Category: प्रेगनेंसी
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गर्भवती महिला में उल्टी और मतली का आना डोक्टर अच्छा संकेत मानते हैं। इसे मोर्निंग सिकनेस भी कहते हैं और इसकी वजह है स्त्री के शारीर में प्रेगनेंसी हॉर्मोन (hCG) का बनना। जाने क्योँ जरुरी है गर्भावस्था में उल्टी और मतली के लक्षण और इसके ना होने से गर्भावस्था को क्या नुक्सान पहुँच सकता है।

प्रेगनेंसी में जहाँ गर्भवती महिला के लिए एक तरफ ख़ुशी की बात है वहीं यह थोड़ी परेशानी का भी सबब है
प्रेगनेंसी में मॉर्निंग सिकनेस (morning sickness) यानी की उल्टी और मतली का आना आम बात है। कुछ महिलाओं में इसके लक्षण ज्यादा तो कुछ महिलाओं में कम पाए जाते हैं।
विश्व भर में हुए अध्यन में यह बात तो साफ़ है की गर्भवती महिला में मॉर्निंग सिकनेस का होना के जरुरी चिन्ह है।
मगर क्योँ?
इस लेख में हम यही बात जानेंगे की एक गर्भवती महिला को क्योँ मॉर्निंग सिकनेस यानी की उल्टी और मतली आना चाहिए।
प्रेगनेंसी के दौरान मॉर्निंग सिकनेस को एक अच्छा संकेत माना गया है और बेहद जरुरी भी। जिन महिलाओं को उल्टी और मतली की समस्या होती है, उनमें समय से पूर्व प्रसव का ख़तरा कम होता है।
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आकंड़े बताते हैं की जिन महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान मॉर्निंग सिकनेस होती है उनमें गर्भपात होने की आशंका 50 से 75% तक कम हो जाती है।

अधिकांश मामलों में देखा गया है की गर्भवती महिला को गर्भावस्था के पहले तीन महीने मरोनिंग सिकनेस की समस्या ज्यादा सताती है।

कुछ गर्भवती महिलाओं को उल्टी और मतली की समस्या की वजह से औरों की मुकाबले कुछ ज्यादा ही तकलीफ झेलनी पड़ती है।
लेकिन गर्भावस्था में उल्टी और मतली के लक्षण इस बात को बताते हैं की यह एक स्वस्थ प्रेग्नेंसी है। अगर किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान उल्टी और मतली के लक्षण नहीं दिख रहे हैं तो इसका मतलब है की उसकी प्रेगनेंसी में जरूर कोई - ना - कोई समस्या की आशंका है।
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गर्भावस्था के दौरान महिला का शरीर बहुत सारे परिवर्तनों से गुजरता है। ये परिवर्तन स्त्री के शरीरी में होने वाले बच्चे के स्वस्थ विकास के लिए बेहतर वातावरण त्यार करते हैं।

गर्भवती स्त्री के शरीर में ये बदलाव प्रेग्नेंसी से लेकर प्रसव के कुछ समय बाद तक होते रहते हैं। इन सारे बदलावों में सबसे प्रमुख बदलाव होता है स्त्री के शरीर में प्रेग्नेंसी हार्मोन का बनना। ये हॉर्मोन शिशु के विकास के लिए बेहद जरुरी है।
ये हॉर्मोन स्त्री के शरीर की मांसपेशियोँ और हड्डियोँ को लचीला बनता है। ताकि जैसे-जैसे बच्चा गर्भ बढे, स्त्री का शरीर रबर के बलून की तरह फ़ैल सके।
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लेकिन इसका एक साइड इफ़ेक्ट है जो गर्भवती महिला को झेलना पड़ता है। इसे अंग्रेजी भाषा में "acid reflex" कहते हैं।
साधारणतया जब हम कुछ खाते हैं तो esophagus में स्थित मासपेशी हमारे पेट में मौजूद आहार को बहार आने से रोकती है।
लेकिन प्रेग्नेंसी हार्मोन के कारण esophagus में स्थित मासपेशी ढीली पड़ जाती है और पेट में मौजूद आहार को प्रभावी तरीके से बहार आने से रोक नहीं पाती है। इसी का नतीजा है उल्टी और मतली के लक्षण का होना।
प्रेगनेंसी के शुरुआत से ही गर्भवती महिला के शरीर में प्रेगनेंसी हॉर्मोन का बनना शुरू हो जाता है। जिस स्त्री के शरीर में जितना ज्यादा ये हॉर्मोन बनता है, उस स्त्री को उतना ज्यादा मॉर्निंग सिकनेस के साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ता है।
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अक्सर देखा गया है की जो महिलाएं जुड़वाँ बच्चों को जन्म देने वाली रहती हैं उन्हें उल्टी और मतली के ज्यादा गंभीर लक्षणों से गुजरना पड़ता है।
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अगर गर्भवती महिला में उल्टी और मतली के लक्षण न दिखे तो इसका साफ़ मतलब यही है की उस स्त्री के शरीर में पर्याप्त मात्रा में प्रेगनेंसी हॉर्मोन (hCG) नहीं बन रहा है।

यह अच्छा संकेत नहीं है और इसके पीछे जरूर कोई कारण हो सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। ये आगे चल के किसी गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकता है।
स्त्री के शरीर में प्रेगनेंसी हॉर्मोन (hCG) का निर्माण प्लेसनटा (placenta) को कोशिकाओं के दुवारा होता है। स्त्री के अंडाणु और गर्भावस्था जितनी स्वस्थ होती है - उसके शरीर में प्लेसनटा (placenta) की कोशिकाएं उतनी सक्रियता से प्रेगनेंसी हॉर्मोन (hCG) का निर्माण करती हैं।
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लेकिन अगर निषेचित अंडाणु और गर्भावस्था में किसी तरह की कोई समस्या है, प्लेसनटा (placenta) की कोशिकाएं सक्रियता से प्रेगनेंसी हॉर्मोन (hCG) का निर्माण नहीं करेंगी। आगे चलकर इसकी वजह से प्रेग्नेंसी में दिक्कत भी पैदा हो सकती है।
नोट: जिन महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान मॉर्निंग सिकनेस (morning sickness) यानी की उल्टी और मतली नहीं आ रही है, उन्हें खुद कल्पना कर के परेशां नहीं होना चाहिए।
इसके बदले डॉक्टर से मिले और उसके निर्देश पे जरुरी जाँच करवाएं। कुछ महिलाओं को सवस्थ प्रेगनेंसी के बावजूद भी मॉर्निंग सिकनेस (morning sickness) यानी की उल्टी और मतली की समस्या नहीं होती है।
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पूरी गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के लिए यह बहुत आवश्यक है की वह ऐसे पोषक तत्वों को अपने आहार में सम्मिलित करें जो गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के शरीर में कई प्रकार के परिवर्तन होते हैं तथा गर्भ में पल रहे शिशु का विकास भी बहुत तेजी से होता है और इस वजह से शरीर को कई प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है। पोषक तत्वों की कमी शिशु और माँ दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसी तरह का एक बहुत महत्वपूर्ण पोषक तत्व है Vitamin B12.
छोटे बच्चों की सही और गलत पर करना नहीं आता इसी वजह से कई बार अपनी भावनाओं को काबू नहीं कर पाते हैं और अपने अंदर की नाराजगी को जाहिर करने के लिए दूसरों को दांत काट देते हैं। अगर आपका शिशु भी जिसे बच्चों को या बड़ो को दांत काटता है तो इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किस तरह से आप उसके इस आदत को छुड़ा सकती है।
जानिए कीवी फल खाने से शरीर को क्या क्या फायदे होते है (Health Benefits Of Kiwi) कीवी में अनेक प्रकार के पोषक तत्वों का भंडार होता है। जो शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से बचाने में सक्षम होते हैं। कीवी एक ऐसा फल में ऐसे अनेक प्रकार के पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को बैक्टीरिया और कीटाणुओं से भी लड़ने में मदद करते। यह देखने में बहुत छोटा सा फल होता है जिस पर बाहरी तरफ ढेर सारे रोए होते हैं। कीवी से शरीर को अनेक प्रकार के स्वास्थ लाभ मिलते हैं। इसमें विटामिन सी, फोलेट, पोटेशियम, विटामिन के, और विटामिन ई जैसे पोषक तत्वों की भरमार होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर भी प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है। कीवी में ढेर सारे छोटे काले बीज होते हैं जो खाने योग्य हैं और उन्हें खाने से एक अलग ही प्रकार का आनंद आता है। नियमित रूप से कीवी का फल खाने से यह आपके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है यानी कि यह शरीर की इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
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