Category: बच्चों का पोषण
By: Vandana Srivastava | ☺29 min read
लाल रक्त पुरे शरीर में ऑक्सीजन पहुचाने में मदद करता है। लाल रक्त कोशिकायों के हीमोग्लोबिन में आयरन होता है। हीमोग्लोबिन ही पुरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचता है। बिना पर्याप्त आयरन के आपके शरीर में लाल रक्त की कमी हो जाएगी। बहुत से ऐसे भोजन हैं जिससे आयरन के कमी को पूरा किया जा सकता है।

अपने बच्चे को पोषण और विकास की गति देने के लिए हम पूरी कोशिश करते हैं। माँ के दूध के पश्चात हमारे मन में बार-बार यह प्रश्न उठता है कि कौन से खाद्य पदार्थ बच्चे के लिए उपयोगी होगा।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और स्वसस्थ रहने के लिए शरीर को आयरन की जरूरत पड़ती है। इसलिए अपने बच्चे के आहार में आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों को शमिल करना चाहिए।
आइए आयरन से भरपूर कुछ खाद्य पदार्थों के बारे में जानें।
मगर सबसे पहले एक महत्वपूर्ण बात जो बहुत जरुरी है। वो यह की अगर हमारा शरीर आयरन को ग्रहण ही न करे तो?
उदहारण के तौर पे दूध को ले लीजिये। दूध में सबसे ज्यादा कैल्शियम और आयरन होता है। क्या आप को पता है की दूध में जो आयरन और कैल्शियम होता है वो पूरा का पूरा शरीर को मिल नहीं पाता है। यह अफ़सोस की बात है।
मगर एक अच्छी बात यह भी है की कुछ भोजन ऐसे हैं जो हमारे शरीर के कैल्शियम और आयरन को ग्रहण करने की छमता को बहुत ज्यादा बढ़ा देते हैं जिसकी वजह से हमारा शरीर पूरा का पूरा कैल्शियम और आयरन भोजन से ग्रहण कर पता है।
उदहारण के तौर पे विटामिन स (Vitamin C) आप के शरीर की कैल्शियम और आयरन को ग्रहण करने की छमता को काफी बढ़ा देता है। तो जब आप आयरन से भरपूर भोजन कर रहे हों तो ऐसे भोजन को भी शामिल कर लीजिये जिनमें विटामिन स हो। ये आप के आयरन-रिच फ़ूड को बेकार नहीं जाने देंगे और आप के शरीर को मदद करेंगे की वो पूरा आयरन अब्सॉर्ब कर पाए।

चुकंदर को हमेशा से रक्त बढ़ाने के अपने विशेष गुण के लिए जाना जाता है। चुकंदर को चुकंदर सूप या चुकंदर राइस के रूप में प्रदान किया जा सकता है।

अपने बच्चे को आयरन देने के लिए जई एक उत्तम स्त्रोत है जिसे हलवे, खीर आदि के रूप में दिया जा सकता है।
आयरन से भरपूर कुछ भारतीय भोजन निम्नलिखित हैं: थेपला, बेसन के लड्डू, मूंगफली के लड्डू, चुकंदर-गाजर टमाटर सूप, मल्टीग्रेन और सब्जियों का परांठा, और पके हुए अंकुरित दाल।

अपने बच्चे के हलवे या खीर में चीनी के स्थान पर गुड़ का प्रयोग करें और इस प्रकार आयरन का प्राकृतिक स्त्रोत आपके बच्चे के आहार में शामिल हो जाता है।

मुट्ठी भर मिश्रित मेवे (बादाम, किशमिश, खजूर, अंजीर, अखरोट आदि) बच्चे के लिए पर्याप्त मात्रा में आयरन प्रदान कर सकते हैं। आप इसे बच्चों के दूध में मिलाने के लिए पाउडर के रूप में भी प्रयोग कर सकती हैं।

इसे रोटी या लड्डू के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

सब्जियों या भुजिया या सूप के रूप में सैजन की पत्तियां आयरन का बेहतरीन स्त्रोत होती हैं। आप सैजन की पत्तियों के सूप की रेसिपी पढ़ सकती हैं।

इसे चटनी के रूप में दिया जा सकता है और चिकन, मछली, सब्जियों आदि के लिए ग्रेवी में भी प्रयोग किया जा सकता है।

इसे सब्जियों, मैश आदि के रूप में दिया जा सकता है।

मछली आयरन का बहुत अच्छा स्त्रोत होती है जिसे आवश्यकतानुसार भाप से पकाकर, तलकर या करी के रूप में दिया जा सकता है।

बच्चों को मुर्गे की कलेजी पकाकर दी जा सकती है। यह आयरन से भरपूर होता है और हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में सहायता करता है। आप मसाले की मात्रा कम करने के लिए मिर्च के स्थान पर कालीमिर्च पाउडर का प्रयोग कर सकती हैं।

अंडा बच्चों को दैनिक रूप से आयरन देने का एक आसान तरीका है। अंडे के दोनों भाग यानि पीला और सफेद में प्रोटीन, वसा, कई तरह के विटामिन, मिनरल्स, आयरन और कैल्शियम जैसे गुणकारी तत्वों की भरपूर मात्रा होती है। बहुत कम खाद्य पदार्थों में पाया जाने वाला विटामिन डी भी अंडे में पाया जाता है और यह आयरन से भी भरपूर होता है।
roxpoxdox

मसूर दाल, मटर दाल, चना दाल जैसे कोई भी दाल आयरन से भरपूर होते हैं।

मूली के पत्तों को फेंकना नहीं चाहिए, इसकी सब्जियां बहुत स्वादिष्ट होती हैं। यह आयरन प्राप्त करने का एक अच्छा तरीका है।

सरसों की पत्तियां सरसों के साग के लिए प्रसिद्ध हैं जो आयरन से भरपूर होता है। इसे सूप के रूप में भी दिया जा सकता है।

पुदीने का प्रयोग चटनी बनाने के लिए किया जा सकता है और इसे रोटी, सैंडविच आदि के साथ भी दिया जा सकता है।

टमाटर के साथ ब्रॉकली मिलाने पर ब्रॉकली में मौजूद आयरन निकलने में सहायता प्राप्त होती है। आप ब्रॉकली-टमाटर सूप, ब्रॉकली चीज़ मैश आदि के रूप में भी ब्रॉकली दे सकती हैं।
यदि आपका बच्चा फिंगर फूड में रूचि रखता है तो ब्रॉकली को भूनकर देना भी एक उपयुक्त विकल्प है।

पालक में आयरन काफी अधिक मात्रा में होता है। हीमोग्लोबिन की कमी होने पर पालक का सेवन करने से शरीर में इसकी कमी पूरी होती है। इसके अलावा पालक में कैल्शियम, सोडियम, क्लोरीन, फास्फोरस, खनिज लवण और प्रोटीन जैसे तत्व आदि मुख्य हैं।

अनार ब्लड में आयरन की कमी को दूर करता है और एनीमिया जैसी बीमारियों से छुटकारा दिलाता है। इसके अलावा प्रतिदिन अनार का जूस पीने से शरीर में रक्त का संचालन अच्छी तरह से होता है।

आयरन न केवल हड्डियों को मजबूती देता है बल्कि शरीर को ऑक्सीजन भी प्रदान करता है। आयरन की कमी एनीमिया को दावत देती है। इसको दूर करने के लिए रेड मीट का सेवन करना चाहिए। रेड मीट में विटामिन-ए और डी, जिंक, आयरन तथा पोटैशियम से भरपूर मात्रा में होता है जो याददाशत दुरूस्त रखने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर होता है।

अमरूद जितना ज्यादा पका हुआ होगा, उतना ही पौष्टिक होगा और आयरन से भरपूर होगा। पके हुए अमरूद को खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होती।

यह आयरन का बहुत अच्छा स्त्रोत है जो आसानी से उपलब्ध होता है।

शाम को स्नैक्स के रूप में भुना चना बच्चों और शिशुओं के लिए आवश्यक आयरन के सेवन का बेहतरीन विकल्प है।
puddingपोहा आपके बच्चे के आहार में आयरन की आवश्यक मात्रा प्रदान कर सकता है।
लोबिया/लोबिया के पत्तों को सब्जी/भुजिया के रूप में पकाया जा सकता है जो आयरन का बढ़िया स्त्रोत है।

मेथी आयरन से भरपूर होता है और इसे मेथी के परांठे, मेथी के दाल के रूप में दिया जा सकता है।
ऊपर दिए गए आहार आयरन से भरपूर हैं, जिन्हें ६ महीने से अधिक उम्र के बच्चों के खानपान में शामिल किया जा सकता है, ताकि आपका बच्चा स्वस्थ रहे।
बच्चों के दांत निकलते समय दर्द और बेचैनी होती है।इसे घरेलु तरीके से आसानी ठीक किया जा सकता है। घरेलु उपचार के साथ-साथ आप को कुछ और बैटन का भी ध्यान रखने की आवश्यकता है ताकि बच्चे की को कम से कम किया जा सके। Baby teething problems in Hindi - Baby teeth problem solution
विज्ञान और तकनिकी विकास के साथ साथ बच्चों के थेड़े-मेढे दातों (crooked teeth) को ठीक करना अब बिना तार के संभव हो गया है। मुस्कुराहट चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाता है। लेकिन अगर दांत थेड़े-मेढे (crooked teeth) तो चेहरे की खूबसूरती को कम कर देते हैं। केवल इतना ही नहीं, थेड़े-मेढे दातों (crooked teeth) आपके बच्चे के आत्मविश्वास को भी कम करते हैं। इसीलिए यह जरूरी है कि अगर आपके बच्चे के दांत थेड़े-मेढे (crooked teeth) हो तो उनका समय पर उपचार किया जाए ताकि आपके शिशु में आत्मविश्वास की कमी ना हो। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह आप अपने बच्चे के थेड़े-मेढे दातों (crooked teeth) को बिना तार या ब्रेसेस के मदद के ठीक कर सकते हैं।
बढ़ते बच्चों के लिए विटामिन और मिनिरल आवश्यक तत्त्व है। इसके आभाव में शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास बाधित होता है। अगर आप अपने बच्चों के खान-पान में कुछ आहारों का ध्यान रखें तो आप अपने बच्चों के शारीर में विटामिन और मिनिरल की कमी होने से बचा सकती हैं।
शिशु का वजन जन्म के 48 घंटों के भीतर 8 से 10 प्रतिशत तक घटता है। यह एक नार्मल से बात है और सभी नवजात शिशु के साथ होता है। जन्म के समय शिशु के शरीर में अतिरिक्त द्रव (extra fluid) होता है - जो शिशु के जन्म के कुछ दिनों के अंदर तेज़ी से बहार आता है और शिशु का वजन कम हो जाता है। लेकिन कुछ ही दिनों के अंदर फिर से शिशु का वजन अपने जन्म के वजन के बराबर हो जायेगा और फिर बढ़ता ही जायेगा।
ठण्ड के दिनों में बच्चों को बहुत आसानी से जुकाम लग जाता है। जुकाम के घरेलू उपाय से आप अपने बच्चे के jukam ka ilaj आसानी से ठीक कर सकती हैं। इसके लिए jukam ki dawa की भी जरुरत नहीं है। बच्चों के शारीर में रोग प्रतिरोधक छमता इतनी मजबूत नहीं होती है की जुकाम के संक्रमण से अपना बचाव (khud zukam ka ilaj) कर सके - लेकिन इसके लिए डोक्टर के पास जाने की आवशकता नहीं है। (zukam in english, jukam in english)
शिशु को 14 सप्ताह की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को पोलियो, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी, रोटावायरस, डिफ्थीरिया, कालीखांसी और टिटनस (Tetanus) से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
शिशु के कान में मेल का जमना आम बात है। मगर कान साफ़ करते वक्त अगर कुछ महत्वपूर्ण सावधानी नहीं बरती गयी तो इससे शिशु के कान में इन्फेक्शन हो सकता है या उसके कान के अन्दर की त्वचा पे खरोंच भी लग सकता है। जाने शिशु के कान को साफ़ करने का सही तरीका।
अब तक ३०० बच्चों की जन ले चूका है हत्यारा ब्लू-व्हेल गेम। अगर आप ने सावधानी नहीं बाराती तो आप का भी बच्चा हो सकता है शिकार। ब्लू-व्हेल गेम खलता है बच्चों के मानसिकता से। बच्चों का दिमाग बड़ों की तरह परिपक्व नहीं होता है। इसीलिए बच्चों को ब्लू-व्हेल गेम से सुरक्षित रखने के लिए माँ-बाप की समझदारी और सूझ-बूझ की भी आवश्यकता पड़ेगी।
मखाने के फ़ायदे अनेक हैं। मखाना दुसरी ड्राई फ्रूट्स की तुलना में ज्यादा पौष्टिक है और सेहत के लिए ज्यादा फायेदेमंद भी। छोटे बच्चों को मखाना खिलने के कई फायेदे हैं।
सरसों का तेल लगभग सभी भारतीय घरों में पाया जाता है क्योंकि इसके फायदे हैं कई। कोई इसे खाना बनाने के लिए इस्तेमाल करता है तो कोई इसे शरीर की मालिश करने के लिए इस्तेमाल करता है। लेकिन यह तेल सभी घरों में लगभग हर दिन इस्तेमाल होने वाला एक विशेष सामग्री है।
ठण्ड के दिनों में बच्चों का अगर उचित ख्याल न रखा जाये तो वे तुरंत बीमार पड़ सकते हैं। कुछ विशेष स्वधानियाँ अगर आप बरतें तो आप का शिशु ठण्ड के दिनों में स्वस्थ और सुरक्षित रह सकता है। जानिए इस लेख में ठंड में बच्चों को गर्म रखने के उपाय।
Ambroxol Hydrochloride - सर्दी में शिशु को दिया जाने वाला एक आम दावा है। मगर इस दावा के कुछ घम्भीर (side effects) भी हैं। जानिए की कब Ambroxol Hydrochloride को देना हो सकता है खतरनाक।
दिन भर की व्यस्त जिंदगी में अगर आप को इतना समय नहीं मिलता की बच्चे के साथ कुछ समय बिता सकें तो रात को सोते समय आप बच्चे को अपना समय दे सकती हैं| बच्चों को रात में सोते वक्त कहानी सुनाने से बच्चे के बौद्धिक विकास को गति मिलती है और माँ और बच्चे में एक अच्छी bonding बनती है|
बच्चों के साथ यात्रा करते वक्त बहुत सी बातों का ख्याल रखना जरुरी है ताकि बच्चे पुरे सफ़र दौरान स्वस्थ रहें - सुरक्षित रहें| इन आवश्यक टिप्स का अगर आप पालन करेंगे तो आप भी बहुत से मुश्किलों से अपने आप को सुरक्षित पाएंगे|
शिशु के जन्म के पहले वर्ष में पारिवारिक परिवेश बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बच्चे के पहले साल में ही घर के माहौल से इस बात का निर्धारण हो जाता है की बच्चा किस तरह भावनात्मक रूप से विकसित होगा। शिशु के सकारात्मक मानसिक विकास में पारिवारिक माहौल का महत्वपूर्ण योगदान है।
केला पौष्टिक तत्वों का बेहतरीन स्रोत है। ये उन फलों में से एक हैं जिन्हे आप अपने बच्चे को पहले आहार के रूप में भी दे सकती हैं। इसमें लग-भग वो सारे पौष्टिक तत्त्व मौजूद हैं जो एक व्यक्ति के survival के लिए जरुरी है। केले का प्यूरी बनाने की विधि - शिशु आहार (Indian baby food)
रागी का हलुवा, 6 से 12 महीने के बच्चों के लिए बहुत ही पौष्टिक baby food है। 6 से 12 महीने के दौरान बच्चों मे बहुत तीव्र गति से हाड़ियाँ और मासपेशियां विकसित होती हैं और इसलिए शरीर को इस अवस्था मे calcium और protein की अवश्यकता पड़ती है। रागी मे कैल्शियम और प्रोटीन दोनों ही बहुत प्रचुर मात्रा मैं पाया जाता है।
चूँकि इस उम्र मे बच्चे अपने आप को पलटना सीख लेते हैं और ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं, आप को इनका ज्यादा ख्याल रखना पड़ेगा ताकि ये कहीं अपने आप को चोट न लगा लें या बिस्तर से निचे न गिर जाएँ।
छोटे बच्चों के लिए शहद के कई गुण हैं। शहद बच्चों को लम्बे समय तक ऊर्जा प्रदान करता है। शदह मैं पाए जाने वाले विटामिन और मिनिरल जखम को जल्द भरने में मदद करते है, लिवर की रक्षा करते हैं और सर्दियों से बचते हैं।
बच्चों में होने वाली कुछ खास बिमारियों में से सीलिएक रोग (Celiac Disease ) एक ऐसी बीमारी है जिसे सीलिएक स्प्रू या ग्लूटन-संवेदी आंतरोग (gluten sensitivity in the small intestine disease) भी कहते हैं। ग्लूटन युक्त भोजन लेने के परिणामस्वरूप छोटी आंत की परतों को यह क्षतिग्रस्त (damages the small intestine layer) कर देता है, जो अवशोषण में कमी उत्पन्न करता (inhibits food absorbtion in small intestine) है। ग्लूटन एक प्रोटीन है जो गेहूं, जौ, राई और ओट्स में पाया जाता है। यह एक प्रकार का आटो इम्यून बीमारी (autoimmune diseases where your immune system attacks healthy cells in your body by mistake) है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने ही एक प्रोटीन के खिलाफ एंटी बाडीज (antibody) बनाना शुरू कर देती है।