Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺10 min read
बच्चों का भाप (स्टीम) के दुवारा कफ निकालने के उपाय करने के दौरान भाप (स्टीम) जब शिशु साँस दुवारा अंदर लेता है तो उसके छाती में जमे कफ (mucus) के कारण जो जकड़न है वो ढीला पड़ जाता है। भाप (स्टीम) एक बहुत ही प्राकृतिक तरीका शिशु को सर्दी और जुकाम (colds, chest congestion and sinusitus) में रहत पहुँचाने का। बच्चों का भाप (स्टीम) के दुवारा कफ निकालने के उपाय
 दिलाने का सही तरीका ताकि भागे सर्दी और जुकाम children steam vapor blocked nose cold and cough vaporub.jpg)
औसतन एक छोटे बच्चे को साल में आठ से दस बार सर्दी, जुकाम और बंद नाक का सामना करना पड़ता है।
छोटे बच्चों को डॉक्टर और शिशु रोग विशेषज्ञ सर्दी और जुकाम में दवा देने की सलाह नहीं देते हैं। इसकी दो वजह है।
सर्दी और जुकाम में बच्चों का प्राकृतिक इलाज सबसे बेहतर विकल्प है। बच्चों का भाप (स्टीम) के दुवारा कफ निकालने के उपाय:
बच्चों को भाप (स्टीम) दिलाने से उनका बंद नाक खुल जाता है। भाप (स्टीम) जब शिशु साँस दुवारा अंदर लेता है तो उसके छाती में जमे कफ (mucus - बलगम जमा) के कारण जो जकड़न है वो ढीला पड़ जाता है। कफ (mucus) ढीला/पतला हो जाता है और आसानी से नाक के रस्ते बहार आने लायक हो जाता है। कफ (mucus) के ढीला पड़ते ही बंद नाक खुल जाती है और शिशु को सांस लेने में आराम मिलता है।
भाप (स्टीम) एक बहुत ही प्राकृतिक तरीका शिशु को सर्दी और जुकाम (colds, chest congestion and sinusitus) में रहत पहुँचाने का। बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है की बच्चों को भाप (स्टीम) दिलाने से ना केवल उनकी नाक खुल जाती है, बच्चे रात को बेहतर नीदं सो पाते हैं बल्कि उनका सर्दी और जुकाम भी जल्दी ठीक हो जाता है।

How often do you do a steam bath for baby with cold?
शिशु को सर्दी और जुकाम से रहत पहुँचाने के लिए आप उसे दिन में दो बार भाप दे सकते हैं - सुबह और शाम।
दो साल से छोटे बच्चों को Vicks Vaporub देना सुरक्षित नहीं है।
दो साल से बड़े बच्चों को Vicks Vaporub दिया जा सकता है। शिशु को Vicks Vaporub देना कितना फायदेमंद है इसके बारे में कई शोध हो चुके हैं। हालाँकि यह बात साबित हो चूका है की Vicks Vaporub देने से शिशु की सर्दी और जुकाम समाप्त नहीं होती है। मगर यह बात तो सर्दी और जुकाम की सारी दवाओं पे भी लागु होती है।

Vicks Vaporub के इस्तेमाल से शिशु को सर्दी और जुकाम के लक्षणों से आराम मिलता है। शिशु रात हो अच्छी नींद सो पता है और आराम से साँस ले पता है।
लेकिन अगर आप के शिशु को Vicks Vaporub के प्रयोग से कठिनाई का सामना करना पड़े तो आप अपने बच्चे पे Vicks Vaporub का इस्तेमाल न करें।
शिशु अपने जीवन के पहले दो साल में करीब आठ से दस बार सर्दी और जुकाम का शिकार होता है। इसमें सबसे ज्यादा शिशु बंद नाक के कारण परेशान होता है। नवजात शिशु को भाप देने से उसका नाक खुल जाता है और उसे साँस लेने में आसानी होती है।
मगर
नवजात शिशु को भाप दिलाना खतरनाक हो सकता है। उसकी त्वचा बहुत नाजुक होती है और जल सकती है। इसीलिए नवजात शिशु को भाप बड़े बच्चों की तरह नहीं दिया जा सकता है।
नवजात शिशु को कभी भी कटोरे में गरम पानी कर के भाप न दिलाएं - यह बहुत खतरनाक है। नवजात शिशु को भाप दिलाने के और भी बेहतर तरीके मौजूद हैं।
नवजात शिशु को भाप देने के लिए ह्यूमिडिफायर (Humidifier) का इस्तेमाल करना सबसे सुरक्षित रहता है। इससे शिशु को गरम भाप का सामना नहीं करना पड़ता है। ह्यूमिडिफायर (Humidifier) से मिलने वाली भाप से उसके छाती में जमी बलगम भी समाप्त हो जाती है, कफ (mucus) के ढीले होने से श्वसन तंत्र खुल जाता है (respiratory system clears up), शिशु आरामदायक नींद सो पाता है, और उसकी सर्दी और जुकाम जल्द ठीक हो जाती है।
 इस्तेमाल करने का तरीका - Guide.jpg)
ह्यूमिडिफायर (Humidifier) को शिशु के कमरे में ऐसी जगह पे रखिये की जहाँ पे छोटे बच्चे नहीं पहुँच सके। ह्यूमिडिफायर (Humidifier) के इस्तेमाल से शिशु के कमरे में नमी का स्तर बढ़ जाता है। ठण्ड के दिनों में कमरों के अंदर नमी का स्तर बहुत घाट जाता है - इससे बच्चे को सर्दी और जुकाम में सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है, उसे बार-बार खांसी आती है और बंद नाक का भी सामना करना पड़ता है।
अगर आप के घर के स्नान घर (bathroom) में नल से गरम पानी आने की सुविधा है तो जब शिशु को भाप देना हो तो स्नान घर (bathroom) में कुछ देर के लिए गरम पानी चला के छोड़ दीजिये। आप इसके लिए चाहें तो शावर का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। जब स्नान घर (bathroom) भाप से भर जाये तो अपने नवजात बच्चे को गोद में लेके पंद्रह मिनट के लिए स्नान घर (bathroom) में बैठ जाएँ। ध्यान रहें:
 को कुछ समय के लिए भाप घर बना दीजिये.jpg)
स्नान घर (bathroom) में बिताये गए समय में शिशु कमरे में मौजूद भाप साँस के दुवारा अंदर लेते है। इससे उसे सर्दी और जुकाम में भाप के सारे फायदे मिलते हैं।
नवजात शिशु को भाप देने के लिए आप वेपोराइजर (Vaporizer) का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। यह भी एक बेहतर तरीका है शिशु के छाती में जमी बलगम को दूर करने का। बिस्तर पे जब आप का शिशु आराम से सो रहा हो तो उसके निकट (मगर एक फुट की दुरी पे) वेपोराइजर (Vaporizer) का इस्तेमाल कीजिये। वेपोराइजर (Vaporizer) का इस्तेमाल करते वक्त हर समय शिशु के निकट ही रहिये ताकि शिशु और वेपोराइजर (Vaporizer) हर वक्त सुरक्षित दुरी पे बने रहें। अब आप कम्बल को इस तरह ओढ़ लें ताकि कम्बल के अंदर आप, आप का शिशु और वेपोराइजर (Vaporizer) हों। इससे वेपोराइजर (Vaporizer) से निकलने वाली भाप कम्बल के अंदर ही रह जाएगी। करीब 45 minutes तक समय बिताने से शिशु का बहुत आराम पहुँचता है।
 के इस्तेमाल के दुवारा.jpg)
आप हमेशा इस बात का ध्यान रखें की बच्चों की रोग प्रतिरोधक तंत्र (immune system) अभी इतनी विकसित नहीं हुई है की बच्चे को हर प्रकार के सर्दी और जुकाम से तुरंत राहत पहुंचा सके। लेकिन फिर भी बच्चों का शरीर इतना सक्षम जरूर होता है की वो 10-14 दिनों में बिना किसी दवा के खुद ही सर्दी और जुकाम का सामना कर सके और ठीक हो सके।

तीन महीने से छोटे शिशु को अगर सर्दी और जुकाम लगे तो आप को डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए। नवजात शिशु में साधारण सी सर्दी और जुकाम भी निमोनिया का रूप आसानी से ले सकती है - या कोई अन्य गंभीर रूप ले सकती है। तीन महीने से छोटे बच्चों के लिए बहुत सावधानी बरतने की आवशकता है।
तीन महीने से बड़े बच्चे अगर सर्दी और जुकाम के शिकार हों तो डॉक्टर को बताएं
अधिकांश मां बाप को इस बात के लिए परेशान देखा गया है कि उनके बच्चे सब्जियां खाना पसंद नहीं करते हैं। शायद यही वजह है कि भारत में आज बड़ी तादाद में बच्चे कुपोषित हैं। पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां शिशु के शरीर में कई प्रकार के पोषण की आवश्यकता को पूरा करते हैं और शिशु के शारीरिक और बौद्धिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सब्जियों से मिलने वाले पोषक तत्व अगर शिशु को ना मिले तो शिशु का शारीरिक विकास रुक सकता है और उसकी बौद्धिक क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। हो सकता है शिशु शारीरिक रूप से अपनी उचित लंबाई भी ना प्राप्त कर सके। मां बाप के लिए बच्चों को सब्जियां खिलाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। अक्षर मां बाप यह पूछते हैं कि जब बच्चे सब्जियां नहीं खाते तो किस तरह खिलाएं?
नॉर्मल डिलीवरी से शिशु के जन्म में कई प्रकार के खतरे होते हैं और इसमें मौत का जोखिम भी होता है - लेकिन इससे जुड़ी कुछ बातें हैं जो आपके लिए जानना जरूरी है। शिशु का जन्म एक साधारण प्रक्रिया है जिसके लिए प्राकृतिक ने शरीर की रचना किस तरह से की है। यानी सदियों से शिशु का जन्म नॉर्मल डिलीवरी के पद्धति से ही होता आया है।
बच्चों को या बड़ों को - टॉन्सिल इन्फेक्शन किसी को भी हो सकता है जब शारीर की रोग प्रतिरोधक छमता कमजोर पड़ जाती है। चूँकि बच्चों की रोगप्रतिरोधक छमता बड़ों की तुलना में कम होती है, टॉन्सिल इन्फेक्शन बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है। लेकिन कुछ आसन से घरेलु उपचार से इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है।
गर्भधारण के लिए हर दिन सामान्य नहीं होता है। कुछ विशेष दिन ऐसे होते हैं जब महिला के गर्भवती होने की सम्भावना सबसे ज्यादा रहती है। इस समय अंतराल को स्त्री का फर्टाइल स्टेज कहते हैं। इस समय यौन सम्बन्ध बनाने से स्त्री के गर्भधारण करने की सम्भावना बाढ़ जाती है।
गर्भावस्था के दौरान बालों का झाड़ना एक बेहद आम बात है। ऐसा हार्मोनल बदलाव की वजह से होता है। लेकिन खान-पान मे और जीवन शैली में छोटे-मोटे बदलाव लाकर के आप अपने बालों को कमजोर होने से और टूटने/गिरने से बचा सकती हैं।
कुछ बातों का ख्याल रख आप अपने बच्चों की बोर्ड एग्जाम की तयारी में सहायता कर सकती हैं। बोर्ड एग्जाम के दौरान बच्चों पे पढाई का अतिरिक्त बोझ होता है और वे तनाव से भी गुजर रहे होते हैं। ऐसे में आप का support उन्हें आत्मविश्वास और उर्जा प्रदान करेगा। साथ ही घर पे उपयुक्त माहौल तयार कर आप अपने बच्चों की सफलता सुनिश्चित कर सकती हैं।
बाजार में उपलब्ध अधिकांश बेबी प्रोडक्ट्स जैसे की बेबी क्रीम, बेबी लोशन, बेबी आयल में आप ने पराबेन (paraben) के इस्तेमाल को देखा होगा। पराबेन (paraben) एक xenoestrogens है। यानी की यह हमारे शारीर के हॉर्मोन production के साथ सीधा-सीधा छेड़-छाड़ करता है। क्या कभी आप ने सोचा की यह आप के शिशु शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सुरक्षित है भी या नहीं?
बच्चों को सर्दी और जुकाम मैं बुखार होना आम बात है। ऐसा बच्चों में हरारत (exertion) के कारण हो जाता है। कुछ साधारण से घरेलु उपचार के दुवारा आप बच्च्चों में सर्दी और जुकाम के कारण हुए बुखार का इलाज घर पे ही कर सकती हैं। (bukhar ki dawa, खांसी की अचूक दवा)
अगर आप का शिशु सर्दी और जुकाम से परेशान है तो कुछ घरेलु उपाय आप के शिशु को आराम पहुंचा सकते हैं। सर्दी और जेड के मौसम में बच्चों का बीमार पड़ना आम बात है। इसके कई वजह हैं। जैसे की ठण्ड के दिनों में संक्रमण को फैलने के लिए एकदम उपयुक्त माहौल मिल जाता है। कुछ बच्चों को ठण्ड से एलेर्जी होती है और इस वजह से भी उनमे सर्दी और जुकाम के लक्षण दीखते हैं।
क्या आप के पड़ोस में कोई ऐसा बच्चा है जो कभी बीमार नहीं पड़ता है? आप शायद सोच रही होंगी की उसके माँ-बाप को कुछ पता है जो आप को नहीं पता है। सच बात तो ये है की अगर आप केवल सात बातों का ख्याल रखें तो आप के भी बच्चों के बीमार पड़ने की सम्भावना बहुत कम हो जाएगी।
शिशु का टीकाकार शिशु को बीमारियोँ से बचाने के लिए बहुत जरुरी है। मगर टीकाकार से शिशु को बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ता है। जानिए की आप किस तरह अपने शिशु को टीकाकरण २०१८ से हुए दर्द से शिशु को कैसे राहत पहुंचा सकते हैं।
नवजात शिशु दो महीने की उम्र से सही बोलने की छमता का विकास करने लगता है। लेकिन बच्चों में भाषा का और बोलने की कला का विकास - दो साल से पांच साल की उम्र के बीच होता है। - बच्चे के बोलने में आप किस तरह मदद कर सकते हैं?
भारत में रागी को finger millet या red millet भी कहते हैं। रागी को मुख्यता महाराष्ट्र और कर्नाटक में पकाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे नाचनी भी कहा जाता है। रागी से बना शिशु आहार (baby food) बड़ी सरलता से बच्चों में पच जाता है और पौष्टिक तत्वों के मामले में इसका कोई मुकाबला नहीं।
सेक्स से सम्बंधित बातें आप को अपने बच्चों की उम्र का ध्यान रख कर करना पड़ेगा। इस तरह समझएं की आप का बच्चा अपने उम्र के हिसाब से समझ जाये। आप को सब कुछ समझने की जरुरत नहीं है। सिर्फ उतना बताएं जितना की उसकी उम्र में उसे जानना जरुरी है।
युवा वर्ग की असीमित बिखरी शक्ति को संगठित कर उसे उचित मार्गदर्शन की जितनी आवश्यकता आज हैं , उतनी कभी नहीं थी। आज युवा वर्ग समाज की महत्वकांशा के तले इतना दब गया हैं , की दिग - भ्रमित हो गया हैं।
बच्चे के अच्छे भविष्य के लिए बचपन से ही उन्हें अच्छे और बुरे में अंतर करना सिखाएं। यह भी जानिए की बच्चों को बुरी संगत से कैसे बचाएं। बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए उन्हें अच्छी शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार भी दीजिये।
जब बच्चा आहार ग्रहण करने यौग्य हो जाता है तो अकसर माताओं की यह चिंता होती है की अपने शिशु को खाने के लिए क्या आहर दें। शिशु का पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होता है और इसीलिए उसे ऐसे आहारे देने की आवश्यकता है जिसे उनका पाचन तंत्र आसानी से पचा सके।
अगर आप इस बात को ले के चिंतित है की अपने 4 से 6 माह के बच्चे को चावल की कौन सी रेसेपी बना के खिलाये - तो यह पढ़ें चावल से आसानी से बन जाने वाले कई शिशु आहार। चावल से बने शिशु आहार बेहद पौष्टिक होते हैं और आसानी से शिशु में पच भी जाते हैं।