Category: बच्चों की परवरिश
By: Salan Khalkho | ☺4 min read
अगर आप अपने बच्चे के लिए best school की तलाश कर रहें हैं तो आप को इन छह बिन्दुओं का धयान रखना है| 2018, अप्रैल महीने में जब बच्चे अपना एग्जाम दे कर फ्री होते हैं तो एक आम माँ-बाप की चिंता शुरू होती है की ऐसे स्कूल की तलाश करें जो हर मायने में उनके बच्चे के लिए उपयुक्त हो और उनके बच्चे के सुन्दर भविष्य को सवारने में सक्षम हो और जो आपके बजट के अंदर भी हो| Best school in India 2018.

हर माँ-बाप का सपना होता है की उनका बच्चा जिंदगी में एक सफल व्यक्ति बने। अपने बच्चे के बेहतर जीवन के तलाश में माँ-बाप ना जाने क्या क्या नहीं करते। अपने बच्चों को जिंदगी की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाने के लिए माँ-बाप को अगर अपनी खुशियोँ का दमन भी करना पड़े तो वे करते हैं।
अगर आप अपने बच्चे के लिए best school की तलाश कर रहें हैं तो हम बताएँगे छह बिंदु जिनका आप को धयान रखना है।
जब बच्चा छोटा होता है तो माँ-बाप की सबसे बड़ी चुनौती होती है की उसको अच्छी से अच्छी शिक्षा दीक्षा मिले। अप्रैल 2018 में बहुत सारे पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए best Indian school in 2018 की तलाश करेंगे। भारत में बहुत से ऐसे स्कूल हैं जहाँ की फीस इतनी है की वहां अपने बच्चों को पढ़ा पाना सबके बस की बात नहीं। भारत के सबसे मेहेंगे स्कूल की सूचि आप यहां देख सकते हैं जहाँ पढ़ते हैं देश के नमी-गिरामी व्यावसायिक घरानो के बच्चे और फ़िल्मी सितारों के बच्चे।
बरहाल, 2018, अप्रैल महीने में जब बच्चे अपना एग्जाम दे कर फ्री होते हैं तो एक आम माँ-बाप की चिंता शुरू होती है की ऐसे स्कूल की तलाश करें जो हर मायने में उनके बच्चे के लिए उपयुक्त हो और उनके बच्चे के सुन्दर भविष्य को सवारने में सक्षम हो और जो आपके बजट के अंदर भी हो।
अपने बच्चे के लिए स्कूल का चयन करते वक्त इन बातों का ख्याल रखें:

बहुत से अभिभावक दूसरों का देखा देखी अपने बच्चे को घर से बहुत दूर स्थित स्कूल में दाखिला करवा देते हैं। इससे बच्चों का काफी समय सिर्फ स्कूल आने जाने में ही खर्च हो जाता है। इससे बच्चों को खेल कूद के लिए कम समय मिलता है और जो मिलता है वो सिर्फ इतना की उसमे केवल पढ़ाई ही हो सकती है। बच्चों के अच्छी विकास के लिए खेल कूद भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की पढ़ाई। बड़ी कक्षाओं में जाने के बाद बच्चों को home work भी बहुत मिलता है। अगर सारा समय बच्चों को home work करने में निकल जायेगा तो वे notes को कब पढ़ेंगे और परीक्षा की तयारी कब करेंगे। बच्चों का स्कूल अगर घर के निकट हो तो उन्हें पर्याप्त समय मिलेगा की वे अपना home work कर पाएं, notes को दोहरा लें और खेल भी लें। अपने बच्चों के लिए स्कूल का चयन करते वक्त सभी अच्छे स्कूल की लिस्ट बनाये। लिस्ट में स्कूलों को घर से दुरी के अनुक्रमांक में रखें। घर से सबसे दूर में जो स्कूल स्थित हो वो लिस्ट में सबसे निचे हो। अब लिस्ट में ऊपर से पांच स्कूलों से अपनी खोज शुरू करें।

हर स्कूल में पढ़ाई को ले कर अपनी अपनी पालिसी है। इन पालिसी के आधार पे बच्चों के पढ़ाई का तरीका भी भिन-भिन है। चूँकि आप के बच्चे को आप से बेहतर कोई नहीं जानता, आप अपने बच्चे के लिए ऐसे स्कूल का चुनाव करें जो आप के बच्चे के बौद्धिक स्तर के लिए सबसे उपयुक्त हो। हर स्कूल अपनी पढ़ाई की पालिसी को बेस्ट कहता है और उन्हें साबित करने के लिए तमाम साक्ष्य देता है। मगर हर बच्चा बौद्धिक स्तर पे अलग होता है। किस तरह की पढ़ाई आप के बच्चे के लिए सबसे बेहतर है, ये अनुभव के आधार पे सिर्फ आप जानते हैं। तो ऐसे स्कूल का चुनाव करिये जहाँ की पढ़ाई को लेके पालिसी आप के बच्चे के विकास के लिए उपयुक्त हो और जहाँ आप का बच्चा अच्छा perform करे। अन्यथा आप का बच्चा घसीट घसीट के क्लास पास करेगा - जो उसके लिए किसी भी मायने में सही नहीं है। जब बच्चा आप का perform करेगा तो उसका मनोबल बढ़ेगा और उसकी रूचि पढ़ाई में जागृत होगी।

आज के युग में शिक्षा एक व्यवसाय बन गया है। महंगाई के इस दौर में केवल उपभोग की वस्तुएं ही मेहेंगी नहीं हुई हैं बल्कि बच्चों को शिक्षा देना भी मेहेंगा हो गया है। इसीलिए आप को इस बात का ध्यान रखना होगा की स्कूल की फीस से पढ़ाई के स्तर का पता नहीं चल सकता है। जिस स्कूल में फीस ज्यादा है, जरुरी नहीं की वहां की पढ़ाई भी अच्छी हो। पढ़ाई के स्तर का पता आप को स्कूल visit कर के पता लगाना होगा। थोड़ी सी छान बीन करने पे आप को ऐसे स्कूल भी मिल जायेंगे जो कम फीस में भी अच्छी शिक्षा मुहैया कराते हैं।

आप अपने बच्चे को जिस स्कूल में पढ़ाने का मन बना रहे हैं उस स्कूल में आप का बच्चा जिस क्लास में दाखिला लेगा उसमे उसे कौन कौन से विषय पढ़ने पढ़ेंगे, इसकी भी जानकारी हासिल कर लें। अगर आस पास के बच्चे भी उन विषयों को अच्छे स्कूलों में पढ़ रहें हैं तो आप के बच्चे को पढ़ाई में मदद मिल सकती है।

बच्चों का जिस स्कूल में दाखिला करवाएं वहां यह बात निश्चित करें की बच्चों को विषय का सम्पूर्ण ज्ञान करवाया जाता है। अन्यथा कहीं ऐसा ना हो की आप स्कूल को विषयों से संबंधित पूरी फीस दें और बाद में बच्चे के ट्यूशन पे अतरिक्त खर्च करें। अगर बच्चे को टूशन ही पढ़ना है तो फिर अच्छे स्कूल का क्या मतलब रह गया।

पढ़ाई जितनी महत्वपूर्ण है उतनी ही महत्वपूर्ण है बच्चे का हर दिशा में विकास। अनेक शोध में यह बात प्रमाणित हो चुकी है की जो बच्चे खेलते कूदते हैं उनके बौद्धिक छमता का विकास ना खेलने वाले बच्चों से ज्यादा होता है। अपने बच्चे के बेहतर विकास के लिए ऐसे स्कूल का चयन करें जहाँ पढ़ाई के अलावा सांस्कृतिक गतिविधियों व खेलकूद की विशेष व्यवस्था की गई है। Admission करने के बाद आप भी सुनिश्चित करें की आप का बच्चा समय-समय पर खेल प्रतियोगितओं में भाग ले रहा है। ऐसे मैं आप का बच्चा स्वस्थ व ज्ञानवान बनेगा।
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10 ऐसे आसान तरीके जिनकी सहायता से आप अपने नवजात शिशु में कब्ज की समस्या का तुरंत समाधान कर पाएंगी। शिशु के जन्म के शुरुआती दिनों में कब्ज की समस्या का होना बहुत ही आम बात है। अपने बच्चे को कब्ज की समस्या से होने वाले तकलीफ से गुजरते हुए देखना किसी भी मां-बाप के लिए आसान नहीं होता है।
जो बच्चे सिर्फ स्तनपान पर निर्भर रहते हैं उन्हें हर दिन मल त्याग करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मां के दूध में उपलब्ध सभी पोषक तत्व शिशु का शरीर ग्रहण कर लेता है। यह बहुत ही आम बात है। प्रायर यह भी देखा गया है कि जो बच्चे पूरी तरह से स्तनपान पर निर्भर रहते हैं उनमें कब्ज की समस्या भी बहुत कम होती है या नहीं के बराबर होती है।
जो बच्चे फार्मूला दूध पर निर्भर रहते हैं उन्हें प्रायः देखा गया है कि वे दिन में तीन से चार बार मल त्याग करते हैं - या फिर कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जिन्हें अगर फार्मूला दूध दिया जाए तो वह हर कुछ कुछ दिन रुक कर मल त्याग करते हैं।
जलशीर्ष यानी Hydrocephalus एक गंभीर बीमारी है जो शिशु के विकास को प्रभावित कर सकती है और उसके मस्तिष्क को हमेशा के लिए नुक्सान पहुंचा सकती है। गर्भावस्था के दौरान कुछ सावधानियां बारत कर आप अपने शिशु को जलशीर्ष (Hydrocephalus) से बचा सकती हैं।
बच्चों का शारीर कमजोर होता है इस वजह से उन्हें संक्रमण आसानी से लग जाता है। यही कारण है की बच्चे आसानी से वायरल बुखार की चपेट पद जाते हैं। कुछ आसन घरेलु नुस्खों के दुवारा आप अपने बच्चों का वायरल फीवर का इलाज घर पर ही कर सकती हैं।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएचएफएस) की रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में सिजेरियन डिलीवरी के माध्यम से शिशु के जन्म वृद्धि दर में दोगुने का इजाफा हुआ है। सिजेरियन डिलीवरी में इस प्रकार की दोगुनी वृद्धि काफी चौंका देने वाली है। विशेषज्ञों के अनुसार इसकी वजह सिजेरियन डिलीवरी के जरिए अस्पतालों की मोटी कमाई है।
बच्चे या तो रो कर या गुस्से के रूप में अपनी भावनाओं का प्रदर्शन करते हैं। लेकिन बच्चे अगर हर छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगे तो आगे चलकर यह बड़ों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। मां बाप के लिए आवश्यक है कि वह समय रहते बच्चे के गुस्से को पहचाने और उसका उपाय करें।
बहुत आसन घरेलु तरीकों से आप अपने शिशु का वजन बढ़ा सकती हैं। शिशु के पहले पांच साल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ये ऐसा समय है जब शिशु का शारीरिक और बौद्धिक विकास अपने चरम पे होता है। इस समय शिशु के विकास के रफ़्तार को ब्रेक लग जाये तो यह क्षति फिर जीवन मैं कभी पूरी नहीं हो पायेगी।
गाए के दूध से मिले देशी घी का इस्तेमाल भारत में सदियौं से होता आ रहा है। स्वस्थ वर्धक गुणों के साथ-साथ इसमें औषधीय गुण भी हैं। यह बच्चों के लिए विशेष लाभकारी है। अगर आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है, तो देशी घी शिशु का वजन बढ़ाने की अचूक दावा भी है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे शिशु को देशी घी खिलने के 7 फाएदों के बारे में।
नौ महीने पुरे कर समय पे जन्म लेने वाले नवजात शिशु का आदर्श वजन 2.7 kg - से लेकर - 4.1 kg तक होना चाहिए। तथा शिशु का औसतन शिशु का वजन 3.5 kg होता है। यह इस बात पे निर्भर करता है की शिशु के माँ-बाप की लम्बाई और कद-काठी क्या है।
बदलते मौसम में शिशु को सबसे ज्यादा परेशानी बंद नाक की वजह से होता है। शिशु के बंद नाक को आसानी से घरेलु उपायों के जरिये ठीक किया जा सकता है। इन लेख में आप पढेंगे - How to Relieve Nasal Congestion in Kids?
दैनिक जीवन में बच्चे की देखभाल करते वक्त बहुत से सवाल होंगे जो आप के मन में आएंगे - और आप उनका सही समाधान जाना चाहेंगी। अगर आप डॉक्टर से मिलने से पहले उन सवालों की सूचि त्यार कर लें जिन्हे आप पूछना चाहती हैं तो आप डॉक्टर से अपनी मुलाकात का पूरा फायदा उठा सकती हैं।
कुछ बातों का ख्याल अगर रखा जाये तो शिशु को SIDS की वजह से होने वाली मौत से बचाया जा सकता है। अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) की वजह शिशु के दिमाग के उस हिस्से के कारण हो सकता है जो बच्चे के श्वसन तंत्र (साँस), दिल की धड़कन और उनके चलने-फिरने को नियंत्रित करता है।
मछली में omega-3 fatty acids होता है जो बढ़ते बच्चे के दिमाग के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है| ये बच्चे के nervous system को भी मजबूत बनता है| मछली में प्रोटीन भी भरपूर होता है जो बच्चे के मांसपेशियोँ के बनने में मदद करता है और बच्चे को तंदरुस्त और मजबूत बनता है|शिशु आहार - baby food
Beta carotene से भरपूर गाजर छोटे शिशु के लिए बहुत पौष्टिक है। बच्चे में ठोस आहार शुरू करते वक्त, गाजर का प्यूरी भी एक व्यंजन है जिसे आप इस्तेमाल कर सकते हैं। पढ़िए आसान step-by-step निर्देश जिनके मदद से आप घर पे बना सकते हैं बच्चों के लिए गाजर की प्यूरी - शिशु आहार। For Babies Between 4-6 Months
हैंडी क्राफ्ट एक्टिविटीज बच्चों में सकारात्मक और रचनातमक सोच विकसित करता है। हम आप को बताएंगे की आप सरलता से कागज का हवाई मेढक कैसे बनायें।
हेपेटाइटिस A वैक्सीन (Hepatitis A Vaccine Pediatric in Hindi) - हिंदी, - हेपेटाइटिस A का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
हर मां बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ाई में तेज निकले। लेकिन शिशु की बौद्धिक क्षमता कई बातों पर निर्भर करती है जिस में से एक है शिशु का पोषण।अगर एक शोध की मानें तो फल और सब्जियां प्राकृतिक रूप से जितनी रंगीन होती हैं वे उतना ही ज्यादा स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। रंग बिरंगी फल और सब्जियों में भरपूर मात्रा में बीटा-कैरोटीन, वीटामिन-बी, विटामिन-सी के साथ साथ और भी कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं।
अगर आप का शिशु बहुत ज्यादा उलटी करता है, तो आप का चिंता करना स्वाभाविक है। बच्चे के पहले साल में दूध पिने के बाद या स्तनपान के बाद उलटी करना कितना स्वाभाविक है, इसके बारे में हम आप को इस लेख में बताएँगे। हर माँ बाप जिनका छोटा बच्चा बहुत उलटी करता है यह जानने की कोशिश करते हैं की क्या उनके बच्चे के उलटी करने के पीछे कोई समस्या तो नहीं। इसी विषेय पे हम विस्तार से चर्चा करते हैं।
6 माह से 1 साल तक के शिशु को आहार के रूप में दाल का पानी,चावल का पानी,चावल,सूजी के हलवा,चावल व मूंग की खिचड़ी,गूदेदार, पके फल, खीर, सेरलेक्स,पिसे हुए मेवे, उबले हुए चुकंदर,सप्ताह में 3 से 4 अच्छे से उबले हुए अंडे,हड्डीरहित मांस, भोजन के बाद एक-दो चम्मच पानी भी शिशु को पिलाएं।
आपके बच्चे के लिए किसी भी नए खाद्य पदार्थ को देने से पहले (before introducing new food) अपने बच्चे के भोजन योजना (diet plan) के बारे में चर्चा। भोजन अपने बच्चे को 5 से 6 महीने पूरा होने के बाद ही देना शुरू करें। इतने छोटे बच्चे का पाचन तंत्र (children's digestive system) पूरी तरह विकसित नहीं होता है
न्यूमोनिया फेफड़ो पर असर करने वाला एक ऐसा संक्रमण है जिसकी वजह से फेफड़ो में सूजन होती है और उसमें एक प्रकार का गीला पन आ जाता है, जिससे श्वास नली अवरुद्ध हो जाती है और बच्चे को खाँसी आने लगती है। यह बीमारी सर्दी जुकाम का बिगड़ा हुआ रूप है जो आगे चल कर जानलेवा भी साबित हो सकती है। यह बीमारी जाड़े के मौसम में अधिकतर होती है।