Category: Baby food Recipes
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
पुलाय एक ऐसा भारतीय आहार है जिसे त्योहारों पे पकाय जाता है और ये स्वस्थ के दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है| बच्चों के लिए तो यह विशेष लाभकारी है| इसमें ढेरों सब्जियां होती है और बच्चे बड़े मन से खाते हैं| Pulav शिशु आहार baby food|

वेजिटेबल पुलाव सभी को पसंद आने वाला व्यंजन है। चूँकि इसमें मौसम के अनुसार कई प्रकार के सब्जियों (vegetables) का इस्तेमाल होता है, पौष्टिकता के मामले में इसका कोई मिक़बला नहीं है। कई सब्जियों के होने साई इसमें कई प्रकार के विटामिन्स, मिनरल्स और पौष्टिक तत्त्व होता है। जो बच्चे खाने को लेकर बहुत ना-नुकुर करते (picky eaters) हैं उन्हें भी वेजिटेबल पुलाव बहुत पसंद आएगा।
पोक्सो एक्ट बच्चों पे होने वाले यौन शोषण तथा लैंगिक अपराधों से उनको सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण अधिनियम है। 2012 में लागु हुआ यह संरक्षण अधिनियम एवं नियम, 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों पे हो रहे लैंगिक अपराधों पे अंकुश लगाने के लिए किया गया है। Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO) का उल्लेख सेक्शन 45 के सब- सेक्शन (2) के खंड “क” में मिलता है। इस अधिनियम के अंतर्गत 12 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ यौन उत्पीडन करने वाले दोषी को मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान निर्धारित किया गया है।
स्वस्थ शरीर और मजबूत हड्डियों के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है। विटामिन डी हमारे रक्त में मौजूद कैल्शियम की मात्रा को भी नियंत्रित करता है। यह हमारे शारीरिक विकास की हर पड़ाव के लिए जरूरी है। लेकिन विटामिन डी की सबसे ज्यादा आवश्यक नवजात शिशु और बढ़ रहे बच्चों में होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि छोटे बच्चों का शरीर बहुत तेजी से विकास कर रहा होता है उसके अंग विकसित हो रहे होते हैं ऐसे कई प्रकार के शारीरिक विकास के लिए विटामिन डी एक अहम भूमिका निभाता है। विटामिन डी की आवश्यकता गर्भवती महिलाओं को तथा जो महिलाएं स्तनपान कराती है उन्हें भी सबसे ज्यादा रहती है।
कुछ बातों का ख्याल रख आप अपने बच्चों की बोर्ड एग्जाम की तयारी में सहायता कर सकती हैं। बोर्ड एग्जाम के दौरान बच्चों पे पढाई का अतिरिक्त बोझ होता है और वे तनाव से भी गुजर रहे होते हैं। ऐसे में आप का support उन्हें आत्मविश्वास और उर्जा प्रदान करेगा। साथ ही घर पे उपयुक्त माहौल तयार कर आप अपने बच्चों की सफलता सुनिश्चित कर सकती हैं।
1 साल के शिशु (लड़के) का वजन 7.9 KG और उसकी लम्बाई 24 से 27.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। जबकि 1 साल की लड़की का वजन 7.3 KG और उसकी लम्बाई 24.8 और 28.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। शिशु के वजन और लम्बाई का अनुपात उसके माता पिता से मिले अनुवांशिकी और आहार से मिलने वाले पोषण पे निर्भर करता है।
सर्दी के मौसम में बच्चों का बीमार होना स्वाभाविक है। सर्दी और जुकाम के घरेलु उपचार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहाँ प्राप्त करें ताकि अगर आप का शिशु बीमार पड़ जाये तो आप तुरंत घर पे आसानी से उपलब्ध सामग्री से अपने बच्चे को सर्दी, जुकाम और बंद नाक की समस्या से छुटकारा दिला सकें। आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे शिशु की खांसी की अचूक दवा है।
सांस के जरिये भाप अंदर लेने से शिशु की बंद नाक खुलने में मदद मिलती है। गर्मा-गर्म भाप सांस के जरिये अंदर लेने से शिशु की नाक में जमा बलगम ढीला हो जाता है। इससे बलगम (कफ - mucus) के दुवारा अवरुद्ध वायुमार्ग खुल जाता है और शिशु बिना किसी तकलीफ के साँस ले पाता है।
शिशु को डेढ़ माह (six weeks) की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को कई प्रकार के खतरनाक बिमारिओं से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
चिकनगुनिया का प्रकोप भारत के कई राज्योँ में फ़ैल रहा है। इसके लक्षण बहुत ही भ्रमित कर देने वाले हैं। ऐसा इस लिए क्योँकि इसके लक्षण बहुत हद तक मलेरिया से मिलते जुलते हैं।
आप के शिशु को अगर किसी विशेष आहार से एलर्जी है तो आप को कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ेगा ताकि आप का शिशु स्वस्थ रहे और सुरक्षित रहे। मगर कभी medical इमरजेंसी हो जाये तो आप को क्या करना चाहिए?
अगर आप भी इसी दुविधा में है की अपने शिशु को किस तेल से मालिश करें तो सबसे अच्छा रहेगा तो आप की जानकारी के लिए हम आज आप को बताएँगे बच्चों की मालिश करने के लिए सबसे बेहतरीन तेल।
माँ बनना बहुत ही सौभाग्य की बात है। मगर माँ बनते ही सबसे बड़ी चिंता इस बात की होती है की अपने नन्हे से शिशु की देख भाल की तरह की जाये ताकि बच्चा रहे स्वस्थ और उसका हो अच्छा शारीरिक और मानसिक विकास।
अगर किसी भी कारणवश बच्चे के वजन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है तो यह एक गंभीर मसला है। वजन न बढने के बहुत से कारण हो सकते हैं। सही कारण का पता चल चलने पे सही दिशा में कदम उठाया जा सकता है।
अंगूर से बना शिशु आहार - अंगूर में घनिष्ट मात्र में पोषक तत्त्व होता हैं जो बढते बच्चों के लिए आवश्यक है| Grape Baby Food Recipes – Grape Pure - शिशु आहार -Feeding Your Baby Grapes and the Age to Introduce Grapes
Beta carotene से भरपूर गाजर छोटे शिशु के लिए बहुत पौष्टिक है। बच्चे में ठोस आहार शुरू करते वक्त, गाजर का प्यूरी भी एक व्यंजन है जिसे आप इस्तेमाल कर सकते हैं। पढ़िए आसान step-by-step निर्देश जिनके मदद से आप घर पे बना सकते हैं बच्चों के लिए गाजर की प्यूरी - शिशु आहार। For Babies Between 4-6 Months
खिचड़ी हल्का होता है और आसानी से पच जाता है| पकाते वक्त इसमें एक छोटा गाजर भी काट के डाल दिया जाये तो इस खिचड़ी को बच्चे के लिए और भी पोषक बनाया जा सकता है| आज आप इस रेसिपी में एहि सीखेंगी|
उपमा की इस recipe को 6 month से लेकर 12 month तक के baby को भी खिलाया जा सकता है। उपमा बनाने की सबसे अच्छी बात यह है की इसे काफी कम समय मे बनाया जा सकता है और इसको बनाने के लिए बहुत कम सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती है। इसे आप 10 से 15 मिनट मे ही बना लेंगे।
दो साल के बच्चे के लिए मांसाहारी आहार सारणी (non-vegetarian Indian food chart) जिसे आप आसानी से घर पर बना सकती हैं। अगर आप सोच रहे हैं की दो साल के बच्चे को baby food में क्या non-vegetarian Indian food, तो समझिये की यह लेख आप के लिए ही है।
अमेरिकी शोध के अनुसार जो बच्चे एक नियमित समय का पालन करते हैं उनमें मोटापे की सम्भावना काफी कम रहती है| नियमित दिनचर्या का पालन करने का सबसे ज्यादा फायदा प्री-स्कूली आयु के बच्चों में होता है| नियमित दिनचर्या का पालन करना सिर्फ सेहत की द्रिष्टी से ही महत्वपूर्ण नहीं है वरन इससे कम उम्र से ही बच्चों में अनुशाशन के प्रति सकारात्मक सोच विकसित होती है|
अगर आप यह चाहते है की आप का बच्चा भी बड़ा होकर एक आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी बने तो इसके लिए आपको अपने बच्चे के खान - पान और रहन - सहन का ध्यान रखना होगा।
पांच दालों से बनी खिचड़ी से बच्चो को कई प्रकार के पोषक तत्त्व मिलते हैं जैसे की फाइबर, विटामिन्स, और मिनरल्स (minerals)| मिनरल्स शरीर के हडियों और दातों को मजबूत करता है| यह मेटाबोलिज्म (metabolism) में भी सहयोग करता है| आयरन शरीर में रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है और फाइबर पाचन तंत्र को दरुस्त रखता है|