Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺18 min read
बच्चों को ठण्ड के दिनों में सर्दी और जुकाम लगना आम बात है। लेकिन बच्चों में 12 तरीके से आप खांसी का घरेलु उपचार कर सकती है (khansi ka gharelu upchar)। सर्दी और जुकाम में अक्सर शिशु के शरीर का तापमान बढ़ जाता है। यह एक अच्छा संकेत हैं क्योँकि इसका मतलब यह है की बच्चे का शरीर सर्दी और जुखाम के संक्रमण से लड़ रहा है। कुछ घरेलु तरीकों से आप शिशु के शारीर की सहायता कर सकती हैं ताकि वो संक्रमण से लड़ सके।

ठण्ड के दिनों में बच्चे कब और कैसे बीमार पड़ जाते हैं - पता ही नहीं चलता है। इसीलिए इस लेख में हम देखेंगे 12 प्रभावी तरीके जिनकी सहायता से आप अपने शिशु की सर्दी, जुकाम और खांसी को दूर कर सकती हैं। चूँकि ये खांसी के घरेलु उपचार हैं (khansi ka gharelu upchar), इनके कोई side effects भी नहीं हैं।
बच्चों को ठण्ड के दिनों में सर्दी और जुकाम लगना आम बात है।
अपने चारों तरफ अच्छी तरह निगाहे दौड़ाइए!
क्या आप को पता है की आप के चारों तरफ हवा में 200 से ज्यादा सर्दी और जुकाम का संक्रमण फ़ैलाने वाले विषाणु (virus) मौजूद हैं?
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आप के सांसों के दुवारा सर्दी और जुकाम के विषाणु (virus) आराम से आप के शरीर के अंदर घुसते और बहार निकल जाते हैं।
और आप को कुछ होता भी नहीं है। आप को तो पता भी नहीं चलता है - क्योँकि ये विषाणु (virus) इतने सूक्षम होते हैं की इन्हे आखों से देखा नहीं जा सकता है।
लेकिन जब मौसम बदलता है तो परिस्थितियां कुछ इस तरह बनती है की आप का शरीर सर्दी और जुकाम के विषाणु (virus) का सामना नहीं कर पता है और सर्दी और जुकाम के विषाणु (virus) आप के शरीर पे हावी हो जाये हैं। और तब आप बीमार पड़ जाते हैं।
ठीक इसी तरह आप के बच्चे के साथ भी होता है।
लेकिन
आप का बच्चा आप की तुलना में कहीं ज्यादा बीमार पड़ता है।
इसके दो कारण हैं:

सर्दी और जुकाम में अक्सर शिशु के शरीर का तापमान बढ़ जाता है। यह एक अच्छा संकेत हैं क्योँकि इसका मतलब यह है की बच्चे का शरीर सर्दी और जुखाम के संक्रमण से लड़ रहा है।
यह कोई चिंता का विषय नहीं है। शिशु का बुखार चार से पांच दिनों में आपने आप ही ठीक हो जाना चाहिए।
मगर अगर ऐसा नहीं होता है और पांच दिन से ज्यादा होने के बावजूद भी अगर बच्चे के बुखार में कोई सुधर नहीं हो रहा है तो तुरंत अपने बच्चे को नजदीकी शिशु स्वस्थ केंद्रों में ले के जाएँ या अपने शिशु के डॉक्टर की राय लें।
ये तो हुई सर्दी, जुखाम और बुखार की बात।
अब देखते हैं 11 प्रभावी तरीके शिशु की सर्दी, जुकाम और खांसी को दूर करने के लिए:
सोने से बेहतर कोई दवा नहीं है। अपने शिशु को बिस्तर पे आराम करने दें। सोना शरीर को स्वस्थ रखता है और ठण्ड के दिनों में सर्दी, खांसी, जुकाम और बीमारी को दूर करता है। सोने से और पूरी तरह से आराम करने से शरीर का immune system और सुदृण बनता है।

जब आप का बच्चा आराम कर रहा हो तो उसे बहुत सारे कम्बल और चादरों से न ढकिये। इससे उसके शरीर का तापमान बहुत बढ़ जायेगा - इससे उसके बुखार होने की सम्भावना बढ़ जाएगी।
आप का शिशु जब सोये तो उसके सर के निचे तकिये का प्रयोग करें। इससे उसका सर शरीर की तुलना में थोड़ा ऊंचाई पे हो जायेगा।

इससे बच्चे को साँस लेने में आसानी होगी और बहुत हद तक उसकी बंद नाक होने की सम्भावना भी कम होगी या अगर उसकी नक् बंद है तो उसे खुलने में भी मदद मिलेगी।
शिशु की नाक बंद होने पे सबसे ज्यादा तकलीफ रात को सोते वक्त होती है। जब शिशु ठीक से साँस नहीं ले पता है तो उसे नींद नहीं आती है। इससे बच्चा बहुत चिड़चिड़ा हो जाता है। अक्सर ऐसी स्थिति में बच्चे थोड़ा-थोड़ सो के उठ जाते हैं और खूब रोते हैं।

अधिकांश मामलों में तो रोते - रोते उलटी तक कर देते हैं। नेसल स्ट्रिप (nasal strips) की मदद से आप शिशु को तुरंत रहत पहुंचा सकती हैं। नेसल स्ट्रिप (nasal strips) शिशु के नाक को फैला देता है जिससे की नाक का छिद्र बड़ा हो जाता है और बंद नाक होने के बावजूद शिशु सांस लेने में सक्षम हो जाता है। इसका इस्तेमाल रात में शिशु के सोने के लिए कीजिये। इसके इस्तेमाल से आप का शिशु पूरी रात आराम से सोयेगा।
शिशु की बंद नाक का इलाज सबसे बेहतर इलाज है - नेसल ड्राप (nasal drop/saline drops)। यह शिशु की बंद नाक को घर में खोलने का सबसे प्रभावशाली तरीका है। (Treatment for blocked nose at home) सबसे अच्छी बात यह है की इसका कोई साइड इफेक्ट्स (side effects) भी नहीं है। नेसल ड्राप के डब्बे पे अगर आप इसमें इस्तेमाल हुए सामग्री के बारे में पढ़ें तो आप पाएंगे की यह एक साधारण नमक और पानी का घोल ही है जिसे की एक विशेष अनुपात में मिला के बनाया गया है। नसल ड्राप में इस्तेमाल हुए सामग्री को आप [यहां click कर के] देख सकती हैं।

यह शिशु की बंद नाक को तुरंत खोलता है, और सांस लेना आसान बनाता है। इसे आप अपने बच्चे को जितनी बार आवशकता हो दे सकती हैं। इसे घर पे आसानी से त्यार किया जा सकता हैं लेकिन इस घर पे आप त्यार नहीं कीजियेगा - क्योँकि इसे घर पे त्यार करते वक्त बहुत सी अशुद्धि इस मिश्रण में आ सकती है जिससे की इसके इस्तेमाल से शिशु का संक्रमण बढ़ सकता है या अशुद्धि की वजह से उसे नाक में irritation भी हो सकता है। बाजार से नेसल ड्राप (nasal drop/saline drops) खरीद के शिशु के लिए इस्तेमाल करना सबसे सुरक्षित और कारगर तरीका है शिशु की बंद नाक को खोलने का।
ठण्ड के दिनों में आप को शायद अंदाजा नहीं होगा मगर कमरे की नमी का स्तर बहुत गिर जाता है। नमी (humidity) का स्तर कम होने से शरीर की त्वचा रूखी हो जाती है, एड़ियां फटने लगती है, गाला सूखने लगता है, उनमें खराश पैदा होता है, नाक में irritation होने की वजह से साँस से सम्बंधित समस्या पैदा होती है। ऐसी स्थिति में गरम पानी का भाप लेने से बहुत आराम मिलता है।
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लेकिन छोटे बच्चों को गरम पानी का भाप देना खतरनाक हो सकता है क्योँकि वे बहुत ही नटखट होते है और इसीस लिए गरम पानी से उनके जलने की भी सम्भावना रहती है। इस स्थिति में ह्यूमिडीफायर (humidifier) बड़े ही काम की चीज़ है।
ह्यूमिडीफायर (humidifier) के इस्तेमाल से आप अपने बच्चे के कमरे के नमी का स्तर बढ़ा सकती हैं। कमरे में ह्यूमिडीफायर (humidifier) को ऐसे स्थान पे रखें की जहाँ बच्चे पहुँच न सके।
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बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार जैसे ही आप अपने बच्चे में सर्दी और जुकाम के कोई भी लक्षण देखें - तुरंत ह्यूमिडीफायर (humidifier) का इस्तेमाल शुरू कर दें। ह्यूमिडीफायर (humidifier) आप के बच्चे को सर्दी और जुकाम के आम लक्षणों से राहत पहुंचाएगा, शिशु की बंद नाक को खोलने में मदद करेगा, और रात में सोते वक्त शिशु आरामदायक नीड सो सकेगा।
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बस इस बात का ध्यान रखें की हर बार ह्यूमिडीफायर (humidifier) के इस्तेमाल के बाद इसे अगले इतेमाल के लिए धूल के रख दें। अगले दिन कमरे के खिड़की और दरवाजे कुछ देर के लिए खुला छोड़ दें ताकि अत्यधिक जमी नमी निकल जाये।
ह्यूमिडीफायर (humidifier) के बारे में और अधिक जानकारी हासिल करने के लिए आप यहाँ click कर के पढ़ सकती हैं।
खांसी की वजह से बच्चे के गले में खराश और सूजन होना स्वाभाविक है। शिशु को सर्दी और जुकाम में गुनगुने पानी का गारगल कराने से उसे राहत पहुंचता है। गुनगुने पानी का गारगल त्यार करने के लिए एक ग्लास गुनगुना गरम पानी लें। इस गरम पानी में चुटकी भर नामक डालें।
पानी इतना गरम हो की जिसे आप का शिशु आसानी से अपने मुँह में ले सके। अपने शिशु को नमक और पानी के मिश्रण से गारगल कराएं। आप के शिशु को गले की सूजन और खराश से तुरंत आराम मिलेगा।

ठण्ड के दिनों में अपने बच्चे को केवल गरम पानी पिने को दें। इससे भी आप के बच्चे को बहुत आराम मिलेगा। ठण्ड के दिनों में शिशु के लिए हर थोड़ी - थोड़ी देर पे पानी गरम करना बहुत तकलीफदेह हो सकता है। इससे बचने के लिए आप electric water heater खरीद सकती हैं।
यह एक केतली या जग की तरह होता है जिसमे पानी को गरम करने के लिए अंदर बिजली का सर्किट होता है। यह छोटा सा यूनिट आप अपने बिस्तर के नजदीक टेबल पे रख सकती हैं ताकि रात में गरम पानी के लिए आप को किचिन तक जाने की आवशकता न पड़े। गैस की तुलना में इसमें पानी जल्दी गरम हो जाता है - साथ ही इससे मिली सहुलीयत के कारण बच्चों को दिन में हर बार और केवल गरम पानी पिलाना आसान हो जाता है और यह गैस की भी खूब बचत करता है।
इसे आप बहुत से काम के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं - जैसे की ठण्ड के दिनों में
इसे आप और भी बहुत से काम के लिए प्रयोग कर सकती हैं जैसे की coffee के लिए भी गरम पानी त्यार कर सकती हैं। इलेक्ट्रिक वाटर हीटर के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप यहाँ click कर के पढ़ सकती हैं।
सर्दी और जुकाम को दूर करने के लिए शहद बहुत काम की चीज़ है। लेकिन शहद केवल एक साल से बड़े बच्चों को ही दिया जा सकता है। सर्दी और जुखाम में शहद इतना प्रभावी है की बाजार में मिलने वाले अधिकांश सर्दी-जुकाम के सिरप (syrup) में शहद का इस्तेमाल किया जाता है। शहद बाजार में कई आकर में उपलब्ध है - इसीलिए अपनी आवशकता के अनुसार आप इसे आसानी से खरीद सकती हैं। शहद के सारे उपलब्ध आकर की जानकारी आप यहां क्लिक कर के खरीद सकती हैं।
ठीक शहद की तरह लहसून को भी कई सदियोँ से सर्दी और जुकाम के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें एक तत्त्व पाया जाता है जिसे allicin कहते हैं।

यह एक रासायनिक compound जिसमे जीवाणुरोधी गुण (anti-bacterial properties) पाए गए हैं। ठण्ड के दिनों में बच्चों को सर्दी और जुकाम से बचाने के लिए आप उनके आहार में जरा सा लहसून मिला सकती हैं। शिशु आहार में बहुत ज्यादा लहसुन मिलाने से बच्चे इसके महक के कारण इसे न खाएं। इसीसलिए शिशु के आहार में लहसुन की मात्रा इतनी हो की बच्चे को पता भी न चले की आहार में लहसुन मिला है।
सर्दी और जुकाम में बच्चे को अच्छी तरह से hydrated रखें। खूब पानी पिने से या तरल आहार लेने से - शरीर से तरल जीवाणुओं को साफ़ कर के बहार कर देगा।

शिशु को आप तरल किसी भी र्रोप में दे सकती हैं जैसे की सदा-पानी, फ्रूट जूस, सूप, खूब पानी वाली सब्जी, पतली खिचड़ी इत्यादि। आप शिशु को दूध भी दे सकती हैं, मगर बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार दूध शरीर में मौजूद बलगम (mucus) को गाहड़ा (thick consistency) कर देता है। लेकिन शिशु को दूध में चुटकी भर हल्दी मिला के दिया जा सकता है। शिशु की सर्दी और जुकाम को ठीक करने के लिए हल्दी वाली दूध का इस्तेमाल सदियोँ से किया जा रहा है।
सब्जियों का सूप बच्चों के शरीर में तरल की मात्रा को बढ़ता है। तरल की मात्रा बढ़ने से शरीर को सर्दी और जुकाम के संक्रमण से लड़ने में सहायता मिलती है। लेकिन उसके साथ एक और फायदा मिलता है।

सब्जियों के गरम सूप से निकलने वाली भाप शिशु को सर्दी और जुकाम के लक्षण से थोड़ा आराम पहुंचती है। गरम सूप से शिशु के गले की सेकाई हो जाती है - जिससे गले की सूजन कम होती है, खराश कम होता है और बच्चे को गले की तकलीफ से राहत मिलती है। गरम सूप छाती में जमे बलगम (mucus) को भी ढीला करता है और congestion को कम करता है।
एक कटोरे में गरम पानी लेके शिशु को पानी का भाप देना जोखिम भरा है क्योँकि थोड़ी सी भी लापरवाही में वे जल सकते हैं।

स्नान घर में आप ने कभी देखा है की ग्राम पानी का शावर (shower) खोलते ही गरम पानी से भाप निकल के पुरे स्नानघर को भर देती है। बस इसी का फायदा उठाना है। ठण्ड के दिनों में बच्चे को आदि और जुकाम के लक्षणों से राहत पहुँचाने के लिए बाथरूम (स्नान घर) का शावर (shower) खोल दें। इससे थोड़ी ही देर में पूरा स्नानघर पानी के भाप से भर जायेगा। अब पंद्रह से बीस मिनट के लिए अपने बच्चे को गोदी में लेके स्नानघर के अंदर चले जाईये। इससे बच्चे को गरम पानी का भाप मिल जायेगा जो उसे सर्दी और जुकाम में अभूत फायदा पहुंचेगा।
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बच्चो में दांत सम्बंधी समस्या को लेकर अधिकांश माँ बाप परेशान रहते हैं। थोड़ी से सावधानी बारात कर आप अपने बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत को घर पे ही ठीक कर सकती हैं। चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए दांतों का बहुत ही महत्व होता है। इसीलिए अगर बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत हों तो माँ बाप का परेशान होना स्वाभाविक है। बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत उनके चेहरे की खूबसूरती को ख़राब कर सकते हैं। इस लेख में हम आप को बताएँगे कुछ तरीके जिन्हें अगर आप करें तो आप के बच्चों के दांत नहीं आयेंगे टेढ़े-मेढ़े। इस लेख में हम आप को बताएँगे Safe Teething Remedies For Babies In Hindi.
बच्चों में अस्थमा के कई वजह हो सकते हैं - जैसे की प्रदुषण, अनुवांशिकी। लेकिन यह बच्चों में ज्यादा इसलिए देखने को मिलती है क्यूंकि उनका श्वसन तंत्र विकासशील स्थिति में होता है इसीलिए उनमें एलर्जी द्वारा उत्पन्न अस्थमा, श्वसन में समस्या, श्वसनहीनता, श्वसनहीन, फेफड़े, साँस सम्बन्धी, खाँसी, अस्थमा, साँस लेने में कठिनाई देखने को मिलती है। लेकिन कुछ घरेलु उपाय, बचाव और इलाज के दुवारा आप अपने शिशु को दमे की तकलीफों से बचा सकती हैं।
अन्य बच्चों की तुलना में कुपोषण से ग्रसित बच्चे वजन और ऊंचाई दोनों ही स्तर पर अपनी आयु के हिसाब से कम होते हैं। स्वभाव में यह बच्चे सुस्त और चढ़े होते हैं। इनमें दिमाग का विकास ठीक से नहीं होता है, ध्यान केंद्रित करने में इन्हें समस्या आती है। यह बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं। कुछ बच्चों में दांत निकलने में भी काफी समय लगता है। बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकता है लेकिन उसके लिए जरूरी है कि शिशु के भोजन में हर प्रकार के आहार को सम्मिलित किया जाएं।
जब शिशु हानिकारक जीवाणुओं या विषाणु से संक्रमित आहार ग्रहण करते हैं तो संक्रमण शिशु के पेट में पहुंचकर तेजी से अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं और शिशु को बीमार कर देते हैं। ठीक समय पर इलाज ना मिल पाने की वजह से हर साल भारतवर्ष में हजारों बच्चे फूड प्वाइजनिंग की वजह से मौत के शिकार होते हैं। अगर समय पर फूड प्वाइजनिंग की पहचान हो जाए और शिशु का समय पर सही उपचार मिले तो शिशु 1 से 2 दिन में ही ठीक हो जाता है।
गर्भावस्था के दौरान अपच का होना आम बात है। लेकिन प्रेगनेंसी में (बिना सोचे समझे) अपच की की दावा लेना हानिकारक हो सकता है। इस लेख में आप पढ़ेंगी की गर्भावस्था के दौरान अपच क्योँ होता है और आप घरेलु तरीके से अपच की समस्या को कैसे हल कर सकती हैं। आप ये भी पढ़ेंगी की अपच की दावा (antacids) खाते वक्त आप को क्या सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।
गर्भावस्था के दौरान बालों पे हेयर डाई लगाने का आप के गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पे बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही इसका बुरा प्रभाव आप के शारीर पे भी पड़ता है जिसे आप एलर्जी के रूप में देख सकती हैं। लेकिन आप कुछ सावधानियां बरत के इन दुष्प्रभावों से बच सकती हैं।
इस calculator की मदद से दो मिनट में पता करिए की व्यस्क होने पे आप के शिशु की लम्बाई क्या होगी। शिशु की लम्बाई उसके आनुवंशिकी (genetics) और बचपन में उसे मिले आहार पे निर्भर करता है। इन्ही दोनों बैटन के आधार पे शिशु की लम्बाई का आकलन लगाया जाता है। Baby height prediction. Find out how tall your child will be?
बच्चों को सर्दी जुकाम बुखार, और इसके चाहे जो भी लक्षण हो, जुकाम के घरेलू नुस्खे बच्चों को तुरंत राहत पहुंचाएंगे। सबसे अच्छी बात यह ही की सर्दी बुखार की दवा की तरह इनके कोई side effects नहीं हैं। क्योँकि जुकाम के ये घरेलू नुस्खे पूरी तरह से प्राकृतिक हैं।
क्या आप का शिशु potty (Pooping) करते वक्त रोता है। मल त्याग करते वक्त शिशु के रोने के कई कारण हो सकते हैं। अगर आप को इन कारणों का पता होगा तो आप अपने शिशु को potty करते वक्त होने वाले दर्द और तकलीफ से बचा सकती है। अगर potty करते वक्त आप के शिशु को दर्द नहीं होगा तो वो रोयेगा भी नहीं।
अगर आप का बच्चा दूध पीते ही उलटी कर देता है तो उसे रोकने के कुछ आसन तरकीब हैं। बच्चे को पीट पे गोद लेकर उसके पीट पे थपकी देने से बच्चे के छोटे से पेट में फसा गैस बहार आ जाता है और फिर उलटी का डर नहीं रहता है।
बच्चों के पेट में कीड़े होना बहुत ही आम बात है। अगर आप के बच्चे के पेट में कीड़े हैं तो परेशान या घबराने की कोई बात नहीं। बहुत से तरीके हैं जिनकी मदद से बच्चों के पेट के कीड़ों को ख़तम (getting rid of worms) किया जा सकता है।
बच्चे को छूने और उसे निहारने से उसके दिमाग के विकास को गति मिलती है। आप पाएंगे की आप का बच्चा प्रतिक्रिया करता है जिसे Babinski reflex कहते हैं। नवजात बच्चे के विकास में रंगों का महत्व, बच्चे से बातें करना उसे छाती से लगाना (cuddle) से बच्चे के brain development मैं सहायता मिलती है।
Beta carotene भरपूर, शकरकंद शिशु की सेहत और अच्छी विकास के लिए बहुत अच्छा है| जानिए इस step-by-step instructions के जरिये की आप घर पे अपने शिशु के लिए कैसे शकरकंद की प्यूरी बना सकते हैं| शिशु आहार - baby food
अवोकेडो में प्रचुर मात्रा में बुद्धि को बढ़ाने वाला omega-3s पाया जाता है| इसके साथ है इसका स्वाद बहुत हल्का होता है जीस वजह से शिशु आहार के लिए अवोकेडो एकदम perfect है| जानिए step-by-step तरीके से अवोकेडो से शिशु आहार त्यार करने की विधि|
समय से पहले बच्चों में ठोस आहार की शुरुआत करने के फायदे तो कुछ नहीं हैं मगर नुकसान बहुत हैं| बच्चों के एलर्जी सम्बन्धी अधिकांश समस्याओं के पीछे यही वजह हैं| 6 महीने से पहले बच्चे की पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होती है|
गर्मियों का मतलब ढेर सारी खुशियां और ढेर सारी छुट्टियां| मगर सावधानियां न बरती गयीं तो यह यह मौसम बिमारियों का मौसम बनने में समय नहीं लगाएगा| गर्मियों के मौसम में बच्चे बड़े आसानी से बुखार, खांसी, जुखाम व घमोरियों चपेट में आ जाते है|
कुछ बातों का ध्यान रखें तो आप अपने बच्चे के बुद्धिस्तर को बढ़ा सकते हैं और बच्चे में आत्मविश्वास पैदा कर सकते हैं। जैसे ही उसके अंदर आत्मविश्वास आएगा उसकी खुद की पढ़ने की भावना बलवती होगी और आपका बच्चा पढ़ाई में मन लगाने लगेगा ,वह कमज़ोर से तेज़ दिमागवाला बन जाएगा। परीक्षा में अच्छे अंक लाएगा और एक साधारण विद्यार्थी से खास विद्यार्थी बन जाएगा।
रोटावायरस वैक्सीन (RV) (Rotavirus Vaccine in Hindi) - हिंदी, - रोटावायरस वैक्सीन का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
नवजात बच्चों द्वारा बार-बार उल्टी करना सामान्य बात है क्योंकि वे अपने खाद्य - पदार्थ के साथ में तालमेल बिठा रहे होते हैं और उनका शरीर विकसित हो रहा होता है। उलटी के गंभीर लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श ले।
शोध (research studies) में यह पाया गया है की जेनेटिक्स सिर्फ एक करक, इसके आलावा और बहुत से करक हैं जो बढ़ते बच्चों के लम्बाई को प्रभावित करते हैं। जानिए 6 आसान तरीके जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को अच्छी लम्बी पाने में मदद कर सकते हैं।