Category: बच्चों की परवरिश
By: Salan Khalkho | ☺2 min read
बच्चों के साथ यात्रा करते वक्त बहुत सी बातों का ख्याल रखना जरुरी है ताकि बच्चे पुरे सफ़र दौरान स्वस्थ रहें - सुरक्षित रहें| इन आवश्यक टिप्स का अगर आप पालन करेंगे तो आप भी बहुत से मुश्किलों से अपने आप को सुरक्षित पाएंगे|

क्या आप अपने नन्हे से बच्चे के साथ कहीं बहार जाने की तयारी कर रही हैं? तब तो आप को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ख्याल रखना जरुरी है। घर पर ही बच्चों को संभालना टेढ़ी खीर है, सफ़र के दौरान उन्हें संभालना कितना मुश्किल होगा, इसका तो आप अंदाजा लगा ही सकती हैं।
लेकिन अगर आप कुछ बातों का ख्याल रखें तो सफ़र के दौरान बच्चों को संभालना उतना भी मुश्किल कम नहीं है। सिर्फ दो चीजों की जरुरत है। पहला की आप अपने आप को मानसिक रूप से तयार कर लें और दूसरा यह की आप अपने आप को थोडा organize कर लें यानी अच्छी तयारी कर लें।
अगर आप ने यात्रा के लिए अच्छी तरह तयारी कर ली है तो पुरे सफ़र के दौरान आप को ज्यादा कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। और साथ ही साथ आप अपने यात्रा का भरपूर आनंद भी उठा सकेंगे।
तो चलिए देखते हैं की बच्चों के साथ यात्रा करते वक्त आप को किन-किन त्यारियौं की आवश्यकता पड़ेगी।
यात्रा के दौरान अगर बच्चे बहुत परेशां करें तो आप उन्हें नय या पुराने खिलौने दे कर उनका ध्यान भटका सकती हैं। अपने सामानों को पैक करते वक्त अपने बच्चे के कुछ नय तो कुछ पुराने खिलोनो को अवश्य बांध लें। बच्चों के हाथ में खिलौना आते ही वो खुद बा खुद शांत हो जायेगा।
बच्चे इतने समझदार नहीं होते की वो अपने कपड़ों का ख्याल रख सकें। भोजन करते वक्त या खेलते वक्त वे अगर अपने कपड़ों को ख़राब कर देते हैं, तो एक्स्ट्रा कपडे होने पे आप आसानी से अपने बच्चे को पहना सकिंगी। मान लीजिये की खेलते वक्त आप के बच्चे ने अपने कपडे पे पानी या जूस गिरा लिया है तो क्या आप उसे नहीं बदलेंगी? अगर आप ने नहीं बदला तो या तो आप का बच्चा गिले कपडे पहनने के कारण बीमार हो जायेगा या फिर उसे चींटी या कीड़े प्रेषण करेंगे - और अगर बच्चे परेंशन होंगे तो आप भी परेशान होंगी।
बच्चों के कपडे और उनके सामानों के लिए अलग से बैग रखें। आप अपने सामानों को या कपड़ों को इसमें ना रखें। ऐसे बैग का चुनाव करें जिसमे बहुत से खाने हों। हर खाने में एक तरह की ही वस्तु रखें। जैसे की एक खाने में बच्चों का खिलौना, दुसरे खानों में बच्चों के कपडे, तीसरे खाने मैं उनका डायपर पैक करें। ऐसा करने पे आप आसानी से अपने बच्चे के सामानों को खोज सकेंगी।
एक बार जब आप अपने डेस्टिनेशन पे पहुँच जाती हैं, तो सबसे पहले आप अपने बच्चों के बैग को खोल कर कमरे में उनके सामानों को इस तरह से व्यवस्थित कर दें की बच्चे को कमरा अपने घर जैसा लगे। अगर आप इसे अपना प्रायोरिटी बना लें तो यकीं मानिये की आप का बच्चा आप को उतना परेशान नहीं करेगा - यानि की आप कमरे में कुछ देर अपने पति या पत्नी के संग कुछ समय शांति से भी बिता पाएंगी।
गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक मात्रा में विटामिन सी लेना, गर्भ में पल रहे शिशु के लिए घातक हो सकता है। कुछ शोध में इस प्रकार के संभावनाओं का पता लगा है कि गर्भावस्था के दौरान सप्लीमेंट के रूप में विटामिन सी का आवश्यकता से ज्यादा सेवन समय पूर्व प्रसव (preterm birth) को बढ़ावा दे सकता है।
प्रेगनेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर (बीपी) ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए आप नमक का कम से कम सेवन करें। इसके साथ आप लैटरल पोजीशन (lateral position) मैं आराम करने की कोशिश करें। नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर (बीपी) चेक करवाते रहें और ब्लड प्रेशर (बीपी) से संबंधित सभी दवाइयां ( बिना भूले) सही समय पर ले।
गर्भधारण के लिए हर दिन सामान्य नहीं होता है। कुछ विशेष दिन ऐसे होते हैं जब महिला के गर्भवती होने की सम्भावना सबसे ज्यादा रहती है। इस समय अंतराल को स्त्री का फर्टाइल स्टेज कहते हैं। इस समय यौन सम्बन्ध बनाने से स्त्री के गर्भधारण करने की सम्भावना बाढ़ जाती है।
गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर का उतार चढाव, माँ और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर में बिस्तर पर आराम करना चाहिए। सादा और सरल भोजन करना चाहिए। पानी और तरल का अत्याधिक सेवन करना चाहिए। नमक का सेवन सिमित मात्र में करना चाहिए। लौकी का रस खाली पेट पिने से प्रेगनेंसी में बीपी की समस्या को कण्ट्रोल किया जा सकता है।
अक्सर गर्भवती महिलाएं इस सोच में रहती है की उनके शिशु के जन्म के लिए सिजेरियन या नार्मल डिलीवरी में से क्या बेहतर है। इस लेख में हम आप को दोनों के फायेदे और नुक्सान के बारे में बताएँगे ताकि दोनों में से बेहतर विकल्प का चुनाव कर सकें जो आप के लिए और आप के शिशु के स्वस्थ के लिए सुरक्षित हो।
गणतंत्र दिवस एक खुबसूरत अवसर है जिसका लाभ उठाकर सिखाएं बच्चों को आजादी का महत्व और उनमें जगाएं देश के संविधान के प्रति सम्मान। तभी देश का हर बच्चा बड़ा होने बनेगा एक जिमेदार और सच्चा नागरिक।
बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, अगर शिशु को एलर्जी नहीं है, तो आप उसे 6 महीने की उम्र से ही अंडा खिला सकती हैं। अंडे की पिली जर्दी, विटामिन और मिनिरल का बेहतरीन स्रोत है। इससे शिशु को वासा और कोलेस्ट्रॉल, जो उसके विकास के लिए इस समय बहुत जरुरी है, भी मिलता है।
जिस शिशु का BMI 85 से 94 परसेंटाइल (percentile) के बीच होता है, उसका वजन अधिक माना जाता है। या तो शिशु में body fat ज्यादा है या lean body mass ज्यादा है। स्वस्थ के दृष्टि से शिशु का BMI अगर 5 से 85 परसेंटाइल (percentile) के बीच हो तो ठीक माना जाता है। शिशु का BMI अगर 5 परसेंटाइल (percentile) या कम हो तो इसका मतलब शिशु का वजन कम है।
शिशु की खांसी एक आम समस्या है। ठंडी और सर्दी के मौसम में हर शिशु कम से कम एक बार तो बीमार पड़ता है। इसके लिए डोक्टर के पास जाने की अव्शाकता नहीं है। शिशु खांसी के लिए घर उपचार सबसे बेहतरीन है। इसका कोई side effects नहीं है और शिशु को खांसी, सर्दी और जुकाम से रहत भी मिल जाता है।
जुकाम के घरेलू उपाय जिनकी सहायता से आप अपने छोटे से बच्चे को बंद नाक की समस्या से छुटकारा दिला सकती हैं। शिशु का नाक बंद (nasal congestion) तब होता है जब नाक के छेद में मौजूद रक्त वाहिका और ऊतक में बहुत ज्यादा तरल इकट्ठा हो जाता है। बच्चों में बंद नाक की समस्या को बिना दावा के ठीक किया जा सकता है।
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सोते समय शरीर अपनी मरमत (repair) करता है, नई उत्तकों और कोशिकाओं का निर्माण करता है, दिमाग में नई brain synapses का निर्माण करता है - जिससे बच्चे का दिमाग प्रखर बनता है।
Beta carotene भरपूर, शकरकंद शिशु की सेहत और अच्छी विकास के लिए बहुत अच्छा है| जानिए इस step-by-step instructions के जरिये की आप घर पे अपने शिशु के लिए कैसे शकरकंद की प्यूरी बना सकते हैं| शिशु आहार - baby food
प्राथमिक उपचार के द्वारा बहते रक्त को रोका जा सकता है| खून का तेज़ बहाव एक गंभीर समस्या है। अगर इसे समय पर नहीं रोका गया तो ये आप के बच्चे को जिंदगी भर के लिए नुकसान पहुंचा सकता है जिसे शौक (shock) कहा जाता है। अगर चोट बड़ा हो तो डॉक्टर स्टीच का भी सहारा ले सकता है खून के प्रवाह को रोकने के लिए।
शांतिपूर्ण माहौल में ही बच्चा कुछ सोच - समझ सकता है, पढ़ाई कर सकता है, अधयाय को याद कर सकता है। और अपने school में perform कर सकता है। माता-पिता होने के नाते आपको ही देना है अपने बच्चे को यह माहौल।
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बच्चों में भूख की कमी एक बढती हुई समस्या है। यह कई कारणों से होती है जैसे की शारीर में विटामिन्स की कमी, तापमान का गरम रहना, बच्चे का सवभाव इतियादी। लेकिन कुछ घरेलु तरीके और कुछ सूझ-बूझ से आप अपने बच्चे की भूख को बढ़ा सकती हैं ताकि उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उसके शारीर को सभी महत्वपूर्ण पोषक तत्त्व मिल सके।
छोटे बच्चे खाना खाने में बहुत नखरा करते हैं। माँ-बाप की सबसे बड़ी चिंता इस बात की रहती है की बच्चों का भूख कैसे बढाया जाये। इस लेख में आप जानेगी हर उस पहलु के बारे मैं जिसकी वजह से बच्चों को भूख कम लगती है। साथ ही हम उन तमाम घरेलु तरीकों के बारे में चर्चा करेंगे जिसकी मदद से आप अपने बच्चों के भूख को प्राकृतिक तरीके से बढ़ा सकेंगी।