Category: स्वस्थ शरीर
By: Salan Khalkho | ☺6 min read
मसाज तथा मसाज में इस्तेमाल तेल के कई फायदे हैं बच्चों को। मालिश शिशु को आरामदायक नींद देता है। इसके साथ मसाज के और भी कई गुण हैं जैसे की मसाज बच्चे के वजन बढ़ने में मदद करा है, हड़ियों को मजबूत करता है, भोजन को पचने में मदद करता है और रक्त के प्रवाह में सुधार लता है।

भारत में एक नवजात के मालिश की काफी एहमियत होती है। पुरे देश में हर वर्ग और हर धर्म के लोग अपने बच्चों की मालिश करते हैं। बच्चों की मालिश करने का एक विशेष तरीका है।
मालिश से होने वाले फायदे को लेकर स्वस्थ सलाहकार और विशेषज्ञों की की अपनी अपनी राय है। मगर एक बात तो तय है ही मालिश के अपने फायदे हैं।
अगर अच्छे तेल से बच्चों की मालिश की गयी तो उनका अच्छा शारीरिक विकास होता है और उनकी त्वचा भी निखरती है।
चलिए जानते हैं सर्वाधिक फायदे के लिए किस तेल करें बच्चे की मालिश।
दक्षिण भारत में मुख्या तौर पे लोग नारियल का तेल इस्तेमाल करते हैं बच्चों की मालिश के लिए। दक्षिण भारत में नारियल का पेड़ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, इसीलिए नारियल का तेल का इस्तेमाल भोजन तैयार करने से लेकर और भी बहुत सारे घरेलू कामों में इस्तेमाल होता है। नारियल का तेल सेहत की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ है। सालों के शोध (research studies) में यह बात सामने आयी है की नारियल का तेल, जैतून (olive oil) के तेल से भी अच्छा है। नारियल का तेल को मालिश में इस्तेमाल करने के कारण:

भारत में सदियों से सरसों का तेल मालिश के लिए इस्तेमाल होता आ रहा है। यह तेल मसाज की दृष्टि से सबसे उपयुक्त माना गया है और यह तेल बच्चों को सर्दी जुकाम से भी बचाता है।

पूरी दुनिया में यह तेल अपने सेहत भरी गुण के लिए सबसे लोकप्रिय है। इस तेल से तैयार आहार कोलेस्ट्रॉल कम करता है। इस तेल से त्वचा में अलेर्जी नहीं होती। त्वचा अगर संवेदनशील है तो इससे मालिश न करें। अगर सिर में बाल कम है तो जैतून के तेल रोजाना सर ले लगाने से बालों की संख्या में इजाफा होगा।

तिल तथा तिल का तेल बच्चों के लिए स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। आयुर्वेद में ये तेेल बहुत पापुलर है। इस तेल के निम्न फायदे हैं।

बादाम के तेल में प्रचुर मात्रा मैं विटमिन ई होता है। जहाँ तक हो सके शुद्ध बादाम के तेल से मालिश करें जिसमें किसे भी तरह से कोई फे्रगनेंस के इस्तेमाल नहीं किया गया है। बादाम का तेल से मालिश करने के ये फायदे हैं।

सूरजमुखी के तेल का मालिश बच्चों को संक्रमण से बचाता है। ये तेल उन बच्चों के लिए ज्यादा फयदेमंद है जिनका जन्म नौ माह से पूर्व हुआ है। प्रीमेच्योर बेबी में संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है।

यह तेल नवजात बच्चे के संवेदनशील त्वचा के लिए सबसे उपयुक्त है। यह तेल स्किन रैश (skin rash) तथा त्वचा सम्बन्धी कई अन्य विकारों में लाभकारी है। यह तेल उन बच्चों के लिए वरदान है जो आसानी से सोते नहीं है।

टी ट्री आॅयल का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पे किया जा सकता है। इसमें रोगप्रतिरोधक तत्व होते हैं तथा ये बच्चे के स्किन को अलेर्जी से मुक्त करने में मदद करता है। इस तेल के मसाज से बच्चे को काफी आराम मिलता है।

बच्चे को नहलाने के बाद इस तेल से मालिश करना उपयुक्त माना गया है। इस तेल से मालिश के लिए डॉक्टरी सलाह की कोई जरुरत नहीं है। फिर भी अगर आप मालिश से बच्चे की त्वचा पे कोई परेशानी हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

यह तेल मसाज के लिए अच्छा है मगर इस तेल से मालिश के बाद बच्चे को जरूर नहलाएं। यह तेल उन बच्चों के लिए बेहतरीन है जिनकी त्वचा रूखी, तथा बालों और नाखूनों से सम्बंधित समस्या हो। मालिश करते वक्त इस तेल को बच्चे की आँखों तथा होटों से दूरं रखें।

अस्थमा होने की स्थिति में शिशु को तुरंत आराम पहुचने के घरेलु उपाय। अपने बच्चे को अस्थमा के तकलीफ से गुजरते देखना किस माँ-बाप के लिए आसान होता है? सही जानकारी के आभाव में शिशु का जान तक जा सकता है। घर पे प्रतियेक व्यक्ति को अस्थमा के प्राथमिक उपचार के बारे में पता होना चाहिए ताकि आपातकालीन स्थिति में शिशु को जीवन रक्षक दवाइयां प्रदान की जा सकें।
शिशु के जन्म के पश्चात मां को अपनी खान पान (Diet Chart) का बहुत ख्याल रखने की आवश्यकता है क्योंकि इस समय पौष्टिक आहार मां की सेहत तथा बच्चे के स्वास्थ्य दोनों के लिए जरूरी है। अगर आपके शिशु का जन्म सी सेक्शन के द्वारा हुआ है तब तो आपको अपनी सेहत का और भी ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता। हम आपको इस लेख में बताएंगे कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद कौन सा भोजन आपके स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर है।
गर्भावस्था के दौरान बालों का झड़ना एक बेहद आम समस्या है। प्रेगनेंसी में स्त्री के शरीर में अनेक तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जिनकी वजह से बालों की जड़ कमजोर हो जाते हैं। इस परिस्थिति में नहाते वक्त और बालों में कंघी करते समय ढेरों बाल टूट कर गिर जाते हैं। सर से बालों का टूटना थोड़ी सी सावधानी बरतकर रोकी जा सकती है। कुछ घरेलू औषधियां भी हैं जिनके माध्यम से बाल की जड़ों को फिर से मजबूत किया जा सकता है ताकि बालों का टूटना रुक सके।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार चार से छह महीने पे शिशु शिशु का वजन दुगना हो जाना चाहिए। 4 महीने में आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए ये 4 बातों पे निर्भर करता है। शिशु के ग्रोथ चार्ट (Growth charts) की सहायता से आप आसानी से जान सकती हैं की आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए।
शिशु के शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र विटामिन डी का इस्तेमाल सूक्ष्मजीवीरोधी शक्ति (antibody) बनाने के लिए करता है। ये एंटीबाडी शिशु को संक्रमण से बचते हैं। जब शिशु के शरीर पे विषाणु और जीवाणु का आक्रमण होता है तो शिशु के शरीर में मौजूद एंटीबाडी विषाणु और जीवाणु से लड़ते हैं और उनके संक्रमण को रोकते हैं।
इसमें हानिकारक carcinogenic तत्त्व पाया जाता है। यह त्वचा को moisturize नहीं करता है - यानी की - यह त्वचा को नमी प्रदान नहीं करता है। लेकिन त्वचा में पहले से मौजूद नमी को खोने से रोक देता है। शिशु के ऐसे बेबी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें जिनमे पेट्रोलियम जैली/ Vaseline की बजाये प्राकृतिक पदार्थों का इस्तेमाल किया गया हो जैसे की नारियल का तेल, जैतून का तेल...
जाने की किस तरह से ह्यूमिडिफायर (Humidifier) बंद नाक और जुकाम से रहत पहुंचता है। साथ ही ह्यूमिडिफायर (Humidifier) को सही तरीके से इस्तेमाल करने के बारे में भी सीखें। छोटे बच्चों को सर्दी, जुकाम और बंद नाक से रहत पहुँचाने के लिए बाल रोग विशेषज्ञ बच्चों के कमरे में ह्यूमिडिफायर (Humidifier) के इस्तेमाल की राय देते हैं। ठण्ड के दिनों में कमरे में कई कारण से नमी का स्तर बहुत गिर जाता है। इससे शिशु को बहुत तकलीफ का सामना करना पड़ता है।
क्या आप के पड़ोस में कोई ऐसा बच्चा है जो कभी बीमार नहीं पड़ता है? आप शायद सोच रही होंगी की उसके माँ-बाप को कुछ पता है जो आप को नहीं पता है। सच बात तो ये है की अगर आप केवल सात बातों का ख्याल रखें तो आप के भी बच्चों के बीमार पड़ने की सम्भावना बहुत कम हो जाएगी।
शिशु का टीकाकार शिशु को बीमारियोँ से बचाने के लिए बहुत जरुरी है। मगर टीकाकार से शिशु को बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ता है। जानिए की आप किस तरह अपने शिशु को टीकाकरण २०१८ से हुए दर्द से शिशु को कैसे राहत पहुंचा सकते हैं।
अगर आप का शिशु जब भी अंडा खाता है तो बीमार पड़ जाता है या उसके शारीर के लाल दाने निकल आते हैं तो इसका मतलब यह है की आप के शिशु को अंडे से एलर्जी है। अगर आप के शिशु को अंडे से एलर्जी की समस्या है तो आप किस तरह अपने शिशु को अंडे की एलर्जी से बचा सकती है और आप को किन बातों का ख्याल रखने की आवश्यकता है।
स्तनपान या बोतल से दूध पिने के दौरान शिशु बहुत से कारणों से रो सकता है। माँ होने के नाते यह आप की जिमेदारी हे की आप अपने बच्चे की तकलीफ को समझे और दूर करें। जानिए शिशु के रोने के पांच कारण और उन्हें दूर करने के तरीके।
अगर आप भी इसी दुविधा में है की अपने शिशु को किस तेल से मालिश करें तो सबसे अच्छा रहेगा तो आप की जानकारी के लिए हम आज आप को बताएँगे बच्चों की मालिश करने के लिए सबसे बेहतरीन तेल।
सरसों का तेल लगभग सभी भारतीय घरों में पाया जाता है क्योंकि इसके फायदे हैं कई। कोई इसे खाना बनाने के लिए इस्तेमाल करता है तो कोई इसे शरीर की मालिश करने के लिए इस्तेमाल करता है। लेकिन यह तेल सभी घरों में लगभग हर दिन इस्तेमाल होने वाला एक विशेष सामग्री है।
बच्चे को सुलाने के नायब तरीके - अपने बच्चे को सुलाने के लिए आप ने तरत तरह की कोशिशें की होंगी। जैसे की बच्चे को सुलाने के लिए उसको कार में कई चक्कर घुमाया होगा, या फिर शुन्य चैनल पे टीवी को स्टार्ट कर दिया होगा ताकि उसकी आवाज से बच्चा सो जाये। बच्चे को सुलाने का हर तरीका सही है - बशर्ते की वो तरीका सुरक्षित हो।
जुड़वाँ बच्चे पैदा होना इस गावं में आम बात है और इस गावं की खासियत भी| इसी कारण इस गावं में जुड़वाँ बच्चों की संख्या हर साल बढ़ रही है|
सेक्स से सम्बंधित बातें आप को अपने बच्चों की उम्र का ध्यान रख कर करना पड़ेगा। इस तरह समझएं की आप का बच्चा अपने उम्र के हिसाब से समझ जाये। आप को सब कुछ समझने की जरुरत नहीं है। सिर्फ उतना बताएं जितना की उसकी उम्र में उसे जानना जरुरी है।
सामाजिक उत्थान के लिए नैतिकता की बुनियाद अत्यंत आवश्यक हैं। वैश्वीकरण से दुनिया करीब तो आ गई, बस अपनो से फासला बढ़ता गया। युवा पीढ़ी पर देश टिका हैं समय आ गया है की युवा पीढ़ी अपनी जिम्मेदारियों को समझे और संस्कृति व परंपराओं की श्रेष्ठता का वर्णन कर लोगोँ में उत्साह ओर आशा का संचार करें और भारत का नाम गौरव करें।
कुछ सॉफ्टवेयर हैं जो पेरेंट्स की मदद करते हैं बच्चों को इंटरनेट की जोखिमों से बचाने में। इन्हे पैरेंटल कन्ट्रो एप्स (parental control apps) के नाम से जाना जाता है। हम आपको कुछ बेहतरीन (parental control apps) के बारे में बताएँगे जो आपके बच्चों की सुरक्षा करेगा जब आपके बच्चे ऑनलाइन होते हैं।
हर मां बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ाई में तेज निकले। लेकिन शिशु की बौद्धिक क्षमता कई बातों पर निर्भर करती है जिस में से एक है शिशु का पोषण।अगर एक शोध की मानें तो फल और सब्जियां प्राकृतिक रूप से जितनी रंगीन होती हैं वे उतना ही ज्यादा स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। रंग बिरंगी फल और सब्जियों में भरपूर मात्रा में बीटा-कैरोटीन, वीटामिन-बी, विटामिन-सी के साथ साथ और भी कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं।
शोध (research studies) में यह पाया गया है की जेनेटिक्स सिर्फ एक करक, इसके आलावा और बहुत से करक हैं जो बढ़ते बच्चों के लम्बाई को प्रभावित करते हैं। जानिए 6 आसान तरीके जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को अच्छी लम्बी पाने में मदद कर सकते हैं।