हैं ताकि हर दिन कक्षा एक से कक्षा 8 तक सभी सरकारी और सरकारी-सहायता प्राप्त स्कूल में 10 करोड़ बच्चों को  पौष्टिक आहार प्रदान किया जा सके। 
  • इस क्षेत्र में काम कर रहे NGO को आर्थिक सहायता प्रदान कर आप भी भारत को कुपोषण मुक्त बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं।
  • सामाजिक कार्यों में योगदान करके भी आप सही दिशा में अपना सहयोग दे सकते हैं। 
Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्‍तविकता सुनिश्‍चित करने का हर सम्‍भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्‍सक से अवश्‍य संपर्क करें। आपका चिकित्‍सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्‍प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।

सब्जियों-की-प्यूरी
सेब-बेबी-फ़ूड
बच्चों-के-लिए-खीर
सेब-पुडिंग
baby-food
बच्चों-में-भूख-बढ़ने
बच्चों-का-डाइट-प्लान
फूड-प्वाइजनिंग
अपने-बच्चे-को-कैसे-बुद्धिमान-बनायें
बच्चे-की-भूख-बढ़ाने-के-घरेलू-नुस्खे
एक-साल-तक-के-शिशु-को-क्या-खिलाए
रोते-बच्चों-को-शांत-करने-के-उपाए
शिशु-को-सुलाने-
दूध-पिने-के-बाद-बच्चा-उलटी-कर-देता-है----क्या-करें
गर्मियों-में-अपने-शिशु-को-ठंडा-व-आरामदायक-कैसे-रखें
सूजी-का-खीर
नाख़ून-कुतरने
सतरंगी-सब्जियों-के-गुण
गर्मियों-में-नवजात
दिमागी-बुखार---जापानीज-इन्सेफेलाइटिस
BCG-वैक्सीन
पोलियो-वैक्सीन
हेमोफिलस-इन्फ्लुएंजा-बी-(HIB)-
रोटावायरस
न्यूमोकोकल-कन्जुगेटेड-वैक्सीन
इन्फ्लुएंजा-वैक्सीन
खसरे-का-टीका-(वैक्सीन)
हेपेटाइटिस-A-वैक्सीन
एम-एम-आर
मेनिंगोकोकल-वैक्सीन

Most Read

गर्भ-में-लड़का-होने-के-लक्षण-इन-हिंदी
बच्चे-का-वजन
टीकाकरण-चार्ट-2018
शिशु-का-वजन-बढ़ाएं
बच्चों-में-यूरिन
बच्चों-को-गोरा-करने-का-तरीका-
कई-दिनों-से-जुकाम
खांसी-की-अचूक-दवा
बंद-नाक
balgam-wali-khansi-ka-desi-ilaj
sardi-jukam
सर्दी-जुकाम-की-दवा
बच्चे-की-भूख-बढ़ाने-के-घरेलू-नुस्खे

Other Articles

नवजात शिशु को ठीक से पॉटी नहीं हो रही क्या करें?
नवजात-शिशु-को-ठीक-से-पॉटी-नहीं-हो-रही-क्या-करें मां के दूध पर निर्भर रहना और फाइबर का कम सेवन करने के कारण अक्सर बच्चे को कब्ज की समस्या बनी रहती है। ठोस आहार देने के बावजूद बच्चे को सामान्य होने में समय लगता है। इन दिनों उसे मल त्यागने में काफी दिक्कत हो सकती है।
Read More...

मिसकैरेज क्यों होता है? लक्षण, कारण और बचाव
मिसकैरेज---लक्षण,-कारण-और-बचाव मुख्यता दस कारणों से मिसकैरेज (गर्भपात) होता है। अगर इनसे बच गए तो मिसकैरेज नहीं होगा। जाने की मिसकैरेज से बचाव के लिए आप को क्या करना और क्या खाना चाहिए। यह भी जाने की मिसकैरेज के बाद फिर से सुरक्षित गर्भधारण करने के लिए आप को क्या करना चाहिए और मिसकैरेज के बाद गर्भधारण कितना सुरक्षित है?
Read More...

सिजेरियन डिलीवरी के बाद माँ को क्या खाना चाहिए (Diet After Pregnancy)
डिलीवरी-के-बाद-आहार बच्चे के जन्म के बाद माँ को ऐसे आहार खाने चाहिए जो माँ को शारीरिक शक्ति प्रदान करे, स्तनपान के लिए आवश्यक मात्र में दूध का उत्पादन में सहायता। लेकिन आहार ऐसे भी ना हो जो माँ के वजन को बढ़ाये बल्कि गर्भावस्था के कारण बढे हुए वजन को कम करे और सिजेरियन ऑपरेशन की वजह से लटके हुए पेट को घटाए। तो क्या होना चाहिए आप के Diet After Pregnancy!
Read More...

डिलीवरी के बाद पेट कम करने का घरेलु नुस्खा
डिलीवरी-के-बाद-पेट-कम डिलीवरी के बाद लटके हुए पेट को कम करने का सही तरीका जानिए। क्यूंकि आप को बच्चे को स्तनपान करना है, इसीलिए ना तो आप अपने आहार में कटौती कर सकती हैं और ना ही उपवास रख सकती हैं। आप exercise भी नहीं कर सकती हैं क्यूंकि इससे आप के ऑपरेशन के टांकों के खुलने का डर है। तो फिर किस तरह से आप अपने बढे हुए पेट को प्रेगनेंसी के बाद कम कर सकती हैं? यही हम आप को बताएँगे इस लेख मैं।
Read More...

प्रेग्‍नेंसी में खतरनाक है यूटीआई होना - लक्षण, बचाव और इलाज
यूटीआई-UTI-Infection यूटीआई संक्रमण के लक्षण, यूटीआई संक्रमण से बचाव, इलाज। गर्भावस्था के दौरान क्या सावधानियां बरतें। यूटीआई संक्रमण क्या है? यूटीआई का होने वाले बच्चे पे असर। यूटीआई संक्रमण की मुख्या वजह।
Read More...

3 TIPS बच्चों को जिद्दी बन्ने से रोकने के लिए
जिद्दी-बच्चे हर माँ-बाप को कभी-ना-कभी अपने बच्चों के जिद्दी स्वाभाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अधिकांश माँ-बाप जुन्झुला जाते है और गुस्से में आकर अपने बच्चों को डांटे देते हैं या फिर मार भी देते हैं। लेकिन इससे स्थितियां केवल बिगडती ही हैं। तीन आसान टिप्स का अगर आप पालन करें तो आप अपने बच्चे को जिद्दी स्वाभाव का बन्ने से रोक सकती हैं।
Read More...

बच्चे के बुखार, सर्दी, खांसी की अचूक दवा - Guide
खांसी-की-अचूक-दवा बच्चों को सर्दी और जुकाम मैं बुखार होना आम बात है। ऐसा बच्चों में हरारत (exertion) के कारण हो जाता है। कुछ साधारण से घरेलु उपचार के दुवारा आप बच्च्चों में सर्दी और जुकाम के कारण हुए बुखार का इलाज घर पे ही कर सकती हैं। (bukhar ki dawa, खांसी की अचूक दवा)
Read More...

कॉलरा का टीका - Schedule और Side Effects
कॉलरा कॉलरा वैक्सीन (Cholera Vaccine in Hindi) - हिंदी, - कॉलरा का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
Read More...

मुँह में दिया जाने वाला पोलियो वैक्सीन (OPV) - Schedule और Side Effects
OPV पोलियो वैक्सीन OPV (Polio Vaccine in Hindi) - हिंदी, - पोलियो का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
Read More...

माँ का पहला गहड़ा दूध (कोलोस्ट्रम) किस प्रकार शिशु की मदद करता है?
कोलोस्‍ट्रम कोलोस्ट्रम माँ का वह पहला दूध है जो रोगप्रतिकारकों से भरपूर है। इसमें प्रोटीन की मात्रा भी अधिक होती है जो नवजात शिशु के मांसपेशियोँ को बनाने में मदद करती है और नवजात की रोग प्रतिरक्षण शक्ति विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
Read More...

टॉप स्कूल जहाँ पढते हैं फ़िल्मी सितारों के बच्चे
film-star-school अगर आप यह जानना चाहते हैं की आप के चहेते फ़िल्मी सितारों के बच्चे कौन से स्कूल में पढते हैं - तो चलिए हम आप को इसकी एक झलक दिखलाते हैं| हम आप को बताएँगे की शाह रुख खान और अक्षय कुमार से लेकर अजय देवगन तक के बच्चे कौन कौन से स्कूल से पढें|
Read More...

Easy Tips - बच्चों को बोर्ड एग्जैम की तैयारी करवाने के लिए
board-exam 10वीं में या 12वीं की बोर्ड परीक्षा में ज्यादा अंक लाना उतना मुश्किल भी नहीं अगर बच्चा सही और नियमित ढंग से अपनी तयारी (पढ़ाई) करे। शुरू से ही अगर बच्चा अपनी तयारी प्रारम्भ कर दे तो बोर्ड एग्जाम को लेकर उतनी चिंता और तनाव का माहौल नहीं रहेगा।
Read More...

6 TIPS: बच्चे के लिए बेस्ट स्कूल इस तरह चुने
best-school-2018 अगर आप अपने बच्चे के लिए best school की तलाश कर रहें हैं तो आप को इन छह बिन्दुओं का धयान रखना है| 2018, अप्रैल महीने में जब बच्चे अपना एग्जाम दे कर फ्री होते हैं तो एक आम माँ-बाप की चिंता शुरू होती है की ऐसे स्कूल की तलाश करें जो हर मायने में उनके बच्चे के लिए उपयुक्त हो और उनके बच्चे के सुन्दर भविष्य को सवारने में सक्षम हो और जो आपके बजट के अंदर भी हो| Best school in India 2018.
Read More...

8 माह के बच्चे का baby food chart और Indian Baby Food Recipe
8-month-baby-food आठ महीने की उम्र तक कुछ बच्चे दिन में दो बार तो कुछ बच्चे दिन में तीन बार आहार ग्रहण करने लगते हैं। अगर आप का बच्चा दिन में तीन बार आहार ग्रहण नहीं करना चाहता तो जबरदस्ती ना करें। जब तक की बच्चा एक साल का नहीं हो जाता उसका मुख्या आहार माँ का दूध यानि स्तनपान ही होना चाहिए। संतुलित आहार चार्ट
Read More...

कागज से बनायें जादूगर
कागज-से-बनायें-जादूगर अनुपयोगी वस्तुओं से हेण्डी क्राफ्ट बनाना एक रीसाइक्लिंग प्रोसेस है। जिसमें बच्चे अनुपयोगी वास्तु को एक नया रूप देना सीखते हैं और वायु प्रदुषण और जल प्रदुषण जैसे गंभीर समस्याओं से लड़ने के लिए सोच विकसित करते हैं।
Read More...

पोलियो वैक्सीन - IPV1, IPV2, IPV3 - प्रभाव और टीकाकरण
पोलियो-वैक्सीन पोलियो वैक्सीन - IPV1, IPV2, IPV3 वैक्सीन (Polio vaccine IPV in Hindi) - हिंदी, - पोलियो का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
Read More...

दूध पिने के बाद बच्चा उलटी कर देता है - क्या करें
दूध-पिने-के-बाद-बच्चा-उलटी-कर-देता-है----क्या-करें अगर आप का शिशु बहुत ज्यादा उलटी करता है, तो आप का चिंता करना स्वाभाविक है। बच्चे के पहले साल में दूध पिने के बाद या स्तनपान के बाद उलटी करना कितना स्वाभाविक है, इसके बारे में हम आप को इस लेख में बताएँगे। हर माँ बाप जिनका छोटा बच्चा बहुत उलटी करता है यह जानने की कोशिश करते हैं की क्या उनके बच्चे के उलटी करने के पीछे कोई समस्या तो नहीं। इसी विषेय पे हम विस्तार से चर्चा करते हैं।
Read More...

घर का बना सेरेलक बच्चों के लिए - Home Made Cerelac
सेरेलक कैसे बनाये अपने नन्हे शिशु के लिए घर में ही rice cerelac (Homemade cerelac)। घर का बना सेरेलेक (Home Made Cerelac for Babies) के हैं ढेरों फायेदे। बाजार निर्मित सेरेलक के साइड इफेक्ट हैं बहुत जिनके बारे में आप पढेंगे इस लेख मैं।
Read More...

बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना कैसे रोकें (bed wetting)
बिस्तर-पर-पेशाब-करना अगर 6 वर्ष से बड़ा बच्चा बिस्तर गिला करे तो यह एक गंभीर बीमारी भी हो सकती है। ऐसी स्थिति मैं आपको डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए। समय पर डॉक्टरी सलाह ना ली गयी तो बीमारी बढ़ भी सकती है।
Read More...

बच्चों में स्किन रैश शीतपित्त, पित्ती (Urticaria)
बच्चों-में-स्किन-रैश-शीतपित्त जानिये स्किन रैशेस से छुटकारे के घरेलू उपाय। बच्चों में स्किन रैश शीतपित्त आम तौर पर पाचन तंत्र की गड़बड़ी और खून में गर्मी बढ़ जाने के कारण होता है। तेल, मिर्च, बाजार में बिकने वाले फ़ास्ट फ़ूड, व चाइनीज़ खाना खाने से बच्चों में इस रोग के होने का खतरा रहता है। वातावरण में उपस्थित कई तरह के एलर्जी कारक भी इसके कारण होते हैं
Read More...

Copyright: Kidhealthcenter.com