Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
प्राथमिक उपचार के द्वारा बहते रक्त को रोका जा सकता है| खून का तेज़ बहाव एक गंभीर समस्या है। अगर इसे समय पर नहीं रोका गया तो ये आप के बच्चे को जिंदगी भर के लिए नुकसान पहुंचा सकता है जिसे शौक (shock) कहा जाता है। अगर चोट बड़ा हो तो डॉक्टर स्टीच का भी सहारा ले सकता है खून के प्रवाह को रोकने के लिए।

बच्चे चंचल होते हैं। इसी वजह से कई बार खेलते वक्त उन्हें चोट लग जाती है। बच्चों को चोट लगना आम बात है, मगर कभी कभार बच्चों को गंभीर चोट लग जाती है
खून का तेज़ बहाव एक गंभीर समस्या है। अगर इसे समय पर नहीं रोका गया तो ये आप के बच्चे को जिंदगी भर के लिए नुकसान पहुंचा सकता है जिसे शौक (shock) कहा जाता है। If profuse bleeding is not stopped timely, it can cause life-threatening condition called shock. अगर चोट बड़ा हो तो डॉक्टर स्टीच का भी सहारा ले सकता है खून के प्रवाह को रोकने के लिए।
अगर बच्चों की नाक से खून बिना वजह बह रहा हो तो पढ़िए बच्चों के नाक से खून बहने का घरेलु इलाज (नकसीर फूटना)।
अगर बच्चे को ऐसी चोट लगी हो जिसकी वजह से उसका खून नहीं रुक रहा है तो आप को प्राथमिक उपचार करना पड़ेगा। प्राथमिक उपचार द्वारा बहते खून को रोकना बेहद जरुरी है। खून अगर नहीं रोका गया तो डॉक्टर के पास पहुँचते पहुँचते या फिर मेडिकल हेल्प मिलते मिलते बहुत देर हो सकती है।
खून जीवन है। और अगर खून नहीं रुक रहा तो ये जानलेवा भी हो सकती है। एक एक मिनट कीमती है। समय पर किया गया प्राथमिक उपचार जीवन बचा सकता है।
बच्चे के शरीर पे चोट वाली जगह पर कस कर दबाएं ताकि रक्त का बहना रुक जाये। साफ रुमाल या पट्टी को उस जगह पर कस कर दबाएं और बांध दें। अगर खून हांत से निकल रहा हो तो हांत को इतना ऊंचा करें की वो ह्रदय से ऊपर हो जाये। ऐसे करने पर खून का दबाव कम हो जायेगा और बहते हुए खून को रोकना आसान हो जायेगा।

बच्चे को सहारा देकर लिटा दें। आराम देने के लिए सर के निचे पतला तकिये लगा सकते हैं। चोट वाले हिस्से को ह्रदय के स्तर से ऊपर रखें। चोट वाली जगह जहाँ से रक्त निकल रहा है कस कर दबाएं रखें। करीब 10 मिनट तक दबाएं रखें। Keep the wound part raised above the level of heart.

चोट वाले हिस्से को ह्रदय के स्तर से ऊपर बनाये रखें। बैंडेज या जो पट्टी बंधी गयी है उसे जीवाणुरहित (sterile) कपडे में लपेट दें ताकि चोट वाली जगह पर संक्रमण ना लगे। बैंडेज या पट्टी पूरी तरह ढक जाये। बैंडेज या पट्टी इतनी टाइट बंधी हो की चोट वाली जगह पर इतना दबाव हो की खून का बहना रुक जाये मगर ध्यान रहे की खून का प्रवाह ना रुक जाये। Be careful that bandage or pad is not secured so tightly that it cuts off the blood supply to the area beyond injury.

अगर इतना सबकुछ करने के बावजूद भी खून का बहना ना रुके तो बच्चे के पैरों के निचे कई तकिये रख दे ताकि पैरों का स्तर ह्रदय से ऊपर हो जाये। सर के निचे से तकिये को हटा दें। बच्चे के शरीर को गरम रखने के लिए उसे चादर उढ़ा दें। अगर बच्चे को प्यास लगे तो थोड़े पानी से उसके होटों को नम कर दें मगर पानी ना पिलायें। बच्चे को कुछ खिलाएं भी नहीं।

अगर खून का बहना ना रुके तो एम्बुलेंस बुलाएँ (call ambulance).
जब खून का बहना रुक जाये तब चोट वाली जगह को सपोर्ट की मदद से ऊचां बनाये रखें।

गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में विटामिन ए बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसकी कमी की खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान अगर गर्भवती महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में दैनिक आवश्यकता के अनुसार विटामिन ए मिले तो उससे गर्भ में पल रहे उसकी शिशु किसी के फेफड़े मजबूत बनते (strong lungs) हैं, आंखों की दृष्टि बेहतर होती है और त्वचा की कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है।
अन्य बच्चों की तुलना में कुपोषण से ग्रसित बच्चे वजन और ऊंचाई दोनों ही स्तर पर अपनी आयु के हिसाब से कम होते हैं। स्वभाव में यह बच्चे सुस्त और चढ़े होते हैं। इनमें दिमाग का विकास ठीक से नहीं होता है, ध्यान केंद्रित करने में इन्हें समस्या आती है। यह बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं। कुछ बच्चों में दांत निकलने में भी काफी समय लगता है। बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकता है लेकिन उसके लिए जरूरी है कि शिशु के भोजन में हर प्रकार के आहार को सम्मिलित किया जाएं।
4 से 6 सप्ताह के अंदर अंदर आपके पीरियड फिर से शुरू हो सकते हैं अगर आप अपने शिशु को स्तनपान नहीं कराती हैं तो। लेकिन अगर आप अपने शिशु को ब्रेस्ट फीडिंग करवा रही हैं तो इस स्थिति में आप का महावारी चक्र फिर से शुरू होने में 6 महीने तक का समय लग सकता है। यह भी हो सकता है कि जब तक आप शिशु को स्तनपान कराना जारी रखें तब तक आप पर महावारी चक्र फिर से शुरू ना हो।
बचपन में अधिकांश बच्चे तुतलाते हैं। लेकिन पांच वर्ष के बाद भी अगर आप का बच्चा तुतलाता है तो बच्चे को घरेलु उपचार और स्पीच थेरापिस्ट (speech therapist) के दुवारा इलाज की जरुरत है नहीं तो बड़े होने पे भी तुतलाहट की समस्या बनी रहने की सम्भावना है। इस लेख में आप पढेंगे की किस तरह से आप अपने बच्चे की साफ़ साफ़ बोलने में मदद कर सकती हैं। तथा उन तमाम घरेलु नुस्खों के बारे में भी हम बताएँगे जिन की सहायता से बच्चे तुतलाहट को कम किया जा सकता है।
इस calculator की मदद से दो मिनट में पता करिए की व्यस्क होने पे आप के शिशु की लम्बाई क्या होगी। शिशु की लम्बाई उसके आनुवंशिकी (genetics) और बचपन में उसे मिले आहार पे निर्भर करता है। इन्ही दोनों बैटन के आधार पे शिशु की लम्बाई का आकलन लगाया जाता है। Baby height prediction. Find out how tall your child will be?
1 साल के शिशु (लड़के) का वजन 7.9 KG और उसकी लम्बाई 24 से 27.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। जबकि 1 साल की लड़की का वजन 7.3 KG और उसकी लम्बाई 24.8 और 28.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। शिशु के वजन और लम्बाई का अनुपात उसके माता पिता से मिले अनुवांशिकी और आहार से मिलने वाले पोषण पे निर्भर करता है।
जानिए घर पे वेपर रब (Vapor rub) बनाने की विधि। जब बच्चे को बहुत बुरी खांसी हो तो भी Vapor rub (वेपर रब) तुरंत आराम पहुंचता है। बच्चों का शरीर मौसम की आवशकता के अनुसार अपना तापमान बढ़ने और घटने में सक्षम नहीं होता है। यही कारण है की कहे आप लाख जतन कर लें पर बच्चे सार्ड मौसम में बीमार पड़ ही जाते हैं।
पोलियो वैक्सीन OPV (Polio Vaccine in Hindi) - हिंदी, - पोलियो का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
मखाने के फ़ायदे अनेक हैं। मखाना दुसरी ड्राई फ्रूट्स की तुलना में ज्यादा पौष्टिक है और सेहत के लिए ज्यादा फायेदेमंद भी। छोटे बच्चों को मखाना खिलने के कई फायेदे हैं।
अगर किसी भी कारणवश बच्चे के वजन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है तो यह एक गंभीर मसला है। वजन न बढने के बहुत से कारण हो सकते हैं। सही कारण का पता चल चलने पे सही दिशा में कदम उठाया जा सकता है।
बचपन में शिशु का शारीर बहुत तीव्र गति से विकसित होता है। बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में कैल्शियम एहम भूमिका निभाता है। बच्चों के active growth years में अगर उन्हें उनके आहार से कैल्शियम न मिले तो बच्चों का विकास प्रभावित हो सकता है।
केला पौष्टिक तत्वों का जखीरा है और शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सर्वोत्तम आहार। केला बढ़ते बच्चों के सभी पौष्टिक तत्वों की जरूरतों (nutritional requirements) को पूरा करता है। केले का smoothie बनाने की विधि - शिशु आहार in Hindi
चावल का खीर मुख्यता दूध में बनता है तो इसमें दूध के सारे पौष्टिक गुण होते हैं| खीर उन चुनिन्दा आहारों में से एक है जो बच्चे को वो सारे पोषक तत्त्व देता है जो उसके बढते शारीर के अच्छे विकास के लिए जरुरी है|
दो साल के बच्चे के लिए मांसाहारी आहार सारणी (non-vegetarian Indian food chart) जिसे आप आसानी से घर पर बना सकती हैं। अगर आप सोच रहे हैं की दो साल के बच्चे को baby food में क्या non-vegetarian Indian food, तो समझिये की यह लेख आप के लिए ही है।
अमेरिकी शोध के अनुसार जो बच्चे एक नियमित समय का पालन करते हैं उनमें मोटापे की सम्भावना काफी कम रहती है| नियमित दिनचर्या का पालन करने का सबसे ज्यादा फायदा प्री-स्कूली आयु के बच्चों में होता है| नियमित दिनचर्या का पालन करना सिर्फ सेहत की द्रिष्टी से ही महत्वपूर्ण नहीं है वरन इससे कम उम्र से ही बच्चों में अनुशाशन के प्रति सकारात्मक सोच विकसित होती है|
सेब में मौजूद पोषक तत्त्व आप के शिशु के बेहतर स्वस्थ, उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ताज़े सेबों से बना शिशु आहार आप के शिशु को बहुत पसंद आएगा।
दिमागी बुखार (मेनिन्जइटिस) की वजह से दिमाग को नुकसान और मौत हो सकती है। पहले, बहुत अधिक बच्चों में यह बीमारियां पाई जाती थी, लेकिन टीकों के इस्तेमाल से इस पर काबू पाया गया है। हर माँ बाप को अपने बच्चों को यह टिका अवश्य लगवाना चाहिए।
आहार जो बढ़ाये बच्चों का वजन और साथ में उनके भूख को भी जगाये। बच्चे खाना खाने में नखरा करें तो खिलाएं ये आहार। इस लेख में हम इन्ही भोजनों की चर्चा करेंगे। मगर पोषण के दृष्टिकोण से एक बच्चे को सभी प्रकार के आहार को ग्रहण करना चाहिए।