Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
सुबह उठकर भीगे बादाम खाने के फायेदे तो सबको पता हैं - लेकिन क्या आप को पता है की भीगे चने खाने के फायेदे बादाम से भी ज्यादा है। अगर आप को यकीन नहीं हो रहा है तो इस लेख को जरूर पढिये - आप का भ्रम टूटेगा।

अगर आप भी,
हर दिन,
सुबह उठ कर भीगे बादाम खाना पसंद करती हैं - तो इससे अच्छी सेहतमंद आदत और कुछ हो ही नहीं सकता है!
लेकिन
क्या आप को पता है की
भीगे बादाम से भी ज्यादा फायदेमंद है भीगे हुए चने खाना?
विश्वास नहीं होता!
अक्सर हम लोगों की फितरत होती है की हम महंगे आहार को - ज्यादा सेहत से भरपूर समझते हैं।
जैसे की सेब और बदाम को हम लोग जितनी एहमियत देते हैं - शायद अमरुद और मोमफली को उतनी तवज्जो नहीं देते हैं।
मगर आज हम आप को एक रहस्य की बात बताते हैं -
मानिये या न मानिये
मगर
भीगे चने खाने के फायदे भीगे बादाम से भी ज्यादा।
चने में मिलने वाले यह पोषक तत्व आप के दिमाग को तेज़ करने के साथ ही साथ आप की सुंदरता और चेहरे की रौनक भी बढ़ाते हैं।
गाओं - देहात में आप ने देखा होगा की लोग अक्सर सुबह उठ कर नाश्ते में भीगे चने कहते हैं।
क्या यही है उनके स्वस्थ का राज?
गाओं के लोगों को उतने डॉक्टरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं जितना की शहर के लोगों को। फिर भी गाओं के लोग - शहरी लोगों की तुलना में कई साल ज्यादा जीते हैं।
इसके बहुत से कारण है और उनमें से एक कारण यह भी है की गाओं के लोग हर दिन सुबह उठकर भीगा हुआ चना खाते हैं।
आइये हम आप को विस्तार से बताते हैं की चने खाने की क्या क्या फायदे हो सकते हैं।
चने में घनिष्ट मात्रा में विटामिन, मिनरल्स, क्लोरोफिल और फास्फोरस पाया जाता है। इसीलिए हर दिन सुबह उठ कर भीगे चने खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक छमता (immune system) सुदृण बनती है। इसका मतलब आप का शरीर बाहरी संक्रमण से लड़ने में सक्षम बनता है।
डायबिटिज (मधुमेह) के मरीज अगर हर दिन सुबह उठकर, खली पेट, मात्रा २५ ग्राम भीगा हुआ चने खा लें तो उनके शरीर को डायबिटिज को नियंत्रण में करने में काफी मदद मिलेगी।
अगर आप को पेट दर्द या अक्सर कब्ज की समस्या रहती है तो आप हर दिन सुबह खली पेट चने खाना शुरू कर दें। कुछ ही दिनों में आप को कब्ज से रहत मिल जाएगी। चने में भरपूर मात्रा में fiber होता है जो पाचन तंत्र में मोशन को बेहतर बनाता है। आप चाहें तो चने में स्वाद के लिए नमक, जीरा और अदरक मिला सकते हैं।
रोज सुबह चने खाने से शरीर स्वस्थ रहता है और दिन भर काम करने के लिए ऊर्जा भी मिलती है। विशेषज्ञों के अनुसार चना इतना फायदेमंद है की यह पुरुषों में होने वाली किसी भी कमजोरी को ख़त्म कर सकता है।
अगर आप मोटापे की समस्या से परेशान हैं तो चना खाना शुरू कर दें। कच्चे चने को पचाना उतना आसान काम नहीं जितना की पकाये हुए चने को। कच्चे चने को पचाने के लिए शरीर को बहुत कैलोरी खर्च करनी पड़ती है। शरीर के मोटापे को कम करने के लिए भी बहुत कैलोरी बर्न करने की आवश्यकता पड़ती है। आप चने खा के वो कैलोरी बर्न कर सकती हैं। दूसरी बात यह है की कच्चा चने को चबाने में पाचन तंत्र को बहुत मेहनत करनी पड़ती है और इस काम मैं बहुत समय लगता है। यानी कच्चे चने खाने के बाद आप को बहुत देर तक भूख नहीं लगेगी। - यह तो बहुत अच्छी बात है। जब आप को भूख ही नहीं लगेगी तो आप बिना-समय के और बिना-मतलब के दिन भर खाते नहीं रहेंगे। चने में अच्छी मात्रा में fiber होता है। यह तो सबको पता है की fiber शरीर में मौजूद कोलेस्टोरल (cholesterol) की मात्रा को कम करता है। जाहीर सी बात है की चना कम से कम तीन तरह से आप के वजन को कम करने में सहायता करता है।
अगर आप के शिशु को गाए के दूध से एक्जिमा होता है मगर UTH milk या फार्मूला दूध देने पे उसे एक्जिमा नहीं होता है तो इसकी वजह है गाए के दूध में पाई जाने वाली विशेष प्रकार की प्रोटीन जिससे शिशु के शारीर में एलर्जी जैसी प्रतिक्रिया होती है।
शिशु की तिरछी आंखों (Squint eyes) को एक सीध में किस तरह लाया जाये और बच्चे को भैंगापन से बचने के तरीकों के बारे में जाने इस लेख में। अधिकांश मामलों में भेंगेपन को ठीक करने के लिए किसी विशेष इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है। समय के साथ यह स्वतः ही ठीक हो जाता है - लेकिन शिशु के तीन से चार महीने होने के बाद भी अगर यह ठीक ना हो तो तुरंत शिशु नेत्र विशेषज्ञ की राय लें।
जानिए की आप अपनी त्वचा की देखभाल किस तरह कर सकती हैं की उन पर झुर्रियां आसानी से ना पड़े। अगर ये घरेलु नुस्खे आप हर दिन आजमाएंगी तो आप की त्वचा आने वाले समय में अपने उम्र से काफी ज्यादा कम लगेंगे।
सुपरफूड हम उन आहारों को बोलते हैं जिनके अंदर प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। सुपर फ़ूड शिशु के अच्छी शारीरिक और मानसिक विकास में बहुत पूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये बच्चों को वो सभी पोषक तत्व प्रदान करते हैं जो शिशु के शारीर को अच्छी विकास के लिए जरुरी होता है।
दांतों का दर्द बच्चों को बहुत परेशान कर देने वाला होता है। इसमें ना तो बच्चे ठीक से कुछ खा पाते हैं और ना ही किसी अन्य शारीरिक क्रिया में उनका मन लगता है। दांतों में दर्द की वजह से कभी कभी उनके चेहरे भी सूख जाते हैं। अगर शिशु के शरीर किसी अन्य हिस्से पर कोई चोट लगे तो आप उस पर मरहम लगा सकती हैं लेकिन दातों का दर्द ऐसा है कि जिसके लिए आप शिशु को न तो कोई दवाई दे सकती हैं और ना ही किसी स्प्रे का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसी वजह से बच्चों के दातों का इलाज करना बहुत ही चुनौती भरा काम है।
गर्भावस्था के दौरान मां और उसके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए विटामिंस बहुत आवश्यक होते हैं। लेकिन इनकी अत्यधिक मात्रा गर्भ में पल रहे शिशु तथा मां दोनों की सेहत के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। इसीलिए गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में मल्टीविटामिन लेने से बचें। डॉक्टरों से संपर्क करें और उनके द्वारा बताए गए निश्चित मात्रा में ही विटामिन का सेवन करें। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में मल्टीविटामिन लेने के कौन-कौन से नुकसान हो सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान बालों का झड़ना एक बेहद आम समस्या है। प्रेगनेंसी में स्त्री के शरीर में अनेक तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जिनकी वजह से बालों की जड़ कमजोर हो जाते हैं। इस परिस्थिति में नहाते वक्त और बालों में कंघी करते समय ढेरों बाल टूट कर गिर जाते हैं। सर से बालों का टूटना थोड़ी सी सावधानी बरतकर रोकी जा सकती है। कुछ घरेलू औषधियां भी हैं जिनके माध्यम से बाल की जड़ों को फिर से मजबूत किया जा सकता है ताकि बालों का टूटना रुक सके।
डिस्लेक्सिया (Dyslexia) से प्रभावित बच्चों को पढाई में बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है। ये बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं। डिस्लेक्सिया (Dyslexia) के लक्षणों का इलाज प्रभावी तरीके से किया जा सकता है। इसके लिए बच्चों पे ध्यान देने की ज़रुरत है। उन्हें डांटे नहीं वरन प्यार से सिखाएं और उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करें।
शिशु की खांसी एक आम समस्या है। ठंडी और सर्दी के मौसम में हर शिशु कम से कम एक बार तो बीमार पड़ता है। इसके लिए डोक्टर के पास जाने की अव्शाकता नहीं है। शिशु खांसी के लिए घर उपचार सबसे बेहतरीन है। इसका कोई side effects नहीं है और शिशु को खांसी, सर्दी और जुकाम से रहत भी मिल जाता है।
शिशु को 6 महीने की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को पोलियो, हेपेटाइटिस बी और इन्फ्लुएंजा से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
शिशु को 5 वर्ष की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मम्प्स, खसरा, रूबेला, डिफ्थीरिया, कालीखांसी और टिटनस (Tetanus) से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
पोलियो वैक्सीन OPV (Polio Vaccine in Hindi) - हिंदी, - पोलियो का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
चिकनगुनिया का प्रकोप भारत के कई राज्योँ में फ़ैल रहा है। इसके लक्षण बहुत ही भ्रमित कर देने वाले हैं। ऐसा इस लिए क्योँकि इसके लक्षण बहुत हद तक मलेरिया से मिलते जुलते हैं।
इस यौजना का मुख्या उद्देश्य है की इधर-उधर फेंके गए बच्चों की मृत्यु को रोकना| समाज में हर बच्चे को जीने का अधिकार है| ऐसे में शिशु पालना केंद्र इधर-उधर फेंके गए बच्चों को सुरख्षा प्रदान करेगा|
गर्भवती महिलाएं जो भी प्रेगनेंसी के दौरान खाती है, उसकी आदत बच्चों को भी पड़ जाती है| भारत में तो सदियोँ से ही गर्भवती महिलायों को यह नसीहत दी जाती है की वे चिंता मुक्त रहें, धार्मिक पुस्तकें पढ़ें क्योँकि इसका असर बच्चे पे पड़ता है| ऐसा नहीं करने पे बच्चे पे बुरा असर पड़ता है|
सात से नौ महीने (7 to 9 months) की उम्र के बच्चों को आहार में क्या देना चाहिए की उनका विकास भलीभांति हो सके? इस उम्र में शिशु का विकास बहुत तीव्र गति से होता है और उसके विकास में पोषक तत्त्व बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
दूध वाली सेवई की इस recipe को 6 से 12 महीने के बच्चों को ध्यान मे रख कर बनाया गया है| सेवई की यह recipe है छोटे बच्चों के लिए सेहत से भरपूर| अब नहीं सोचना की 6 से 12 महीने के बच्चों को खाने मे क्या दें|
अक्सर माताओं के लिए यह काफी चुनौतीपूर्ण रहता है की बच्चो को क्या दें की उनले बढ़ते शरीर को पोषक तत्वों की उचित खुराक मिल सके। कोई भी नया भोजन जब आप पहली बार बच्चे को देते हैं तो वो नखड़े कर सकता है। ऐसे मैं यह - 3 साल तक के बच्चे का baby food chart आप की मदद करेगा। संतुलित आहार चार्ट
सेब और चावल के पौष्टिक गुणों से भर पूर यह शिशु आहार बच्चों को बहुत पसंद आता है। सेब में वो अधिकांश पोषक तत्त्व पाए जाते हैं जो आप के शिशु के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उसे स्वस्थ रहने में सहायक हैं।
बच्चों को गोरा करने के कुछ तरीके हैं (rang gora karne ka tarika) जिनके इस्तेमाल से आप अपने बच्चे को जीवन भर के लिए साफ और गोरी त्वचा दे सकतें हैं। हर माँ आपने बच्चों को लेके बहुत सी चीज़ों के लिए चिंतित रहती है। उनमें से एक है बच्चे की त्वचा। अक्सर मायें चाहती हैं की उनके बच्चे की त्वचा मे कोई दाग न हो।