Category: शिशु रोग
By: Miss Vandana | ☺29 min read
डिस्लेक्सिया (Dyslexia) से प्रभावित बच्चों को पढाई में बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है। ये बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं। डिस्लेक्सिया (Dyslexia) के लक्षणों का इलाज प्रभावी तरीके से किया जा सकता है। इसके लिए बच्चों पे ध्यान देने की ज़रुरत है। उन्हें डांटे नहीं वरन प्यार से सिखाएं और उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करें।
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डिस्लेक्सिया बच्चों में होने वाली एक आम बीमारी
डिस्लेक्सिया का बच्चे के बौधिक छमता से कोई लेना देने नहीं है।
चंचल आँखों वाला और सबका मन मोह लेने वाला गौरव आम तौर पे दिखने में दुसरे बच्चों की ही तरह था।
लेकिन स्कूल में हर संभव प्रयास के बाद भी जब उसका प्रदर्शन उमीद से काफी कम रहा तो उसकी स्कूल की टीचर ने उसके माँ-बाप को उसे बाल रोग विशेषज्ञ से जांच कराने की सलाह दी।
शायद उसके माँ बाप को भी इस बात का अंदाजा था क्यूंकि स्कूल का होमवर्क कराने में उन्हें भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
बाल रोग विशेषज्ञ ने कई तरह से गौरव का परिक्षण किया। इसमें IQ test भी शामिल थ।
सबके उपेक्षा के विपरीत गौरव का आईक्यू लेवल 124 आया जो की सामान्य (90-110) से बहुत बेहतर है - यूँ कहें की बहुत ज्यादा है।
इतने तेज़ और इतने प्रखर बुद्धि वाले गौरव का फिर पढाई में इतना ख़राब प्रदर्शन - आखिर क्योँ?
ऐसा इसलिए क्यूंकि गौरव डिस्लेक्सिया नमक एक डिसऑर्डर (learning disorder) से पीड़ित है।
डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों को आप 10 साल की उम्र में भी अक्षरों को उल्टा-पुल्टा लिखते पाएंगे।
मौखिक रूप से भले ही वे हर सवाल का जवाब दे सके लेकिन लिखने में उन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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डिस्लेक्सिया एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार भारत में 15 से 20 प्रतिशत बच्चे डिस्लेक्सिया की समस्या से पीड़ित हैं। यानि की हर पांच में से एक बच्चे में आप को डिस्लेक्सिया के कुछ लक्षण देखने को मिल सकते हैं।
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डिस्लेक्सिया की स्थिति बच्चे की दिमाग की बोलने-लिखने की क्षमता को प्रभावित करता है। ये बच्चे एक जैसे सुनने वाले या दिखने वाले अक्षरों में भेद करने में परेशानी महसूस करता है। उदहारण के लिए 6 और 9 में या 21 और 12 में। कई विशेषज्ञ इसे एक आनुवांशिक बीमारी भी मानते हैं।
डिस्लेक्सिया से प्रभावित बच्चे गणित में, ब्लैकबोर्ड से कॉपी करने में, सही उचारण कर सकने में दिक्कत महसूस करते हैं। वे 'रंग, अक्षर और संख्या जैसी मूल चीजें समझने में परेशानी महसूस करते हैं। इनकी हैंडराइटिंग ख़राब होती हैं, कई बार शब्दों में अक्षरों का क्रम सही नहीं होता है, ध्वनि में अंतर नहीं कर पाते हैं। 'दिशाओं से सम्बंधित भ्रम जैसे की 'दाएं को बाएं समझना और बाएं को दाएं समझना आदि।
लेकिन इसका इनके बौधिक छमता से कोई लेने देना नहीं है। उम्र के साथ ये दिक्कतें समाप्त हो जाएँगी।
लेकिन इस समय उन्हें आप की सहारे की आवश्यकता है। उनके हौसले को बुलंद कीजिये, ताकि उनका आत्मविश्वास बना रहे। धीरे धीरे उतना ही पढ़ायें जितना की उनकी छमता अभी ग्रहण करने की है।
अल्बर्ट आइंस्टीन को तो आप जानती ही होंगी। बचपन में वो भी डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चे थे। तब कौन कह सकता था की वे बड़े हो कर विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक बनेंगे। आगे चल कर उन्होंने अपने जीवन में जिस प्रकार का प्रदर्शन दिया, उसे पूरी दुनिया जानती है।
बच्चा जब छोटा रहता हैं तो उससे पढाई करने में तरह - तरह की परेशानिया नजर आती हैं और वह उनको दूर करने में सक्षम नहीं होता हैं। ऐसे में माता - पिता और उसके शिक्षक तरह - तरह से उसको समझाने का प्रयत्न करते हैं और प्यार और स्नेह से वो इस दिक्कत को दूर करने की कोशिश करते हैं ,जिससे ये बीमारी दूर हो जाती हैं। एक शिक्षक और उसके माता - पिता बच्चे की समस्या को समझते हुए उससे प्रशंसा द्वारा उसके दिमागी हालत को ठीक कर सकते हैं।
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डिस्लेक्सिया (Dyslexia) से प्रभावित बच्चों को पढाई में बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है। इसका समाधान ये नहीं है की आप बच्चों को पढाई में ज्यादा मेहनत करने के लिए जोर दें। इसके बदले आप को अपने बच्चे को पढ़ने के तरीकों में बदलाव लाने की जरुरत पड़ेगी।
आप का बच्चा सामान्य बच्चों से भिन है। आप को उसकी गलतियौं को नजरंदाज करना होगा ताकि आप के बच्चे का मनोबल बना रहे और वो अपने आप में विश्वास ना खोये।
अगर आप का बच्चा पढ़ी हुई चीजें भूल जाये तो आप उसको hint दें। फिर भी उसे याद ना आये तो आप उसे उत्तर बता दें – लेकिन बिना दुसरे बच्चों से तुलना किये और बिना डांटे।
आप के बच्चे के लिए भूल जाना बहुत स्वाभाविक है। इसमें उसकी कोई गलती नहीं है।
बच्चे से ज्यादा मेहनत कराने से उसमे शायद ही कोई सुधर हो। लेकिन इससे आप का बच्चा हाताश हो जायेगा और पढाई से दूर भागने लगेगा। इससे नुकसान ज्यादा और फायेदा कम होगा।
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कभी कभी पढ़ाते वक्त अनजाने में माँ-बाप ऐसे काम कर जाते हैं जिन की वजह से बच्चों की डिस्लेक्सिया (Dyslexia) की समस्या और बढ़ जाती है। पढ़ाते वक्त बच्चों के साथ निचे दिए काम कभी ना करें।
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एक गंभीर बीमारी ये मस्तिष्क की चोट के कारन होता हैं।
इसके लक्षण छोटे बच्चों में निरंतर फ्लू , सरदी या कान के संक्रमण से सुनने के क्षमता के नुकसान के कारण विकसित हो सकते हैं।
इसमें बच्चे शब्दों की ध्वनि नहीं सुन पाते हैं इसलिए उन्हें शब्द बोलने वर्तनी पढ़ने और लिखने में कठिनाई होती हैं।
बढे बच्चों या वयस्कों में मस्तिष्क की बीमारी की वजह से ट्रामा डिस्लेक्सिया विकसित होता हैं , जो भाषा को समझने क क्षमता को प्रभावित करता हैं।
ये लोग आमतौर पर आघात से पहले पढ़ने - लिखने और शब्दों की वर्तनी करने में ठीक होते हैं।
कुछ प्रसिद्ध व्यक्तियों को यह बीमारी थी - अल्बर्ट आइंस्टीन ,थॉमस एडिसन ,पिकासो ,अभिषेक बच्चन ,मोहम्मद अली।
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छोटे बच्चों की सही और गलत पर करना नहीं आता इसी वजह से कई बार अपनी भावनाओं को काबू नहीं कर पाते हैं और अपने अंदर की नाराजगी को जाहिर करने के लिए दूसरों को दांत काट देते हैं। अगर आपका शिशु भी जिसे बच्चों को या बड़ो को दांत काटता है तो इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किस तरह से आप उसके इस आदत को छुड़ा सकती है।
गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर का उतार चढाव, माँ और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर में बिस्तर पर आराम करना चाहिए। सादा और सरल भोजन करना चाहिए। पानी और तरल का अत्याधिक सेवन करना चाहिए। नमक का सेवन सिमित मात्र में करना चाहिए। लौकी का रस खाली पेट पिने से प्रेगनेंसी में बीपी की समस्या को कण्ट्रोल किया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान बालों का झाड़ना एक बेहद आम बात है। ऐसा हार्मोनल बदलाव की वजह से होता है। लेकिन खान-पान मे और जीवन शैली में छोटे-मोटे बदलाव लाकर के आप अपने बालों को कमजोर होने से और टूटने/गिरने से बचा सकती हैं।
कहानियां सुनने से बच्चों में प्रखर बुद्धि का विकास होता है। लेकिन यह जानना जरुरी है की बच्चों को कौन सी कहानियां सुनाई जाये और कहानियौं को किस तरह से सुनाई जाये की बच्चों के बुद्धि का विकास अच्छी तरह से हो। इस लेख में आप पढ़ेंगी कहानियौं को सुनने से बच्चों को होने वाले सभी फायेदों के बारे में।
गर्भावस्था के दौरान स्त्रियौं को सुबह के वक्त मिचली और उल्टी क्योँ आती है, ये कितने दिनो तक आएगी और इसपर काबू कैसे पाया जा सकता है और इसका घरेलु उपचार। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं के शारीर में ईस्ट्रोजेन हॉर्मोन का स्तर बहुत बढ़ जाता है जिस वजह से उन्हें मिचली और उल्टी आती है।
बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, अगर शिशु को एलर्जी नहीं है, तो आप उसे 6 महीने की उम्र से ही अंडा खिला सकती हैं। अंडे की पिली जर्दी, विटामिन और मिनिरल का बेहतरीन स्रोत है। इससे शिशु को वासा और कोलेस्ट्रॉल, जो उसके विकास के लिए इस समय बहुत जरुरी है, भी मिलता है।
इसमें हानिकारक carcinogenic तत्त्व पाया जाता है। यह त्वचा को moisturize नहीं करता है - यानी की - यह त्वचा को नमी प्रदान नहीं करता है। लेकिन त्वचा में पहले से मौजूद नमी को खोने से रोक देता है। शिशु के ऐसे बेबी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें जिनमे पेट्रोलियम जैली/ Vaseline की बजाये प्राकृतिक पदार्थों का इस्तेमाल किया गया हो जैसे की नारियल का तेल, जैतून का तेल...
अगर आप का शिशु सर्दी और जुकाम से परेशान है तो कुछ घरेलु उपाय आप के शिशु को आराम पहुंचा सकते हैं। सर्दी और जेड के मौसम में बच्चों का बीमार पड़ना आम बात है। इसके कई वजह हैं। जैसे की ठण्ड के दिनों में संक्रमण को फैलने के लिए एकदम उपयुक्त माहौल मिल जाता है। कुछ बच्चों को ठण्ड से एलेर्जी होती है और इस वजह से भी उनमे सर्दी और जुकाम के लक्षण दीखते हैं।
शिशु को 10 सप्ताह (ढाई माह) की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को कई प्रकार के खतरनाक बिमारिओं से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
पोलियो वैक्सीन OPV (Polio Vaccine in Hindi) - हिंदी, - पोलियो का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
अब तक ३०० बच्चों की जन ले चूका है हत्यारा ब्लू-व्हेल गेम। अगर आप ने सावधानी नहीं बाराती तो आप का भी बच्चा हो सकता है शिकार। ब्लू-व्हेल गेम खलता है बच्चों के मानसिकता से। बच्चों का दिमाग बड़ों की तरह परिपक्व नहीं होता है। इसीलिए बच्चों को ब्लू-व्हेल गेम से सुरक्षित रखने के लिए माँ-बाप की समझदारी और सूझ-बूझ की भी आवश्यकता पड़ेगी।
चिकनगुनिया का प्रकोप भारत के कई राज्योँ में फ़ैल रहा है। इसके लक्षण बहुत ही भ्रमित कर देने वाले हैं। ऐसा इस लिए क्योँकि इसके लक्षण बहुत हद तक मलेरिया से मिलते जुलते हैं।
अगर आप का शिशु जब भी अंडा खाता है तो बीमार पड़ जाता है या उसके शारीर के लाल दाने निकल आते हैं तो इसका मतलब यह है की आप के शिशु को अंडे से एलर्जी है। अगर आप के शिशु को अंडे से एलर्जी की समस्या है तो आप किस तरह अपने शिशु को अंडे की एलर्जी से बचा सकती है और आप को किन बातों का ख्याल रखने की आवश्यकता है।
Indian baby sleep chart से इस बात का पता लगाया जा सकता है की भारतीय बच्चे को कितना सोने की आवश्यकता है।। बच्चों का sleeping pattern, बहुत ही अलग होता है बड़ों के sleeping pattern की तुलना मैं। सोते समय नींद की एक अवस्था होती है जिसे rapid-eye-movement (REM) sleep कहा जाता है। यह अवस्था बच्चे के शारीरिक और दिमागी विकास के लहजे से बहुत महत्वपूर्ण है।
पोलियो वैक्सीन - IPV1, IPV2, IPV3 वैक्सीन (Polio vaccine IPV in Hindi) - हिंदी, - पोलियो का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
6 माह से 1 साल तक के शिशु को आहार के रूप में दाल का पानी,चावल का पानी,चावल,सूजी के हलवा,चावल व मूंग की खिचड़ी,गूदेदार, पके फल, खीर, सेरलेक्स,पिसे हुए मेवे, उबले हुए चुकंदर,सप्ताह में 3 से 4 अच्छे से उबले हुए अंडे,हड्डीरहित मांस, भोजन के बाद एक-दो चम्मच पानी भी शिशु को पिलाएं।
एक साल से ले कर नौ साल (9 years) तक के बच्चों का डाइट प्लान (Diet Plan) जो शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में सकारात्मक योगदान दे। शिशु का डाइट प्लान (Diet Plan) सुनिश्चित करता है की शिशु को सभी पोषक तत्त्व सही अनुपात में मिले ताकि शिशु के विकास में कोई रूकावट ना आये।
सेब में मौजूद पोषक तत्त्व आप के शिशु के बेहतर स्वस्थ, उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ताज़े सेबों से बना शिशु आहार आप के शिशु को बहुत पसंद आएगा।
कैसे बनाये अपने नन्हे शिशु के लिए घर में ही rice cerelac (Homemade cerelac)। घर का बना सेरेलेक (Home Made Cerelac for Babies) के हैं ढेरों फायेदे। बाजार निर्मित सेरेलक के साइड इफेक्ट हैं बहुत जिनके बारे में आप पढेंगे इस लेख मैं।
आपके बच्चों में अच्छी आदतों का होना बहुत जरुरी है क्योँकि ये आप के बच्चे को न केवल एक बेहतर इंसान बनने में मदद करता है बल्कि एक अच्छी सेहत भरी जिंदगी जीने में भी मदद करता है।