Category: टीकाकरण (vaccination)
By: Salan Khalkho | ☺4 min read
इन्फ्लुएंजा वैक्सीन (Influenza Vaccine in Hindi) - हिंदी, - इन्फ्लुएंजा का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
 Schedule और Side Effects - इन्फ्लुएंजा I, इन्फ्लुएंजा II, इन्फ्लुएंजा III.jpg)
इन्फ्लुएंजा (Influenza) बहुत ही खतरनाक बीमारी है जो एक तरह के जीवाणु (virus) के संक्रमण से फैलता है। इस बीमारी को contagious बीमारी के श्रेणी में रखा गया है क्योँकि यह बहुत आसानी से एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति को फ़ैल सकता है। इसका संक्रमण हवा के माध्यम से फैलता है और इस बीमारी के जीवाणु (virus) हफ़्तों तक वातावरण में मौजूद रह सकते हैं।
इन्फ्लुएंजा वैक्सीन (Influenza Vaccine) का टिका बहुत ही प्रभावी तरीका शिशु को इन्फ्लुएंजा के वायरस के संक्रमण से बचाने का। इन्फ्लुएंजा वैक्सीन (Influenza Vaccine) का टिका हर साल नए तरीके से त्यार (redeveloped) किया जाता है ताकि लोगों को इन्फ्लुएंजा के प्रति सम्पूर्ण सुरक्षा प्रदान किया जा सके।
इन्फ्लुएंजा वैक्सीन (Influenza Vaccine) में बहुत ही कम मात्रा में इन्फ्लुएंजा के मृत विषाणु (virus) होते हैं। जब ये मृत विषाणु शरीर में पहुंचते हैं तो शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र सक्रिय हो जाता है और इन्फ्लुएंजा बीमारी के प्रति एंटीबाडी (antibody) त्यार कर लेता है। इन्फ्लुएंजा वैक्सीन (Influenza Vaccine) के द्वारा एक बार शिशु के शरीर में immunity विकसित हो जाने के बाद, शिशु का शरीर इन्फ्लुएंजा (Influenza) के विषाणु (virus) से सुरक्षित हो जाता है।
इसीलिए आवश्यक है की हर बच्चे को टीकाकरण चार्ट - 2018 के अनुसार समय पे टीका लगवाया जाये और बच्चे को तथा देशो को इन्फ्लुएंजा की महामारी से बचाया जा सके।
अगर आप के बच्चे की तबियत ठीक नहीं है तो कुछ दिन इंतजार कर लें जब तक की आप का शिशु पूर्ण रूप से ठीक न हो जाये।
तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें अगर बच्चे में ये लक्षण दिखाई दें और अगर आसानी से ख़त्म न हो रहे हों तो
निचे दिए गए दुष्प्रभाव (side effects) आम बात है और घबराने की कोई भी बात नहीं है। समय के साथ ये ख़त्म हो जायेंगे। लेकिन अगर इन दुष्प्रभाव (side effects) का गंभीर रूप दिखे तो चरण डॉक्टर से संपर्क करें अन्यथा परेशां होने की कोई आवश्यकता है। इन्फ्लुएंजा वैक्सीन (Influenza Vaccine) के टिके से ये दुष्प्रभाव (side effects) होना आम बात है।
अगर शिशु को ज़ुकाम के टिके से पहले कभी खतरनाक एलर्जिक प्रतिक्रिया (severe allergic reaction) हो चूका है तो अपने बच्चे को इन्फ्लुएंजा का टिका (Influenza Vaccine) न लगवाएं।
अगर आप के शिशु को रक्त स्राव या शरीर में खून का थक्का (Blood Clotting) बनने की बीमारी है - या - आप के शिशु को आसानी से चोट (bruise) लग जाता है तो यह बात आप शिशु को इन्फ्लुएंजा का टिका (Influenza Vaccine) लगवाने से पहले डॉक्टर को अवशय बता दें।
अगर आप के शिशु को तंत्रिका संबंधी विकार है जिससे की उसका मस्तिष्क भी प्रभावित है, तो यह बात भी आप अपने डॉक्टर से टिके लगने पे पूर्व ही बता दें।
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खांसी और जुकाम आमतौर पर सर्दी के वायरस के संक्रमण के कारण होता है। ये आम तौर पर अपने आप दूर हो जाते हैं, और एंटीबायोटिक दवाएं आमतौर पर किसी काम की नहीं होती हैं। पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन कुछ लक्षणों को कम कर सकते हैं। ध्यान रखें की आप के बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पीने मिल रहा है।
UHT milk को अगर ना खोला कए तो यह साधारण कमरे के तापमान पे छेह महीनो तक सुरक्षित रहता है। यह इतने दिनों तक इस लिए सुरक्षित रह पता है क्योंकि इसे 135ºC (275°F) तापमान पे 2 से 4 सेकंड तक रखा जाता है जिससे की इसमें मौजूद सभी प्रकार के हानिकारक जीवाणु पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। फिर इन्हें इस तरह से एक विशेष प्रकार पे पैकिंग में पैक किया जाता है जिससे की दुबारा किसी भी तरह से कोई जीवाणु अंदर प्रवेश नहीं कर पाए। इसी वजह से अगर आप इसे ना खोले तो यह छेह महीनो तक भी सुरक्षित रहता है।
बच्चों को UHT Milk दिया जा सकता है मगर नवजात शिशु को नहीं। UHT Milk को सुरक्षित रखने के लिए इसमें किसी भी प्रकार का preservative इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह बच्चों के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित है। चूँकि इसमें गाए के दूध की तरह अत्याधिक मात्र में पोषक तत्त्व होता है, नवजात शिशु का पाचन तत्त्व इसे आसानी से पचा नहीं सकता है।
शिशु के जन्म के पश्चात मां को अपनी खान पान (Diet Chart) का बहुत ख्याल रखने की आवश्यकता है क्योंकि इस समय पौष्टिक आहार मां की सेहत तथा बच्चे के स्वास्थ्य दोनों के लिए जरूरी है। अगर आपके शिशु का जन्म सी सेक्शन के द्वारा हुआ है तब तो आपको अपनी सेहत का और भी ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता। हम आपको इस लेख में बताएंगे कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद कौन सा भोजन आपके स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर है।
कुछ बातों का ख्याल रख आप अपने बच्चों की बोर्ड एग्जाम की तयारी में सहायता कर सकती हैं। बोर्ड एग्जाम के दौरान बच्चों पे पढाई का अतिरिक्त बोझ होता है और वे तनाव से भी गुजर रहे होते हैं। ऐसे में आप का support उन्हें आत्मविश्वास और उर्जा प्रदान करेगा। साथ ही घर पे उपयुक्त माहौल तयार कर आप अपने बच्चों की सफलता सुनिश्चित कर सकती हैं।
लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) एक आम बात है जिस बहुत से बच्चे प्रभावित देखे जा सकते हैं। इसका समाधान किया जा सकता है। माँ-बाप और अध्यापकों के प्रयास से बच्चे स्कूल में दुसरे बच्चों के सामान पढाई में अच्छा प्रदर्शन दे सकते हैं। लेकिन जरुरी है की उनके अन्दर छुपी प्रतिभा को पहचाना जाये और उचित मार्गदर्शन के दुवारा उन्हें तराशा जाये। इस लेख में आप जानेंगे की लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) क्या है और आप अपने बच्चे का इलाज किस तरह से कर सकती हैं।
बाजार में उपलब्ध अधिकांश बेबी प्रोडक्ट्स जैसे की बेबी क्रीम, बेबी लोशन, बेबी आयल में आप ने पराबेन (paraben) के इस्तेमाल को देखा होगा। पराबेन (paraben) एक xenoestrogens है। यानी की यह हमारे शारीर के हॉर्मोन production के साथ सीधा-सीधा छेड़-छाड़ करता है। क्या कभी आप ने सोचा की यह आप के शिशु शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सुरक्षित है भी या नहीं?
स्तनपान या बोतल से दूध पिने के दौरान शिशु बहुत से कारणों से रो सकता है। माँ होने के नाते यह आप की जिमेदारी हे की आप अपने बच्चे की तकलीफ को समझे और दूर करें। जानिए शिशु के रोने के पांच कारण और उन्हें दूर करने के तरीके।
अगर जन्म के समय बच्चे का वजन 2.5 kg से कम वजन का होता है तो इसका मतलब शिशु कमजोर है और उसे देखभाल की आवश्यकता है। जानिए की नवजात शिशु का वजन बढ़ाने के लिए आप को क्या क्या करना पड़ेगा।
पीट दर्द को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए| आज के दौर में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चों को भी पीठ दर्द का सामना करना पद रहा है| नाजुक सी नन्ही उम्र से ही बच्चों को अपने वजन से ज्यादा भारी बैग उठा के स्कूल जाना पड़ता है|
अगर आप का बच्चा पढाई में मन नहीं लगाता है, होमवर्क करने से कतराता है और हर वक्त खेलना चाहता है तो इन 12 आसान तरीकों से आप अपने बच्चे को पढाई के लिए अनुशाषित कर सकते हैं।
अलग-अलग सांस्कृतिक समूहों के बच्चे में व्यवहारिक होने की छमता भिन भिन होती है| जिन सांस्कृतिक समूहों में बड़े ज्यादा सतर्क होते हैं उन समूहों के बच्चे भी व्याहारिक होने में सतर्कता बरतते हैं और यह व्यहार उनमे आक्रामक व्यवहार पैदा करती है।
हमें आपने बच्चों को मातृभूमि से प्रेम करने की शिक्षा देनी चाहिए तथा उनके अंदर ये भावना पैदा करनी चाहिए की वे अपने देश के प्रति समर्पित रहें और ये सोचे की हमने अपने देश के लिए क्या किया है। वे यह न सोचे की देश ने उनके लिए क्या किया है। Independence Day Celebrations India गणतंत्र दिवस भारत नरेन्द्र मोदी 15 August 2017
केला पौष्टिक तत्वों का बेहतरीन स्रोत है। ये उन फलों में से एक हैं जिन्हे आप अपने बच्चे को पहले आहार के रूप में भी दे सकती हैं। इसमें लग-भग वो सारे पौष्टिक तत्त्व मौजूद हैं जो एक व्यक्ति के survival के लिए जरुरी है। केले का प्यूरी बनाने की विधि - शिशु आहार (Indian baby food)
उपमा की इस recipe को 6 month से लेकर 12 month तक के baby को भी खिलाया जा सकता है। उपमा बनाने की सबसे अच्छी बात यह है की इसे काफी कम समय मे बनाया जा सकता है और इसको बनाने के लिए बहुत कम सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती है। इसे आप 10 से 15 मिनट मे ही बना लेंगे।
बच्चे बरसात के मौसम का आनंद खूब उठाते हैं। वे जानबूझकर पानी में खेलना और कूदना चाहते हैं। Barsat के ऐसे मौसम में आप की जिम्मेदारी अपने बच्चों के प्रति काफी बढ़ जाती हैं क्योकि बच्चा इस barish में भीगने का परिणाम नहीं जानता। इस स्थिति में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
मां का दूध बच्चे के लिए सुरक्षित, पौष्टिक और सुपाच्य होता है| माँ का दूध बच्चे में सिर्फ पोषण का काम ही नहीं करता बल्कि बच्चे के शरीर को कई प्रकार के बीमारियोँ के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी प्रदान करता है| माँ के दूध में calcium होता है जो बच्चों के हड्डियोँ के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|
पांच दालों से बनी खिचड़ी से बच्चो को कई प्रकार के पोषक तत्त्व मिलते हैं जैसे की फाइबर, विटामिन्स, और मिनरल्स (minerals)| मिनरल्स शरीर के हडियों और दातों को मजबूत करता है| यह मेटाबोलिज्म (metabolism) में भी सहयोग करता है| आयरन शरीर में रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है और फाइबर पाचन तंत्र को दरुस्त रखता है|
लाल रक्त पुरे शरीर में ऑक्सीजन पहुचाने में मदद करता है। लाल रक्त कोशिकायों के हीमोग्लोबिन में आयरन होता है। हीमोग्लोबिन ही पुरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचता है। बिना पर्याप्त आयरन के आपके शरीर में लाल रक्त की कमी हो जाएगी। बहुत से ऐसे भोजन हैं जिससे आयरन के कमी को पूरा किया जा सकता है।
अंडे से एलर्जी होने पर बच्चों के त्वचा में सूजन आ जाना , पूरे शरीर में कहीं भी चकत्ता पड़ सकता है ,खाने के बाद तुरंत उलटी होना , पेट में दर्द और दस्त होना , पूरे शरीर में ऐंठन होना , पाचन की समस्या होना, बार-बार मिचली आना, साँस की तकलीफ होना , नाक बहना, लगातार खाँसी आना , गले में घरघराहट होना , बार- बार छीकना और तबियत अनमनी होना |