एडीएचडी (ADHD) - Introduction
एडीएचडी (ADHD) सवभाव या व्यहार से सम्बंधित विकारों का समूह है। इसे हम विकारों का समूह इस लिए कहते हैं क्यूंकि इसमें बच्चे को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे की बच्चे को ध्यान केन्द्रित करने में दिक्कत आती है - inattentiveness, बहुत ज्यादा क्रियाशील रहता है - hyperactive और उसमे आवेग में आ कर काम करने के गुण होते हैं - impulsiveness।
एडीएचडी (ADHD) के लक्षणों को पहचान
बच्चे में एडीएचडी (ADHD) के लक्षण छोटे उम्र से ही दिखने लगते हैं। लेकिन जैसे - जैसे बच्चा बड़ा होता है उसमे ये लक्षण और ज्यादा उभर कर सामने आते हैं। उदहारण के लिए आप बच्चे में एडीएचडी (ADHD) के लक्षणों को ज्यादा बेहतर तरीके से तब पहचान सकती हैं जब वो स्कूल जाना शुरू करता है।
शिशु में एडीएचडी (ADHD) के अधिकांश मामले 6 से 12 साल के उम्र में सामने आते हैं।
एडीएचडी (ADHD) का प्रभाव कब समाप्त होता है
एडीएचडी (ADHD) के लक्षणों में उम्र से साथ सुधर होता जाता है। लेकिन फिर भी जिन बच्चों में बचपन में एडीएचडी (ADHD) ले लक्षण सामने आते हैं, उनमें व्यस्क होने पे भी एडीएचडी (ADHD) के लक्षणों का कुछ प्रभाव देखा जा सकता है। यानी की उम्र के साथ एडीएचडी (ADHD) के लक्षणों में सुधार तो होता है लेकिन यह पूरी तरह से समाप्त नहीं होता।
जिन व्यक्तियौं में एडीएचडी (ADHD) के लक्षण होते हैं, उनमे और दुसरे भी जटिलताएं देखने को मिल सकती है। जैसे की ऐसे व्यक्तियौं को सोने में परिशानी होती है, और ये anxiety के भी शिकार पाए जाते हैं।
एडीएचडी (ADHD) से शिशु को होने वाली समस्या
एडीएचडी (ADHD) बच्चों में होने वाला एक बहुत ही सामान्य विकार है , जो किशोर अवस्था से लेकर वयस्का अवस्था तक भी लगातार बना रह सकता है। ऐसे बच्चे किसी विषय पर देर तक ध्यान केंद्रित नहीं कर पते हैं, जल्द आवेग में आ जाते हैं, और इनमें अति क्रिया शीलता के लक्षण पाए जाते हैं।
वर्तमान समय में एडीएचडी की पहचान एक ऐसे विकार के रूप में हुई है , जो बच्चे के व्यवहारात्मक ,संवेगात्मक, शैक्षणिक और संज्ञानात्मक पक्षों को प्रभावित करता है।
साधारण भाषा में इसका मतलब इतना हुआ की अगर आप का बच्चा एडीएचडी (ADHD) की समस्या से पीड़ित है तो उसे स्कूल में पढाई के वक्त ध्यान केन्द्रित करने में मुश्किलें आएगी। यह समस्या उसके व्यहार को भी प्रभावित करेगी। उदहारण के तौर पे उसे कहीं एक जगह बैठ के काम करने में दिकेतें होंगी। किसी काम को शुरू करते ही बोर हो जायेगा।

ऐसे बच्चे बहुत क्रियाशील होते हैं। माँ-बाप अगर चाहें तो थोड़ी सी सूझ-बूझ के साथ आप अपने बच्चे की इस असीमित उर्जा को सही दिशा दे सकती हैं।
एडीएचडी (ADHD) के लक्षण
एडीएचडी (ADHD) से प्रभावित बच्चों को आप निचे दिए लक्षणों से पहचान सकते हैं। इन लक्षणों के बारे में हम आगे विस्तार से बात करेंगे।
- अनअवधान या लापरवाही या इनअटेन्टिव (ध्यान नहीं देना) - Inattention
- अतिक्रिया शीलता (बहुत ज्यादा एक्टिव रहना) - Hyperactivity
- आवेग शीलता (आवेग में आ कर काम करना) - Impulsivity
जिन बच्चों को एडीएचडी (ADHD) होता है, उनमें आप ऊपर दिए कोई भी लक्षण देख सकते हैं। कुछ बच्चों में तो आप को ऊपर दिए सभी लक्षण देखने को मिल सकते हैं।
अनअवधान या लापरवाही या इनअटेन्टिव (Inattention)
शिशु में यह लक्षण आप तब तक नहीं देख पाएंगे जब तक की आप का बच्चा स्कूल ना जाने लगे। बड़े बच्चों में एडीएचडी (ADHD) के इस लक्षण को आसानी से पहचाना जा सकता है। विशेष कर सामाजिक परिस्थितियौं में।
बच्चा बहुत शिथिलता से बर्ताव कर सकता है, जैसे की वो अपने होमवर्क या दुसरे कामो को नहीं करता, या एक काम को बीच में छोड़ कर दुसरे काम में हाथ डाल देता है और फिर उसे भी बीच में छोड़ कर किसी दुसरे काम में हाथ डाल देता है।
- आसानी से ध्यान भटकना
ADHD से प्रभावित शिशु का ध्यान आसानी से भटक जाता है। इन बच्चों को ध्यान केन्द्रित करने में बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है।
- एक काम करते करते दूसरा काम शुरू कर देना
यह बहुत ही विशेष प्रकार का लक्षण इन बच्चों में देखने को मिलता है। ये बच्चे एक काम को करते करते आचानक से उसे बीच में अधुरा छोड़ कर दुसरे काम में हाथ डाल देते हैं। बहुत जल्दी किसी काम से इनका मन हट जाता है। 
- एकाग्र चित नहीं हो पाना
धयन केन्द्रित कर पाना इन बच्चों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। स्कूल में टीचर जो पढ़ा रही होती है उस पे ये बच्चे ध्यान नहीं लगा पाते है। इस वजह से ये बच्चे स्कूल में जो पढाया जाता है उसे समझ नहीं पाते हैं - जिसका नतीजा ये होता है की ये बच्चे पढाई में दुसरे बच्चों की तुलना में कमजोर रहते हैं। इन बच्चों पे दुसरे बच्चों की तुलना में पढाई के वक्त ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है। ऐसे बच्चों को पढ़ाने का सबसे बेहतरीन तरीका ये है की इन्हें कई माध्यम से पढाया जाये जैसे की कहानियौं के दुवारा, विडियो, ऑडियो के दुवारा और खेल के माध्यम से भी।
- दैनिक या रोज मर्रा के कामों को भूलना
ध्यान केन्द्रित ना कर पाने की वजह से कई बार ये बच्चे दैनिक या रोज मर्रा के कामों को करना भूल जाते हैं। उदहारण के लिए बाल बनाना, मुह धोना या नाश्ता करना। ये बच्चे अक्सर होमवर्क भी करना भूल जाते हैं।
- कामों को व्यवस्थित ढगं से न कर पाना
चूँकि इन बच्चों का मन बहुत जल्दी एक काम से भटक जाता है, ये बच्चे किसी भी काम को व्यस्थित ढंग से कर पाने में परेशानी महसूस करते हैं। अंत में होता ये है की ये स्कूल का कोई भी काम पूरा नहीं कर पाते हैं।
- मन पसंद कार्य करते हुए कुछ मिनटों में बोर हो जाना
इन बच्चों की सबसे बड़ी कमजोरी है ध्यान केन्द्रित ना कर पाना और बेहद जल्दी बोर हो जाना, इसी वजह से ये बच्चे अपने पसंदीदा काम को भी करते - करते बहुत जल्दी बोर हो जाते हैं।
- गृह कार्यों व अन्य कार्यों को समय पर पूरा न कर पाना
किसी भी काम को व्यवस्थित तरीके से कर पाने में असफल और बहुत जल्दी किसी एक काम से ध्यान भटक जाने के कारण इन बच्चों को अपना होमवर्क यानी गृह कार्यों को पूरा कर पाने में काफी दिकतों का सामना करना पड़ता है।
अतिक्रिया शीलता (Hyperactivity)
शिशु में यह लक्षण आप उसके स्कूल जाने से पहले ही देख सकेंगे। ऐसे बच्चे बहुत नटखट होते हैं। आप इन्हें एक जगह पे शांति से कभी बैठा नहीं पाएंगे। देखने पे ऐसा प्रतीत होता है जैसे की इनमें उर्जा का भंडार है। ये बच्चे जैसे ही बोलना सीखते हैं, खूब बोलते हैं। इनकी बातों को सुन कर बड़े-बड़े ताजुब करते हैं। ये बच्चे हर वक्त कूदते, दौड़ते रहते हैं। इन बच्चों को चोट भी इसी वजह से खूब लगता है। इन बच्चों में अतिक्रिया शीलता (Hyperactivity) से सम्बंधित सभी लक्षण निचे दिए गए हैं। इन लक्षणों को देख कर आप आसानी से एडीएचडी (ADHD) से प्रभावित बच्चों को पहचान सकेंगी।
- अपनी सीट पर लगातार हिलते - डुलते रहना।
- बिना रुके लगातार व अधिक बोलते रहना।
- खाना खाते समय या स्कूल में बिना हिले - डुले बैठने में समस्या होना।
- लगातार यहाँ - वहां घूमना।
- शांति के साथ कार्य करने में समस्या आना।
आवेग शीलता (Impulsivity)
इन बच्चों का सवभाव बहुत आवेग भरा होता है। इनमें सब्र और इंतज़ार का कोई भी गुण नहीं होता है। इनसे अगर आप कोई सवाल पूछे, तो ये आप की बात ख़त्म होने से पहले ही उत्तर दे देते हैं। कई बार तो ये सवाल पूरा सुनने से पहले ही जवाब दे देते हैं। इन बच्चों में धर्य की बहुत कमी रहती है। आप इन में निचे दिए गुण देख सकते हैं:
- बहुत अधीर होते हैं।
- प्रश्नों से पहले उत्तर देना।
- दूसरों की बात - चीत को बीच में रोकना।
- अपनी भावनाओं को खुल कर अभिव्यक्त करना।
- बिना सोचे समझे कोई काम करना।
- खेल में अपनी बारी की प्रतीक्षा करने में समस्या होना।
एडीएचडी (ADHD) के दुष्परिणाम
एडीएचडी (ADHD) बच्चा अपने जीवन में बहुत अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए उनकी उचित तरीके से पहचान और उपचार करना बहुत जरुरी हैं अन्यथा बड़े होने पे उनमें निम्नलिखित दुष्परिणाम देखने को मिलते है -
- विद्यालय के काम को समय पे पुर नहीं कर पाना या करना भूल जाना
- शिशु विषाद यानी उदासी की स्थिति में रहता है
- उसे सम्बन्ध बनाने में समस्या होती है
- नौकरी ढूंढने में और उसे जारी रखने में समस्या
- आपराधिक व्यवहार
एडीएचडी (ADHD) बच्चों को संभालना
एडीएचडी (ADHD) बच्चों के भविष्य की सफलता और खुशहाली के लिए माता - पिता, यानी की आपको निम्नलिखित बातों को समझना बहुत ज़रूरी है।
- बच्चों के प्रति सकारात्मक रूख बनाए रखिये
आप को हमेशा अपने बच्चे की शक्ति , लक्ष्य और रूचि को देखते हुए उनके एडीएचडी (ADHD) से सम्बंधित लक्षणों को कम करनी की कोशिश करनी चाहिये। जैसे अगर बच्चा हमेशा घूमता रहता है तो उसे योगा , डांस क्लास , मार्शल आर्ट आदि कार्यों को करने के लिए प्रेरित करिए।
- बच्चे के लिए निश्चित दिनचर्या स्थापित कीजिये
बच्चे को सभी काम समय से करने के लिए प्रेरित करें। शुरू शुरू में आप को बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। लेकिन एक बार जब आप का बच्चा एक निश्चित दिनचर्या में ढल जाता है तब आप के लिए सबकुछ आसन हो जाता है। इसलिए क्यूंकि दिन भर के काम के लिए उसे ध्यान केन्द्रित करने की जरुरत नहीं है। अब यह उसकी आदत बन चुकी है और वो बिना-सोचे समझे अपनी निश्चित दिनचर्या का पालन करेगा। वो समय पे सुबह उठ कर स्नान करेगा, नाश्ता करेगा, स्कूल के लिए तयार होगा, स्कूल के बाद निश्चित समय पे हर दिन होमवर्क (home-work) के लिए बैठेगा।
- बच्चे के लिए जीवन सरल और व्यस्थित बनाइये
एडीएचडी (ADHD) बच्चों को निर्देशों का पालन करने में बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है। ये उनके नियंत्रण से बहार है। अब इसके लिए शिशु को डांटना उचित नहीं है। आप को कोशिश यह करना चाहिए की आप का निर्देश इतना सरल हो की आप का बच्चा उसे समझ सके। आप का बच्चा यह भी समझ सके की आप उससे क्या उपेक्षा कर रही हैं। इसके बाद भी अगर आप का बच्चा आप की बात को अनसुना कर दे तो आप नाराज ना हों। आप को बहुत धर्य का सामना करना पड़ेगा। लेकिन अगर आप अपने बच्चे को डांटेगी तो वो आप की बात को बिलकुल समझने की कोशिश नहीं करेगा। ये बच्चे बहुत भावुक भी होते हैं। इन बच्चों को नियंत्रित करने का सबसे आसन काम है की इनके जीवन को सरल और व्यस्थित बनाया जाये। हर दिन अपने बच्चे में कुछ अच्छा खोजिये और उसे उसके लिए प्रोत्साहन दीजिये। 
- सोने और मूवमेंट के लिए प्रोत्साहित करें
ये बच्चे उर्जा का भंडार होते हैं। इसीलिए आप को इनके लिए ऐसे खेलों का चयन करना चाहिए जिससे इनकी खूब शारीरिक क्रियाएँ हों। खेल का चुनाव करते वक्त आप को इस बात का भी ध्यान रखना है की खेल ऐसा हो जो उसके आत्मासम्मान को बढ़ावा दे। आप इसमें उसकी सहायता कर सकती हैं। एडीएचडी (ADHD) बच्चों को आउटडोर गेम खेलने के लिए ज्यादा प्रोत्साहित करें। इससे उनकी अच्छी कसरत भी हो जाएगी और उन्हें रात को नींद भी आएगी। चूँकि ये बच्चे बहुत उर्जावान होते हैं, अगर इनकी उर्जा का इस्तेमाल नहीं हुआ तो इन्हें रात को समय पे नींद नहीं आएगी और ये बहुत देर रात तक जगे रहेंगे।
- सामाजिक कौशलों पर ध्यान देना
एडीएचडी (ADHD) बच्चों को दोस्त बनाने में बहुत परेशानी होती है। आप अपने बच्चे के लिए उपयुक्त माहौल बना सकती हैं जिस में उसे दुसरे बच्चों से दोस्ती करने में आसानी हो। इस तरह उनमें सामाजिक कौशलों के गुणों का विकास होगा और उनका आत्मविश्वास भी बढेगा।
- बच्चें के स्कूल से संपर्क करना
आप को बच्चे के स्कूल से लगातार संपर्क बने रखना चाहिये और मिलकर बच्चे के उत्साह को बढ़ाना चाहिये।
- होमवर्क में सहायता
बच्चे का होमवर्क करने में उसकी हमेशा सहायता करें जिससे वह अपना काम आसानी से कर सके।
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