Category: प्रेगनेंसी
By: Editorial Team | ☺8 min read
शिशु का जन्म पूरे घर को खुशियों से भर देता है। मां के लिए तो यह एक जादुई अनुभव होता है क्योंकि 9 महीने बाद मां पहली बार अपने गर्भ में पल रहे शिशु को अपनी आंखों से देखती है।

लेकिन साथ ही शिशु का जन्म शारीरिक तौर पर काफी थका देने वाला और तकलीफ देने वाला अनुभव होता है - विशेष तौर पर अगर आप भी शिशु को जरा सी सेक्शन डिलीवरी के द्वारा दिया है।
हम आपको यहां पर सिजेरियन डिलीवरी के बाद देखभाल के 10 तरीके बता रहे हैं जिससे डिलीवरी के बाद की शारीरिक रिकवरी बहुत तेज हो सके, ताकि आप अपना ज्यादा समय शिशु के साथ भावनात्मक रिश्ता स्थापित करने में लगा सके।
सिजेरियन डिलीवरी एक बड़ा ऑपरेशन है। ऑपरेशन के द्वारा पेट के निचले हिस्से में बने घाव को भरने के लिए शरीर को आराम की आवश्यकता है।

सी सेक्शन डिलीवरी के बाद यही वजह है कि आपको तीन से चार दिन तक अस्पताल में ही रुकना पड़ेगा। हो सकता है ज्यादा भी रुकना पड़े अगर किसी प्रकार का कॉम्प्लिकेशन हो तो।
मां बनने के बाद जीवन में जो सबसे बड़ा बदलाव आता है वह यह है कि शिशु के जन्म के प्रथम 1 साल आपके लिए समय बहुत व्यस्त होने वाला है जहां आपका पूरा समय शिशु की देखभाल में निकल जाएगा। इस दौरान समय के अभाव की वजह से हो सकता है कई महीनों तक आपको नींद पूरी करने का मौका भी ना मिले।
इसीलिए जब भी मौका मिले आपको आराम कर ले। जब भी आपका शिशु थोड़ी देर के लिए सोए, आप भी सो लें ताकि आपके शरीर को थोड़ा आराम मिल सके। दिन भर में कई बार थोड़े-थोड़े मिनट के लिए भी आराम करना आपके शरीर के लिए फायदेमंद होगा।
जब तक सिजेरियन डिलीवरी की वजह से बने घाव पूरी तरह भर ना जाएं तब तक कोई ऐसा काम ना करें जिससे आपके शरीर पर अनावश्यक तनाव पड़े।

इस दौरान आपके लिए बहुत ज्यादा सीढ़ियां चढ़ना और पानी से भरी बाल्टी या उठाना बेहतर नहीं है। इससे आपके शरीर पर अनावश्यक बोझ पड़ेगा। अपने शिशु के वजन से ज्यादा भारी कोई भी समान ना उठाएं।
जब भी आपको खांसी आए या आप छींके, तो अपने पेट को हाथों से पकड़ ले ताकि सी सेक्शन के घाव पर जोर ना पड़े।
पूरी तरह से ठीक होने में आपको 8 सप्ताह तक का समय लग जाएगा और इसके बाद धीरे-धीरे आपकी दिनचर्या सामान्य हो जाएगी। अपने डॉक्टर से इस बारे में जरूर राय लें कि आप सब शारीरिक व्यायाम कर सकती हैं या अपने काम पर वापस लौट सकती हैं।
कोई भी ऐसा एक्सरसाइज ना करें जिससे शरीर पर तनाव पड़े, लेकिन शारीरिक तौर पर फिट रहने के लिए हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करना जरूरी है जैसे हर दिन सुबह या शाम को आप कुछ देर के लिए टहल सकती है। इस प्रकार की शारीरिक क्रियाकाल्प आपके शरीर को कब्ज की समस्या से बचाएगी और साथी खून के थक्के को बनने से भी रुकेगी।
सिजेरियन डिलीवरी के बाद शारीरिक दर्द रह सकता है ऐसे में आप अपने डॉक्टर से दर्द को कम करने की दवा के बारे में परामर्श कर सकती हैं।

अगर शिशु को स्तनपान करा रही हैं तो डॉक्टर से इस बारे में जरूर आए ले ले क्योंकि यह जानना जरूरी है की दर्द की दवा का कहीं कोई असर शिशु पर तो नहीं पड़ेगा।
इसके अलावा दर्द को कम करने के लिए आप हीटिंग पैड (heating pad) का भी इस्तेमाल कर सकती है।
पौष्टिक आहार पर ध्यान दें
शिशु के जन्म के बाद आपके शरीर की पोषण की आवश्यकता और ज्यादा बढ़ जाती है। जो आहर आप ग्रहण करती हैं उससे आपके शरीर को पोषण मिलता है और साथ में आपकी शिशु को भी। जब तक आप अपने शिशु को स्तनपान करा रही हैं आपको अपने पोषण का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
बहुत ज्यादा मसालेदार या मीठे आहार का सेवन ना करें क्योंकि इससे शिशु के पाचन तंत्र पर प्रभाव पड़ेगा। जो भी आहार अब ग्रहण करें, यह देखने की कोशिश करें कि उसका आपके शिशु पर क्या प्रभाव पड़ा। जो आहार आपके शिशु में कब्ज की समस्या पैदा करते हैं ऐसे आहार को ग्रहण ना करें। अगर आप खाएं कि कुछ आहार ग्रहण करने पर अगर आप का शिशु स्तनपान के बाद चिडचिडे स्वभाव का हो जाता है - तो उस प्रकार के आहार को भी ना करें।
दिन में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी की है। कम पानी पीने से आपका शरीर डिहाइड्रेशन का शिकार हो सकता है जो आपके दूध निर्माण की छमता को भी प्रभावित करेगा। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से आपको कॉन्स्टिपेशन की प्रॉब्लम भी नहीं रहेगी।
सिजेरियन डिलीवरी के बाद अपनी शारीरिक अवस्था का ठीक तरह से देखभाल करने के लिए आपको यह भी समझना होगा कि कौन कौन सी अवस्था में आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
सिजेरियन डिलीवरी के बाद छेह सप्ताह तक घाव से खून बहना या तरल द्रव का निकलना सामान्य बात है। लेकिन अगर आप आपको निम्न बताए गए लक्षण या परेशानी का सामना करना पड़े, तो तुरंत डॉक्टर की सहायता प्राप्त करें।
यह सभी ऐसे लक्षण हैं जिन्हें आप को गंभीरता से लेने चाहिए। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखे या इस प्रकार की किसी की समस्या का सामना करना पड़े तो आप तुरंत चिकित्सक से परामर्श करें।

शिशु के जन्म के तुरंत बाद घाव ताजे होते हैं और इस समय आपको अपने घाव के ड्रेसिंग का पूरा ध्यान रखना पड़ेगा। सिजेरियन के घाव को संक्रमण से बचाने के लिए कुछ दिनों तक ना नहाए। घाव पर पानी पड़ने से उनमें संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। अगर घाव को भरने से पहले आपको नहाना पड़े तो आप घाव वाली जगह को अच्छी तरह से ढक कर नहाना चाहिए है।

डिलीवरी के बाद आपको अपने कपड़ों का भी विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ेगी। शिशु के जन्म के बाद आप ज्यादा कसे हुए कपड़े नहीं पहने। आप ऐसी भी कपड़े ना पहने जिनसे चुभन हो। जितना ज्यादा हो सके ढीले ढाले, और खुले-खुले कॉटन के कपड़े पहने।

ऑपरेशन के बाद जब तक घाव भर नहीं जाता है, तब ना तो एकदम से बैठ जाएं और ना ही एकदम से खड़े हो जाएं। सिजेरियन डिलीवरी के तुरंत बाद टांके और घाव हल्के होते हैं। अचानक से बैठने पर या खड़े हो जाने पर टांको के टूटने का डर होता है। सोते वक्त भी आप को हल्के से करवट लेनी चाहिए। डॉक्टरों के अनुसार ऑपरेशन के 4 से 6 हफ्ते तक आपके पेट पर खिंचाव घातक हो सकता है इसीलिए पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। 2 सप्ताह के बाद से आप हल्का फुल्का चलना शुरू कर सकती हैं, लेकिन ऐसा करने से पहले अपने डॉक्टर से एक बार जरूर पूछ लें।

पैरों के बल झुक कर काम करने से पेट पर दबाव बनता है जिससे टांके और घाव दोनों पर असर पड़ता है। शुरुआत के कुछ सप्ताह तक आपको झुक कर कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे आपकी पेट पे भार पड़े।

कहा जाता है की शिशु के जन्म के साथ ही माँ का भी नया जन्म होता है। यह इस लिए कहा जाता है क्योंकि शिशु के जन्म के बाद महिलाओं के शरीर में बहुत प्रकार के परिवर्तन होते हैं। अगर शिशु का जन्म सिजेरियन डिलीवरी के जरिये हुआ है तो और भी सावधानी बरतने की आवश्यकता है। जब तक घाव अच्छी तरह से ना भर जाये, पति के साथ शारीरिक सम्बन्ध ना बनाये। इससे संक्रमण का खतरा रहता है और कई प्रकार के कॉम्प्लिकेशन भी हो सकते हैं।

शिशु के जन्म के बाद आपको अपने पोषण का बहुत ध्यान रखने की आवश्यकता है। आपके लिए इस समय संतुलित आहार बहुत जरूरी है। शिशु पूरी तरह से अपने आहार के लिए आप पर निर्भर है इसीलिए इस दौरान आपका खान-पान ऐसा होना चाहिए जो शिशु के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा हो।
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        विटामिन डी (Vitamin D) एक ऐसा विटामिन है जिसके लिए डॉक्टर की परामर्श की आवश्यकता नहीं पड़ती है।  इसे कोई भी आसानी से बिना मेडिकल प्रिसक्रिप्शन के दवा की दुकान से खरीद सकता है।  विटामिन डी शरीर  के कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से कार्य करने में कई तरह से मदद करता है।  उदाहरण के लिए यह शरीर को कैल्शियम  को अवशोषित करने में सहायता करता है।  मजबूत और सेहतमंद हड्डियों के निर्माण में सहायता करता है।  तथा यह विटामिन शरीर को कई प्रकार के संक्रमण से भी  सुरक्षा प्रदान करता है।  लेकिन अगर आप गर्भवती हैं या फिर गर्भ धारण करने का प्रयास कर रही है तो विटामिन डी (Vitamin D) के इस्तेमाल से पहले अपने डॉक्टर से  अवश्य परामर्श कर ले। 
        प्रेगनेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर (बीपी) ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए आप नमक का कम से कम सेवन करें।  इसके साथ आप लैटरल पोजीशन (lateral position) मैं आराम करने की कोशिश करें।  नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर (बीपी) चेक करवाते रहें और ब्लड प्रेशर (बीपी)  से संबंधित सभी दवाइयां ( बिना भूले) सही समय पर ले।  
        बहुत से बच्चों और बड़ों के दातों के बीच में रिक्त स्थान बन जाता है। इससे चेहरे की खूबसूरती भी कम हो जाती है। लेकिन बच्चों के दातों के बीच गैप (डायस्टेमा) को कम करने के लिए बहुत सी तकनीक उपलब्ध है। सबसे अच्छी बात तो यह है की अधिकांश मामलों में जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं, यह गैप खुद ही भर जाता है। - Diastema (Gap Between Teeth)  
        एक्जिमा एक प्रकार का त्वचा विकार है जिसमें बच्चे के पुरे शारीर पे लाल चकते पड़ जाते हैं और उनमें खुजली बहुत हती है। एक्जिमा बड़ों में भी पाया जाता है, लेकिन यह बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है। एक्जिमा की वजह से इतनी तीव्र खुजली होती है की बच्चे खुजलाते-खुजलाते वहां से खून निकल देते हैं लेकिन फिर भी आराम नहीं मिलता। हम आप को यहाँ जो जानकारी बताने जा रहे हैं उससे आप अपने शिशु के शारीर पे निकले एक्जिमा का उपचार आसानी से कर सकेंगे।  
        बच्चे या तो रो कर या गुस्से के रूप में अपनी भावनाओं का प्रदर्शन करते हैं। लेकिन बच्चे अगर हर छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगे तो आगे चलकर यह बड़ों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। मां बाप के लिए आवश्यक है कि वह समय रहते बच्चे के गुस्से को पहचाने और उसका उपाय करें। 
        जुकाम के घरेलू उपाय जिनकी सहायता से आप अपने छोटे से बच्चे को बंद नाक की समस्या से छुटकारा दिला सकती हैं। शिशु का नाक बंद (nasal congestion) तब होता है जब नाक के छेद में मौजूद रक्त वाहिका और ऊतक में बहुत ज्यादा तरल इकट्ठा हो जाता है। बच्चों में बंद नाक की समस्या को बिना दावा के ठीक किया जा सकता है।  
        इसमें हानिकारक carcinogenic तत्त्व पाया जाता है। यह त्वचा को moisturize नहीं करता है - यानी की - यह त्वचा को नमी प्रदान नहीं करता है। लेकिन त्वचा में पहले से मौजूद नमी को खोने से रोक देता है। शिशु के ऐसे बेबी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें जिनमे पेट्रोलियम जैली/ Vaseline की बजाये प्राकृतिक पदार्थों का इस्तेमाल किया गया हो जैसे की नारियल का तेल, जैतून का तेल... 
        बच्चों का भाप (स्टीम) के दुवारा कफ निकालने के उपाय करने के दौरान भाप (स्टीम) जब शिशु साँस दुवारा अंदर लेता है तो उसके छाती में जमे कफ (mucus) के कारण जो जकड़न है वो ढीला पड़ जाता है। भाप (स्टीम) एक बहुत ही प्राकृतिक तरीका शिशु को सर्दी और जुकाम (colds, chest congestion and sinusitus) में रहत पहुँचाने का। बच्चों का भाप (स्टीम) के दुवारा कफ निकालने के उपाय 
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