शिशु का शारीरिक विकास
पांच साल के बाद (5 years) शिशु का सही मायने में शारीरिक विकास शुरू होता है। सही शारीरिक विकास के लिए सही रक्त संचार और iron supplements की आवशकता होती है।
लेकिन मुख्या समस्या की शुरुआत यहीं से होती है!

शिशु के लिए हानिकारक आहार
जब बच्चे अपने active growth years में प्रवेश करते हैं तो माँ बाप बच्चों के खाने पे उचित ध्यान देना बंद कर देते हैं। और बच्चों को आहार में मिलने लगता है बिस्कुट, सैंडविचेज़, और नूडल्स। ये आहारों में तेल भी खूब होता है और ये refined आहार भी हैं।

किसी भी दृष्टि से ये आहार बच्चों के विकास के लिए सही नहीं है। इसके आलावा बच्चों को आजकल कैंडीज और चॉकलेट्स भी बिना रोक-टोक खाने को मिलता है। जितना हो सके बच्चों को घर का बना स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार दें। इससे बच्चों को पोषण तो भरपूर मिलगा, साथ ही उनका सेहत भी ठीक रहेगा। बच्चों के active growth years में उनका स्वस्थ रहना बहुत जरुरी है।
शिशु के विकास पे refined foods और trans-fats का प्रभाव
जब बच्चे active growth years में होते हैं तब उन्हें अगर ऐसे आहार दिए जाएँ जिस में refined foods और trans-fats हों तो इसका बच्चों के विकास पे बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे बच्चों का विकास रुक भी सकता है।

ये ऐसे आहर हैं जिनसे बच्चों को उचित मात्रा में विटामिन्स और मिनिरल्स नहीं मिल पते हैं।
साथ ही साथ refined foods से बच्चों के पाचन तंत्र पे भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उन्हें सीलिएक रोग या कुपोषण जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ जाता है।
शिशु का संतुलित आहार (well-balanced diet)
बच्चों के शरीर को उनके active growth years में उनके आहार से उन्हें सारे महत्वपूर्ण (essential) विटामिन्स और मिनिरल्स मिलने चाहियें।

ये तभी संभव है जब बच्चे को संतुलित आहार (well-balanced diet) मिले। संतुलित आहार (well-balanced diet) से शिशु को मिलता है कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन, और विटामिन्स।
संतुलित आहार (well-balanced diet) मिलने से शिशु का विकास बिना किसी रूकावट के होता है जब तक की वो यौवन (puberty) अवस्था तक नहीं पहुँच जाता है।
शुरुआत करें सुबह के पौष्टिक नाश्ते से
बच्चों का पूरा दिन बहुत व्यस्तता से गुजरता है। सुबह की शुरुआत खेल की तयारी से, फिर स्कूल, फिर tuition classes और अंत में extracurricular एक्टिविटीज।

इस प्रकार के दिनचर्या को जीने के लिए बहुत ऊर्जा की आवशकता है और इसीलिए बच्चों का आहार, विशेषकर सुबह का नाश्ता बहुत ही पौष्टिक होना चाहिए।
शिशु का पोषण इस तरह सुनिश्चित करें

- अपने शिशु की दिन में कम से कम चार बार पूरा आहर (four full meals) मिलना चाहिए।
- शिशु के आहार में फलों का जूस, दही, और सब्जियों होने चाहिए।
- शिशु को आहार में रोटी या पराठा दिया जा सकता है।
- शिशु को दिन में कम से कम एक बार sprouts या beans (जैसे राजमा) दिया जाना चाहिए क्योँकि इसमें घनिष्ट मात्रा में पोषक तत्त्व होते हैं। ये शिशु के रोग प्रतिरोधक छमता को बढ़ाते हैं।
आप के शिशु के लिए आवशयक पोषण

- आनाज - आनाज एक संतुलित आहार का मुख्या हिस्सा है। इससे शिशु को पोषण के साथ साथ ताकत/ऊर्जा (energy) मिलती है जो शिशु के सुचारु विकास के लिए बहुत आवशयक है। आप को शिशु के आहार में तरह तरह के अनाजों को सम्मलित करना चाहिए जैसे की रोटी, ब्रेड्स, सीरियल्स, चावल, पास्ता, नूडल्स और ओट्स (oats)। बच्चे को refined grain (cereal) से बने आहरों से दूर रखें। इसमें अत्यधिक मात्रा में चीनी, वासा (विशेषकर saturated fats) और नमक होता है।

क्या आप को आनाज के बारे में यह बात पता है?
रोटी और आनाज बहुत अच्छा माध्यम है शिशु को आहार में fiber, कार्बोहायड्रेट और प्रोटीन देने का। इसके साथ इससे शिशु को कई प्रकार के विटामिन्स हुए मिनरल्स भी मिलते हैं।
- फल और सब्जी - फल और सब्जियों में प्रचुर मात्रा में विटामिन्स और मिनरल्स होता है। इसमें फाइबर और नमी की मात्रा भी खूब होती है। इसमें तरह तरह के antioxidants भी होते हैं। आप कोशिश यह करें की हर दिन आप के बच्चे के आहार में फल और सब्जियां भी समलित हों।

- वसा - यह शिशु के आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और शिशु के दिमागी विकास में एहम भूमिका निभाता है। वासा का इस्तेमाल हमारा शरीर ऊर्जा (energy) के लिए करता है। इसके साथ ही साथ ऐसे बहुत से विटामिन हैं जिन्हे हमारा शरीर आसानी से ग्रहण नहीं कर सकता है। ये वो विटामिन हैं हो वासा में घुलते हैं लेकिन पानी में नहीं जैसे की vitamin A, D, E and K। वसा की सहायता से हमारा शरीर ऐसे विटामिन को आसानी से ग्रहण कर लेते है।

वसा को हमेशा से अधिक वजन, मोटापा, ओबेसिटी, ह्रदय की बीमारी और स्ट्रोक के साथ जोड़ के देखा जाता है। लेकिन सही वासा, सही मात्रा में शरीर को बहुत से स्वास्थवर्धक फायदे पहुंचा सकता है। शिशु के शरीर को सही वासा प्रदान करने के लिए आप उसे मछली, काजू, बदन, ड्राई फ्रूट्स, अवोकेडो (avocado), सोयाबीन आयल, जैतून का तेल (olive oil), दूध और दूध से बने उत्पाद दे सकती हैं। ये सभी वासा के उच्च स्रोत हैं और साथ ही विटामिन C, A, D, B1, B2 और B12 और मिनरल्स तथा कैल्शियम भी प्रदान करते हैं।
शिशु को अच्छी शारीरिक विकास के लिए हर दिन आहार के माध्यम से कैल्शियम देने की आवशकता पड़ती है। इससे शिशु की हड्डियां मजबूत बनती हैं।
- बीन्स, राजमा और दाल - यह प्रोटीन का बहुत शानदार स्रोत है। प्रोटीन शरीर में मांसपेशियोँ के निर्माण में योगदान देता है। प्रोटीन के साथ साथ ये शरीर के विकास के लिए बहुत से पोषक तत्त्व भी प्रदान करता है।

- मास, मुर्गी, अंडा - ये भी पोषक तत्वों का बढ़िया स्रोत है, विशेषकर के विटामिन B12 और आयरन के लिए। इसमें प्रोटीन भी प्रचुर मात्रा में होता है। आयरन का अच्छा स्रोत होने की वजह से यह खून की कमी (anemia) की बीमारी से शिशु को बचता है। जिन बच्चों त्वचा दिखने में थोड़ी पिली और जो सुस्त दिखें, उनमें जान लें की आयरन की कमी हो रही है।

- मास, मुर्गी, अंडा का विकल्प - अगर आप शाकाहारी हैं, तो भी आप अपने बच्चे को वो सरे पोषकतत्व दे सकती हैं जो किसी मांसाहारी भोजन से प्राप्त होगा। उदहारण के लिए सोया, बीन्स, दूध, माखन, मशरुम, नट्स (ड्राई फ्रूट्स), सीड्स (मूम्फ़ली) अदि बच्चों को दिया जा सकता है।

बच्चों को दिन भर में कितना दूध देना चाहिए?

- 1 Year - एक साल तक के बच्चों को दिन भर में जितनी बार आवश्यकता पड़े बच्चों को दूध पिलाना चाहिए। छेह महीने के बाद से बच्चों में ठोस आहार की शुरुआत कर दी जाती है। लेकिन फिर भी भी जब तक शिशु एक साल का ना हो जाये उसका मुख्या आहार माक का दूध ही रहेगा।
- 2 to 3 years - दो साल से ले के तीन साल तक की उम्र के बच्चों को दिन भर में दो कप (2 cups) दूध पिने की आवश्यकता पड़ती है। दो कप (2 cups) दूध लगभग 480 milliliters दूध होता है।
- 4 to 8 years - चार साल से लेकर आठ साल तक की उम्र के बच्चों को दिन भर में करीब ढाई कप दूध (2 1/2 cups) की आवशयकता पड़ती है। ढाई कप (2 1/2 cups) दूध लगभग 600 milliliters दूध होता है।
- 9 years and above - नौ साल और उससे बड़े बच्चों को दिन भर में तीन कप दूध पिने की आवशकता पड़ती है। तीन कप (3 cups) दूध लगभग 720 milliliters दूध होता है।
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