Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺7 min read
बदलते मौसम में शिशु को जुकाम और बंद नाक की समस्या होना एक आम बात है। लेकिन अच्छी बात यह है की कुछ बहुत ही सरल तरीकों से आप अपने बच्चों की तकलीफों को कम कर सकती हैं और उन्हें आराम पहुंचा सकती हैं।

बदलते मौसम में शिशु का नाक बंद होना आम बात है!
घबराइए नहीं - हम आप को बताएँगे की किस तरह आप अपने शिशु को बंद - नाक होने की स्थिति में आराम पहुंचा सकती है। शिशु को आराम पहुँचाने के लिए आप को उसे खांसी की दवा भी देने की आवश्यकता नहीं है।
नाक बंद होना किसी को भी अच्छा नहीं लगता है, बच्चों को तो बुल्कुल भी नहीं। नाक बंद होने से बच्चे परेशान हो जाते हैं।
लेकिन हम आप को कुछ ऐसे सुझाव बताने जा रहें हैं जिनकी सहयता से आप अपने बच्चे को आराम से साँस लेने में मदद कर सकती हैं।
जब आप का शिशु बंद नाक की स्थिति से परेशान है ती कुछ बातों का ख्याल रख कर आप अपने शिशु को आराम पहुंचा सकती हैं।

सबसे पहले तो आप को यह सुनिश्चित करना है की क्या आप के शिशु की नाक वाकई बंद है। अगर आप का शिशु बंद नाक की समस्या से परेशान है तो आप को अपने बच्चे में निम्न लक्षण दिखेंगे।
शिशु के बंद नाक की समस्या कई करने से हो सकती है जैसे की साधारण संक्रमण, जुकाम या फ़्लू। लेकिन यह भी आवशयक है की आप अपनी तरफ से सुनुश्चित कर लें की आप के बच्चे ने खेल-खेल में अपनी नाक में कुछ डाल तो नहीं लिए है। आप को विश्वाश नहीं होगा, मगर बच्चों में नाक बंद होने का यह कारण भी बहुत आम है।

बच्चे की नाक में झांक के देखिये की कहीं कुछ फंसा तो नहीं है। अगर आप को उसके नाक के छिद्र में कुछ फंसा हुआ दिखे तो निकलने की कोशिश न करें। तुरंत बच्चे को डॉक्टर के पास लेके जाएँ। अगर आप बच्चे की नाक से फसें हुए वस्तु को खुद निकलने की कोशिश करेंगी तो हो सकता है को वह और अंदर चला जाये। बच्चे को इस दौरान मुँह से सांस लेने के लिए प्रोत्साहित करें।
अगर आप के बच्चे की नाक बंद साधारण संक्रमण, जुकाम या फ़्लू की वजह से है तो अपने बच्चे को नाक छिनकने के लिए कहिये और उसकी नाक को साफ़ कपडे से साफ कर दीजिये। इससे उसे आराम मिलेगा। हर थोड़ी - थोड़ी देर पे ऐसा करते रहिये।

साधारण संक्रमण, जुकाम या फ़्लू में आप बच्चे की नाक में नेसल स्प्रे (Nasal Spray or Saline Drops) का इस्तेमाल कर सकती हैं। इससे शिशु को साँस लेने में बहुत आराम मिलेगा।
छोटे बच्चों में नेसल स्प्रे (Nasal Spray or Saline Drops) का इस्तेमाल करना बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योँकि छोटे बच्चे बहुत छटपटाते (wriggly) - नटखट करते हैं और आसानी से नेसल स्प्रे का इस्तेमाल करने नहीं देते हैं।
शिशु की बंद नाक में नेसल स्प्रे अगर आप सही समय (strategic time) पे लगाती हैं तो तो शायद आप को अपने बच्चे में नेसल स्प्रे लगते वक्त उतनी दिक्कत का सामना न करना पड़े। शिशु की नाक में नेसल स्पर्य का इस्तेमा तब करें जब बच्चा शांत हो, और आरामदायक स्थिति में हो। अधिकांश स्थिति में देखा जाये तो बच्चे नाहन के बाद व फिर आहार ग्रहण करने के बाद थोड़े से सुस्त और आरामदायक (relaxed) मुद्रा में होते हैं। यह सही समय होता है बच्चे की नाक में नेसल स्प्रे (Nasal Spray or Saline Drops) के इस्तेमाल करने का।


अगर आप के शिशु की नाक इस कदर बंद है की आप का बच्चा रात को ठीक से सो नहीं पा रहा है तो आप एक और काम कर सकती हैं। नमी और गर्माहट बच्चे की नाक को खोलने में बहुत मददगार साबित हो सकती है। रात में बंद नाक के कारण अगर आप के बच्चे को नींद नहीं आ रही है तो आप स्नानघर (bathroom) में जा के गरम पानी का नल खोल दें।
 गरम पानी के भाप में शिशु को 15 मिनट के लिए रखिये.jpg)
इससे स्नानघर (bathroom) गरम पानी के भाप से भर जायेगा। अब इस भाप भरे स्नानघर (bathroom) में अपने बच्चे को गोदी में लेके पंद्रह (15) मिनट गुजारिये। इससे बच्चे को नाक खुलने में सहायता मिलेगी। अगर आप के शिशु को बलगम वाली खांस है, तो भी यह एक प्रभावी तरीका है।

साधारणतया शिशु की बंद नाक की समस्या एक सप्ताह के भीतर समाप्त हो जानी चाहिए। संक्रमण के कुछ परिस्थितियोँ में दो सप्ताह भी लग सकता है।
सर्दी, जुकाम और बंद नाक ऐसी परिस्थितियां नहीं हैं की डॉक्टर के पास जाया जाये। लकिन कुछ परिस्थितियोँ अपने बच्चे को लेके डॉक्टर के पास अवशय जाये अगर आप पाने बच्चे में निम्न बातें पाएं:

यहां पे शिशु के बंद नाक से सम्बंधित दी गयी जानकारी सम्पूर्ण नहीं है। यहां दी गयी जानकारी का अपनी विवेक के अनुसार इस्तेमाल कीजिये। लेकिन अगर आप को किसी बात की को भी आशंका हो तो अपने शिशु के डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें और डॉक्टरी राय लें।
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नारियल का पानी गर्भवती महिला के लिए पहली तिमाही में विशेषकर फायदेमंद है अगर इसका सेवन नियमित रूप से सुबह के समय किया जाए तो। इसके नियमित सेवन से गर्भअवस्था से संबंधित आम परेशानी जैसे कि जी मिचलाना, कब्ज और थकान की समस्या में आराम मिलता है। साथी या गर्भवती स्त्री के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, शिशु को कई प्रकार की बीमारियों से बचाता है और गर्भवती महिला के शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है।
12 साल तक की उम्र तक बच्चे बहुत तेजी से बढ़ते हैं और इस दौरान शिशु को सही आहार मिलना बहुत आवश्यक है। शिशु के दिमाग का विकास 8 साल तक की उम्र तक लगभग पूर्ण हो जाता है तथा 12 साल तक की उम्र तक शारीरिक विकास बहुत तेजी से होता है। इस दौरान शरीर में अनेक प्रकार के बदलाव आते हैं जिन्हें सहयोग करने के लिए अनेक प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है।
गर्भावस्था के दौरान मां और उसके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए विटामिंस बहुत आवश्यक होते हैं। लेकिन इनकी अत्यधिक मात्रा गर्भ में पल रहे शिशु तथा मां दोनों की सेहत के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। इसीलिए गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में मल्टीविटामिन लेने से बचें। डॉक्टरों से संपर्क करें और उनके द्वारा बताए गए निश्चित मात्रा में ही विटामिन का सेवन करें। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में मल्टीविटामिन लेने के कौन-कौन से नुकसान हो सकते हैं।
यूटीआई संक्रमण के लक्षण, यूटीआई संक्रमण से बचाव, इलाज। गर्भावस्था के दौरान क्या सावधानियां बरतें। यूटीआई संक्रमण क्या है? यूटीआई का होने वाले बच्चे पे असर। यूटीआई संक्रमण की मुख्या वजह।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार चार से छह महीने पे शिशु शिशु का वजन दुगना हो जाना चाहिए। 4 महीने में आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए ये 4 बातों पे निर्भर करता है। शिशु के ग्रोथ चार्ट (Growth charts) की सहायता से आप आसानी से जान सकती हैं की आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए।
जिस शिशु का BMI 85 से 94 परसेंटाइल (percentile) के बीच होता है, उसका वजन अधिक माना जाता है। या तो शिशु में body fat ज्यादा है या lean body mass ज्यादा है। स्वस्थ के दृष्टि से शिशु का BMI अगर 5 से 85 परसेंटाइल (percentile) के बीच हो तो ठीक माना जाता है। शिशु का BMI अगर 5 परसेंटाइल (percentile) या कम हो तो इसका मतलब शिशु का वजन कम है।
जिन बच्चों को ड्राई फ्रूट से एलर्जी है उनमे यह भी देखा गया है की उन्हें नारियल से भी एलर्जी हो। इसीलिए अगर आप के शिशु को ड्राई फ्रूट से एलर्जी है तो अपने शिशु को नारियल से बनी व्यंजन देने से पहले सुनिश्चित कर लें की उसे नारियल से एलर्जी न हो।
अगर आप का शिशु जब भी अंडा खाता है तो बीमार पड़ जाता है या उसके शारीर के लाल दाने निकल आते हैं तो इसका मतलब यह है की आप के शिशु को अंडे से एलर्जी है। अगर आप के शिशु को अंडे से एलर्जी की समस्या है तो आप किस तरह अपने शिशु को अंडे की एलर्जी से बचा सकती है और आप को किन बातों का ख्याल रखने की आवश्यकता है।
अगर आप के बच्चे को बुखार है और बुखार में तेज़ दर्द भी हो रहा है तो तुरंत अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएँ। बुखार में तेज़ दर्द में अगर समय रहते सही इलाज होने पे बच्चा पूरी तरह ठीक हो सकता है। मगर सही इलाज के आभाव में बच्चे की हड्डियां तक विकृत हो सकती हैं।
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घर पे आसानी से बनायें अवोकाडो और केले की मदद से पौष्टिक शिशु आहार (baby food)| पोटैशियम और विटामिन C से भरपूर, यह शिशु आहार बढते बच्चे के शारीरिक आवश्यकता को पूरी करने के लिए एकदम सही विकल्प है|
हर बच्चे को कम से कम शुरू के 6 महीने तक माँ का दूध पिलाना चाहिए| इसके बाद अगर आप चाहें तो धीरे-धीरे कर के अपना दूध पिलाना बंद कर सकती हैं| एक बार जब बच्चा 6 महीने का हो जाता है तो उसे ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए| जब आप ऐसा करते हैं तो धीरे धीरे कर अपना दूध पिलाना बंद करें।
अगर आप आपने कल्पनाओं के पंखों को थोड़ा उड़ने दें तो बहुत से रोचक कलाकारी पत्तों द्वारा की जा सकती है| शुरुआत के लिए यह रहे कुछ उदहारण, उम्मीद है इन से कुछ सहायता मिलेगी आपको|
अनुपयोगी वस्तुओं से हेण्डी क्राफ्ट बनाना एक रीसाइक्लिंग प्रोसेस है। जिसमें बच्चे अनुपयोगी वास्तु को एक नया रूप देना सीखते हैं और वायु प्रदुषण और जल प्रदुषण जैसे गंभीर समस्याओं से लड़ने के लिए सोच विकसित करते हैं।
कैसे बनाये अपने नन्हे शिशु के लिए घर में ही rice cerelac (Homemade cerelac)। घर का बना सेरेलेक (Home Made Cerelac for Babies) के हैं ढेरों फायेदे। बाजार निर्मित सेरेलक के साइड इफेक्ट हैं बहुत जिनके बारे में आप पढेंगे इस लेख मैं।
नवजात बच्चों द्वारा बार-बार उल्टी करना सामान्य बात है क्योंकि वे अपने खाद्य - पदार्थ के साथ में तालमेल बिठा रहे होते हैं और उनका शरीर विकसित हो रहा होता है। उलटी के गंभीर लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श ले।